सुव्यवस्थित और वित्तीय दृष्टि से मजबूत शहरी सहकारी बैंकों के वर्गीकरण मानदंडों की समीक्षा - आरबीआई - Reserve Bank of India
सुव्यवस्थित और वित्तीय दृष्टि से मजबूत शहरी सहकारी बैंकों के वर्गीकरण मानदंडों की समीक्षा
आरबीआई/2013-14/308 1 अक्तूबर 2013 मुख्य कार्यपालक अधिकारी महोदया/ महोदय, सुव्यवस्थित और वित्तीय दृष्टि से मजबूत शहरी सहकारी बैंकों के वर्गीकरण मानदंडों की समीक्षा कृपया उक्त विषय पर 16 नवंबर 2010 का हमारा परिपत्र सं. शबैंवि.केंका.एलएस.(पीसीबी).परि.सं. 25/07.01.000/2010-11 देखें जिसमें सुव्यवस्थित और वित्तीय दृष्टि से मजबूत शहरी सहकारी बैंकों हेतु पात्रता मानदंडों को निर्धारित किया गया था। 2. वर्तमान मानदंडों की समीक्षा की गई है और यह सूचित किया जाता है कि निम्न मानदंडों को पूरा करने वाले शहरी सहकारी बैंकों को सुव्यवस्थित और वित्तीय दृष्टि से मजबूत कहा जाएगा। ए) सीआरएआर का न्यूनतम 10% तक लगातार अनुरक्षण बी) सकल अनर्जक आस्तियां 7% से कम हो और निवल अनर्जक आस्तियां 3% से अधिक न हो सी) पिछले वित्तीय वर्ष में सीआरआर / एसएलआर बनाए रखने में चूक न हो डी) पिछले तीन वर्षों में लगातार लाभ अर्जित किया गया हो ई) सृदृढ आंतरिक नियंत्रण प्रणाली के साथ-साथ बोर्ड पर कम से कम दो वृत्तिदक्ष निदेशक हो एफ़) बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू), भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम 1934 के प्रावधानों के अनुपालन का रिकार्ड तथा भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर जारी अनुदेश/ निदेश के आधार पर विनियामकीय संतुष्टि 3. शहरी सहकारी बैंकों से शाखा प्राधिकरण, ऑन-साईट और ऑफ- साईट एटीएम खोलने, परिचालन क्षेत्र में विस्तार, परिसर स्थानांतरण तथा भारतीय रिज़र्व बैंक से अन्य मंजूरी हेतु प्राप्त आवेदन की प्रोसेसिंग करते समय नए मानदंडों के अनुसार विचार किया जाएगा। भवदीय, (ए.के. बेरा) |