गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के नियंत्रण के अधिग्रहण या अंतरण के मामले में भारतीय रिज़र्व बैंक का पूर्व अनुमोदन लेने की आवश्यकता - आरबीआई - Reserve Bank of India
गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के नियंत्रण के अधिग्रहण या अंतरण के मामले में भारतीय रिज़र्व बैंक का पूर्व अनुमोदन लेने की आवश्यकता
भारिबैं/2013-14/606 26 मई 2014 सभी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी (प्राथमिक व्यापारियों को छोड़कर) महोदय, गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के नियंत्रण के अधिग्रहण या अंतरण के मामले में भारतीय रिज़र्व बैंक का पूर्व अनुमोदन लेने की आवश्यकता भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45झक(4)(ग) के तहत केवल उन कंपनियों को पंजीकरण प्रमाण पत्र दिया जा सकता है जो अन्य बातो के साथ साथ बैंक को संतुष्ट करें कि प्रबंधन का सामान्य व्यक्तित्व अथवा गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी का प्रस्तावित प्रबंधन सार्वजनिक हित अथवा अपने जमाकर्ताओं के हित के प्रति प्रतिकूल ना हो। 2. इस संबंध में 17 सितम्बर 2009 का गैबैंपवि (नीप्र)कंपरि.सं.160/03.10.001/2009-10 के तहत ध्यान आकर्षित किया जाता है जिसमें जमाराशि स्वीकार करने वाली एनबीएफसी के नियंत्रण अधिग्रहण या अंतरण के मामले में भारतीय रिज़र्व बैंक से पूर्व अनुमति लेना आवश्यक है। उन निदेशों के अधिक्रमण तथा भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जमाराशि स्वीकार करने तथा जमा राशि स्वीकार नहीं करने वाली दोनों प्रकार की एनबीएफसी के प्रबंधन में ‘उचित और पर्याप्त’ व्यक्तित्व सुनिश्चितता बनाये रखने के लिए, निम्नलिखित निर्णय लिया गया है: भारतीय रिज़र्व बैंक से लिखित में निम्नलिखित के लिए पूर्वानुमति लेनी होगी: (i) शेयर अथवा किसी अन्य प्रकार से अधिग्रहण के द्वारा एनबीएफसी के नियंत्रण का अधिग्रहण अथवा अधिकार में लेने के मामले में; (ii) एनबीएफसी का किसी अन्य संस्था में विलय/समामेलन अथवा किसी संस्था का एनबीएफसी में विलय / समामेलन जिससे अधिग्रहणकर्ता/अन्य संस्था का एनबीएफसी पर नियंत्रण होगा; (iii) एनबीएफसी का किसी अन्य संस्था में विलय/समामेलन अथवा किसी संस्था का एनबीएफसी में विलय / समामेलन जिसके परिणामस्वरूप एनबीएफसी की चुकता पूंजी के 10 प्रतिशत से अधिक शेयरधारिता का अधिग्रहण/अंतरण होगा। (iv) अन्य कंपनी अथवा एनबीएफसी में विलय अथवा समामेलन का आदेश प्राप्त करने के लिए कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 391-394 के तहत या कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 230-233 के तहत न्यायालय अथवा न्यायाधिकार के समक्ष जाने अथवा के पूर्व भारतीय रिज़र्व बैंक से लिखित में अनुमोदन लेना भी अपेक्षित होगा। 3. इस संबंध में आवेदन भारतीय रिज़र्व बैंक के उस क्षेत्रीय कार्यालय के गैर बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग को प्रस्तुत करना होगा जिसके क्षेत्राधिकार में कंपनी का पंजीकृत कार्यालय अवस्थित है। 4. भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45ट औअर 45ठ में निहित शक्तियों का प्रयोग करते हुए इस संबंध में जारी 26 मई 2014 का अधिसूचना सं. गैबैंपवि(नीप्र) 275/जीएम(एएम)/2013-14 गहन अनुपालन हेतु संलग्न है। 5. अधिसूचना का उल्लघंन करते हुए शेयरों का कोई भी अंतरण के परिणाम स्वरूप पंजीकरण प्रमाण पत्र (सीओआर) निरस्त करने के साथ प्रतिकूल विनियामक कार्रवाई की जाएगी। भवदीया, (ए मंगलागिरि) भारतीय रिज़र्व बैंक अधिसूचना सं. गैबैंपवि(नीप्र)275/जीएम(एएम)-2014 26 मई 2014 भारतीय रिज़र्व बैंक, जनता के हित में यह आवश्यक समझकर और इस बात से संतुष्ट होकर कि देश के हित में ऋण प्रणाली को विनियमित करने के लिए बैंक को समर्थ बनाने के प्रयोजन से, सभी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को निम्नलिखित निदेश देना आवश्यक है। भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 (1934 का 2) की धारा 45 ट तथा 45 ठ द्वारा प्रदत्त शक्तियों और इस संबंध में प्राप्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए निम्नलिखित निदेश देता है : निदेशो का संक्षिप्त शीर्षक (नाम) तथा उसे प्रयोग में लाना 1. (1) इन निदेशों को ‘गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी (अर्जन अथवा नियंत्रण के अंतरण हेतु अनुमति) निदेश, 2014 के नाम से जाना जाएगा। (2) यह निदेश प्राथिम व्यापारियों को छोड़कर जमाराशि स्वीकार करने वाली तथा जमाराशि नहीं स्वीकार करने वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों पर लागू होगा। (3) यह निदेश तत्काल प्रभाव से लागू होंगे। परिभाषा 2. इन निदेशों में जब तक प्रसंग से अन्यथा अपेक्षित न हो,- (ए) “नियंत्रण” का अर्थ वही होगा जो भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (शेयरों का भारी मात्रा में अर्जन तथा अधिग्रहण) विनियमावली, 2011 के विनियम 2 के उप विनियम (1) के खंड (ई) में यथा परिभाषित है। (बी) “एनबीएफसी” का अर्थ, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45झ के खंड (ई) में परिभाषित गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी के अर्थ से है। 3. गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी के नियंत्रण के अधिग्रहण या अंतरण हेतु भारतीय रिज़र्व बैंक का पूर्व अनुमोदन लेने की आवश्यकता - भारतीय रिज़र्व बैंक से लिखित में निम्नलिखित के लिए पूर्वानुमति लेनी होगी: (i) शेयर अथवा किसी अन्य प्रकार से अधिग्रहण के द्वारा एनबीएफसी के नियंत्रण का अधिग्रहण अथवा अधिकार में लेने के मामले में; (ii) एनबीएफसी का किसी अन्य संस्था में विलय/समामेलन अथवा किसी संस्था का एनबीएफसी में विलय / समामेलन जिससे अधिग्रहणकर्ता/अन्य संस्था का एनबीएफसी पर नियंत्रण होगा; (iii) एनबीएफसी का किसी अन्य संस्था में विलय/समामेलन अथवा किसी संस्था का एनबीएफसी में विलय / समामेलन जिसके परिणामस्वरूप एनबीएफसी की चुकता पूंजी के 10 प्रतिशत से अधिक शेयरधारिता का अधिग्रहण/अंतरण होगा। (iv) अन्य कंपनी अथवा एनबीएफसी में विलय अथवा समामेलन का आदेश प्राप्त करने के लिए कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 391-394 के तहत या कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 230-233 के तहत न्यायालय अथवा न्यायाधिकार के समक्ष जाने अथवा के पूर्व भारतीय रिज़र्व बैंक से लिखित में अनुमोदन लेना भी अपेक्षित होगा। 4. अन्य विधियों की प्रयोज्यता वर्जित न होना: इस निदेशों का प्रावधान अतिरिक्त होगा तथा यह किसी अन्य कानून, नियम, विनियम अथवा मौजूदा निदेशों के प्रावधानों का अवमानना नहीं होगा। 5. निरसत और व्यावृत्ति (i) 17 सितम्बर 2009 की अधिसूचना सं. गैबैंपवि(नीप्र). 208/सीजीएम (एएनआर)-2009 द्वारा जारी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी (जमाराशि स्वीकार करने वाली) (अर्जन या नितंत्रण हेतु अनुमति) निदेश, 2009 निरसत होंगे। (ii) तथापि, ऐसे निरसत के होते हुए भी, एतदद्वारा निरसरित निदेशों के तहत कृत अथवा प्रारंभ की गई कार्रवाई उक्त निदेशों के प्रावधान के तहत विनियमित होना जारी रहेगा। (ए मंगलागिरि) |