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विदेशी खाता कर अनुपालन अधिनियम (एफएटीसीए) और कॉमन रिपोर्टिंग मानक (सीआरएस) के अंतर्गत रिपोर्टिंग की अपेक्षा

भारिबैं/2015-16/165
बैंविवि.एएमएल.बीसी 36/14.01.001/2015-16

28 अगस्त 2015

अध्यक्ष/मुख्य कार्यपालक अधिकारी
सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक/ क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक /
स्थानीय क्षेत्र बैंक /अखिल भारतीय वित्तीय संस्थाएं/
सभी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ/सभी प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक/
राज्य और केंद्रीय सहकारी बैंक (एससीबी/सीसीबी)/
सभी प्राधिकृत व्यक्ति

महोदय/महोदया

विदेशी खाता कर अनुपालन अधिनियम (एफएटीसीए) और
कॉमन रिपोर्टिंग मानक (सीआरएस) के अंतर्गत रिपोर्टिंग की अपेक्षा

जैसा कि आपको विदित है, अंतर्राष्ट्रीय कर अनुपालन में सुधार लाने और विदेशी खाता कर अनुपालन (एफएटीसीए) अधिनियम को लागू करने के लिए भारत ने 09 जुलाई 2015 को यूएसए के साथ दो सरकारों के बीच के समझौते (आइजीए) पर हस्ताक्षर किया है। भारत ने 03 जून 2015 को कॉमन रिपोर्टिंग स्टैन्डर्ड्स (सीआरएस) के अंतर्गत ‘कर संबंधी मामलों में पारम्पारिक प्रशासकीय सहायता पर सम्मेलन’ के आर्टिकल 6 के आधार पर सूचनाओं के स्वतःस्फूर्त विनिमय के लिए, जिसे औपचारिक रूप से ‘वित्तीय खाता सूचना के स्वतःस्फूर्त विनिमय के लिए मानक़’ कहा जाता है, एक बहु-पक्षीय समझौते पर भी हस्ताक्षर किया है।

2. इस संबंध में, भारत सरकार ने 07 अगस्त 2015 की अधिसूचना (प्रति संलग्न) द्वारा आयकर नियमों में संशोधन को अधिसूचित किया है और आईजीए तथा सीआरएस को परिचालन में लाने के लिए नियम 114 एफ (परिभाषाएं), 114 जी (मेंटेन तथा रिपोर्ट की जाने वाली सूचना) और 114 एच (सम्यक सतर्कता अपेक्षा) को जोड़ा है। यूएस के रिपोर्ट करने योग्य व्यक्तियों और अन्य रिपोर्ट करने योग्य व्यक्तियों से संबंधित यह सूचना फार्म 61 बी में प्रस्तुत की जानी है, और इसे भी ऊपर उल्लिखित अधिसूचना के साथ ही अधिसूचित किया गया है।

3. सभी संबंधित ‘वित्तीय संस्थाओं’ को (पूरे परिपत्र में इस शब्द-युग्म का वही अर्थ है जो नियमों में परिभाषित किया गया है) संशोधित नियमों का संदर्भ लेना चाहिए तथा रिपोर्टिंग अपेक्षाओं का अनुपालन करने के लिए कदम उठाने चाहिए। तदनुसार, सभी संबंधित वित्तीय संस्थाओं को अपेक्षित ब्योरे भरकर रिपोर्ट करने वाली वित्तीय संस्था के रूप में आयकर विभाग के ई-फाइलिंग पोर्टल में पंजीकृत हो जाना चाहिए । उसके बाद, ‘पदनामित निदेशक’ के डिजिटल हस्ताक्षर का प्रयोग करते हुए फार्म 61बी या ‘निरंक’ रिपोर्ट अपलोड करके रिपोर्ट आनलाइन प्रस्तुत की जा सकती हैं। इन संबंध में केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) एक कार्ययोजना तैयार कर रहा है जिसे शीघ्र ही सभी विनियमित संस्थाओं के साथ शेयर किया जाएगा।

4. रिपोर्टिंग अपेक्षाओं का अनुपालन करते समय ध्यान में रखने के लिए कुछ महत्वपूर्ण मुद्दे नीचे दिए गए हैं –

i) भारत और यूएसए के बीच आईजीए के 31 अगस्त 2015 से लागू होने की उम्मीद है।

ii) पहले से मौजूद वैयक्तिक खातों के लिए सम्यक सतर्कता की प्रक्रिया का प्रावधान नियम 114एच (3) और पहले से मौजूद संस्थागत खातों के लिए प्रक्रिया का प्रावधान नियम 114एच (5) में किया गया है।

iii) नियम 114 (एच) के उपनियम (3) से (8) में निर्दिष्ट सम्यक सतर्कता प्रक्रिया के पश्चात किसी खाते को जिस तिथि को चिन्हित कर लिया जाएगा उसी तिथि से वित्तीय संस्थाओं को किसी खाते को रिपोर्टेबल खाता मानना होगा और जब तक इसके विपरीत प्रावधान न किया गया हो, किसी रिपोर्टेबल खाता से संबंधित सूचना को, उस कैलेंडर वर्ष के बाद जिससे कि सूचना संबंधित है, कैलेंडर वर्ष में वार्षिक रूप से रिपोर्ट किया जाना अपेक्षित है ।

iv) वित्तीय संस्थाओं को 30 जून 2014 की स्थिति के अनुसार यूएस रिपोर्टेबल खाता के मामले में पहले से मौजूद व्यक्तियों के लिए ‘उच्च मूल्य खाता ’और ‘कमतर मूल्य खाता ’का निर्णय करना होगा तथा अन्य रिपोर्टेबल खाता के संबंध में, नियम 114 एच (2)(क) और (ग) के अनुसार विनिर्दिष्ट तिथि के अनुसार पूर्ण किए गए ‘वैल्यू सर्च’ की शर्त पर 31 दिसंबर 2015 तक यह निर्णय करना होगा।

v) वित्तीय संस्थाओं को ‘नए खातों’ में से ‘पहले से मौजूद खातों ‘ को उचित तरीके से पृथक करना होगा और उन पर लागू नियमों के अनुसार सम्यक सतर्कता प्रक्रिया लागू करना होगा। नियम 114 एच (2) (डी), (ई), (एफ), (आई) और (जे) के द्वारा ‘पहले से मौजूद’ खातों और ‘नए’ खातों को परिभाषित किया गया है।

vi) नियम 114 एच (8) में यूएस रिपोर्टेबल खातों की पहचान के लिए निर्धारित वैकल्पिक प्रक्रिया 01 जुलाई 2014 से 31 अगस्त 2015 के दौरान खोले गए खातों के लिए लागू होगी, तथा यह 01 सितम्बर 2015 के बाद खोले गए खातों के लिए लागू नहीं होगी ।

vii) 01 जुलाई 2014 से 31 दिसम्बर 2014 तक खोले गए खातों के लिए वैकल्पिक प्रक्रिया के अनुसार वैल्यू सर्च 31 दिसम्बर 2014 की स्थिति के अनुसार पूरा किया जाना चाहिए तथा 01 जनवरी 2015 से 31 अगस्त 2015 के दौरान खोले गए खातों के लिए वैल्यू सर्च 31 दिसम्बर 2015 के अनुसार पूरा किया जाना चाहिए तथा आवश्यक मामलों में सम्यक सतर्कता की कार्रवाई पूरी की जानी चाहिए। वैकल्पिक प्रक्रियाओं के अंतर्गत सम्यक सतर्कता की प्रक्रिया को 31 अगस्त 2016 से पहले पूरा कर लिया जाना है जिसके बाद उन खातों को बंद कर देने की आवश्यकता होगी जिनके संबंध में अपेक्षित स्व-प्रमाणन या दस्तावेजीकरण प्राप्त नहीं हुआ हो। इस संबंध में रिपोर्टिंग संस्थाओं की प्रगति की माइलस्टोन आधार पर निगरानी की जाएगी तथा ऐसी निगरानी के विस्तृत तौर-तरीकों के बारे में अलग से सूचित किया जाएगा।

viii) 1 सितम्बर 2015 के बाद खोले गए नए खातों के लिए नियम 114 (एच) (4) और 114 (एच)(6) में विनिर्दिष्ट सम्यक सतर्कता प्रक्रियाएं लागू होंगी। चूंकि इतनी अल्प अवधि की नोटिस पर सभी मामलों में ग्राहकों से सूचना, स्व-प्रमाणन आदि लेने की प्रणाली में परिवर्तन करना संभव नहीं होगा, यह निर्णय लिया गया था कि 31 दिसम्बर 2015 कि स्थिति के अनुसार वित्तीय संस्थाएं 90 दिनों के भीतर अर्थात 31 मार्च 2016 तक 01 सितम्बर 2015 और 31 अक्तूबर 2015 के बीच खोले गए ऐसे नए खातों के लिए एक वैल्यू सर्च पूरा करवाएं और ऐसे खातों के लिए आवश्यक मामलों में सम्यक सतर्कता का पालन कर लें। रिपोर्ट करने वाली संस्थाओं (आर ई) के आईटी प्लेटफार्म में एफएटीसीए /सीआरएस अनुपालन वाले नए खातों का वास्तविक जुड़ाव, खाता खोलने के फार्म तथा दस्तावेजीकरण सहित 01 नवम्बर 2015 से आरंभ होना चाहिए। अतएव सभी रिपोर्टिंग संस्थाओं को 31 अक्तूबर 2015 के काफी पहले ही अपने आईटी प्रणाली को अपग्रेड कर देना चाहिए ताकि नियमों और फार्म 61 बी के अनुसार नए खातों को वास्तविक रूप से जोड़ा जाना सुनिश्चित किया जा सके।

ix) नियम 114 एच में उल्लिखित विभिन्न तिथियों पर वैल्यू सर्च पूरा करने के लिए रिपोर्टिंग एजेंसियाँ फ़ॉरेन एक्सचेंज डीलर्स असोसियेशन ऑफ इंडिया द्वारा उनकी वेबसाइट http://www.fedai.org.in/RevaluationRates.aspx. पर प्रकाशित स्पॉट रेफरेन्स दरों का सन्दर्भ ले सकते हैं।

x) वैल्यू सर्च के उद्देश्य से, यूएस रिपोर्टेबल खातों का निर्धारण करने के लिए सम्यक सतर्कता प्रक्रियाओं के दायरे में आने वाले व्यक्तियों के लिए जमा खाता (‘पहले से मौजूद‘ तथा नया खाता, दोनों) की न्यूनतम सीमा 50,000.00 यूएसडी से अधिक है। अन्य रिपोर्टेबल खातों का निर्धारण करने के लिए ऐसी कोई न्यूनतम सीमा नहीं है।

xi) इसी प्रकार, वैल्यू सर्च के उद्देश्य से, यूएस रिपोर्टेबल खातों तथा अन्य का निर्धारण करने के लिए सम्यक सतर्कता प्रक्रियाओं के दायरे में आने वाली संस्थाओं के लिए जमा खातों (केवल ‘पहले से मौजूद’ खातों तथा नई संस्था के लिए 01 जुलाई 2014 से 31 दिसंबर 2014 के दौरान खोले गए खातों) की न्यूनतम सीमा 2,50,000.00 यूएसडी से अधिक है।

xii) वैल्यू सर्च के उद्देश्य हेतु, खाता शेष के एकत्रीकरण और मुद्रा से संबंधित प्रक्रियाएं नियम 114 एच (7)(ग)(i) से (iv) के अनुसार होंगी।

xiii) सभी वित्तीय संस्थाओं को 10 सितम्बर 2015 तक फार्म 41 बी या निरंक रिपोर्ट अपलोड करके पदनामित निदेशक का डिजिटल हस्ताक्षर प्रयोग करते हुए रिपोर्ट ऑनलाइन प्रस्तुत करनी है। यदि नियम 114 एच में यथाप्रस्तावित सम्यक सतर्कता प्रक्रिया पूर्ण होने के परिणाम स्वरूप किसी खाते को यूएस रिपोर्टेबल खाता के रूप में चिन्हित किया गया है तो पहली रिपोर्टिंग कैलेंडर वर्ष 2014 के संबंध में होगी। अतएव निरंक रिपोर्ट के कारणों को निम्नवत कैप्चर किया जाना चाहिए ।

(a) पहले से मौजूद खातों के लिए

  1. विकल्प 1: सम्यक सतर्कता की प्रक्रिया पूरी नहीं की गई

  2. विकल्प 2: सम्यक सतर्कता की प्रक्रिया पूरी की गई किंतु कोई रिपोर्टेबल यूएस खाता चिन्हित नहीं किया गया ।

(b) नए खातों के लिए

  1. विकल्प 1: वैकल्पिक प्रक्रिया का उपयोग किया गया

  2. नए खातों के लिए यथालागू सम्यक सतर्कता की प्रक्रिया पूरी की गई, किंतु कोई रिपोर्टेबल यूएस खाता चिन्हित नहीं किया गया।

xiv) रिपोर्ट करने वाली संस्थाओं से अनुरोध है कि वेबसाइट https://incometaxindiaefiling.gov.in/ लिंक पर ई-फाइलिंग पोर्टल में Log.in My Account – Register as Reporting Financial Institution में जाकर रजिस्टर कर लें। सफल रजिस्ट्रेशन के बाद लॉग इन करके e file → submit form 61B/Nil statement में जाकर फार्म सं.61 बी की निरंक विवरणी प्रस्तुत की जा सकती है।

xv) सभी विनियमित संस्थाओं को चाहिए कि वे सम्यक़ सतर्कता प्रक्रिया पूरा करने और उसे बनाए रखने के लिए अपनी आईटी प्रणाली विकसित करें जैसा कि नियम 114 एच में प्रावधान किया गया है तथा 2014 से शुरू होने वाले प्रत्येक कैलेंडर वर्ष के संबंध में रिपोर्टिंग की अपेक्षा पूरी करें।

5. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सी बी डी टी) एक विस्तृत मार्गदर्शी नोट जारी करने कि प्रक्रिया में है जिसमें रिपोर्टिंग की अपेक्षाओं का ब्योरा दिया गया है। संबंधित वित्तीय संस्था को नियमों का अध्ययन करके यह निर्धारित करना चाहिए कि वे रिपोर्ट करने वाली वित्तीय संस्था हैं अथवा नहीं, तथा क्या वे नियमावली के नियम 114 (एफ) (5) के अनुसार किसी छूट (गैर रिपोर्टिंग वित्तीय संस्थानों ) के अंतर्गत आते है या नहीं ।

6. सभी विनियमित संस्थाओं को चाहिए कि वे नियमों में यथानिर्धारित सम्यक सतर्कता और रिपोर्टिंग अपेक्षाओं के क्रियान्वयन के लिए उचित रूप से कार्रवाई करें और इस प्रकार से अनुपालन सुनिश्चित करें कि वह विश्वसनीय लेखापरीक्षा, जिसमें आईटी प्रणाली का ऑडिट भी शामिल है, के योग्य हो, जिसे उचित रूप से अपग्रेड किया जाएगा ताकि नियमों के अंतर्गत अपेक्षित सूचना तो बनाई रखी जाएगी, बल्कि सम्यक सतर्कता प्रक्रियाओं को रिकार्ड और स्टोर भी किया जाएगा। नियमों में यथानिर्धारित सम्यक सतर्कता प्रक्रियाओं के अनुपालन का स्तर और मात्रा निश्चित करने के लिए आईटी प्रणाली का ऑडिट करने के लिए विस्तृत दिशानिर्देश शीघ्र ही जारी किए जाएंगे।

7. चूंकि नियमों में निर्धारित एफएटीसीए और सीआरएस के प्रावधानों का कार्यान्वयन इस प्रकार का है कि इससे विभिन्न अन्तरराष्ट्रीय समझौतों का पालन होता है, और अनुपालन न करने के परिणामस्वरूप प्रतिष्ठा की हानि के अलावा भारी जुर्माना भी लग सकता है, रिपोर्टिंग संस्था के अध्यक्ष/मुख्य कार्यपालक के लिए यह परमावश्यक है कि वह पदनामित निदेशक या किसी अन्य समकक्ष पदाधिकारी के अंतर्गत यह सुनिश्चित करने के लिए एक “उच्च स्तरीय निगरानी समिति” गठित करे कि रिपोर्ट करने वाली संस्थाएं सम्यक सतर्कता प्रक्रिया पूरा करने के लिए तथा रिपोर्टिंग की अपेक्षा पूरा करने हेतु समस्त समय-सीमाओं या विनियामक द्वारा समय-समय पर माइलस्टोन आधार पर निर्धारित की जाने वाली समय सीमाओं का पालन करने की स्थिति में है ।

8. ये अनुदेश बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 की धारा 35ए तथा भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम 1934 की धारा 45 के अंतर्गत जारी किए गए हैं। उनके किसी प्रकार के उल्लंघन या गैर-अनुपालन पर अधिनियम के अंतर्गत दंड लगाया जाएगा।

भवदीया,

(लिली वडेरा)
मुख्य महाप्रबंधक
संलग्न: यथोक्त

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