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विदेशी प्रत्यक्ष निवेश योजना के तहत रिपोर्टिंग-संशोधित प्रक्रिया

आरबीआइ /2007-08/343
ए.पी.(डीआइआर सिरीज)परिपत्र सं.44

30 मई 2008

श्रेणी-I के सभी प्राधिकृत व्यापारी बैंक

महोदया/महोदय

विदेशी प्रत्यक्ष निवेश योजना के तहत रिपोर्टिंग-संशोधित प्रक्रिया

सभी प्राधिकृत व्यापारी (एडी श्रेणी-I) श्रेणी-I बैंकों का ध्यान समय समय पर यथा संशोधित, 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा.20 /2000-आरबी द्वारा अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर रहने वाले व्यक्ति प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली 2000 और 20 अप्रैल 2007 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज)परिपत्र सं.40 के प्रावधानों की ओर आकर्षित किया जाता है ।  

2. अधिसूचना की अनुसूची-I के पैरा 9 के अनुसार, भारतीय कंपनियों के लिए अपेक्षित है कि वे विदेशी प्रत्यक्ष निवेश योजना के तहत शेयर्स और डिबेंचर्स जारी करने के लिए आवक प्रेषणों के ब्यौरे वसूली के 30 दिनों के भीतर भारतीय रिजर्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को प्रस्तुत करें , जिसके कि क्षेत्राधिकार में कंपनी का पंजीकृत कार्यालय कार्यरत है । इसके अतिरिक्त , अनुसूची-I के पैरा 9 (1 बी) के अनुसार, भारतीय कंपनियों के लिए अपेक्षित है कि वे शेयर्स और परिवर्तनीय डिबेंचर्स जारी करने से संबंधित ब्यौरों की जानकारी फार्म -एफसी-जीपीआर में शेयर्स और कनवर्टबिल डिबेंचर्स जारी करने से 30 दिनों के भीतर भारतीय रिजर्व बैंक संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को दे दें।

3. विदेशी प्रत्यक्ष निवेश योजना की और अधिक व्यापक रूप में जानकारी समेटने हेतु फार्म -एफसी-जीपीआर को 20 अप्रैल 2007 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज)परिपत्र सं.40 के द्वारा संशोधित कर दिया गया है । रिपोर्टिंग प्रणाली की रूपरेखा में फिर से संशोधन किया गया था और इसके अलावा अन्य संशोधन प्रस्तावित हैं। जनता से प्रतिसूचना प्राप्त करने के उद्देश्य से 14 मार्च 2008 को फार्म -एफसी-जीपीआर बैंक की वेबसाइट पर डाल दिया गया है । प्राप्त प्रतिसूचना के आधार पर फार्म -एफसी-जीपीआर संशोधित कर दिया गया है । परिशिष्ट - 1 के साथ संशोधित फार्म - एफसी-जीपीआर संलग्न है । इसके अतिरिक्त , शेयर्स और परिवर्तनीय डिबेंचर्स जारी करने के लिए वसूल की गई राशि की सूचना देने हेतु एक मानक फार्मेट परिशिष्ट -II में दिया गया है । विदेशी बैंकों के जरिये फार्म - एफसी-जीपीआर के साथ अपेक्षित राशि प्रेषित करने वाले अनिवासी निवेशकों से संबंधित अपने ग्राहक को जानिये रिपोर्ट तैयार करने हेतु एक फार्मेट शुरू किया है (परिशिष्ट -III)। इसके बाद से ’ अनिवासी निवेशकों से ली गई राशि की प्राप्त की रिपोर्टिंग करने के समय अपने ग्राहक को जानिये रिपोर्ट ’ प्रस्तुत की जाए।

4. तद्नुसार, भारतीय कंपनियों के लिए अपेक्षित है कि वे शेयर्स और परिवर्तनीय डिबेंचर्स जारी करने करने के लिए ली गई राशि की प्राप्ति के ब्योरे परिशिष्ट -II में और इसके साथ ही परिशिष्ट -III में अपने ग्राहक को जानिये रिपोर्ट ’के साथ श्रेणी-I बैंक के जरिये अनिवासी निवेशक से प्रेषण की प्राप्ति हो गयी है साक्ष्य के रूप में , एफआईआरसी की प्रति/ प्रतियां प्रतिफल की राशि की प्राप्ति से 30 दिनों के भीतर रिपोर्ट करें । भारतीय रिजर्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा इस रिपोर्ट की पावती दी जायेगी और रिपोर्ट की गयी राशि के लिए एक अलग संख्या (यूएनआई) आबंटित की जायेगी । 

5. इसके बाद से शेयर्स और परिवर्तनीय डिबेंचर्स निर्गम के ब्योरे संशोधित फार्म-एफसी-जीपीआर में दिये जायें (परिशिष्ट -I )। संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को फार्म-एफसी-जीपीआर अग्रेसित करते समय सभी प्राधिकृत व्यापारी (एडी श्रेणी-I) बैंक सुनिश्चित करें कि फार्म में यूएनआइ सही तरह से निर्दिष्ट किया गया है । इसके साथ ही यह भी स्पष्ट किया जाता है कि संशोधित फार्म-एफसी-जीपीआर के भाग ’ आ’ में अभी तक प्रत्येक वर्ष 30 जून को दी जाने वाली सभी निवेशों की वार्षिक रिपोर्ट अब प्रत्येक वर्ष 31 जुलाई तक देना अपेक्षित है ।

6. 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा.20 /2000-आरबी द्वारा अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर रहने वाले व्यक्ति प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली 2000 विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत से बाहर रहने वाले व्यक्ति प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली 2000 में किये गये आवश्यक संशोधन अलग से जारी किये जा रहे हैं।

7. श्रेणी-I के सभी प्राधिकृत व्यापारी (एडी श्रेणी-I) बैंक , कृपया इस परिपत्र की विषय-वस्तु से अपने सभी संघटकों तथा ग्राहकों को अवगत करा दें।

8. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हं और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर है।

भवदीय

(सलीम गंगाधरन)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक

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