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मास्टर परिपत्र - माल और सेवाओं के भारत में आयात

माल और सेवाओं के भारत मेंआयात

मास्टर परिपत्र क्र.:4 /2003-04

जुलाई 01, 2003

सेवामें
विदेशी मुद्रा के समस्त प्राधिकृत व्यापारी
मोदया /महोदय

मास्टर परिपत्र - माल और सेवाओं के भारत मेंआयात

जैसा कि आप जानते है कि विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 1 जून 2000 से लागू हुआ है । अधिनियम की धारा 5 के अनुसार कोई भी व्यक्ति चालू खाता लेनदेन के तहत प्राधिकृत व्यापारी की ओर से विदेशी मुद्रा बेच अथवा आहरित कर सकता है। तथापि केंद्र सरकार को जनहित में और रिज़र्व बैंक के साथ से परामर्श, चालू खाता लेनदेनों के लिए कतिपय प्रतिबंध लगाने का अधिकार दिया गया है। तदनुसार, भारत सरकार ने दिनांक 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. जीएसआर 381

(E) और यथा संशोधित 30 मार्च 2001 की अधिसूचना सं. एसओ.301 (E) जारी की है। अधिसूचना की प्रतिलिपि (अक्तूबर 22, 2002 तक यथा संशोधित) इसके साथ संलग्न है।

2. रिज़र्व बैंक ने प्राधिकृत व्यापारियों के लिए माल और सेवाओं वे भारत में आयात हेतु निदेशों को समाहित करते हुए विभिन्न परिपत्र भी जारी किए है।

3. प्राधिकृत व्यापारियों की सुविधा हेतु 1 जुलाई 2003 तक "माल और सेवाओं का भारत में आयात" विषय पर एक ही जगह वर्तमान अनुदेशों को उपलब्ध कराने के लिए यह मास्टर परिपत्र तैयार किया गया है।

भवदीय

(ग्रेस कोशी)


मुख्य महा प्रबंधक

माल और सेवाओं के भारत में
आयात हेतु मास्टर परिपत्र

विषय सूची

भाग I

प्रस्तावना

भाग II

अधिसूचना

भाग III

माल का आयात

अनुभाग अ

सामान्य

अनुभाग आ

वणिक कारोबार

अनुभाग इ

मुद्रा का आयात

भाग I
प्रस्तावना

1. चूंकि आयात का विनियमन वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, वाणिज्य विभाग, भारत सरकार विदेशी मुद्रा व्यापार निदेशालय के महानिदेशक द्वारा किया जाता है इसलिए आयात लेनदेन का कार्य करते समय प्राधिकृत व्यापारी सुनिशित करें कि वे भारत मेंप्रचलित निर्यात आयात नीति और 3 मई 2000 की अधिसूचना क्र.जी.एस.आर.381

(E) के अंतर्गत बनाई गई विदेशी मुद्रा प्रबंध (चालू खाता लेनदेन) नियमावली, 2000 और विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम के अंतर्गत समय समय पर रिज़र्व बैंक द्वारा जारी निदेशों के अनुसार हैं।

2. प्राधिकृत व्यापारियों को सामान्य बैंकिंग कार्य प्रणाली का अनुसरण करने का और यूनिफॉर्म कस्टम्स ऐंड प्रैक्टिसेज़ॅ फॉर डॉक्युमेंटरी क्रेडिट्स (यूसीपीडीसी) के प्रावधानों आदि, भारत में अपने ग्राहकों की ओर से साखपत्र खोलते समय ध्यान में रखना होगा। ड्रॉइंग और डिज़ाइन के आयात के संबंध में रिसर्च ऐंड डेवल्पमेंट सेस ऐक्ट, 1986 के प्रावधानों का अनुपालन सुनिश्चित किया जाए। प्राधिकृत व्यापारी आयातकों को भी सूचित करें कि यथा लागू आयकर अधिनियम के प्रावधानों का अनुपालन सुनिश्चित करें।

भाग II

अधिसूचना
नई दिल्ली, 3 मई 2000
(मार्च 30, 2001 की अधिसूचना सं.एसओ 301(E) द्वारा यथासंशोधित)

जीएसआर 381

(E) :- केंद्रीय सरकार, विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 की धारा 5 और धारा 46 की उप-धारा (1) के खण्ड (क) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए और भारतीय रिज़र्व बैंक से परामर्श से लोक हित में इस आवश्यक समझते हुए, निम्नलिखित नियम बनाती है, अर्थात ;

1. संक्षिप्त नाम और प्रारंभ

:- (1) इन नियमों का संक्षिप्त नाम विदेशी मुद्रा प्रबंध (चालू खाता लेनदेन) नियम, 2000 है ।

(2) ये 1 जून 2000 को प्रवृत्त होंगे

2. परिभाषाएं

:- इन नियमों में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो ;

(क)" अधिनियम" से विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) अभिप्रेत है ;

(ख) "आहरण" से किसी प्राधिकृत व्यक्ति से विदेशी मुद्रा का आहरण अभिप्रेत है और जिसके अंतर्गत साख पत्र लेना या अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट काड़ अंतरराष्ट्रीय डेबिट काड़ या एटीएम काड़ या किसी अन्य वस्तु, चाहे उसका कोई भी नाम हो और जिससे विदेशी मुद्रा दायित्व उत्पन्न होता है, का प्रयोग भी सम्मिलित है;
(ग) "अनुसूची" से इन नियमों से संलगन अनुसूची अभिप्रेत है;
(घ) उन शब्दों और पदों के, जो इन नियमों में परिभाषित नहीं है किंतु अधिनियम में परिभाषित हैं, वही अर्थ होंगे जो अधिनियम में हैं।

3.विदेशी मुद्रा आहरण पर प्रतिबंध :-

किसी व्यक्ति द्वारा निम्नलिखित प्रयोजनों के लिए विदेशी मुद्रा आरण निषिद्ध है , अर्थात्

क) अनुसूची I में विनिर्दिष्ट कोई संव्यवहार; या

ख) नेपाल और / या भूटान में यात्रा; या

ग) नेपाल या भूटान के निवासी व्यक्ति के साथ कोई संव्यवार;

परंतु खंड (ग) के निषेध में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा, ऐसे निबंधन और शर्तों के अधीन रहते हुए, जिन्हें अनुबद्ध करना वह आवश्यक समझे, विशेष या साधारण आदेश द्वारा छूट दे सकेगा ।

4. भारत सरकार का पूर्व अनुमोदन

:- कोई व्यक्ति रिज़र्व बैंक के पूर्व अनुमोदन के बिना अनुसूची III में सम्मिलित किसी संव्यवहार के लिए विदेशी मुद्रा नहीं लेगा;

परंतु यह नियम वहाँ लागू नहीं होगा, जहाँ भुगतान प्रेषक के रेजिडेंट फॉरेन करेंसी (आरएफसी) खाते में धारित निधि से किया जाता है ।

5. रिज़र्व बैंैंक का पूर्व अनुमोदन

:- कोई भी व्यक्ति रिज़र्व बैंक के पुर्व अनुमोदन के बिना अनुसूची III में सम्मिलित किसी संव्यवहार के लिए विदेशी मुद्रा नहीं लेगा ;

परंतु यह नियम वहाँ लागू नहीं होगा जहाँ भुगतान प्रेषक के रेज़िडेंट फॉरेन करेंसी (आरएफसी) खाते में धारित निधि से किया जाता है;

6. (1) नियम 4 या 5 की कोई बात, प्रेषक के एक्सचेंज अर्नर्स फॉरेन करेंसी (ईईएफसी) खाते में धारित निधियों में से आरण, लागू नहीं होगी।

(2) उपनियम (1) में किसी बात के होते हुए भी, नियम 4 या नियम 5 के अधीन लगाए गए प्रतिबंध वहाँ लागू रहेंगे जहाँ एक्स्चेंज अर्नर्स फ्ॉरेन करेंसी (ईईएफसी) खाते से आरण को यथास्थिति अनुसूची II की मद 10 और 11 या अनुसूची III की मद 3,4,11,16 और 17 में विनिर्दिष्ट प्रयोजन के लिए है ।

अनुसूची - 1
(नियम 3 देखिए)

1. लाटरी की जीत में से प्रेषण ।

2. घुड़दौड़ / घुड़सवारी आदि या किसी अन्य अभिरुचि से उत्पन्न आय से प्रेषण ।

3. लाटरी टिव ट, निषिद्ध/अभिनिषिद्ध पत्रिका के व्यय के लिए फ्ॅुटबाल पूल दांव लगाने आदि के लिए प्रेषण ।

4. भारतीय कंपनियों की विदेशों में संयुक्त वेंचर/संपूर्ण स्वामित्व समानुषंगियों में इक्विटी निवेश के लिए किए गए निर्यात पर दलाली का भुगतान ।

5. किसी कंपनी द्वारा लाभांश, जिसके लिए शेष लाभांश की अपेक्षा भी लागू है , से प्रेषण ।

6. रुपए स्टेट क्रेडिट रूट के अधीन निर्यात पर दलाली का भुगतान ।

7. दूरभाषा के "काल बैक सर्विसेजॅ" से संबंधित भुगतान ।

8. एन आर एस आर अनिवासी विशेष रुपए खाते में रखी निधियों पर ब्याज की आय से प्रेषण।

अनुसूची - II

(नियम 4 देखिए)

प्रेषण का प्रयोजन

भारत सरकार का मंत्रालय/विभाग जिसका अनुमोदन अपेक्षित है ।

1. सांस्कृतिक यात्राएं

मानव संसाधन विकास मंत्रालय (शिक्षा और संस्कृति विभाग)

2. किसी राज्य सरकार या सरकारी क्षेत्र के उपक्रमों द्वारा पर्यटन, विदेशी विनिधान और अंतरराष्ट्रीय बोली (10,000) अमरीकी डॉलर) से भिन्न प्रयोजन के लिए विदेशी प्रिंट मीडिया में विज्ञापन

वित्त मंत्रालय, आर्थिक कार्य विभाग

3. सरकारी क्षेत्र के उपक्रम द्वारा भाड़े पर लिए गए जलयान के माल भाड़े से प्रेषण

जल भूतल मंत्रालय (माल भाड़ा स्कंध)

4. सरकारी विभाग या सीआईएफ पर आधारित (जैसे एफओबी और एफएएस पर आधारित को छोड़कर) सरकारी क्षेत्र के उपक्रम द्वारा आयात पर भुगतान

जल भूतल मंत्रालय (माल भाड़ा स्कंध)

5. अपने विदेश स्थित अभिकर्ताओं को प्रेषण करने वाले बुविध परिवन संचालक

पोत परिवन महानिदेशक से पंजीकरण प्रमाण पत्र

*6. निरस्त किया गया

निरस्त*

7. पोत परिवन महानिदेशक द्वारा विहित आधान निरोध प्रभार से अधिक दर का प्रेषण

जल भूतल मंत्रालय (पोत परिवन महानिदेशक)

8. ऐसे तकनीकी सयोग करारों के अधीन प्रेषण, जाँ स्वामित्व का भुगतान स्थानीय विक्रय पर 5 प्रतिशत और निर्यात पर 8 प्रतिशत से अधिक है और एक मुश्त राशि का भुगतान 2 मिलियन अमरीकी डॉलर से अधिक है ।

उद्योग और वाणिज्य मंत्रालय

9. यदि रकम 1,00,000 अमरीकी डॉलर से अधिक है तब अंतरराष्ट्रीय/राष्ट्रीय/राज्य स्तर के खेल निकायों को छोड़कर किसी व्यक्ति द्वारा विदेश में खेल के क्रियाकलापों के पुरस्कार धन/प्रायोजन का प्रेषण ।

मानव संसाधन विकास मंत्रालय (युवा मामले और खेल विभाग)

10. विदेशी कंपनी से स्वास्थ्य के लिए बीमा सुनिश्चित करने के लिए भुगतान ।

वित्त मंत्रालय (बीमा प्रभाग)

11. पी एण्ड आई क्लब की सदस्यता के लिए प्रेषण ।

वित्त मंत्रालय (बीमा प्रभाग)

* भारत सरकार की अक्तूबर 22, 2002 की अधिसूचना क्रमांक : जीएसआर.442 के अनुसार निरस्त।

अनुसूची III
(नियम 5 देखिए )

1. कलाकार, जैस, पहलवान, नर्तक, मनोरंजन करने वालाें आदि द्वारा प्रेषण (यह प्रतिबंध ऐसे कलाकारों पर लागू नहीं है जो विशेष उत्सव के दौरान भारत में पर्यटक संबंधी संगठनों,जैसे, आईटीडीसी, राज्य पर्यटन विकास निगम आदि द्वारा नियुक्त किए गए हों या वे कलाकार पांच सितारा श्रेणी के होटलों द्वारा नियुक्त किए गए हों, परंतु व्यय ईईएफसी खातों से किया जाता है ।)

2. किसी देश (नेपाल और भूटान को छोड़कर) में एक या अधिक निजी यात्रा के लिए एक कलैंडर वर्ष में 5000@ अमरीकी डॉलर उसके समतुल्य से अधिक मुद्रा को निकालना ।

3. प्रतिवर्ष प्रति प्रेषक / दाता, 5000 अमरीकी डॉलर से अधिक का दान प्रेषण ।

4. प्रतिवर्ष प्रति प्रेषक/दाता 5000 अमरीकी डॉलर से अधिक का भुगतान ।

5. रोजॅगार के लिए विदेश में गए व्यक्तियों के लिए 5,000 अमरीकी डॉलर से अधिक मुद्रा सुविधाएं ।

6. 5,000 अमरीकी डॉलर से अधिक या देश में उत्प्रवास के लिए उसके द्वारा विति रकम उत्प्रवास के लिए मुद्रा सुविधाएं ।

7. विदेश में रह रहे नज़दीकी रिश्तेदारों के भरण पोषण के लिए प्रेषण :

(i) किसी व्यक्ति के जो निवासी है किंतु भारत में स्थायी तौर पर निवासी नहीं है और पाकिस्तान से भिन्न किसी दूसरे देश का नागरिक है, शुद्ध वेतन से अधिक।

(ii) सभी अन्य मामलों में प्रति प्राप्तिकर्ता 5,000 अमरीकी डॉलर प्रति वर्ष से अधिक। स्पष्टीकरण : इस मद के प्रयोजन के लिए, किसी विनिर्दिष्ट अवधि हेतु अपने नियोजन के मुद्दे (उसकी लंबाई पर ध्यान दिए बिना) या किसी विनिर्दिष्ट कार्य के लिए या कर्तव्यभार के लिए भारत में निवासी कोई व्यक्ति जिसकी अवधि तीन वर्ष से अधिक नहीं होती है, निवासी है किंतु स्थायी तौर पर निवासी नहीं है ।

8. किसी व्यक्ति को, रुकने की अवधि को विचार में न लाते हुए, कारोबार यात्रा के लिए या किसी सम्मेलन में उपस्थित ोने के लिए या राष्ट्र प्रशिक्षण के लिए या चिकित्सीय उपचार के लिए विदेश जाने वाले रोगी के खर्चों को वन करने के लिए या विदेश में जाँच पड़ताल कराने के लिए या चिकित्सीय उपचार/जाँच पड़ताल के लिए विदेश जाने वाले रोगी के साथ सायक के रूप में रने के लिए 25,000 अमरीकी डॉलर से अधिक की विदेशी मुद्रा जारी करना ।

9. विदेश में चिकित्सीय उपचार के खर्चों को पूरा करने के लिए भारत में चिकित्सक या विदेशी अस्पताल/चिकित्सक द्वारा प्राक्कलन से अधिक मुद्रा जारी करना ।

10. विदेश में पढ़ने के लिए विदेशी संस्थान के प्राक्कलनों से अधिक या 30,000 अमरीकी डॉलर "प्रति शैक्षणिक वर्ष" जो भी अधिक हो, मुद्रा जारी करना ।

11. भारत में रहने के लिए फ्ॅलैटों/वाणिज्यिक प्लाटों के विक्रय के लिए 5 प्रतिशत से अधिक आवक प्रेषण के लिए विदेश से अभिकर्ता कमीशन ।

12. भारतीय कंपनियों के विदेशी कार्यालयों को अल्पकालीन ऋण ।

13. किसी व्यक्ति द्वारा, जिसकी निर्यात से अर्जित आय प्रत्येक पिछले दो वर्ष के दौरान 10 लाख से कम है, विदेशी टेलिविज़न पर विज्ञापन के लिए प्रेषण ।

14. तकनीकी सहयोगी करार, जो रिज़र्व बैंक से पंजीकृत नहीं है, के अधीन स्वामित्व और एक मुश्त फॅीस के भुगतान प्रेषण ।

15. विदेश से प्राप्त की गई स्थापत्य परामर्शी सेवाओं के लिए प्रति परियोजना 1,00,000 अमरीकी डॉलर से अधिक प्रेषण ।

16. भारत में व्यापार चिह्न/विशेषाधिकार के उपयोग और या क्रय करने के लिए प्रेषण ।

17. पूर्व निगमन व्यय के संवितरण के द्वारा भारत में किसी सत्ता द्वारा 1,00,000 अमरीकी डॉलर से अधिक का प्रेषण ।

*18. ट्रांसपोंडर भाड़े पर लिए जाने हेतु प्रभारों का प्रेषण।

*टिप्पणी : भारत सरकार की अक्तूबर 22, 2002 की अधिसूचना क्रमांक : जीएसआर.442 के अनुसार जाड़ो गया।

@ 5000 हज़ार अमरीकी डॉलर की सीमा को नवंबर 18, 2002 के ए.पी. (डीआईआर सिरीज़) परिपत्र क्र. 51 द्वारा बढ़ाकर 10,000 अमरीकी डॉलर कर दी गई है।

भाग III
मााल का आयात

अनुभाग अ

अ.1 सामान्य

आयात भुगतान लेनदेन के संबंध में अपने ग्राहकों की ओर से प्रेषण करते समय अनुसरण की जानेवाली नियमावली और विनियमावली, विदेशी मुद्रा नियंत्रण के दृष्टिकोण से, निम्नलिखित पैराग्राफों में दी गई हैं। जहां पर विनिर्दिष्ट विनियमावली मौजूद नहीं है प्राधिकृत व्यापारी सामान्य व्यापार प्रथा द्वारा नियंत्रित होंगे। प्राधिकृत व्यापारी अपने सभी लेनदेनों में रिज़र्व बैंक (बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग) द्वारा जारी "नो युअर कस्टमर्स" (केवाईसी) दिशानिदेशों का पालन करें ।

अ.2 फार्म ए 1

भारत में आयात के लिए 500 अमरीकी डॉलर अथवा उसके समतुल्य राशि से अधिक भुगतान करने वाले व्यापारियों, फर्मों और कंपनियों के आवेदन उपयुक्त फार्म

A1 में प्रस्तुत किए जाएं।

अ.3 आयात लाइसेंस

यदि आयात प्रचलित निर्यात आयात नीति के अंतर्गत लाइसेंस प्राप्त करने हेतु नकारात्मक सूची में शामिल न हो तो प्राधिकृत व्यापारी माल आयात के लिए साखपत्र मुक्त रूप से खोलें और प्रेषणों की अनुमति दें। ऐसे मामलों में, "विदेशी मुद्रा नियंत्रण के प्रयोजन हेतु" चिह्नित लाइसेंसों को मांगा जाए और विशेष शर्तें यदि कोई हों जो लाइसेंसों के साथ संलग्न हों तो उनका पालन किया जाए। साखपत्र खोलने अथवा प्रेषण भेजने के लिए आयातक द्वारा प्रस्तुत किए गए लाइसेंस की विदेशी मुद्रा प्रतिलिपि, जब पूर्णत: उपयोग में लाई जा चुकी हो, प्राधिकृत व्यापारी द्वारा अपने पास रखें और उसे आंतरिक लेखा परीक्षकों अथवा निरीक्षकों द्वारा उसकी जांच तक सुरक्षित रखा जाए।

अ.4 विदेशी मुद्रा क्रेता का दायित्व

(i) विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम 1999 (फेमा) की धारा 10(6) के अनुसार विदेशी मुद्रा प्राप्त करने वाले किसी भी व्यक्ति को अनुमति है कि वह उसे अधिनियम की धारा 10(5) के अंतर्गत प्राधिकृत व्यापारी के पास दी गई अपनी घोषणा के प्रयोजन के लिए अथवा उक्त अधिनियम अथवा अधिनियम के अंतर्गत बनाई गई नियमावली अथवा विनियमावली के अंतर्गत किसी अन्य प्रयोजन के लिए विदेशी मुद्रा का अभिग्रहण स्वीकार्य है, ले सकता है और उसका उपयोग कर सकता है।

(ii) जहां अभिगृहीत विदेशी मुद्रा का उपयोग भारत में माल आयात के लिए किया गया है वहां प्राधिकृत व्यापारी सुनिश्चित करें कि पैराग्राफ अ.10 में निर्धारित संतोषजनक आयात साक्ष्य प्रस्तुत किया जाए।

(iii) मई 3, 2000 की अधिसूचना क्र. फेमा14/2000-आरबी में निर्धारित भुगतान की स्वीकार्य विधियों के अलावा आयात के लिए समुद्रपारीय निर्यातक के भारत में किसी बैंक के पास अनिवासी खाते में जमा द्वारा भी भुगतान किया जा सकता है। ऐसे मामलों में भी प्राधिकृत व्यापारी सुनिश्चित करें कि उक्त पैराग्राफ (i) और (ii) में समाहित निदेशों का भी अनुपालन किया जाए।

अ.5 आयात भुगतान की चुकौती के लिए समय सीमा

मौज़ूदा विनियमों के अनुसार, जिन मामलों में गारंटी निष्पादन आदि के कारणों से राशि रोकी गई हो उनके सिवाय आयात के लिए प्रेषणों को पोत लदान की तारीख से अधिकतम छह महीने तक पूरा कर लिया जाना चाहिए। पोत लदान की तारीख से छह महीने के बाद के भुगतानों समेत आस्थगित भुगतानों व्यवस्था को बाह्य वाणिज्यिक उधार माना जाता है।

(i) प्रधिकृत व्यापारी अल्पावधि ऋण के लिए, या तो आपूर्तिकर्ता द्वारा उधार या क्रेता द्वारा उधार के रूप में, फार्म ईसीबी में प्रस्तुत भारत में माल आयात के प्रस्तावों का अनुमोदन कर सकते हैं बशर्ते कि :-

(क) उधार कम से कम तीन वर्ष के लिए दिया जा रहा हो ,

(ख) प्रति आयात लेनदेन के उधार की दाशि 20 मिलियन अमरीकी डॉलर से अधिक हो,

(ग) उधार के लिए देय समग्र लागत, एक साल के उधार के लिए उधार की मुद्रा के लिए लिबोर +50 प्वाइंट से अधिक न हो और एक साल से अधिक परंतु तीन साल से कम के उधार के लिए लिबोर +125 प्वाइंट होगी ।

(घ) प्राधिकृत व्यापारी परिशिष्ट I के आधार पर तैयार करके पत्र द्वारा अनुमोदन दें और सुनिश्चित करें कि ईसाीबी -5 विवरण पहले की भांति प्रस्तुत किया जाता रहे ।

(ङ) प्राधिकृत व्यापारी का अंतरराष्ट्रीय बैंकिग प्रभाग , अपनी सभी शाखाओं द्वारा माह में दिए गए अनुमोदनों का विवरण फार्म ईसीबी एसटी (प्ररूप संलग्न) में मुख्य महा प्रबंधक, विदेशी मुद्रा नियंत्रण विभाग, केंद्रीय कार्यालय, बाह्य वाणिज्यिक उधार प्रभाग, मुंबई 400 001 के पास संबधित माह की समाप्ति पर अगले माह की 5 वीं तारीख तक अवश्य पहुंच जाए, प्रत्येक उधार को प्राधिकृत व्यापारी द्वारा, अनन्य पहचान संख्या दी जाए । भरतीय रिज़र्व बैंक को संदर्भित किए जानेवाले सभी मामलों पर ऋण उधार के लिए दी गई पहचान संख्या सदैव लिखी जाए ।

(ii) प्राधिकृत व्यापारी विवादों, वित्तीय कठिनाइयों आदि के कारण विलंबित आयात देयताओं के भुगतान के लिए अनुमति दे सकते हैं। ऐसे विलंबित भुगतानों के मामलों में ब्याज के भुगतान के लिए पैराग्राफ अ.7 में नियत निदेशों के अनुसार अनुमति दी जाए।

टिप्पणी: पुस्तकों के आयात के लिए प्रेषण बिना किसी समय सीमा प्रतिबंध के अनुमति दी जाए बशर्ते कि ब्याज भुगतान, यदि कोई हो, तो पैराग्राफ अ.7 में निहित अनुदेशों के अनुसार किया जाए।

अ.6 अग्रिम प्रेषण

प्राधिकृत व्यापारी निम्नलिखित शर्तों के अधीन बिना किसी सीमा के माल आयात के लिए अग्रिम प्रेषण की अनुमति दे सकते हैं।

क) यदि अग्रिम प्रेषण की राशि एक लाख अमरीकी डॉलर अथवा उसके समतुल्य राशि से अधिक हो, शर्तरहित अप्रतिसंहरणीय अतिरिक्त साखपत्र अथवा गारंटी, भारत से बाहर किसी ख्याति प्राप्त अंतरराष्ट्रीय बैंक की गारंटी अथवा यदि ऐसी गारंटी भारत से बाहर स्थित किसी ख्याति प्राप्त अंतरराष्ट्रीय बैंक द्वारा काउंटर गारंटी के रूप में जारी की गई है तो भारत में किसी प्राधिकृत व्यापारी की गारंटी।

ख) प्रेषण की तारीख से छह माह में माल का वास्तविक आयात भारत में (पूंजीगत माल की स्थिति में तीन साल के अंदर) कर लिया जाना चाहिए और आयातक इस बात का वचन दे कि संगत अवधि की सीमा के 15 दिन के भीतर आयात का दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत करेगा।

ग) यदि माल का आयात नहीं किया जाता है तो उस मामले में प्राधिकृत व्यापारी सुनिश्चित करें कि अग्रिम प्रेषित राशि भारत में प्रत्यावर्तित की जाए अथवा किसी ऐसे प्रयोजन के लिए खर्च की जाए जिसके लिए कि अधिनियम, उसके अंतर्गत बनाई गई नियमावली अथवा विनियमावली के अनुसार विदेशी मुद्रा देना स्वीकार्य हो।

अ.7 आयात बिलों पर ब्याज

प्राधिकृत व्यापारी मीयादी बिलों पर ब्याज का भुगतान अथवा पोत लदान की तारीख से तीन साल से कम अवधि के लिए बकाया ब्याज का भुगतान दिसंबर 27, 2003 के ए.पी.(डीआईआर सिरीज़) परिपत्र क्र.25 में निर्धारित दर पर रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन के बिना कर सकते हैं।

अ.8 प्रतिस्थापन आयात के बदले प्रेषण

यदि माल की कम आपूर्ति हुई है, क्षतिग्रस्थ हो गया है, कम पहुंचा है अथवा रास्ते में खो गया है और आयात लाइसेंस की विदेशी मुद्रा नियंत्रण प्रतिलिपि पहले ही किए गए मूल माल के लिए साखपत्र खोलने के संबंध में उपयोग में लाई जा चुकी हो तो आयात किए गए माल की कीमत तक का मूल पृष्ठांकन प्राधिकृत व्यापारी द्वारा कर दिया जाए और रिज़र्व बैंक को बिना संदर्भित किए आयात के प्रतिस्थापन के लिए नए प्रेषण की अनुमति दी जाए बशर्ते कि खोए हुए माल से संबंधित बीमा दावा आयातक के पक्ष में निपटाया जा चुका हो। यह सुनिश्चित किया जाए कि प्रतिस्थापन का कन्साइनमेंट लाइसेंस की वैधता अवधि के भीतर ही भेज दिया जाए।

अ.9 प्रतिस्थापन आयात के लिए गारंटी

दोषपूर्ण आयात के मामलों में यदि माल का प्रतिस्थापन समुद्रपारीय आपूर्तिकर्ता द्वारा पूर्व में दोषपूर्ण माल आयात करने से पहले भारत से भेजा जा रहा हो और आयातक ग्राहक द्वारा दोषपूर्ण माल के भेजने/ वापसी के लिए अनुरोध किया जाता है तो प्राधिकृत व्यापारी व्यापारिक निर्णय के अनुसार गारंटी दे सकते हैं।

अ.10 (i) आयात का प्रमाण

जहां भारत में आयात के लिए भेजी गई/ भुगतान की गई विदेशी मुद्रा की राशि 25,000 अमरीकी डॉलर अथवा उसकी समतुल्य राशि से अधिक हो तो जिस प्राधिकृत व्यापारी के माध्यम से संबंधित प्रेषण भेजा गया है, यह उसकी जिम्मेदारी है कि आयातक निम्नलिखित प्रस्तुत करें :-

(क) घरेलू उपभोग के लिए आयातपत्र की विदेशी मुद्रा नियंत्रण प्रतिलिपि; अथवा

(ख) शत प्रतिशत निर्यात उन्मुख इकाई के मामले में वेयरहाउसों के लिए आयातपत्र की विदेशी मुद्रा नियंत्रण प्रतिलिपि; अथवा

(ग) सीमा शुल्क निर्धारण प्रमाणपत्र अथवा यदि आयात डाक के माध्यम से किया गया हो तो पोस्टल अप्रेज़ल फार्म, जैसा कि निर्यातक द्वारा सीमा शुल्क प्राधिकारियों को घोषित, यह दर्शाने के साक्ष्य के रूप में कि भुगतान वास्तविक रूप से भारत में किए गए आयात के लिए किया गया है।

(ii) यदि आयात अगोचर रूप में, अर्थात् सॉफ्टवेयर अथवा इंटरनेट/ डाटा कॉम चैनलों के माध्यम से आंकड़े के रूप में और ईमेल/फैक्स के माध्यम से ड्रॉइंग अथवा डिज़ाइन के रूप में किया जाता हो तो सनदी लेखाकार से इस आशय का प्रमाणपत्र प्राप्त किया जाए कि सॉफ्टवेयर/ आंकड़े/ड्रॉइंग/डिज़ाइन आयातक द्वारा प्राप्त हो चुके हैं।

टिप्पणी :प्राधिकृत व्यापारी आयातकों को सूचित करें कि वे इस खण्ड के अंतर्गत किए गए आयात के बारे में सीमा शुल्क प्राधिकारियों को सूचित करते रहें।

(iii) डी/ए आधार पर किए गए आयातों के संबंध में प्राधिकृत व्यापारी आग्रह करें कि आयातपत्र के लिए प्रेषण भेजते समय साक्ष्य प्रस्तुत किया जाए। तथापि, आयातक जायज़ कारणों, जैसे कंसाइंमेंट का न पहुंचना, कंसाइंमेंट की देर से सुपुर्दगी/सीमा शुल्क प्राधिकरण द्वारा अनापत्ति प्रमाणपत्र, आदि दस्तावेजॅी साक्ष्य प्रस्तुत न कर पाते हैं तो यदि प्राधिकृत व्यापारी अनुरोध की सत्यता से संतुष्ट हों तो आयातक को आयात का साक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए उचित समय, प्रेषण की तारीख से अधिकतम तीन महीने का, दे सकते हैं।

(iv) प्राधिकृत व्यापारी आयातक द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य अर्थात् आयातपत्र की विदेशी मुद्रा नियंत्रण प्रतिलिपि, पोस्टल अप्रेज़ल फार्म अथवा सीमा शुल्क प्राधिकरण प्रमाणपत्र आदि की पावती स्लिप जारी करें जिसमें आयात लेनदेन से संबंधित संगत ब्योरे दर्ज हों।

(v) आंतरिक निरीक्षक अथवा लेखा परीक्षक (प्राधिकृत व्यापारियों द्वारा किए गए बाह्य लेखा परीक्षकों समेत) आयात के संबंध में दस्तावेजी साक्ष्य अर्थात् आयातपत्र की विदेशी मुद्रा नियंत्रण प्रतिलिपियों अथवा पोस्टल अप्रेज़ल फार्म अथवा सीमा शुल्क निर्धारण प्रमाणपत्र आदि का शत प्रतिशत सत्यापन करें।

(vi) प्राधिकृत व्यापारी भारत में आयात के साक्ष्य से संबंधित दस्तावेज सत्यापन की तारीख से एक साल की अवधि तक सुरक्षित रखें, तथापि, जिन मामलों में जांचकारी एजेंसियों द्वारा जांच चल रही हो उनके दस्तावेजों व ो, संबंधित जांच एजेंसी से अनापत्ति प्राप्त करने के बाद ही नष्ट किया जाए।

अ.10.2 प्राधिकृत व्यापारी या तो घरेलू उपभोग के लिए आयातपत्र की विदेशी मुद्रा प्रतिलिपि अथवा मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) का प्रमाणपत्र अथवा कंपनी के लेखा परीक्षक का प्रमाणपत्र प्राप्त करें कि प्रेषण वास्तविक रूप से भारत में आयात किए गए मामलों के लिए है, बशर्ते कि :-

(i) प्रेषित विदेशी मुद्रा की राशि 1,00,000 अमरीकी डॉलर अथवा उसके समतुल्य राशि के बराबर है,

(ii) आयातक भारत में स्टॉक एक्स्चेंज में सूचीबद्ध कोई कंपनी है और जिसकी शुद्ध मालियत पिछले लेखा परीक्षित तुलनपत्र की तारीख को 100 करोड़ रुपये से कम नहीं है

अथवा

आयातक कोई सरकारी क्षेत्र की कंपनी अथवा भारत सरकार का उपक्रम अथवा उसका कोई विभाग है।

उक्त सुविधा वैज्ञानिक इकाई अथवा शैक्षणिक संस्थाएं, जैसे, भारतीय विज्ञान संस्थान/ भारतीय तकनीकी संस्थान आदि समेत जिनके खाते भारत के नियंत्रक और महालेखाकार (सीएजी) द्वारा जांचे जाते हैं, स्वाधिकृत निकायों को भी दी जाए।

अ.11 आयात साक्ष्य का अनुवर्तन

i) यदि कोई आयातक 25,000 अमरीकी डॉलार से अधिक के आयात के लिए किए गए प्रेषणों के संबंध में, जैसा कि पैराग्राफ अ.10.(i) & (ii) में उल्लिखित, प्रेषण की तारीख से तीन महीने के भीतर, दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत नहीं करता है तो प्राधिकृत व्यापारी उस मामले का अनुवर्तन अगले तीन महीने तक तेज़ी से करें, आयातक को पंजीकृत पत्र आदि लिखने समेत।

ii) प्राधिकृत व्यापारी 25,000 अमरीकी डॉलर से अधिक के प्रेषणों के संबंध में जहां पर कि आयातक ने उपयुक्त दस्तावेजी आयात साक्ष्य प्रेषण की तारीख से छह महीने के भीतर प्रस्तुत करने में चूक की है उनके बारे में फार्म बीईएफ (प्ररूप संलग्न) में छमाही आधार पर विवरणी रिज़र्व बैंक को, हर वर्ष जून और दिसंबर के अंत में भेजें। उक्त छमाही विवरण रिज़र्व बैंक के उस क्षेत्रीय कार्यालय में, जिसके अंतर्गत प्राधिकृत व्यापारी कार्य करता हैं, संबधित छमाह की समाप्ति के 15 दिन के भीतर, प्रस्तुत की जाए।

अ.12 आयात पत्र / देस्तावेजों की प्राप्ति

(i) आयातपत्र और दस्तावेज आपूर्तिकर्ता के बैंक से भारत में आयातक वे बैंक में प्राप्त होना चाहिए । इसलिए, प्राधिकृत व्यापारी यदि आयातपत्र समुद्रपरीय आपूर्तिकर्ता से, आयातक द्वारा सीधे ही प्राप्त किया गया है तो निम्नलिखित के मामलों के सिवाय कोई भी प्रेषण न भेजें :-

(क.) यदि आयातपत्र का मूल्य 10,000 अमरीकी डॉलर से अधिक न हो,

(ख.) विदेशी कंपनियों की पूर्ण स्वाधिकृत भारतीय सहायक कंपनियों जिनका आयात पत्र उनके प्रधान से प्राप्त हुआ हो।

(ग.) सुपर स्टॉर ट्रेडिंग हाउसेस, स्टॉर ट्रेडिंग हाउसेस, ट्रेडिंग हाउसेस, एक्स्पोर्ट हाउसेस, शत प्रतिशत निर्यात उन्मुख इकाइयों/ फ्री ट्रेडिंग ज़ोन में स्थित इकाइयों, सरकारी क्षेत्र के उपक्रम और लिमिटेड कंपनियों से प्राप्त आयात पत्र ।

(घ.) निम्नलिखित मामलों में जहां पर कि आयात पत्र का मूल्य 25,000 अमरीकी डॉलर से अधिक न हो :

i. पुस्तकों और पत्रिकाओं,

ii. अस्पतालों द्वारा आयातित जीवन रक्षा दवाएं/उपकरण

iii. टाटा इंस्टिटयूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, सी-डॉट, इंडियन इंस्टिटयूट ऑफ टेक्नॉलॉजी, इंडियन इंस्टिटयूट ऑफ साइंस और विश्वविद्यालयों जैसे, ख्याति प्राप्त अनुसंधान और अन्य विकास संस्थाओं द्वारा आयात।

(ङ.) सभी लिमिटेड कंपनियां नामत:, पब्लिक लिमिटेड, डीम्ड पब्लिक लिमिटेड और प्राइवेट लिमिटेड कंपनियों द्वारा प्राप्त आयात पत्र ।

ii) अन्य सभी मामलों में आयातक ग्राहकों के अनुरोध पर प्राधिकृत व्यापारी समुद्रपारीय आपूर्तिकर्ताओं से 25,000 अमरीकी डॉलर (पचीस हजार अमरीकी डॉलर) से सीधे ही बिल प्राप्त कर सकतें हैं बशर्ते कि प्रधिकृत व्यापारी आयातक ग्राहक की वित्तीय सुदृढ़ता / प्रस्थिति और उसके प्रमाणित रेकाड़ से पूरी तरह संतुष्ट हो । सुविधा देने से पहले प्राधिकृत व्यापारी समुद्रपारीय बैंक अथवा प्रतिष्ठित क्रेडिट एजेंसी से प्रत्येक समुद्रपारीय आपूर्तिकर्ता वे बारे में रिपोर्ट प्राप्त करें ।

अ.13 नामित बैंकों /एजेंसियों द्वारा स्वर्ण / प्लैटिनम / चांदी का आयात

i) कंसाइनमेंट आधार पर स्वर्ण आयात

नामित एजेंसियाें/बैंकों द्वारा कंसाइनमेंट आधार पर स्वर्ण आयात किया जा सकता हैं जहाँ पर स्वामित्व आपूर्तिकर्ता के पास रहेगा और आयातक (कंसाइनी) आपूर्तिकर्ता (कंसाइनर) के एजेंट के रूप में कार्य करेगा । आयात की कीमत के लिए प्रेषण जब कभी विक्री होगी तो किया जाएगा और समुद्रपारीय आपूर्तिकर्ता और नामित एजेंसी/बैंक के बीच किए गए करार के प्रवधानाें के अनुसार होगा ।

ii) अनिर्धारित कीमत के आधार पर स्वर्ण आयात

नामित एजेंसी/बैंक हाजिर खरीद आधर पर स्वर्ण आयात कर सकतें हैं बशर्ते कि यद्यपि स्वर्ण का स्वामित्व आयात के समय की आयातक के नाम में चला जाएगा, परंतु स्वर्ण की कीमत बाद में निर्धारित की जाएगी, जब-जब आयातक स्वर्ण की विक्री ग्राहकों को करेगा।

टिप्पणी : इस पैराग्राफ में समाहित अनुदेश प्लेटिनम और चांदी पर भी लागू हाेंगे ।

अ.14 आयात फैक्टरिंग

प्राधिकृत व्यपारी रिज़र्व बैंक के अनुमोदन के बिना, अंतरराष्ट्रीय ख्याति की फैक्टरिंग कंपनियों, अधिमानत: फैक्टर्स चेन इंटरनेशनल के सदस्य के साथ, आयात फैक्टरिंग की व्यवस्था कर सकता है। परंतु प्राधिकृत व्यापारियों को आयात से संबंधित मौजूदा विदेशी मुद्रा नियंत्रण निदेशों, प्रचलित निर्यात-आयात नीति और रिजॅर्व बैंक द्वारा इस बारे में जारी कोई अन्य दिशानिदेश/निदेशों का अनुपालन सुनिश्चित करना होगा ।

अनुभाग आ

वणिक कारोबार

प्राधिकृत व्यापारी वणिक कारोबार लेनदेन अथवा मध्यस्थ कारोबार लेनदेनों के बारे में आवश्यक सावधानी बरतें ताकि (क) लेनदेन के संबधित माल भारत में आयात करने के लिए अनुमत हैं, (ख) ऐसे लेनदेनों से विदेशी मुद्रा का परिव्यय अवधि तीन महीने अधिक न हो और (ग) भारत से बाहर निर्यात (घोषणा फार्म के सिवाय) के लिए लागू सभी नियमों, विनियमों और निदेशों का अनुपालन किया जाए, निर्यात मुद्रा के संबध में और आयात (आयात पत्र के सिवाय) के लिए लागू सभी नियम, विनियम और विदेशी वणिक कारोबार लेनदेन के संबंध में आयात मुद्रा से संबंधित निदेशों का अनुपालन किया जाता है। प्राधिकृत व्यापारियों से अपेक्षित है कि ऐसे लनदेनों के लिए निर्यात मुद्रा की समय से प्राप्ति सुनिश्चित करें ।

अनुभाग इ

मुद्रा का आयात

चेकों समेत, मुद्रा का आयात विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 की धारा 6 की उपधारा (3) के खंड (छ) और रिज़र्व बैंक द्वारा मई 3, 2000 की अधिसूचना क्रमांक पेॅमा 6 / आरबी -2000 और फरवरी 27, 2001 की अधिसूचना क्रमांक 38/आरबी-2001 द्वारा अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (मुद्रा का निर्यात और आयात) विनियमावली, 2000 द्वारा नियंत्रित है।

बीईएफ

(पैरा अ.11 देखें)

अनुस्मारक भेजने के बावजॅूद दस्तावेज़ी साक्ष्य प्राप्त न होने पर, आयात के लिए भेजे गए प्रेषणों का ब्योरा दर्शाने वाला विवरण

प्राधिकृत व्यापारी के शाखा का नाम और पता ---------------------------------

प्राधिकृत व्यापारी के शाखा को नियंत्रक ---------------------------------

कार्यालय का नाम और पता ---------------------------------

-----------------------को समाप्त अर्ध-वार्षिक विवरण

टिप्पणी :

i)

विवरण, दो प्रतियों में, रिज़र्व बैंक के क्षेत्रीय कार्यालय को प्रस्तुत किया जाए जिसके क्षेत्राधिकार में प्राधिकृत व्यापारी की शाखा कार्यरत है।

ii)

लेनदेनों के ब्योरों में केवल, जहाँ प्रेषण राशि 25,000 अमरकी डॉलर से अधिक या उसके समतुल्य है, को ही विवरण में शामिल किया जाए ।

iii)

उन मामलों में जहां अग्रिम पेषण के समय प्रेषण का प्रयोजन आयात है और बाद में मुद्रा का उपयोग अन्य प्रयोजन जिसके लिए मुद्रा की विक्री अनुमत है, और प्राधिकृत व्यापारी की संतुष्टि के अनुसार दस्तावेज़ प्रस्तुत किए हैं, ऐसे मामलों को चूक न समझा जाए और उन्हें बीईएफ विवरण में शामिल न किया जाए।

iv)

प्राधिकृत व्यापारी "इन टू बाण्ड लदान बिल" को भारत में आयात का अनंतिम साक्ष्य समझें लेकिन वे यह सुनिश्चित करें कि लदान बिल की विदेशी मुद्रा प्राप्त घरेलू उपभोग के लिए उचित अवधि में पहुँच जाना आवश्यक है। जहां "इन टू बॉण्ड लदान बिल" प्रस्तुत किया गया हो ऐसे मामलों को बीईएफ विवरण में रिपोर्ट न किया जाए।

v)

विवरण में भारत से 25,000 अमरीकी डॉलर से अधिक के सभी प्रेषणों या आयात संबंधी विदेश से भुगतान जिसमें सभी प्रकार के स्रोतों से प्राप्त निधियों समेत (जैसे ईईएफॅसी खाते/भारत या विदेश में अनुरक्षित विदेशी मुद्रा खाता, बाह्य वाणिज्यिक उधारों से भुगतान, आयातक के शेयरों में विदेशी निवेश आदि) का ब्योरा हो ।

vi)

पिछले अर्ध-वार्षिक विवरण के भाग - I में रिपोर्ट किए गए मामलों को चालू अर्ध-वार्षिक विवरण के भाग I में पुन: रिपोर्ट न करें ।

vii)

जिन मामलों में रिपार्ट के लिए कोई लेनदेन नहीं है उन मामलों में "कुछ नहीं" विवरण प्रस्तुत किया जाए।

viii)

विवरण जिस अर्ध-वर्ष से संबधित है उसकी समाप्ति के 15 दिन के भीतर प्रस्तुत किया जाए।

भाग I

आयात के प्रति दस्तावेजी सबूत पेश करने में
चूक करने वाले आयातकों से संबधित जानकारी

क्रम

संख्या

आयातक/
निर्यातक
कूट सं

आयातक
का नाम
और पता

आयात
लाइसेंस
की सं.
और
तारीख
अगर हो

मालों
का
संक्षिप्त
वर्णन

प्रेषण /
भुगतान
की
तारीख

करेंसी
और
राशि

समकक्ष
रुपये

टिप्पणी

1

2

3

4

5

6

7

8

9

अ: सार्वजनिक क्षेत्रों के उपक्रमों / सरकारी विभागों के अलावा अन्य पार्टियों से आयात

1

               

2

               

3

               

4

               

आदि

               

आ : सार्वजनिक क्षेत्रों के उपक्रमों / सरकारी विभागों द्वारा आयात

1

               

2

               

3

               

4

               

5

               

आदि

               

भाग II

पूर्ववर्ती बीईएफ विवरण/विवरणों के भाग I में रिपोर्ट किए गए आयातक जिनके पास से आयात के दस्तावेज़ी साक्ष्य बाद में प्राप्त हुए , उनकी जानकारी

क्रम

संख्या

आयातक का
नाम और
पता

बीईएफ विवरण की
अवधि और पूर्ववर्ती बीईएफ विवरण की
भाग I में रिपोर्ट किए गए लेनदेन की क्रम सं.

प्राप्ति

की

तारीख

प्रेषण की राशि

टिप्पणी

करेंसी
और
राशि

समतुल्य

रुपये

1

2

3

4

5

6

अ: सार्वजनिक क्षेत्रों के उपक्रमों / सरकारी विभागों के अलावा अन्य पार्टियों से आयात

1

         

2

         

3

         

4

         

आदि

         

आ : : सार्वजनिक क्षेत्रों के उपक्रमों / सरकारी विभागों द्वारा आयात

1

         

2

         

3

         

4

         

5

         

आदि

         

टिप्पणी : पिछले अर्ध वर्ष के दौरान बीईएफ विवरण के भाग II में रिपोर्ट किएगए लेनदेनों को चालू अर्ध वर्ष के भाग II में दुबारा न रिपोर्ट न किया जाए ।

प्रमाणपत्र

i)

हम यह प्रमाणित करते हैं कि हमारे रिकाड़ के अनुसार उक्त जानकारी सत्य और सही हैं ।

ii)

इसके अतिरिक्त हम यह भी प्रमाणित करतें हैं कि निर्धारित प्रणाली के अंतर्गत रिपोर्ट करने के लिए आवश्यक सभी मामलों को विवरण में शामिल किया गया है।

iii)

हम वचन देते हैं कि विवरण वे भाग I में रिपोर्ट किए गए मामलों के बारे में आयातक से पूछताछ जारी रखेंगे।

स्थान :

स्टैंप

(प्राधिकृत अधिकारी का हस्ताक्षर )

तारीख :

 

नाम :

   

पदनाम :

परिशिष्ट 1

प्रेषिती

ऋण पहचान सं.: एसटीसी/बैंक/शाखा का नाम/पहचान सं)

महोदय

मेसर्स - का अमरीकी डॉलर
(अथवा अन्य मुद्रा) के लिए अल्पावधि विदेशी मुद्रा ऋण/साख

उक्त अल्पावधि ऋण के लिए फॉर्म ईसीबी में प्रस्तुत दिनांक का अपना प्रस्ताव देखें। सूचित किया जाता है कि आप को आयात के प्रयोजन से अल्पावधि ऋण के लिए हमारी अनुमति है।

2. i) ऋणदाता का नाम

ii) उधारकर्ता की श्रेणी

iii) उधारदाता का देश

iv) आयातित/आयात के लिए प्रस्तावित पण्य

v) आयात के माल की किस्म

vi) ऋण की किस्म

vii) ऋण की मुद्रा और रकम

viii) ऋण की अवधि

ix) ब्याज दर

x) अन्य प्रभार (यदि कोई हो)

xi) चुकौती की शर्तें

xii) ऋण के लिए जॅमानत

xiii) उपयोग की अनुमानित तारीख

3. इस ऋण/साख के लिए आबंटित ऋण पहचान संख्या को अनिवार्यत: इस ऋण/साख से संबंधित सभी पत्राचार में लिखा जाए।

4. अनुमोदन निम्नलिखित शर्तों के अधीन है।

i) यह अनुमोदन जारी तारीख से 3 महीने की अवधि तक वैध है।

ii) ऋण अनुमत मुद्रा में आहरित और चुकाया जाना चाहिए। बहुमुद्रा विकल्प नहीं है।

iii) ऋण /साख उस प्रयोजन के लिए इस्तेमाल किया जाए जिसके लिए अनुमोदित किया गया है।

iv) इस अनुमोदन के अंतर्गत लिया गया अल्पावधि ऋण देय तिथि पर चुकाया जाना चाहिए (पुनर्निर्धारणीय ऋण, यदि कोई हो, तो उसके लिए 3 साल से कम अवधि के लिए प्राधिकृत व्यापारी द्वारा और 3 वर्ष से अधिक अवधि के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा अनुमति दी जा सकती है)।

v) ऋण भारत सरकार की लागू निर्यात आयात नीति के अनुपालन के अधीन रहेगा।

vi) यदि आयात, "समाहरण(कलेक्शन) आधार" पर किया गया है तो प्राधिकृत व्यापारी 24 अगस्त 2000 के ए.पी.(डीआईआर सिरीज़ॅ) परिपत्र सं.9 में समाहित अनुदेशों का सख्ती से अनुपालन सुनिश्चित करेंगे।

vii) आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि जिस माल के लिए ऋण लिया गया है वही माल आयात किया जाए और भविष्य में उसका दस्तावेजॅी साक्ष्य हमारे पास प्रस्तुत करना होगा।

5. उधारकर्ता ऋण के बकाया से संबंधित विविरण फार्म ईसीबी - 5 में दो प्रतियों में तैयार करें। उसकी एक प्रतिलिपि मुख्य महा प्रबंधक, विदेशी मुद्रा नियंत्रण विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय, को मासिक आधार पर प्रत्येक संबंधित महीने की अगली 10 तारीख तक तब तक प्रस्तुत किया जाता रहे जब तक कि ऋण पूर्णत: नहीं चुका दिया जाता है।

6. ध्यान रखें कि उक्त ऋण/साख पर देय ब्याज (और अन्य शुल्क आदि) पर आयकर देय होगा। अत: आयकर अधिनियम, 1961 के अंतर्गत कर की रकम रोकी जानी चाहिए।

भवदीय

fटप्पणी : यह सूचना विदेशी मुद्रा के नियंत्रण के दृष्टिकोण से फेमा के प्रावधानों के अंतर्गत जारी की गई है और इसे किसी सांविधिक प्राधिकारी अथवा सरकार द्वारा किसी अन्य कानून/विनियमावली के अंतर्गत किसी भी प्रकार का अनुमोदन न समझा जाए। यदि किसी विनियामक प्राधिकारी अथवा सरकार द्वारा किसी संगत कानून/विनियमावली के अंतर्गत कोई और अनुमति जॅरूरी हो तो आवेदक लेनदेन करने से पहले संबंधित एजेंसी से अनुमोदन प्राप्त करे। और यह भी कि इसे किसी भी अन्य कानून/विनियमावली के प्रावधानों के अनुसार किए गए किसी प्रकार के उल्लंघन अथवा किसी अन्य चूक को विनियमित करने अथवा वैध बनाने के लिए नहीं समझा जाना चाहिए।

प्रतिलिपि सूचना और आवश्यक कार्रवाई के लिए निम्नलिखित को अग्रेषित :

1. महाप्रबंधक/उप महाप्रबंधक/सहायक महाप्रबंधक, भारतीय रिज़र्व बैंक, विदेशी मुद्रा नियंत्रण विभाग (कार्यालय का नाम)।

फार्म ईसीबी

अल्पावधि ऋण/साख/5/10 मिलियन अमरीकी डॉलर की योजना के अंतर्गत बाह्य वाणिज्यिक उधार की अनुमति हेतु आवेदन

अनुदेश

आवेदक सभी प्रकार से भरे गये आवेदन की दो प्रतियाँ अपने द्वारा नामित प्राधिकृत व्यापारी, विदेशी मुद्रा उधार/साख के मामलों की संभाल के मामले में, के माध्यम से मुख्य महा प्रबंधक केंद्रीय कार्यालय, बाहय वाणिज्यिक उधार प्रभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, मुंबई-400001 के पास प्रस्तुत करें । आयात के लिए अल्पावधि ऋण/ साख के संबध में, या उस प्राधिकृत व्यापारी के माध्यम से प्रस्तुत किया जाए जिसके माध्यम से आयात प्रलेख प्राप्त हुए हैं/ प्राप्त होगे ।

प्रलेखन

निम्नलिखित प्रलेख (यथासंभव), प्राधिकृत व्यापारी द्वारा विधिवत् प्रमाणित, आवेदन के साथ भेजे जाएं :

(i) समुद्रपारीय ऋणदाता/आपूर्तिकर्ता का प्रस्तावपत्र, जिसमें प्रस्तावित ऋण साख व्यवस्था का पूर्ण विवरण दिया जाए ।

(ii) एफआईपीबी/एसआईए/सीसीईए के अनुमोदन, जहाँ कहीं लागू हों।

(iii) निर्यातक/विदेशी मुद्रा अर्जक के अंतर्गत किये जाने वाले आवेदनों के मामले में, पिछले तीन वर्ष में निर्यात वसूली के संबंध में बैंक प्रमाण पत्र।

(iv) यदि आवेदक गैर बैकिंग वित्तीय कंपनी हो तो मान्यता प्राप्त क्रेडिट रेटिंग एजेंसी द्वारा दी गई क्रेडिट रेटिग की प्रतिलिपि और भारतीय रिज़र्व बैंक के पंजीव रण प्रमाण पत्र की प्रतिलिपि ।

(v) आयात संविदा, प्रोफोर्मा/वाणिज्यिक बीजक/लदान पत्र की प्रतिलिपि।

(vi) यदि ऋणदाता सरकार द्वारा समय-समय पर जारी बाह्य वाणिज्यिक उधार संबंधी दिशानिदेशों के अनुसार मान्यता प्राप्त श्रेणी के सिवाय हो तो ख्याति प्राप्त अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट रेटिंग एजेंसी से रिपोर्ट।

(vii) यदि आयातक के लिए साख पत्र के माध्यम से भुगतान किया गया हो तो साख पत्र की प्रति, यदि कोई संशोधन किए गए हाें तो उनके सहित।

--------------------------------------------------------------------

भाग अ - बाह्य वाणिज्यिक उधार आवेदन की श्रेणी

आवेदन निम्नलिखित योजना के अंतर्गत किया जा रहा है :

(कृपया सही बावस में (x) लगाएं)

(1) साख/ऋण

(2) 5 मिलियन अमरीकी डॉलर योजना के अंतर्गत

(3) 10 मिलियन अमरीकी डॉलर योजना के अंतर्गत

(क) निर्यातक/ विदेशी मुद्रा अर्जक योजना

(ख) दीर्घावधि उधारकर्ता योजना

(ग) ढाँचागत परियोजना

(घ) अन्य (विनिर्दिष्ट) करें

--------------------------------------------------------------------

भाग आ - उधारकर्ता के बारे में सामान्य जानकारी

1. आवेदक का नाम

(स्पष्ट अक्षरों में )

पता:

--------------------------------------------------------------------

2. आवेदक फर्म/कंपनी प्राइवेट पब्लिक एनबीएफसी सेवटर

(रिज़र्व बैंक का पंजीकरण प्रमाण पत्र सं. क्र. ) की प्रस्थिति

--------------------------------------------------------------------
3. 5 मिलियन अमरीकी डॉलर योजना के अंतर्गत पिछले तीन वर्ष में आवेदक द्वारा लिए गए विदेशी मुद्रा ऋण (ईसीबी) और अथवा/ प्राप्त अनुमोदन भारतीय रिजर्व बैंक भारत सरकार का अनुमोदन :

क्रमांक और तारीख

राशि

बकाया

अंतिम चुकौती की देय तारीख

4. विदेश में जमा किए गए बाह्य बाणिज्यिक उधार का विवरण :

क्रम सं.

बैंक का नाम

अमरीकी डॉलर में समतुल्य राशि

विदेश में निधियां जमा रखने के लिए/ भारतीय रिज़र्व बैंक से/

प्राप्त अनुमति/ की सं. और तारीख तथा/ उसकी वैधता अवधि

--------------------------------------------------------------------

भाग इ - प्रस्तावित ऋण /साख के बारे में जानकारी

1. ऋण/साख का विवरण

मुद्रा राशि अमरीकी डॉलर समतुल्य ( कृपया उपयुक्त बॉक्स में (x) लगाएं ) ऋण का प्रयोजन

बाह्य वाणिज्यिक उधार का स्वरूप

(i) आपूर्तिकर्ता की साख

(ii) क्रेता की साख

(iii) सामूहिक ऋण

(iv) निर्यात ऋण

(v) विदेशी सहयोगी/ईक्विटी धारक से ऋण

(vi) एफॅआरएन/बांड

(vii) अन्य (विनिर्दिष्ट करें)

ऋण के नियम और शर्तें

(i) ब्याज दर

(ii) अग्रिम शुल्क

(iii) प्रबंध शुल्क

(iv) अन्य प्रभार यदि कोई (विनिर्दिष्ट करें)

(v) समग्र लागत

(vi) बचनबद्धता शुल्क

(vii) दण्डात्मक ब्याजदर

(viii) ऋण की अवधि

(ix) ग्रेस/ऋण स्थगन अवधि

(x) चुकौती अवधि (छमाही/ वार्षिक/एक मुश्त)

(xi) औसत परिपक्वता

--------------------------------------------------------------------

2. ऋणदाता का विवरण

ऋणदाता/आपूर्तिकर्ता का नाम और पता:

--------------------------------------------------------------------

3. दी जाने वाली प्रतिपूर्ति का स्वरूप , यदि कोई हो/

4. भाग ई - ऋण और भुगतान के बारे में जानकारी

ऋण और चुकौती
प्रस्तावित अनुसूची
ऋण द्वारा चुकौती/भुगतान
वर्ष
और माह
मूल ब्याज की राशि
--------------------------------------------------------------------

भाग उ- अल्पावधि साख/ऋण के अंतर्गत आवेदन के लिए वांछित अतिरिवत जानकारी

1. आयात किये जाने वाले पण्य के विवरण मूल्य विवरण

2. किए गए/ किए जाने वाले आयात का विवरण

(अ) (i) चुकौती अवधि

(ii) आयात बिल की देय तारीख

(iii) वांछित अवधि विस्तार

(iv) यदि आयात किया जा चुका है तो आयात
बिल के अनुसार निर्धारित मूल्य (प्रतिलिपि लगाएं)

आ यदि माल अभी प्राप्त होना है

i) लदान की तारीख

ii) क्या माल खुले समुद्र में बेचा जा चुका है/
अथवा ऐसी कोई विक्री संभावित है ?

iii) आहरण, उपयोग और बकाया का विवरण
देते हुए किस अवधिक की विवरणी भारतीय
रिजर्व बैंक के पास प्रस्तुत की गई है

3. भूतकाल में लिए गए ऋण के लिए

भाग ऊ - 5/10 मिलियन अमरीकी डॉलर योजना के अंतर्गत बाह्य वाणिज्यिक उधार के संबंध में अतिरिक्त जानकारी

1. परियोजना का विवरण

(i) कुल परियोजना लागत अमरीकी डॉलर में

(ii) कुल बाह्य वाणिज्यिक उधार परियोजना
लागत के प्रतिशत के रूप में

2. पिछले तीन सालाें में आवेदक की निर्यात वसूली
(अमरीकी डॉलर के समतुल्य राशि)(केवल
निर्यातक/ विदेशी मुद्रा अर्जक योजना के अंतर्गत
प्रस्तुत आवेदनों के मामले में ही दी जाए )

भाग ए - प्रमाणन

1. आवेदक द्वारा

हम प्रमाणित करते हैं कि -

(i) हमारी अधिकतम जानकारी और विश्वास के अनुसार ऊपर दिए गए विवरण सत्य और शुध्द हैं।

(ii) उगाहे जानेवाले साख / ऋण ऐसे प्रयोजन के लिए उपयोग में लाया जाएगा जिसके लिए यह आवेदन दिया जा रहा है और उसका उपयोग शेयर बाज़ार और अचल संपत्ति में निवेश के लिए नहीं किया जाएगा।

स्थान :

स्टैंप

(आवेदक के प्राधिकृत व्यापारी के हस्ताक्षर)

तारीख

 

नाम :

   

पदनाम

2. प्रधिकृत व्यापारी द्वारा
हम प्रमाणित करते हैं कि

(i) आवेदक हमारा ग्राहक है

(ii) हमने आवेदन और उधारकर्ता / आपूर्तिकर्ता के प्रस्तावपत्र और आयात / प्रस्तावित आयात, प्रस्तावित उधार / वित्त व्यवस्था की जाँच की है और उसे दुरुस्त पाया है।

 

(प्राधिकृत अधिकारी का हस्ताक्षर)

स्थान:

 

नाम:

तारीख

स्टैंप

बैंक / शाखा का नाम :

एडी कूट सं. :

ईसीबी - एसटी

(पैरा 5)

माह_________के दौरान सभी शाखाओं द्वारा अल्पावधि ऋण के लिए दिए गए अनुमोदनों का विवरण

सं. और
अनुमोदन
तारीख

ऋण
पहचान
संख्या

नाम और पता

मुद्रा के
साथ
राशि

अमरीकी
डॉलर के समतुल्य
राशि

ब्याज
दर

ऋण की
अवधि

ऋण की
किस्म
(आपूर्ति
कर्ता / क्रेता साख )

माल का
स्वरूप
(पूंजी
गत /गैर पूंजीगत)

टिप्पणी

उधारकर्ता

आपूर्तिकर्ता
/ऋण दाता

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