एनबीएफसी द्वारा अग्रिमों की पुनर्रचना पर दिशानिर्देश की समीक्षा - आरबीआई - Reserve Bank of India
एनबीएफसी द्वारा अग्रिमों की पुनर्रचना पर दिशानिर्देश की समीक्षा
भारिबैं/2015-16/144 30 जुलाई 2015 सभी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) महोदय, एनबीएफसी द्वारा अग्रिमों की पुनर्रचना पर दिशानिर्देश की समीक्षा कृपया उपर्युक्त विषय पर 23 जनवरी 2014 का परिपत्र गैबैंपवि.केंका.नीप्र.सं:367/03.10.01/2013-14 तथा 16 जनवरी 2015 का गैबैंविवि.केंका.नीप्र.सं:011/03.10.01/2014-15 का अवलोकन करें। 2. उक्त परिपत्रों में निहित वर्तमान निर्देश के संदर्भ में, वाणिज्यिक परिचालन के प्रारंभ होने की तारीख (डीसीसीओ) और चुकौती अनुसूची में बराबर या कम अवधि के लिए परिणामी संशोधन (संशोधित चुकौती अनुसूची की आरंभ तारीख और अंतिम तारीख सहित) को पुनर्रचना नहीं माना जाएगा बशर्ते कि: ए. संशोधित डीसीसीओ बुनियादी संरचना परियोजनाओं और गैर-बुनियादी संरचना परियोजनाओं के लिए वित्तीय बंद होने के समय में निर्धारित मूल डीसीसीओ से क्रमश: दो वर्ष और एक वर्ष की अवधि के भीतर आता है : और बी. ऋण की अन्य सभी नियम और शर्त अपरिवर्तित ही रहेंगे। 3. इसके अलावा, उपरोक्त पैराग्राफ 2 में विनिर्दिष्ट निर्देशानुसार, एनबीएफसी पैराग्राफ 2 (ए) में उद्धृत समय सीमा से परे डीसीसीओ के संशोधन के माध्यम से वर्तमान विवेकपूर्ण मानदंडों के अधीन ऐसे ऋण की पुनर्रचना कर सकती है और 'मानक' परिसंपत्ति वर्गीकरण बनाए रख सकती है यदि नया डीसीसीओ निम्नलिखित सीमाओं के भीतर तय किया जाए और खाते का पुनर्रचना शर्तों के अनुसार अनुरक्षण किया किया जाता है: (ए) अदालत मामलों से जुड़े बुनियादी संरचना परियोजना अन्य दो साल तक यदि डीसीसीओ के विस्तार के लिए कारण मध्यस्थता कार्यवाही या अदालत मामले है (उपरोक्त पैरा 2(ए) में उद्धृत दो वर्ष की अवधि के ऊपर, यानी चार साल का कुल विस्तार)। (बी) प्रमोटरों के नियंत्रण से परे अन्य कारणों से विलम्ब हुए बुनियादी संरचना परियोजना अन्य एक साल तक यदि डीसीसीओ के विस्तार के लिए कारण प्रमोटरों के नियंत्रण से परे होने पर (उपरोक्त पैरा 2(ए) में उद्धृत दो वर्ष की अवधि के ऊपर, यानी तीन साल का कुल विस्तार) (अदालती मामलों के अलावा अन्य)। (सी) गैर-बुनियादी संरचना क्षेत्र के लिए परियोजना ऋण (वाणिज्यिक रियल एस्टेट निवेश जोखिम के अलावा) अन्य एक साल तक (उपरोक्त पैरा 2(ए) में उद्धृत एक वर्ष की अवधि के ऊपर, यानी दो साल का कुल विस्तार) 4. मुख्य रूप मौजूदा प्रमोटरों की अपर्याप्तता के कारण ठप परियोजनाओं के पुनरुद्धार करने के लिए यह सूचित किया जाता है कि उपरोक्त पैराग्राफ 2 और 3 में उद्धृत अवधि के दौरान या मूल डीसीसीओ से पहले स्वामित्व में परिवर्तन होता है तो एनबीएफसी खाते की परिसंपत्ति वर्गीकरण में किसी भी बदलाव के बिना निम्नलिखित पैराग्राफ में निर्धारित शर्तों के अधीन उपरोक्त पैराग्राफ 2 और 3 में, जैसा भी मामला हो, उद्धृत अवधि के अलावा दो साल तक इन परियोजनाओं के डीसीसीओ के विस्तार की अनुमति दे सकता है । यदि आवश्यक हुआ तो एनबीएफसी तदनुसार चुकौती अनुसूची को भी बराबर या कम अवधि से विस्थापित कर/ बढ़ा सकता है। 5. यह स्पष्ट किया जाता है कि ऐसे मामलों में जहां स्वामित्व में परिवर्तन और डीसीसीओ का विस्तार (ऊपर पैरा 4 में दिए रूप में) मूल डीसीसीओ से पहले होता है, और परियोजना विस्तारित डीसीसीओ मे वाणिज्यिक परिचालन शुरू करने में विफल रहता है, तो परियोजना उक्त पैराग्राफ 2 और 3 में उद्धृत दिशा निर्देशों के संदर्भ में डीसीसीओ के विस्तार के लिए पात्र हो जाएगा। इसी प्रकार, ऐसे मामलों में जहां स्वामित्व में परिवर्तन और डीसीसीओ का विस्तार उपरोक्त पैरा 2 (ए) में उद्धृत अवधि के दौरान होता है, तो खाता को अनर्जक आस्ति के रूप में वर्गीकृत किए बिना डीसीसीओ के विस्तार से ऊपर पैरा 3 में उद्धृत दिशा निर्देशों के संदर्भ में पुनर्रचना किया जा सकता है। 6. पैराग्राफ 4 और 5 के प्रावधान निम्नलिखित शर्तों के अधीन हैं: i) एनबीएफसी को यह स्थापित करना होगा कि मौजूदा प्रमोटरों / प्रबंधन की अपर्याप्तता के कारण परियोजना का कार्यान्वयन मुख्य रूप से प्रभावित हुआ है/ठप हुआ है और स्वामित्व के परिवर्तन से विस्तारित अवधि के भीतर परियोजना द्वारा वाणिज्यिक परिचालन शुरू होने की एक बहुत अधिक संभावना है; ii) विचाराधीन परियोजना परिचालन, के क्षेत्र में पर्याप्त विशेषज्ञता के साथ एक नए प्रवर्तक / प्रवर्तक समूह द्वारा अधिग्रहित की जानी चाहिए। यदि अधिग्रहण एक विशेष प्रयोजन माध्यम (घरेलू या विदेशी) द्वारा किया जा रहा है तो एनबीएफसी स्पष्ट रूप से प्रदर्शन करने के लिए सक्षम होना चाहिए कि अधिग्राहणकर्ता संस्था, संचालन के क्षेत्र में पर्याप्त विशेषज्ञता के साथ एक नए प्रमोटर समूह, का हिस्सा है; iii) नए प्रमोटरों की अधिग्रहण परियोजना में हिस्सेदारी चुकता इक्विटी पूंजी की कम से कम 51 प्रतिशत होनी चाहिए। यदि नया प्रमोटर एक अनिवासी है और ऐसे क्षेत्र में है जहां विदेशी निवेश की ऊपरी सीमा 51 प्रतिशत से कम है तो नए प्रमोटर को लागू विदेशी निवेश की सीमा तक या कम से कम 26 प्रतिशत चुकता इक्विटी पूंजी, जो भी अधिक हो, को धारण करना चाहिए बशर्ते कि एनबीएफसी संतुष्ट हो कि इस इक्विटी हिस्सेदारी के साथ, नए अनिवासी प्रमोटर परियोजना के प्रबंधन पर नियंत्रण रखते है; iv) एनबीएफसी की संतुष्टि पर परियोजना की व्यवहार्यता स्थापित किया जाना चाहिए; v) अंतर-समूह कारोबार पुनर्रचना / विलय / अधिग्रहण और / या अन्य संस्थाओं / सहायक कंपनियों/ एसोसिएट्स आदि (विदेशी तथा घरेलू) द्वारा परियोजना का अधिग्रहण जो कि मौजूदा प्रवर्तक / प्रवर्तक समूह से संबंधित है, इस सुविधा का पात्र नहीं होगा । एनबीएफसी को स्पष्ट रूप से स्थापित करना चाहिए कि अधिग्राहणकर्ता मौजूदा प्रमोटर समूह से संबंधित नहीं है; vi) “संदर्भ तिथि” को खाते की आस्ति वर्गीकरण विस्तारित अवधि के दौरान जारी रहेगी। इस उद्देश्य के लिए, ‘संदर्भ तिथि' लेन-देन के लिए पार्टियों के बीच प्रारंभिक बाध्यकारी समझौते के निष्पादन की तारीख होगी, बशर्तें कि इस तरह के अधिग्रहण के कानून / नियमों के प्रावधानों के अनुसार स्वामित्व का अधिग्रहण के प्रारंभिक बाध्यकारी समझौते के निष्पादन की तारीख से 90 दिनों की अवधि के भीतर पूरा कर लिया गया हो। मध्यवर्ती समय के दौरान, सामान्य परिसंपत्ति वर्गीकरण मानदंडों को लागू करना जारी रहेगा। यदि स्वामित्व में परिवर्तन प्रारंभिक बाध्यकारी समझौते से 90 दिनों के भीतर पूरा नहीं किया जाता है तो 'संदर्भ तिथि' ऐसे अधिग्रहण के कानून / नियमों के प्रावधानों के अनुसार अधिग्रहण की प्रभावी तिथि होगी; vii) नए मालिकों / प्रमोटरों से अपेक्षित है कि विस्तारित समय अवधि के भीतर इस परियोजना को पूरा करने के लिए आवश्यक अतिरिक्त पैसा लाकर उनकी प्रतिबद्धता प्रदर्शित करें। इसी तरह इस परियोजना के लिए बढ़ी लागत के वित्तपोषण का व्यवहार 16 जनवरी 2015 का परिपत्र गैबैंविवि.केंका.नीप्र.सं. 011/03.10.01/2014-15 में विनिर्दिष्ट दिशानिर्देशों के अधीन होंगे। 16 जनवरी 2015 का परिपत्र में निर्धारित सीमा से अधिक बढ़ी लागत का वित्तपोषण पुनर्रचना की एक घटना माना जाएगा यद्यपि वह डीसीसीओ का विस्तार के ऊपर निर्धारित सीमा के भीतर हो। viii) उपरोक्त लाभ के लिए डीसीसीओ के विस्तार पर विचार करते समय (2 साल की अतिरिक्त अवधि के लिए) एनबीएफसी सुनिश्चित करेगा कि चुकौती अनुसूची परियोजना के आर्थिक जीवन / रियायत अवधि के 85 प्रतिशत से अधिक विस्तारित नहीं हो; और ix) यह सुविधा परियोजना के लिए केवल एक बार ही उपलब्ध होगी और बाद में स्वामित्व में बदलाव, यदि कोई हो, की स्थिति के दौरान उपलब्ध नहीं होगी। 7. इस दिशानिर्देश के तहत शामिल ऋण, मौजूदा प्रावधानीकरण मानदंड के अनुसार प्रावधानीकरण को आकर्षित करेगा जो उनकी आस्ति वर्गीकरण स्थिति पर निर्भर होगी। 8. i). पुनर्रचना पर मौजूदा दिशानिर्देश पुनर्रचना खाते में परिसंपत्ति वर्गीकरण लाभ की अनुमति तीन अलग-अलग संदर्भ तारीखों के संदर्भ में तीन अलग अलग पुनर्रचना संरचना के लिए निम्नानुसार प्रदान करते है :
ii) यह स्पष्ट किया जाता है कि सभी मामलों में जहां परिसंपत्ति वर्गीकरण तय करने के लिए संबंधित संदर्भ तिथि, उपरोक्त तीन स्थितियों में दर्शाये गए अनुसार, 1 अप्रैल 2015 से पहले का हो, वर्तमान निर्देश के अनुसार विशेष परिसंपत्ति वर्गीकरण लाभ उपलब्ध होगा बशर्ते कि उपरोक्त परिपत्र में निर्धारित की गई सभी आवश्यक शर्त पूरी हो । iii) इसके अलावा, पुनर्रचना पैकेज के त्वरित कार्यान्वयन के लिए एनबीएफसी को जारी किए गए निर्देशों के अनुक्रम में, यह सूचित किया जाता है कि एनबीएफसी को पुनर्रचना पैकेज के त्वरित कार्यान्वयन के लिए दिए गए प्रोत्साहन पर निर्देशों का पालन सख्ती से करना है जिसमें यह निर्धारित किया गया है कि एनबीएफसी के साथ पुनर्रचना के लिए आवेदन लंबित रहने की अवधि के दौरान, सामान्य परिसंपत्ति वर्गीकरण मानदंडों को लागू करना जारी रहेगा अर्थात परिसंपत्ति के पुनर्वर्गीकरण की प्रक्रिया को केवल इसलिए नहीं रोकना चाहिए कि आवेदन विचाराधीन है। हालांकि, पैकेज के त्वरित कार्यान्वयन के लिए एक प्रोत्साहन के रूप में यदि एनबीएफसी द्वारा पैकेज प्रासंगिक निर्धारित समय के कार्यक्रम और मानदंडों के अनुसार कार्यान्वित किया जाता है तो परिसंपत्ति वर्गीकरण की स्थिति को प्रासंगिक संदर्भ तारीख को अस्तित्व में स्थिति पर बहाल किया जा सकता है। 9. गैर बैंकिंग वित्तीय (जमा स्वीकार करना या धारक करना) कंपनी विवेकपूर्ण मानदंड (रिजर्व बैंक) दिशा-निर्देश 2007, प्रणालीगत महत्वपूर्ण गैर बैंकिंग वित्तीय (जमा स्वीकार नहीं करने वाली या धारक नहीं करने वाली) कंपनी विवेकपूर्ण मानदंड (रिजर्व बैंक) निर्देश, 2015 और गैर-प्रणालीगत महत्वपूर्ण गैर बैंकिंग वित्तीय (जमा स्वीकार नहीं करने वाली या धारक नहीं करने वाली) कंपनी विवेकपूर्ण मानदंड (रिजर्व बैंक) निर्देश, 2015 में संशोधन करने वाली अधिसूचनाएं गहन अनुपालन के लिए संलग्न हैं। भवदीय (सी डी श्रीनिवासन) भारतीय रिजर्व बैंक अधिसूचना सं: गैबैंविवि(नीप्र).030/सीजीएम(सीडीएस) - 2015 30 जुलाई 2015 भारतीय रिजर्व बैंक , जनता के हित में यह आवश्यक समझकर और इस बात से संतुष्ट होकर कि देश के हित में ऋण प्रणाली को विनियमित करने के लिए, बैंक को समर्थ बनाने के प्रयोजन से 22 फरवरी 2007 की अधिसूचना सं. डीएनबीएस.192/डीजी(वीएल)-2007 में अंतविष्ट गैर बैंकिंग वित्तीय (जमाराशियां स्वीकारने या धारण करने वाली) कंपनियां विवेकपूर्ण मानदण्ड (रिजर्व बैंक) निदेश 2007 (इसके बाद इसे निदेश कहा जाएगा) को संशोधित करना आवश्यक है. भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 (1934 का 2) की धारा 45 ञक द्वारा प्रदत्त शक्तियों और इस संबंध में प्राप्त समस्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए उक्त निदेश को तत्काल प्रभाव से निम्नवत संशोधित करने का निदेश देता है यथा- 2. उपरोक्त अधिसूचना के अनुबंध –ए में विनिर्दिष्ट दिशानिर्देश के पैरा 3 के उप पैरा 3.3 में खंड (v)(बी) के बाद निम्नलिखित खंड (v) (सी) जोड़ा जाए- (v)(सी)(ए) मुख्य रूप मौजूदा प्रमोटरों की अपर्याप्तता के कारण ठप परियोजनाओं के पुनरुद्धार करने के लिए यह सूचित किया जाता है कि उपरोक्त पैराग्राफ 3(3.3)(iii) और 3(3.3)(v) में उद्धृत अवधि के दौरान या मूल डीसीसीओ से पहले स्वामित्व में परिवर्तन होता है तो एनबीएफसी खाते की परिसंपत्ति वर्गीकरण में किसी भी बदलाव के बिना निम्नलिखित पैराग्राफ में निर्धारित शर्तों के अधीन उपरोक्त पैराग्राफ 3(3.3)(iii) और 3 (3.3)(v) में, जैसा भी मामला हो, उद्धृत अवधि के अलावा दो साल तक इन परियोजनाओं के डीसीसीओ के विस्तार की अनुमति दे सकता है । यदि आवश्यक हुआ तो एनबीएफसी तदनुसार चुकौती अनुसूची को भी एक बराबर या कम अवधि से विस्थापित कर/ बढ़ा सकता है। (बी) यह स्पष्ट किया जाता है कि ऐसे मामलों में जहां स्वामित्व में परिवर्तन और डीसीसीओ का विस्तार (ऊपर पैरा 3(3.3)(v)(c) (a) में दिए रूप में) मूल डीसीसीओ से पहले होता है, और परियोजना विस्तारित डीसीसीओ मे वाणिज्यिक परिचालन शुरू करने में विफल रहता है, तो परियोजना उक्त पैराग्राफ 3(3.3)(iii) और 3(3.3)(v) में उद्धृत दिशा निर्देशों के संदर्भ में डीसीसीओ के विस्तार के लिए पात्र हो जाएगा। इसी प्रकार, ऐसे मामलों में जहां स्वामित्व में परिवर्तन और डीसीसीओ का विस्तार उपरोक्त पैरा 3(3.3)(v) में उद्धृत अवधि के दौरान होता है, तो खाता को अनर्जक आस्ति के रूप में वर्गीकृत किए बिना डीसीसीओ के विस्तार से ऊपर पैरा 3(3.3)(iii) में उद्धृत दिशा निर्देशों के संदर्भ में पुनर्रचना किया जा सकता है। (सी) पैराग्राफ (ए) और (बी) के प्रावधान निम्नलिखित शर्तों के अधीन हैं: i) एनबीएफसी को यह स्थापित करना होगा कि मौजूदा प्रमोटरों / प्रबंधन की अपर्याप्तता के कारण परियोजना का कार्यान्वयन मुख्य रूप से प्रभावित हुआ है/ठप हुआ है और स्वामित्व के परिवर्तन से विस्तारित अवधि के भीतर परियोजना द्वारा वाणिज्यिक परिचालन शुरू होने की एक बहुत अधिक संभावना है; ii) विचाराधीन परियोजना परिचालन के क्षेत्र में पर्याप्त विशेषज्ञता के साथ एक नए प्रवर्तक / प्रवर्तक समूह द्वारा अधिग्रहित की जानी चाहिए। यदि अधिग्रहण एक विशेष प्रयोजन माध्यम (घरेलू या विदेशी) द्वारा किया जा रहा है तो एनबीएफसी स्पष्ट रूप से प्रदर्शन करने के लिए सक्षम होना चाहिए कि अधिग्राहणकर्ता संस्था, संचालन के क्षेत्र में पर्याप्त विशेषज्ञता के साथ एक नए प्रमोटर समूह, का हिस्सा है; iii) नए प्रमोटरों की अधिग्रहण परियोजना में हिस्सेदारी चुकता इक्विटी पूंजी की कम से कम 51 प्रतिशत होनी चाहिए। यदि नया प्रमोटर एक अनिवासी है और ऐसे क्षेत्र में है जहां विदेशी निवेश की ऊपरी सीमा 51 प्रतिशत से कम है तो नए प्रमोटर को लागू विदेशी निवेश की सीमा तक या कम से कम 26 प्रतिशत चुकता इक्विटी पूंजी, जो भी अधिक हो, को धारण करना चाहिए बशर्ते कि एनबीएफसी संतुष्ट हो कि इस इक्विटी हिस्सेदारी के साथ, नए अनिवासी प्रमोटर परियोजना के प्रबंधन पर नियंत्रण रखते है; iv) एनबीएफसी की संतुष्टि पर परियोजना की व्यवहार्यता स्थापित किया जाना चाहिए; v) अंतर-समूह कारोबार पुनर्रचना / विलय / अधिग्रहण और / या अन्य संस्थाओं / सहायक कंपनियों/ एसोसिएट्स आदि (विदेशी के साथ-साथ घरेलू) द्वारा परियोजना का अधिग्रहण जो कि मौजूदा प्रवर्तक / प्रवर्तक समूह से संबंधित है इस सुविधा का पात्र नहीं होगा । एनबीएफसी को स्पष्ट रूप से स्थापित करना चाहिए कि अधिग्राहणकर्ता मौजूदा प्रमोटर समूह से संबंधित नहीं है; vi) “संदर्भ तिथि” को खाते की आस्ति वर्गीकरण विस्तारित अवधि के दौरान जारी रहेगी। इस उद्देश्य के लिए, ‘संदर्भ तिथि' लेन-देन के लिए पार्टियों के बीच प्रारंभिक बाध्यकारी समझौते के निष्पादन की तारीख होगी, बशर्तें कि इस तरह के अधिग्रहण के कानून / नियमों के प्रावधानों के अनुसार स्वामित्व का अधिग्रहण के प्रारंभिक बाध्यकारी समझौते के निष्पादन की तारीख से 90 दिनों की अवधि के भीतर पूरा कर लिया गया हो। मध्यवर्ती समय के दौरान, सामान्य परिसंपत्ति वर्गीकरण मानदंडों को लागू करना जारी रहेगा। यदि स्वामित्व में परिवर्तन प्रारंभिक बाध्यकारी समझौते से 90 दिनों के भीतर पूरा नहीं किया जाता है तो 'संदर्भ तिथि' ऐसे अधिग्रहण के कानून / नियमों के प्रावधानों के अनुसार अधिग्रहण की प्रभावी तिथि होगी; vii) नए मालिकों / प्रमोटरों से अपेक्षित है कि विस्तारित समय अवधि के भीतर इस परियोजना को पूरा करने के लिए आवश्यक अतिरिक्त पैसा लाकर उनकी प्रतिबद्धता प्रदर्शित करें। इसी तरह इस परियोजना के लिए बढ़ी लागत के वित्तपोषण का व्यवहार 16 जनवरी 2015 का परिपत्र गैबैंविवि.केंका.नीप्र.सं. 011/03.10.01/2014-15 में विनिर्दिष्ट दिशानिर्देशों के अधीन होंगे। 16 जनवरी 2015 का परिपत्र में निर्धारित सीमा से अधिक बढ़ी लागत का वित्तपोषण पुनर्रचना की एक घटना माना जाएगा यद्यपि वह डीसीसीओ का विस्तार के ऊपर निर्धारित सीमा के भीतर हो। viii) उपरोक्त लाभ के लिए डीसीसीओ के विस्तार पर विचार करते समय (2 साल की अतिरिक्त अवधि के लिए) एनबीएफसी सुनिश्चित करेगा कि चुकौती अनुसूची परियोजना के आर्थिक जीवन / रियायत अवधि के 85 प्रतिशत से अधिक विस्तारित नहीं हो; और ix) यह सुविधा परियोजना के लिए केवल एक बार ही उपलब्ध होगी और बाद में स्वामित्व में बदलाव, यदि कोई हो, की स्थिति के दौरान उपलब्ध नहीं होगी। (डी) इस दिशानिर्देश के तहत शामिल ऋण, मौजूदा प्रावधानीकरण मानदंड के अनुसार प्रावधानीकरण को आकर्षित करेगा जो उनकी आस्ति वर्गीकरण स्थिति पर निर्भर होगी। 3. उपरोक्त अधिसूचना के अनुबंध –ए में विनिर्दिष्ट दिशानिर्देश के पैरा 3 के उप पैरा 3.4 में खंड (iv)(बी) के बाद निम्नलिखित खंड (iv) (सी) जोड़ा जाए- (iv)(सी)(ए) मुख्य रूप मौजूदा प्रमोटरों की अपर्याप्तता के कारण ठप परियोजनाओं के पुनरुद्धार करने के लिए यह सूचित किया जाता है कि उपरोक्त पैराग्राफ 3(3.4)(iii) और 3(3.4)(iv) में उद्धृत अवधि के दौरान या मूल डीसीसीओ से पहले स्वामित्व में परिवर्तन होता है तो एनबीएफसी खाते की परिसंपत्ति वर्गीकरण में किसी भी बदलाव के बिना निम्नलिखित पैराग्राफ में निर्धारित शर्तों के अधीन उपरोक्त पैराग्राफ 3(3.4)(iii) और 3 (3.4)(iv) में, जैसा भी मामला हो, उद्धृत अवधि के अलावा दो साल तक इन परियोजनाओं के डीसीसीओ के विस्तार की अनुमति दे सकता है । यदि आवश्यक हुआ तो एनबीएफसी तदनुसार चुकौती अनुसूची को भी एक बराबर या कम अवधि से विस्थापित कर/ बढ़ा सकता है। (बी) यह स्पष्ट किया जाता है कि ऐसे मामलों में जहां स्वामित्व में परिवर्तन और डीसीसीओ का विस्तार (ऊपर पैरा 3(3.4)(iv)(c) (a) में दिए रूप में) मूल डीसीसीओ से पहले होता है, और परियोजना विस्तारित डीसीसीओ मे वाणिज्यिक परिचालन शुरू करने में विफल रहता है, तो परियोजना उक्त पैराग्राफ 3(3.4)(iii) और 3(3.4)(iv) में उद्धृत दिशा निर्देशों के संदर्भ में डीसीसीओ के विस्तार के लिए पात्र हो जाएगा। इसी प्रकार, ऐसे मामलों में जहां स्वामित्व में परिवर्तन और डीसीसीओ का विस्तार उपरोक्त पैरा 3(3.4)(iv) में उद्धृत अवधि के दौरान होता है, तो खाता को अनर्जक आस्ति के रूप में वर्गीकृत किए बिना डीसीसीओ के विस्तार से ऊपर पैरा 3(3.4)(iii) में उद्धृत दिशा निर्देशों के संदर्भ में पुनर्रचना किया जा सकता है। (सी) पैराग्राफ (ए) और (बी) के प्रावधान निम्नलिखित शर्तों के अधीन हैं:
(डी) इस दिशानिर्देश के तहत शामिल ऋण, मौजूदा प्रावधानीकरण मानदंड के अनुसार प्रावधानीकरण को आकर्षित करेगा जो उनकी आस्ति वर्गीकरण स्थिति पर निर्भर होगी। 4. उपरोक्त अधिसूचना के अनुबंध –ए में विनिर्दिष्ट दिशानिर्देश के पैरा 7 के उप पैरा 7.2 में खंड 7.2.3 के बाद निम्नलिखित खंड 7.2.4 जोड़ा जाए- i). पुनर्रचना पर मौजूदा दिशानिर्देश पुनर्रचना खाते में परिसंपत्ति वर्गीकरण लाभ की अनुमति तीन अलग-अलग संदर्भ तारीखों के संदर्भ में तीन अलग अलग पुनर्रचना संरचना के लिए निम्नानुसार प्रदान करते है:
ii) यह स्पष्ट किया जाता है कि सभी मामलों में जहां परिसंपत्ति वर्गीकरण तय करने के लिए संबंधित संदर्भ तिथि, उपरोक्त तीन स्थितियों में दर्शाये गए अनुसार, 1 अप्रैल 2015 से पहले का हो, वर्तमान निर्देश के अनुसार विशेष परिसंपत्ति वर्गीकरण लाभ उपलब्ध होगा बशर्ते कि उपरोक्त परिपत्र में निर्धारित की गई सभी आवश्यक शर्त पूरी हो । iii) इसके अलावा, एनबीएफसी को पूर्वोक्त मास्टर परिपत्र के अनुबंध ए के पैराग्राफ 7.2.1 में विनिर्दिष्ट निर्देशों का गहन अनुपालन करना है जिसमें यह निर्धारित किया गया है कि एनबीएफसी के साथ पुनर्रचना के लिए आवेदन लंबित रहने की अवधि के दौरान, सामान्य के परिसंपत्ति वर्गीकरण मानदंडों को लागू करना जारी रहेगा अर्थात परिसंपत्ति के पुनर्वर्गीकरण की प्रक्रिया को केवल इसलिए नहीं रोकना चाहिए कि आवेदन विचाराधीन है। हालांकि, पैकेज के त्वरित कार्यान्वयन के लिए एक प्रोत्साहन के रूप में यदि एनबीएफसी द्वारा पैकेज प्रासंगिक निर्धारित समय के कार्यक्रम और मानदंडों के अनुसार कार्यान्वित किया जाता है तो परिसंपत्ति वर्गीकरण की स्थिति को प्रासंगिक संदर्भ तारीख को अस्तित्व में स्थिति पर बहाल किया जा सकता है। (सी डी श्रीनिवासन) भारतीय रिजर्व बैंक अधिसूचना सं: गैबैंविवि(नीप्र).031/सीजीएम(सीडीएस) - 2015 30 जुलाई 2015 भारतीय रिजर्व बैंक, जन हित में इसे आवश्यक मानते हुए तथा इस बात से संतुष्ट होकर कि ऋण प्रणाली को देश के हित में विनियमित करने हेतु रिजर्व बैंक को समर्थ बनाने के प्रयोजन के लिए भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम 1934 (1934 का 2) की धारा 45 ञक द्वारा प्रदत्त शक्तियों और इसको समर्थ करने वाली सभी शक्तियों का प्रयोग करते हुए (27 मार्च 2015 की अधिसूचना सं. गैबैंविवि.008 / सीजीएम (सीडीएस) -2015) में निहित गैर-प्रणालीगत महत्वपूर्ण गैर-बैंकिंग वित्तीय (जमा स्वीकार नहीं करने वाली या धारण नहीं करने वाली) कंपनी विवेकपूर्ण मानदंड (रिजर्व बैंक) निदेश, 2007 (जिसे इसके बाद दिशानिर्देश कहा जाएगा) को तत्काल प्रभाव से निम्नानुसार संशोधित करने का निदेश देता है:- 2. उपरोक्त अधिसूचना के अनुबंध –III में विनिर्दिष्ट दिशानिर्देश के पैरा 3 के उप पैरा 3.3 में खंड (v)(बी) के बाद निम्नलिखित खंड (v) (सी) जोड़ा जाए- (v)(सी)(ए) मुख्य रूप मौजूदा प्रमोटरों की अपर्याप्तता के कारण ठप परियोजनाओं के पुनरुद्धार करने के लिए यह सूचित किया जाता है कि उपरोक्त पैराग्राफ 3(3.3)(iii) और 3(3.3)(v) में उद्धृत अवधि के दौरान या मूल डीसीसीओ से पहले स्वामित्व में परिवर्तन होता है तो एनबीएफसी खाते की परिसंपत्ति वर्गीकरण में किसी भी बदलाव के बिना निम्नलिखित पैराग्राफ में निर्धारित शर्तों के अधीन उपरोक्त पैराग्राफ 3(3.3)(iii) और 3 (3.3)(v) में, जैसा भी मामला हो, उद्धृत अवधि के अलावा दो साल तक इन परियोजनाओं के डीसीसीओ के विस्तार की अनुमति दे सकता है । यदि आवश्यक हुआ तो एनबीएफसी तदनुसार चुकौती अनुसूची को भी एक बराबर या कम अवधि से विस्थापित कर/ बढ़ा सकता है। (बी) यह स्पष्ट किया जाता है कि ऐसे मामलों में जहां स्वामित्व में परिवर्तन और डीसीसीओ का विस्तार (ऊपर पैरा 3(3.3)(v)(c) (a) में दिए रूप में) मूल डीसीसीओ से पहले होता है, और परियोजना विस्तारित डीसीसीओ मे वाणिज्यिक परिचालन शुरू करने में विफल रहता है, तो परियोजना उक्त पैराग्राफ 3(3.3)(iii) और 3(3.3)(v) में उद्धृत दिशा निर्देशों के संदर्भ में डीसीसीओ के विस्तार के लिए पात्र हो जाएगा। इसी प्रकार, ऐसे मामलों में जहां स्वामित्व में परिवर्तन और डीसीसीओ का विस्तार उपरोक्त पैरा 3(3.3)(v) में उद्धृत अवधि के दौरान होता है, तो खाता को अनर्जक आस्ति के रूप में वर्गीकृत किए बिना डीसीसीओ के विस्तार से ऊपर पैरा 3(3.3)(iii) में उद्धृत दिशा निर्देशों के संदर्भ में पुनर्रचना किया जा सकता है। (सी) पैराग्राफ (ए) और (बी) के प्रावधान निम्नलिखित शर्तों के अधीन हैं: i) एनबीएफसी को यह स्थापित करना होगा कि मौजूदा प्रमोटरों / प्रबंधन की अपर्याप्तता के कारण परियोजना का कार्यान्वयन मुख्य रूप से प्रभावित हुआ है/ठप हुआ है और स्वामित्व के परिवर्तन से विस्तारित अवधि के भीतर परियोजना द्वारा वाणिज्यिक परिचालन शुरू होने की एक बहुत अधिक संभावना है; ii) विचाराधीन परियोजना परिचालन के क्षेत्र में पर्याप्त विशेषज्ञता के साथ एक नए प्रवर्तक / प्रवर्तक समूह द्वारा अधिग्रहित की जानी चाहिए। यदि अधिग्रहण एक विशेष प्रयोजन माध्यम (घरेलू या विदेशी) द्वारा किया जा रहा है तो एनबीएफसी स्पष्ट रूप से प्रदर्शन करने के लिए सक्षम होना चाहिए कि अधिग्राहणकर्ता संस्था, संचालन के क्षेत्र में पर्याप्त विशेषज्ञता के साथ एक नए प्रमोटर समूह, का हिस्सा है; iii) नए प्रमोटरों की अधिग्रहण परियोजना में हिस्सेदारी चुकता इक्विटी पूंजी की कम से कम 51 प्रतिशत होनी चाहिए। यदि नया प्रमोटर एक अनिवासी है और ऐसे क्षेत्र में है जहां विदेशी निवेश की ऊपरी सीमा 51 प्रतिशत से कम है तो नए प्रमोटर को लागू विदेशी निवेश की सीमा तक या कम से कम 26 प्रतिशत चुकता इक्विटी पूंजी, जो भी अधिक हो, को धारण करना चाहिए बशर्ते कि एनबीएफसी संतुष्ट हो कि इस इक्विटी हिस्सेदारी के साथ, नए अनिवासी प्रमोटर परियोजना के प्रबंधन पर नियंत्रण रखते है; iv) एनबीएफसी की संतुष्टि पर परियोजना की व्यवहार्यता स्थापित किया जाना चाहिए; v) अंतर-समूह कारोबार पुनर्रचना / विलय / अधिग्रहण और / या अन्य संस्थाओं / सहायक कंपनियों/ एसोसिएट्स आदि (विदेशी के साथ-साथ घरेलू) द्वारा परियोजना का अधिग्रहण जो कि मौजूदा प्रवर्तक / प्रवर्तक समूह से संबंधित है इस सुविधा का पात्र नहीं होगा । एनबीएफसी को स्पष्ट रूप से स्थापित करना चाहिए कि अधिग्राहणकर्ता मौजूदा प्रमोटर समूह से संबंधित नहीं है; vi) “संदर्भ तिथि” को खाते की आस्ति वर्गीकरण विस्तारित अवधि के दौरान जारी रहेगी। इस उद्देश्य के लिए, ‘संदर्भ तिथि' लेन-देन के लिए पार्टियों के बीच प्रारंभिक बाध्यकारी समझौते के निष्पादन की तारीख होगी, बशर्तें कि इस तरह के अधिग्रहण के कानून / नियमों के प्रावधानों के अनुसार स्वामित्व का अधिग्रहण के प्रारंभिक बाध्यकारी समझौते के निष्पादन की तारीख से 90 दिनों की अवधि के भीतर पूरा कर लिया गया हो। मध्यवर्ती समय के दौरान, सामान्य परिसंपत्ति वर्गीकरण मानदंडों को लागू करना जारी रहेगा। यदि स्वामित्व में परिवर्तन प्रारंभिक बाध्यकारी समझौते से 90 दिनों के भीतर पूरा नहीं किया जाता है तो 'संदर्भ तिथि' ऐसे अधिग्रहण के कानून / नियमों के प्रावधानों के अनुसार अधिग्रहण की प्रभावी तिथि होगी; vii) नए मालिकों / प्रमोटरों से अपेक्षित है कि विस्तारित समय अवधि के भीतर इस परियोजना को पूरा करने के लिए आवश्यक अतिरिक्त पैसा लाकर उनकी प्रतिबद्धता प्रदर्शित करें। इसी तरह इस परियोजना के लिए बढ़ी लागत के वित्तपोषण का व्यवहार 16 जनवरी 2015 का परिपत्र गैबैंविवि.केंका.नीप्र.सं. 011/03.10.01/2014-15 में विनिर्दिष्ट दिशानिर्देशों के अधीन होंगे। 16 जनवरी 2015 का परिपत्र में निर्धारित सीमा से अधिक बढ़ी लागत का वित्तपोषण पुनर्रचना की एक घटना माना जाएगा यद्यपि वह डीसीसीओ का विस्तार के ऊपर निर्धारित सीमा के भीतर हो। viii) उपरोक्त लाभ के लिए डीसीसीओ के विस्तार पर विचार करते समय (2 साल की अतिरिक्त अवधि के लिए) एनबीएफसी सुनिश्चित करेगा कि चुकौती अनुसूची परियोजना के आर्थिक जीवन / रियायत अवधि के 85 प्रतिशत से अधिक विस्तारित नहीं हो; और ix) यह सुविधा परियोजना के लिए केवल एक बार ही उपलब्ध होगी और बाद में स्वामित्व में बदलाव, यदि कोई हो, की स्थिति के दौरान उपलब्ध नहीं होगी। (डी) इस दिशानिर्देश के तहत शामिल ऋण, मौजूदा प्रावधानीकरण मानदंड के अनुसार प्रावधानीकरण को आकर्षित करेगा जो उनकी आस्ति वर्गीकरण स्थिति पर निर्भर होगी। 3. उपरोक्त अधिसूचना के अनुबंध –III में विनिर्दिष्ट दिशानिर्देश के पैरा 3 के उप पैरा 3.4 में खंड (iv)(बी) के बाद निम्नलिखित खंड (iv) (सी) जोड़ा जाए- (iv)(सी)(ए) मुख्य रूप मौजूदा प्रमोटरों की अपर्याप्तता के कारण ठप परियोजनाओं के पुनरुद्धार करने के लिए यह सूचित किया जाता है कि उपरोक्त पैराग्राफ 3(3.4)(iii) और 3(3.4)(iv) में उद्धृत अवधि के दौरान या मूल डीसीसीओ से पहले स्वामित्व में परिवर्तन होता है तो एनबीएफसी खाते की परिसंपत्ति वर्गीकरण में किसी भी बदलाव के बिना निम्नलिखित पैराग्राफ में निर्धारित शर्तों के अधीन उपरोक्त पैराग्राफ 3(3.4)(iii) और 3 (3.4)(iv) में, जैसा भी मामला हो, उद्धृत अवधि के अलावा दो साल तक इन परियोजनाओं के डीसीसीओ के विस्तार की अनुमति दे सकता है । यदि आवश्यक हुआ तो एनबीएफसी तदनुसार चुकौती अनुसूची को भी एक बराबर या कम अवधि से विस्थापित कर/ बढ़ा सकता है। (बी) यह स्पष्ट किया जाता है कि ऐसे मामलों में जहां स्वामित्व में परिवर्तन और डीसीसीओ का विस्तार (ऊपर पैरा 3 में दिए रूप में) मूल डीसीसीओ से पहले होता है, और परियोजना विस्तारित डीसीसीओ मे वाणिज्यिक परिचालन शुरू करने में विफल रहता है, तो परियोजना उक्त पैराग्राफ 3(3.4)(iii) और 3(3.4)(iv) में उद्धृत दिशा निर्देशों के संदर्भ में डीसीसीओ के विस्तार के लिए पात्र हो जाएगा। इसी प्रकार, ऐसे मामलों में जहां स्वामित्व में परिवर्तन और डीसीसीओ का विस्तार उपरोक्त पैरा 3(3.4)(iv) में उद्धृत अवधि के दौरान होता है, तो खाता को अनर्जक आस्ति के रूप में वर्गीकृत किए बिना डीसीसीओ के विस्तार से ऊपर पैरा 3(3.4)(iii) में उद्धृत दिशा निर्देशों के संदर्भ में पुनर्रचना किया जा सकता है। (सी) पैराग्राफ (ए) और (बी) के प्रावधान निम्नलिखित शर्तों के अधीन हैं:
(डी) इस दिशानिर्देश के तहत शामिल ऋण, मौजूदा प्रावधानीकरण मानदंड के अनुसार प्रावधानीकरण को आकर्षित करेगा जो उनकी आस्ति वर्गीकरण स्थिति पर निर्भर होगी। 4. उपरोक्त अधिसूचना के अनुबंध –III में विनिर्दिष्ट दिशानिर्देश के पैरा 7 के उप पैरा 7.2 में खंड 7.2.3 के बाद निम्नलिखित खंड 7.2.4 जोड़ा जाए- i). पुनर्रचना पर मौजूदा दिशानिर्देश पुनर्रचना खाते में परिसंपत्ति वर्गीकरण लाभ की अनुमति तीन अलग-अलग संदर्भ तारीखों के संदर्भ में तीन अलग अलग पुनर्रचना संरचना के लिए निम्नानुसार प्रदान करते है:
ii) यह स्पष्ट किया जाता है कि सभी मामलों में जहां परिसंपत्ति वर्गीकरण तय करने के लिए संबंधित संदर्भ तिथि, उपरोक्त तीन स्थितियों में दर्शाये गए अनुसार, 1 अप्रैल 2015 से पहले का हो, वर्तमान निर्देश के अनुसार विशेष परिसंपत्ति वर्गीकरण लाभ उपलब्ध होगा बशर्ते कि उपरोक्त परिपत्र में निर्धारित की गई सभी आवश्यक शर्त पूरी हो । iii) इसके अलावा, एनबीएफसी को पूर्वोक्त मास्टर परिपत्र के अनुबंध III के पैराग्राफ 7.2.1 में विनिर्दिष्ट निर्देशों का गहन अनुपालन करना है जिसमें यह निर्धारित किया गया है कि एनबीएफसी के साथ पुनर्रचना के लिए आवेदन लंबित रहने की अवधि के दौरान, सामान्य परिसंपत्ति वर्गीकरण मानदंडों को लागू करना जारी रहेगा अर्थात परिसंपत्ति के पुनर्वर्गीकरण की प्रक्रिया को केवल इसलिए नहीं रोकना चाहिए कि आवेदन विचाराधीन है। हालांकि, पैकेज के त्वरित कार्यान्वयन के लिए एक प्रोत्साहन के रूप में यदि एनबीएफसी द्वारा पैकेज प्रासंगिक निर्धारित समय के कार्यक्रम और मानदंडों के अनुसार कार्यान्वित किया जाता है तो परिसंपत्ति वर्गीकरण की स्थिति को प्रासंगिक संदर्भ तारीख को अस्तित्व में स्थिति पर बहाल किया जा सकता है। (सी डी श्रीनिवासन) भारतीय रिजर्व बैंक अधिसूचना सं: गैबैंविवि(नीप्र).032/सीजीएम(सीडीएस) - 2015 30 जुलाई 2015 भारतीय रिजर्व बैंक, जन हित में इसे आवश्यक मानते हुए तथा इस बात से संतुष्ट होकर कि ऋण प्रणाली को देश के हित में विनियमित करने हेतु रिजर्व बैंक को समर्थ बनाने के प्रयोजन के लिए भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम 1934 (1934 का 2) की धारा 45 ञक द्वारा प्रदत्त शक्तियों और इसको समर्थ करने वाली सभी शक्तियों का प्रयोग करते हुए (27 मार्च 2015 की अधिसूचना सं. गैबैंविवि.009 / सीजीएम (सीडीएस) -2015) में निहित प्रणालीगत महत्वपूर्ण गैर-बैंकिंग वित्तीय (जमा स्वीकार नहीं करने वाली या धारण नहीं करने वाली) कंपनी विवेकपूर्ण मानदंड (रिजर्व बैंक) निदेश, 2007 (जिसे इसके बाद दिशानिर्देश कहा जाएगा) को तत्काल प्रभाव से निम्नानुसार संशोधित करने का निदेश देता है:- 2. उपरोक्त अधिसूचना के अनुबंध –III में विनिर्दिष्ट दिशानिर्देश के पैरा 3 के उप पैरा 3.3 में खंड (v)(बी) के बाद निम्नलिखित खंड (v) (सी) जोड़ा जाए- (v)(सी)(ए) मुख्य रूप मौजूदा प्रमोटरों की अपर्याप्तता के कारण ठप परियोजनाओं के पुनरुद्धार करने के लिए यह सूचित किया जाता है कि उपरोक्त पैराग्राफ 3(3.3)(iii) और 3(3.3)(v) में उद्धृत अवधि के दौरान या मूल डीसीसीओ से पहले स्वामित्व में परिवर्तन होता है तो एनबीएफसी खाते की परिसंपत्ति वर्गीकरण में किसी भी बदलाव के बिना निम्नलिखित पैराग्राफ में निर्धारित शर्तों के अधीन उपरोक्त पैराग्राफ 3(3.3)(iii) और 3 (3.3)(v) में, जैसा भी मामला हो, उद्धृत अवधि के अलावा दो साल तक इन परियोजनाओं के डीसीसीओ के विस्तार की अनुमति दे सकता है । यदि आवश्यक हुआ तो एनबीएफसी तदनुसार चुकौती अनुसूची को भी एक बराबर या कम अवधि से विस्थापित कर/ बढ़ा सकता है। (बी) यह स्पष्ट किया जाता है कि ऐसे मामलों में जहां स्वामित्व में परिवर्तन और डीसीसीओ का विस्तार (ऊपर पैरा 3(3.3)(v)(c) (a) में दिए रूप में) मूल डीसीसीओ से पहले होता है, और परियोजना विस्तारित डीसीसीओ मे वाणिज्यिक परिचालन शुरू करने में विफल रहता है, तो परियोजना उक्त पैराग्राफ 3(3.3)(iii) और 3(3.3)(v) में उद्धृत दिशा निर्देशों के संदर्भ में डीसीसीओ के विस्तार के लिए पात्र हो जाएगा। इसी प्रकार, ऐसे मामलों में जहां स्वामित्व में परिवर्तन और डीसीसीओ का विस्तार उपरोक्त पैरा 3(3.3)(v) में उद्धृत अवधि के दौरान होता है, तो खाता को अनर्जक आस्ति के रूप में वर्गीकृत किए बिना डीसीसीओ के विस्तार से ऊपर पैरा 3(3.3)(iii) में उद्धृत दिशा निर्देशों के संदर्भ में पुनर्रचना किया जा सकता है। (सी) पैराग्राफ (ए) और (बी) के प्रावधान निम्नलिखित शर्तों के अधीन हैं: i) एनबीएफसी को यह स्थापित करना होगा कि मौजूदा प्रमोटरों / प्रबंधन की अपर्याप्तता के कारण परियोजना का कार्यान्वयन मुख्य रूप से प्रभावित हुआ है/ठप हुआ है और स्वामित्व के परिवर्तन से विस्तारित अवधि के भीतर परियोजना द्वारा वाणिज्यिक परिचालन शुरू होने की एक बहुत अधिक संभावना है; ii) विचाराधीन परियोजना परिचालन के क्षेत्र में पर्याप्त विशेषज्ञता के साथ एक नए प्रवर्तक / प्रवर्तक समूह द्वारा अधिग्रहित की जानी चाहिए। यदि अधिग्रहण एक विशेष प्रयोजन माध्यम (घरेलू या विदेशी) द्वारा किया जा रहा है तो एनबीएफसी स्पष्ट रूप से प्रदर्शन करने के लिए सक्षम होना चाहिए कि अधिग्राहणकर्ता संस्था, संचालन के क्षेत्र में पर्याप्त विशेषज्ञता के साथ एक नए प्रमोटर समूह, का हिस्सा है; iii) नए प्रमोटरों की अधिग्रहण परियोजना में हिस्सेदारी चुकता इक्विटी पूंजी की कम से कम 51 प्रतिशत होनी चाहिए। यदि नया प्रमोटर एक अनिवासी है और ऐसे क्षेत्र में है जहां विदेशी निवेश की ऊपरी सीमा 51 प्रतिशत से कम है तो नए प्रमोटर को लागू विदेशी निवेश की सीमा तक या कम से कम 26 प्रतिशत चुकता इक्विटी पूंजी, जो भी अधिक हो, को धारण करना चाहिए बशर्ते कि एनबीएफसी संतुष्ट हो कि इस इक्विटी हिस्सेदारी के साथ, नए अनिवासी प्रमोटर परियोजना के प्रबंधन पर नियंत्रण रखते है; iv) एनबीएफसी की संतुष्टि पर परियोजना की व्यवहार्यता स्थापित किया जाना चाहिए; v) अंतर-समूह कारोबार पुनर्रचना / विलय / अधिग्रहण और / या अन्य संस्थाओं / सहायक कंपनियों/ एसोसिएट्स आदि (विदेशी के साथ-साथ घरेलू) द्वारा परियोजना का अधिग्रहण जो कि मौजूदा प्रवर्तक / प्रवर्तक समूह से संबंधित है इस सुविधा का पात्र नहीं होगा । एनबीएफसी को स्पष्ट रूप से स्थापित करना चाहिए कि अधिग्राहणकर्ता मौजूदा प्रमोटर समूह से संबंधित नहीं है; vi) “संदर्भ तिथि” को खाते की आस्ति वर्गीकरण विस्तारित अवधि के दौरान जारी रहेगी। इस उद्देश्य के लिए, ‘संदर्भ तिथि' लेन-देन के लिए पार्टियों के बीच प्रारंभिक बाध्यकारी समझौते के निष्पादन की तारीख होगी, बशर्तें कि इस तरह के अधिग्रहण के कानून / नियमों के प्रावधानों के अनुसार स्वामित्व का अधिग्रहण के प्रारंभिक बाध्यकारी समझौते के निष्पादन की तारीख से 90 दिनों की अवधि के भीतर पूरा कर लिया गया हो। मध्यवर्ती समय के दौरान, सामान्य परिसंपत्ति वर्गीकरण मानदंडों को लागू करना जारी रहेगा। यदि स्वामित्व में परिवर्तन प्रारंभिक बाध्यकारी समझौते से 90 दिनों के भीतर पूरा नहीं किया जाता है तो 'संदर्भ तिथि' ऐसे अधिग्रहण के कानून / नियमों के प्रावधानों के अनुसार अधिग्रहण की प्रभावी तिथि होगी; vii) नए मालिकों / प्रमोटरों से अपेक्षित है कि विस्तारित समय अवधि के भीतर इस परियोजना को पूरा करने के लिए आवश्यक अतिरिक्त पैसा लाकर उनकी प्रतिबद्धता प्रदर्शित करें। इसी तरह इस परियोजना के लिए बढ़ी लागत के वित्तपोषण का व्यवहार 16 जनवरी 2015 का परिपत्र गैबैंविवि.केंका.नीप्र.सं. 011/03.10.01/2014-15 में विनिर्दिष्ट दिशानिर्देशों के अधीन होंगे। 16 जनवरी 2015 का परिपत्र में निर्धारित सीमा से अधिक बढ़ी लागत का वित्तपोषण पुनर्रचना की एक घटना माना जाएगा यद्यपि वह डीसीसीओ का विस्तार के ऊपर निर्धारित सीमा के भीतर हो। viii) उपरोक्त लाभ के लिए डीसीसीओ के विस्तार पर विचार करते समय (2 साल की अतिरिक्त अवधि के लिए) एनबीएफसी सुनिश्चित करेगा कि चुकौती अनुसूची परियोजना के आर्थिक जीवन / रियायत अवधि के 85 प्रतिशत से अधिक विस्तारित नहीं हो; और ix) यह सुविधा परियोजना के लिए केवल एक बार ही उपलब्ध होगी और बाद में स्वामित्व में बदलाव, यदि कोई हो, की स्थिति के दौरान उपलब्ध नहीं होगी। (डी) इस दिशानिर्देश के तहत शामिल ऋण, मौजूदा प्रावधानीकरण मानदंड के अनुसार प्रावधानीकरण को आकर्षित करेगा जो उनकी आस्ति वर्गीकरण स्थिति पर निर्भर होगी। 3. उपरोक्त अधिसूचना के अनुबंध –III में विनिर्दिष्ट दिशानिर्देश के पैरा 3 के उप पैरा 3.4 में खंड (iv)(बी) के बाद निम्नलिखित खंड (iv) (सी) जोड़ा जाए- (iv)(सी)(ए) मुख्य रूप मौजूदा प्रमोटरों की अपर्याप्तता के कारण ठप परियोजनाओं के पुनरुद्धार करने के लिए यह सूचित किया जाता है कि उपरोक्त पैराग्राफ 3(3.4)(iii) और 3(3.4)(iv) में उद्धृत अवधि के दौरान या मूल डीसीसीओ से पहले स्वामित्व में परिवर्तन होता है तो एनबीएफसी खाते की परिसंपत्ति वर्गीकरण में किसी भी बदलाव के बिना निम्नलिखित पैराग्राफ में निर्धारित शर्तों के अधीन उपरोक्त पैराग्राफ 3(3.4)(iii) और 3 (3.4)(iv) में, जैसा भी मामला हो, उद्धृत अवधि के अलावा दो साल तक इन परियोजनाओं के डीसीसीओ के विस्तार की अनुमति दे सकता है । यदि आवश्यक हुआ तो एनबीएफसी तदनुसार चुकौती अनुसूची को भी एक बराबर या कम अवधि से विस्थापित कर/ बढ़ा सकता है। (बी) यह स्पष्ट किया जाता है कि ऐसे मामलों में जहां स्वामित्व में परिवर्तन और डीसीसीओ का विस्तार (ऊपर पैरा 3(3.4)(iv)(c) (a) में दिए रूप में) मूल डीसीसीओ से पहले होता है, और परियोजना विस्तारित डीसीसीओ मे वाणिज्यिक परिचालन शुरू करने में विफल रहता है, तो परियोजना उक्त पैराग्राफ 3(3.4)(iii) और 3(3.4)(iv) में उद्धृत दिशा निर्देशों के संदर्भ में डीसीसीओ के विस्तार के लिए पात्र हो जाएगा। इसी प्रकार, ऐसे मामलों में जहां स्वामित्व में परिवर्तन और डीसीसीओ का विस्तार उपरोक्त पैरा 3(3.4)(iv) में उद्धृत अवधि के दौरान होता है, तो खाता को अनर्जक आस्ति के रूप में वर्गीकृत किए बिना डीसीसीओ के विस्तार से ऊपर पैरा 3(3.4)(iii) में उद्धृत दिशा निर्देशों के संदर्भ में पुनर्रचना किया जा सकता है। (सी) पैराग्राफ (ए) और (बी) के प्रावधान निम्नलिखित शर्तों के अधीन हैं:
(डी) इस दिशानिर्देश के तहत शामिल ऋण, मौजूदा प्रावधानीकरण मानदंड के अनुसार प्रावधानीकरण को आकर्षित करेगा जो उनकी आस्ति वर्गीकरण स्थिति पर निर्भर होगी। 4. उपरोक्त अधिसूचना के अनुबंध –III में विनिर्दिष्ट दिशानिर्देश के पैरा 7 के उप पैरा 7.2 में खंड 7.2.3 के बाद निम्नलिखित खंड 7.2.4 जोड़ा जाए- i). पुनर्रचना पर मौजूदा दिशानिर्देश पुनर्रचना खाते में परिसंपत्ति वर्गीकरण लाभ की अनुमति तीन अलग-अलग संदर्भ तारीखों के संदर्भ में तीन अलग अलग पुनर्रचना संरचना के लिए निम्नानुसार प्रदान करते है:
ii) यह स्पष्ट किया जाता है कि सभी मामलों में जहां परिसंपत्ति वर्गीकरण तय करने के लिए संबंधित संदर्भ तिथि, उपरोक्त तीन स्थितियों में दर्शाये गए अनुसार, 1 अप्रैल 2015 से पहले का हो, वर्तमान निर्देश के अनुसार विशेष परिसंपत्ति वर्गीकरण लाभ उपलब्ध होगा बशर्ते कि उपरोक्त परिपत्र में निर्धारित की गई सभी आवश्यक शर्त पूरी हो । iii) इसके अलावा, एनबीएफसी को पूर्वोक्त मास्टर परिपत्र के अनुबंध III के पैराग्राफ 7.2.1 में विनिर्दिष्ट निर्देशों का गहन अनुपालन करना है जिसमें यह निर्धारित किया गया है कि एनबीएफसी के साथ पुनर्रचना के लिए आवेदन लंबित रहने की अवधि के दौरान, सामान्य परिसंपत्ति वर्गीकरण मानदंडों को लागू करना जारी रहेगा अर्थात परिसंपत्ति के पुनर्वर्गीकरण की प्रक्रिया को केवल इसलिए नहीं रोकना चाहिए कि आवेदन विचाराधीन है। हालांकि, पैकेज के त्वरित कार्यान्वयन के लिए एक प्रोत्साहन के रूप में यदि एनबीएफसी द्वारा पैकेज प्रासंगिक निर्धारित समय के कार्यक्रम और मानदंडों के अनुसार कार्यान्वित किया जाता है तो परिसंपत्ति वर्गीकरण की स्थिति को प्रासंगिक संदर्भ तारीख को अस्तित्व में स्थिति पर बहाल किया जा सकता है। (सी डी श्रीनिवासन) |