कोविड -19 संबंधित दबाव के लिए समाधान ढांचा - वित्तीय मापदंड - आरबीआई - Reserve Bank of India
कोविड -19 संबंधित दबाव के लिए समाधान ढांचा - वित्तीय मापदंड
भारिबैं/2020-21/34 7 सितंबर 2020 सभी वाणिज्यिक बैंक (लघु वित्त बैंक, स्थानीय क्षेत्र बैंक और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक सहित) महोदया/ महोदय, कोविड -19 संबंधित दबाव के लिए समाधान ढांचा - वित्तीय मापदंड कृपया 6 अगस्त 2020 को जारी परिपत्र विवि.सं.बीपी.बीसी.3/21.048/2020-21 ("समाधान ढांचा") के अनुबंध के पैराग्राफ 23 और 24 देखें जिसमें रिजर्व बैंक द्वारा एक विशेषज्ञ समिति के गठन की परिकल्पना की गई है ताकि समाधान ढांचे के अनुबंध के भाग ख के तहत योग्य उधारकर्ताओं के संबंध में समाधान योजना में विचारणीय मापदंडों के लिए आवश्यक वित्तीय मापदंडों के साथ ऐसे मापदंडों के लिए क्षेत्र विशिष्ट बेंचमार्क श्रेणियों पर सिफारिशें की जा सके। 2. तदनुसार रिज़र्व बैंक ने 7 अगस्त 2020 को जारी प्रेस प्रकाशनी के माध्यम से श्री के वी कामथ की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति के गठन की घोषणा की थी। तदुपरांत विशेषज्ञ समिति ने 4 सितंबर 2020 को रिजर्व बैंक को अपनी सिफारिशें सौंप दी हैं, जिन्हें रिजर्व बैंक ने मोटे तौर पर स्वीकार कर लिया है। 3. तदनुसार, सभी ऋणदाता संस्थाएं समाधान ढांचे के अनुबंध के भाग बी के तहत योग्य उधारकर्ताओं के संबंध में समाधान योजनाओं को अंतिम रूप देते समय निम्नलिखित प्रमुख अनुपातों पर अनिवार्य रूप से विचार करेंगी:
4. ऋणदाता संस्थाओं द्वारा एक योग्य उधारकर्ता के संबंध में समाधान की अवधारणा में उपरोक्त में से प्रत्येक प्रमुख अनुपातों के लिए क्षेत्र विशिष्ट सीमाएं (अधिकतम या न्यूनतम, जो भी लागू हो), जिन पर विचार किया जाना चाहिए अनुबंध में दिए गए हैं। उन क्षेत्रों के संबंध में जहां क्षेत्र-विशिष्ट सीमा निर्दिष्ट नहीं किए गए हैं, ऋणदाता संस्थाएं टीओएल/ एटीएनडब्ल्यू और कुल कर्ज/ ईबीआईटीडीए के संबंध में अपना आंतरिक आकलन करेंगी। फिर भी, सभी मामलों में वर्तमान अनुपात और डीएससीआर 1.0 और उससे अधिक होगा, और एडीएससीआर 1.2 और उससे अधिक होगा। 5. योग्य उधारकर्ताओं के संबंध में समाधान अवधारणाओं को अंतिम रूप देते समय ऋणदाता संस्थाएं उपर्युक्त अनिवार्य प्रमुख अनुपातों और क्षेत्र विशेष के लिए निर्धारित सीमा के अलावा अन्य वित्तीय मापदंडों पर विचार करने के लिए स्वतंत्र हैं। उक्त अपेक्षाएं ऐसे मामलों में भी लागू होंगी, जहां योग्य उधारकर्ता के प्रति केवल एक ऋणदाता संस्था का एक्सपोजर हो। 6. पैरा 4 में निर्धारित अनुपात न्यूनतम अथवा उच्चतम सीमा के रूप में हैं, , लेकिन समाधान योजना को अंतिम रूप देते समय, प्रत्येक मामले में उचित अनुपात निर्धारित करने हेतु बाद के वर्षों में नकदी प्रवाह का आकलन करने के लिए, समाधान योजना में उधारकर्ता के कोविड -19 -पूर्व परिचालन और वित्तीय कार्य- निष्पादन और उसके परिचालन और वित्तीय कार्य-निष्पादन पर कोविड -19 के प्रभाव को ध्यान में रखा जाएगा। 7. विभिन्न क्षेत्रों / संस्थाओं पर महामारी के विभिन्न प्रभाव को देखते हुए, ऋणदाता संस्थाएँ समाधान योजना तैयार या कार्यान्वित करते समय अपने विवेक से, उधारकर्ता पर पड़े प्रभाव की गंभीरता के आधार पर एक वर्गीकृत दृष्टिकोण अपना सकती हैं। ऐसे वर्गीकृत दृष्टिकोण में उधारकर्ताओं पर पड़े प्रभाव का वर्गीकरण हल्के, मध्यम और गंभीर के रूप में भी किया जा सकता है, जैसा कि समिति द्वारा सिफारिश दी गयी है। 8. ऋणदाता संस्थाओं से कार्यान्वयन के समय ही समाधान योजना में सहमति के अनुसार टीओएल/ एटीएनडब्ल्यू का अनुपालन सुनिश्चित करने की अपेक्षा है। तथापि सभी मामलों में 31 मार्च 2022 तक अनुपात के इस स्तर को प्राप्त करना अनिवार्य होगा और इसके बाद भी निरंतर बनाए रखा जाएगा। हालाँकि, जहाँ भी समाधान योजना में इक्विटी प्रवाह की परिकल्पना की गई है, वहां इस अवधि के दौरान इसे चरणबद्ध रूप में लागू किया जाए। अन्य सभी प्रमुख अनुपातों को 31 मार्च, 2022 तक समाधान योजना के अनुसार और उसके बाद निरंतर आधार पर बनाए रखना होगा। 9. सहमत अनुपातों को पूर्ण करने के संबंध में अनुपालन को निरंतर रूप से और बाद की क्रेडिट समीक्षाओं के दौरान वित्तीय समझौतों के रूप में मॉनिटर किया जाना चाहिए। ऋण संविदा के अनुसार, उचित अवधि के भीतर नहीं सुधारा गया कोई भी उल्लंघन वित्तीय कठिनाई के रूप में माना जाएगा। अन्य स्पष्टीकरण – आईसीए की प्रयोज्यता और एस्क्रो खाता 10. समाधान ढांचे की विभिन्न अपेक्षाएं, विशेष रूप से आईसीए की अनिवार्य आवश्यकता, जहाँ भी लागू हो, और समाधान योजना के कार्यान्वयन के बाद एस्क्रो खाता बनाए रखना, उधारकर्ता-खाता स्तर पर लागू होगा, यानी वह कानूनी संस्था जिसके प्रति ऋणदाता संस्था का एक्सपोज़र हो, जिसमें कानूनी संस्था का दर्जा रखने वाले वे विशेष उद्देश्य वाहक शामिल हो सकते हैं, जिन्हें किसी परियोजना के लिए बनाया गया हो। 11. आगे यह स्पष्ट किया जाता है कि जिन मामलों में एकाधिक ऋणदाता संस्थाएं शामिल हैं तथा जहां समाधान प्रक्रिया आरंभ की गयी है, वहां सभी ऋणदाता संस्थाओं के लिए आईसीए पर हस्ताक्षर करना अनिवार्य है, और आरंभ करने के 30 दिन के भीतर आईसीए पर हस्ताक्षर न होने की स्थिति में अतिरिक्त प्रावधान किए जाने की आवश्यकता, आईसीए की अनिवार्य प्रकृति का विकल्प नहीं है। सभी ऋणदाता संस्थाओं के लिए इस विनियामकीय अपेक्षा के अनुपालन का मूल्यांकन पर्यवेक्षी समीक्षा के भाग के रूप में किया जाएगा। भवदीय, (प्रकाश बलियारसिंह) 26 क्षेत्रों के लिए प्रमुख अनुपातों की क्षेत्र-विशिष्ट सीमा (अधिकतम या न्यूनतम, जो भी लागू हो)
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