प्रत्यक्ष विदेशी निवेश योजना के तहत रिपोर्टिंग - आरबीआई - Reserve Bank of India
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश योजना के तहत रिपोर्टिंग
आरबीआइ /2010-11/199 14 सितंबर 2010 सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक महोदया/महोदय प्रत्यक्ष विदेशी निवेश योजना के तहत रिपोर्टिंग सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों का ध्यान समय-समय पर यथा संशोधित, 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा.20/2000-आरबी द्वारा अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत के बाहर निवासी व्यक्ति द्वारा प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2000 की अनुसूची-I के पैरा 9 और 30 मई 2008 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं.44 की ओर आकर्षित किया जाता है। 2. अधिसूचना की अनुसूची-I के पैरा 9 के अनुसार भारतीय कंपनियों से यह अपेक्षित है कि वे प्रत्यक्ष विदेशी निवेश योजना के तहत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश लिखतों, अर्थात् ईक्विटी शेयरों, पूर्णत: तथा अधिदेशात्मक परिवर्तनीय अधिमानी शेयरों और डिबेंचरों को जारी करने के लिए प्राप्त प्रतिफल राशि (अमाउंट ऑफ कंसिडरेशन)के ब्यौरे अनिवासी निवेशक के संबंध में अपने ग्राहक को जानिये रिपोर्ट के साथ एडवांस रिपोर्टिंग फॉर्मेट में प्रतिफल राशि (अमाउंट ऑफ कंसिडरेशन) की प्राप्ति के 30 दिनों के भीतर भारतीय रिजर्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को प्रस्तुत करें, जिसके क्षेत्राधिकार में कंपनी का पंजीकृत कार्यालय कार्यरत है। इसके अतिरिक्त, भारतीय कंपनियों से यह अपेक्षित है कि वे अनिवासी निवेशक को आवक विप्रेषण की प्राप्ति से 180 दिनों के भीतर अनिवासी निवेशक को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश लिखत जारी करें और उसकी जानकारी फार्म एफसी-जीपीआर में शेयर जारी करने से 30 दिनों के भीतर भारतीय रिजर्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को दें। 3. प्रत्यक्ष विदेशी निवेश भुगतान-संतुलन (बीओपी) सांख्यिकी जो तिमाही आधार पर समेकित तथा प्रकाशित की जा रही है,का एक महत्वपूर्ण घटक है। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आँकड़ों के प्रस्तुतीकरण में बिलंब के कारण भुगतान-संतुलन (बीओपी)सांख्यिकी में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की रिपोर्टिंग कम हो जाती है। इसके अतिरिक्त, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश लेनदेनों (अग्रिम प्रतिफल की प्राप्ति और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश अनुवर्ती लिखतों को जारी करना) की रिपोर्टिंग तथा रिज़र्व बैंक की अनुमति के बिना शेयरों को जारी करना /प्रतिफल की प्राप्ति से 180 दिनों के बाद अग्रिम प्रतिफल वापस लौटाना विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (फेमा) के प्रावधानों के तहत उल्लंघनों के रूप में समझा जाता है। अत:, प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक को सूचित किया जाता है कि वे अपने ग्राहकों को सुग्राही बनाये तथा अपने ग्राहक को जानिये रिपोर्ट सहित प्रत्यक्ष विदेशी निवेश रिपोर्टिंग अपेक्षाओं के कड़ाई से पालन करने का महत्व समझा दें तथा उस पर बल दें। इस संबंध में प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक एडवांस रिपोर्टिंग फॉर्मेट के जरिये रिपोर्ट किये गये आवक विप्रेषणों और बाद में कंपनियों द्वारा शेयर जारी करने अथवा शेयर आवेदन राशि वापस लौटाने पर निगरानी/ट्रैक रखने की उपयुक्त आंतरिक व्यवस्था तैयार करें। 4. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक इस परिपत्र की विषय-वस्तु से अपने सभी घटकों तथा ग्राहकों को अवगत करा दें। 5. इस परिपत्र में समाहित निर्देश, विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अधीन और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/ अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किये गये हैं। भवदीय (सलीम गंगाधरन) |