चलनिधि समायोजन सुविधा और सीमांत स्थायी सुविधा के अंतर्गत मार्जिन आवश्यकताओं की समीक्षा - आरबीआई - Reserve Bank of India
चलनिधि समायोजन सुविधा और सीमांत स्थायी सुविधा के अंतर्गत मार्जिन आवश्यकताओं की समीक्षा
भारिबैं/2017-2018/188 06 जून 2018 सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक महोदया/महोदय, चलनिधि समायोजन सुविधा और सीमांत स्थायी सुविधा के अंतर्गत कृपया 19 मार्च 2013 का परिपत्र एफएमडी.एमओएजी.सं.77/01.01.001/2012-13 और 25 नवंबर 2016 का परिपत्र एफएमडी.एमओएजी.सं.117/01.01.001/2016-17 देखें। 2. वर्तमान में, ट्रेजरी बिल / केंद्र सरकार दिनांकित प्रतिभूतियों (तेल बांड सहित) और राज्य विकास ऋण (एसडीएल) के संबंध में चलनिधि समायोजन सुविधा (रेपो) और सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) के तहत मार्जिन आवश्यकताएं क्रमशः 4 प्रतिशत और 6 प्रतिशत हैं। 3. द्वितीय द्वैमासिक मौद्रिक नीति के आज के वक्तव्य, 2018-19 में की गई घोषणा के अनुसार, अब यह निर्णय लिया गया है कि संपार्श्विक की अवशिष्ट परिपक्वता, अर्थात ट्रेजरी बिल, केंद्र सरकार दिनांकित प्रतिभूतियों (तेल बांड सहित) और राज्य विकास ऋण (एसडीएल) के आधार पर मार्जिन आवश्यकता निर्धारित की जाए। इसके अलावा, यह भी तय किया गया है कि रेटेड एसडीएल के लिए मार्जिन आवश्यकताएं उसी परिपक्वता बकेट के लिए अप्रयुक्त एसडीएल की तुलना में 1 प्रतिशत कम होगी। केन्द्रीय सरकारी प्रतिभूतियों और एसडीएल को संपार्श्विक के रूप में पेश किए जाने के लिए संशोधित मार्जिन आवश्यकताओं को नीचे दी गई तालिका के अनुसार दिया जाएगा:
4. संशोधित मार्जिन आवश्यकताओं को 1 अगस्त 2018 से प्रभावी रूप से लागू किया जाएगा। वर्तमान एलएएफ (रेपो) और एमएसएफ योजनाओं के सभी अन्य नियम और शर्तें अपरिवर्तित बनी रहेंगी। भवदीय (राधा श्याम रथ) |