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भारत में अनिवासी भारतीय / भारतीय मूल के व्यक्तियों द्वारा अभिगृहीत अचल संपत्ति की विक्री आय का प्रत्यावर्तन

भारतीय रिज़र्व बैंक
विदेशी मुद्रा नियंत्रण विभाग
केद्रीय कार्यालय
मुंबई

ए.पी.(डीआईआर सिरीज़) परिक्रम क्र.101

मई 5, 2003

सेवा में
विदेशी मुद्रा के सभी प्राधिकृत व्यापारी

महोदया/महोदय,

भारत में अनिवासी भारतीय / भारतीय मूल के व्यक्तियों द्वारा
अभिगृहीत अचल संपत्ति की विक्री आय का प्रत्यावर्तन

प्राधिकृत व्यापारियों का ध्यान जून 29, 2002 की अधिसूचना सं.फेमा.65/2002-आरबी के साथ पठित मई 3, 2000 की अधिसूचना फेमा.21/2000--आरबी के विनियम 6 के उपविनियम (ख) के खण्ड (iii) की ओर आकृष्ट किया जाता है जिसके अनुसार प्राधिकृत व्यापारियों को अनुमति दी गई है कि वे अनिवासी भारतीय /भारतीय मूल के व्यक्तियों द्वारा अभिगृहीत अचल संपत्ति (कृषि भूमि / वृक्षारोपण संपत्ति, फॉर्म हाउस के सिवाय) की विक्री आय के प्रत्यावर्तन के लिए, अचल संपत्ति के अभिग्रहण के लिए विदेशी मुद्रा में भुगतान की राई राशि की सीमा तक जो विदेश से सामान्य बैंकिंग मार्ग के माध्यम से अथवा उनके एनआरआई/एफसीएनआर खाते में धारित निधियों में से प्राप्त है, उसके बराबर प्रेषित करने की अनुमति दे सकते हैं।

2. उसी प्रकार, मई 3, 2000 की अधिसूचना फेमा.4/2000-आरबी के विनियम 8 के अनुसार प्राधिकृत व्यापारी अथवा भारत में राष्ट्रीय हाउसिंग बैंक द्वारा अनुमोदित आवास वित्त संस्थाओं को भारत में अनिवासी भारतीय /भारतीय मूल के व्यक्तियों को आवासीय स्थान के अभिग्रहण के लिए उसमें विहित शर्तों के अधीन आवास ऋण देने की अनुमति है।

3. अब यह निर्णय किया गया है कि यदि आवासीय स्थान की खरीद के लिए इस प्रकार ली गई ऋण की राशि को बाद में अनिवासी भारतीय / भारतीय मूल के व्यक्तियों द्वारा विदेश से निधियां भेजकर अथवा अपने एनआरआई/एफसीएनआर खाते में नामे डालकर चुकौती की जाती है तो आवासीय स्थान की खरीद के लिए गए रूपये ऋण की विदेशी मुद्रा में चुकौती को उक्त मई 3, 2000 की अधिसूचना फ़ेमा. 21/2000-आरबी के उप-विनियम (ख) के खण्ड (iii), समय समय पर यथासंशोधित, विदेशी मुद्रा में प्राप्ति माना जाना चाहिए।

4. तदनुसार प्राधिकृत व्यापारियों को अनिवासी भारतीय / भारतीय मूल के व्यक्तियों द्वारा प्राधिकृत व्यापारी /आवास वित्त संस्थाओं से लिए गए ऋण के रूप में उगाही निधियों में सामान्य बैंकिग मार्ग अथवा उनके एनआरआई/एफसीएनआर खाते में नामे द्वारा विदेश से प्राप्त आवक प्रेषण में से चुकाई जाती है तो चुकाए गए ऋण की राशि की सीमा तक प्रत्यावर्तित करने की अनुमति है।
 
5. प्राधिकृत व्यापारी इस परिपत्र की विषय-वस्तु की जानकारी अपने सभी संबंधित ग्राहकों को दे दें।

6. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं।

भवदीय,

(ग्रेस कोशी)
मुख्य महाप्रबंधक

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