भारतीय रिज़र्व बैंक (वाणिज्यिक बैंकों के निवेश पोर्टफोलियो का वर्गीकरण, मूल्यांकन और संचालन) निदेश, 2023 - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक (वाणिज्यिक बैंकों के निवेश पोर्टफोलियो का वर्गीकरण, मूल्यांकन और संचालन) निदेश, 2023
आरबीआई/2025-26/10 1 अप्रैल 2025 महोदया / महोदय, भारतीय रिज़र्व बैंक (वाणिज्यिक बैंकों के निवेश पोर्टफोलियो का वर्गीकरण, मूल्यांकन और संचालन) निदेश, 2023 भारतीय रिज़र्व बैंक (वाणिज्यिक बैंकों के निवेश पोर्टफोलियो का वर्गीकरण, मूल्यांकन और संचालन) निर्देश, 2023 को 12 सितंबर 2023 को जारी किया गया थे। बाजार अनुभव और बैंकों द्वारा अपनाई गई पद्धतियों के आधार पर निदेशों के कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं पर स्पष्टीकरण अनुबंध में दिए गए प्रावधान1 के अनुसार अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों के रूप में जारी किए जा रहे हैं। प्रयोज्यता 2. यह अनुदेश पूर्वोक्त निदेशों के कार्यान्वयन की तारीख से सभी वाणिज्यिक बैंकों (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर) पर लागू होंगे। 3. भारतीय रिज़र्व बैंक (वाणिज्यिक बैंकों के निवेश पोर्टफोलियो का वर्गीकरण, मूल्यांकन और संचालन) निदेश, 2023 को इन अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों और अन्य परिणामी परिवर्तनों को दर्शाने के लिए अद्यतन किया जाएगा। भवदीया, (उषा जानकीरामन) अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न प्र. सं 1: क्या पुट ऑप्शन वाले बांड में निवेश को एचटीएम श्रेणी के अंतर्गत वर्गीकृत किया जा सकता है? (निदेश का अध्याय III देखें) उत्तर: क. किसी प्रतिभूति को एचटीएम श्रेणी के अंतर्गत वर्गीकृत करने के लिए, प्रतिभूति की संविदात्मक शर्तों से नकदी प्रवाह उत्पन्न होना चाहिए जो एसपीपीआई मानदंड को पूरा करता हो और प्रतिभूति को परिपक्वता तक बनाए रखने के इरादे और उद्देश्य से अधिग्रहित किया जाना चाहिए। तदनुसार, इन मानदंडों को पूरा करने वाले पुट ऑप्शन वाले बांड को एचटीएम के तहत वर्गीकृत किया जा सकता है। ख. परिपक्वता से पहले पुट ऑप्शन का प्रयोग, आम तौर पर परिपक्वता तक निवेशित रहने के इरादे और उद्देश्य के अनुरूप नहीं होता है और इसलिए इसे एचटीएम की बिक्री के रूप में माना जा सकता है। हालांकि, अगर पुट ऑप्शन का प्रयोग क्रेडिट रेटिंग में गिरावट या प्रतिपक्ष द्वारा डिफ़ॉल्ट जैसे परिदृश्यों में किया जाता है, तो परिपक्वता तक निवेशित रहने का इरादा और उद्देश्य दूषित नहीं माना जा सकता है। प्र. सं.2: प्रारंभिक पहचान पर निवेश का उचित मूल्य कैसे निर्धारित किया जाना चाहिए? (निदेश का खंड 7 और 23 देखें) उत्तर. निदेश के खंड 7 का संदर्भ दिया जाता है, जिसके अनुसार, सभी निवेशों को प्रारंभिक मान्यता पर उचित मूल्य पर मापा जाएगा। जब तक तथ्य और परिस्थितियाँ यह न सुझाएँ कि निवेशों का उचित मूल्य उसके अधिग्रहण लागत से उल्लेखनीय रूप से भिन्न है, तब तक यह माना जाएगा कि प्रारंभिक मान्यता पर, अधिग्रहण लागत ही उचित मूल्य है। ऐसे मामलों में जहाँ यह अनुमान सही नहीं है, प्रारंभिक मान्यता पर निवेशों का उचित मूल्य निर्देशों के अध्याय VIII के अनुसार निर्धारित किया जाएगा। प्र.सं.3: कॉल या पुट ऑप्शन वाली प्रतिभूतियों के लिए छूट या प्रीमियम का परिशोधन किस अवधि में किया जाना चाहिए? (निदेश का अध्याय-V देखें) उत्तर. प्रतिभूतियों पर छूट/प्रीमियम, जिनमे कि कॉल/पुट ऑप्शन वाली प्रतिभूतियों भी शामिल हैं, को इसकी शेष संविदात्मक परिपक्वता पर परिशोधन किया जाएगा। इसके अलावा, सतत ऋण प्रतिभूति पर छूट/प्रीमियम को सबसे प्रारंभिक कॉल तिथि तक परिशोधन किया जाएगा। प्र.सं.4: निदेश के खंड 36(ए)(v) में यह निर्धारित किया गया है कि मूलधन और/या ब्याज को इक्विटी शेयर, डिबेंचर, बॉन्ड आदि में परिवर्तित करने की स्थिति में, ऐसे लिखतों को ऋण के समान आस्ति वर्गीकरण श्रेणी में वर्गीकृत किया जाएगा और मानदंडों के अनुसार प्रावधान किया जाएगा। इसके अलावा, यदि रूपांतरण के बाद, वर्गीकरण मानक है या बाद में आईआरएसीपी मानदंडों के अनुसार मानक में अपग्रेड किया जाता है, तो निवेश को अध्याय III की आवश्यकताओं के अनुसार एचटीएम, एएफएस या एफवीटीपीएल (एचएफटी सहित) में वर्गीकृत किया जाएगा। क्या इसका मतलब यह है कि बैंकों को इन प्रतिभूतियों को एचटीएम, एएफएस या एफवीटीपीएल (एचएफटी सहित) के तहत केवल अपग्रेडेशन पर ही वर्गीकृत करने की अनुमति होगी, न कि प्रारंभिक मान्यता पर? साथ ही, इस बात पर स्पष्टता की आवश्यकता है कि ऐसे एनपीआई निवेशों को बाकी पोर्टफोलियो से अलग करने का क्या मतलब है? (निदेश के खंड 36(ए)(v) और 36 (बी) देखें) उत्तर. क. खंड 36(ए)(v) में आंशिक संशोधन करते हुए यह स्पष्ट किया गया है कि मूलधन और/या ब्याज के रूपांतरण पर प्राप्त इक्विटी शेयर, डिबेंचर, बॉन्ड आदि को निदेश के अध्याय III के अनुसार केवल प्रारंभिक पहचान (यानी, जब ऋण की मान्यता समाप्त हो जाती है और बॉन्ड/इक्विटी आदि को मान्यता मिल जाती है) पर एचटीएम, एएफएस या एफवीटीपीएल (एचएफटी सहित) के अंतर्गत वर्गीकृत किया जाएगा। हालाँकि, बैंक ध्यान दें कि ऐसे उपकरणों का आस्ति वर्गीकरण ऋण के समान ही होगा और खंड 36(ए)(v) में बताए तदनुसार प्रावधान किए जाएँगे। ख. निदेश के खंड 36(बी) में यह निर्धारित किया गया है कि एक बार जब कोई निवेश एनपीआई बन जाता है, तो उसे पोर्टफोलियो के बाकी हिस्सों से अलग कर दिया जाना चाहिए और मूल्यांकन लाभ और हानि को समायोजित करने के लिए विचार नहीं किया जाना चाहिए। यह स्पष्ट किया जाता है कि इस संदर्भ में 'शेष पोर्टफोलियो से अलगाव' का अर्थ है कि ऐसे निवेशों को उसी श्रेणी [यानी, एचटीएम, एएफएस, या एफवीटीपीएल (एचएफटी सहित)] के भीतर अन्य निवेशों से अलग किया जाएगा, जिसके तहत इसे प्रारंभिक पहचान पर वर्गीकृत किया गया था। प्रतिभूतियों का पुनर्वर्गीकरण मास्टर निर्देश के अध्याय VI के प्रावधानों द्वारा निर्देशित किया जाएगा। प्र.सं.5: क्या वित्त वर्ष 2021-22 से पहले बैंक की पुनर्पूंजीकरण आवश्यकता के लिए भारत सरकार से प्राप्त विशेष प्रतिभूतियों2 को संशोधित दिशानिर्देशों में अन्तरण के समय उचित मूल्य पर मान्यता दी जानी चाहिए? (निदेश के खंड 43 देखें) उत्तर: निर्देशों के खंड 43 के अनुसार, अन्तरण के समय, एचटीएम श्रेणी के तहत वर्गीकृत प्रतिभूतियों का संशोधित वहन मूल्य अधिग्रहण की तारीख और 31 मार्च 2024 के बीच परिशोधन किए गए किसी भी प्रीमियम/छूट के लिए समायोजित इसकी अधिग्रहण लागत होगी। इसके अलावा, इस खंड की फुटनोट संख्या 35 में यह विनिदष्ट किया गया है कि बैंकों के पुनर्पूंजीकरण के लिए भारत सरकार से प्राप्त विशेष प्रतिभूतियों के संबंध में अधिग्रहण लागत इस निदेश के अध्याय IV के अनुसार प्रारंभिक मान्यता के अनुसार निर्धारित की जाएगी। तदनुसार, निदेशों के अध्याय IV के अनुसार, अन्तरण के समय, इन प्रतिभूतियों की अधिग्रहण लागत एफबीआईएल द्वारा निर्धारित समान अवधि की केंद्र सरकार की प्रतिभूतियों के मूल्यों/वाईटीएम के आधार पर प्राप्त प्रारंभिक मान्यता पर उचित मूल्य होगी। इसलिए, ऐसी विशेष प्रतिभूतियों का संशोधित वहन मूल्य अधिग्रहण की तिथि और 31 मार्च 2024 के बीच परिशोधन किए गए किसी भी प्रीमियम/छूट के लिए समायोजित प्रारंभिक मान्यता पर उचित मूल्य होगा। इसके अलावा, जैसा कि निदेशों के खंड 43 में दिया गया है, संशोधित वहन मूल्य और पिछले वहन मूल्य के बीच के अंतर को किसी भी सामान्य/राजस्व रिजर्व में समायोजित किया जाएगा। प्र.सं.6: क्या अन्तरण के समय सामान्य/राजस्व रिजर्व या एएफएस-रिजर्व में स्थानांतरित स्तर 3 उपकरणों पर शुद्ध अवास्तविक लाभ को सीईटी 1 पूंजी से घटाया जाना चाहिए? (निदेश के खंड 28, 41 और 43 देखें) उत्तर. अन्तरण के समय, अर्थात् 1 अप्रैल 2024 को राजस्व/सामान्य रिजर्व और एएफएस-रिजर्व में स्थानांतरित किए गए स्तर 3 उपकरणों (निवेश और डेरिवेटिव सहित) पर शुद्ध अवास्तविक लाभ को सीईटी 1 पूंजी से घटाया जाना चाहिए। प्र.सं.7: अन्तरण के समय, पिछले दिशानिर्देशों में एचटीएम, एएफएस और एचएफटी के तहत रखी गई और संशोधित दिशानिर्देशों में एचटीएम में पुनः वर्गीकृत प्रतिभूतियों के संशोधित वहन मूल्य की गणना कैसे की जाएगी? (निदेश के खंड 43 देखें) उत्तर. क. निदेश के खंड 43 में यह निर्धारित किया गया है कि, अंतरण के समय, एचटीएम के तहत वर्गीकृत की जाने वाली प्रतिभूतियों का संशोधित वहन मूल्य अधिग्रहण की तारीख और 31 मार्च 2024 के बीच परिशोधित किसी भी प्रीमियम/छूट के लिए समायोजित अधिग्रहण लागत होगी। ख. केवल असाधारण परिस्थितियों में, जहां बैंकों के लिए ऊपर बताए अनुसार संशोधित वहन मूल्य की गणना करना व्यावहारिक नहीं है, 31 मार्च 2024 तक प्रतिभूतियों का उचित मूल्य संशोधित वहन मूल्य के रूप में लिया जा सकता है। ग. इसके अलावा, जैसा कि खंड 43 में दिया गया है, संशोधित वहन मूल्य और पिछले वहन मूल्य के बीच का अंतर किसी भी राजस्व/सामान्य रिजर्व में समायोजित किया जाएगा। प्र.सं.8: अंतरण के समय, पिछले दिशानिर्देशों में एचटीएम, एएफएस और एचएफटी के तहत रखी गई प्रतिभूतियों के संशोधित वहन मूल्य और संशोधित दिशानिर्देशों में एएफएस में पुनः वर्गीकृत प्रतिभूतियों की गणना कैसे की जाएगी? (निदेश के खंड 43 देखें) उत्तर. क. निदेश के खंड 43 में यह निर्धारित किया गया है कि, अंतरण के समय, एएफएस के तहत वर्गीकृत की जाने वाली प्रतिभूतियों का संशोधित वहन मूल्य 31 मार्च, 2024 तक उचित मूल्य होगा, और संशोधित और पिछले वहन मूल्य के बीच का अंतर एएफएस-रिजर्व में समायोजित किया जाएगा। ख. उपरोक्त प्रश्न संख्या 7 के उत्तर के मद्देनजर, उपरोक्त खंड में संशोधन करते हुए, अब यह सलाह दी जाती है कि संशोधित और पिछले वहन मूल्य के बीच का अंतर एएफएस-रिजर्व के बजाय राजस्व/सामान्य रिजर्व में समायोजित किया जाएगा। हालांकि, एएफएस के तहत नामित इक्विटी इंस्ट्रूमेंट्स के मामले में संशोधित और पिछले वहन मूल्य के बीच का अंतर एएफएस रिजर्व में समायोजित किया जाएगा प्र. सं. 9: बैंक की पुनर्पूंजीकरण आवश्यकता के लिए भारत सरकार से प्राप्त विशेष प्रतिभूतियों को किस मूल्य पर मान्यता दी जाएगी और प्रकटीकरण उद्देश्य के लिए उनका उचित मूल्यांकन कैसे किया जाना चाहिए? (निदेश का खंड 7 देखें) उत्तर. बैंकों के पुनर्पूंजीकरण के लिए भारत सरकार से प्राप्त विशेष प्रतिभूतियों को प्रारंभ में एफबीआईएल द्वारा निर्धारित मूल्यों/वाईटीएम के आधार पर या इन निदेशों के खंड 26.1 (सी) के अंतर्गत यथास्थिति, निर्धारित उनके उचित मूल्य पर मान्यता दी जाएगी। अधिग्रहण लागत और उचित मूल्य के बीच किसी भी अंतर को लाभ और हानि खाते में तुरंत मान्यता दी जाएगी। इसके अलावा, प्रकटीकरण उद्देश्य के लिए ऐसी विशेष प्रतिभूतियों का बाद का मूल्यांकन, इन निर्देशों के खंड 26.1(सी) पर आधारित होगा। 1 यह अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न फिक्स्ड इनकम मनी मार्केट एंड डेरिवेटिव्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (फेडाई) को उपलब्ध कराए गए थे, जिसने इसे 10 फरवरी 2024 को अपनी वेबसाइट पर रखा था। मौजूदा प्रश्नों में संशोधन भी अनुबंध में शामिल हैं। 2 विशेष प्रतिभूतियों से तात्पर्य सममूल्य पर जारी की गई गैर-ब्याज वाली (गैर-हस्तांतरणीय) भारत सरकार की विशेष प्रतिभूतियों से है। |