विवेकपूर्ण मानदंडों की समीक्षा - मानक आस्तियों के लिए प्रावधानीकरण तथा वाणिज्यिक रिअल इस्टेट और गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियों को ऋण के लिए जोखिम भारिता - आरबीआई - Reserve Bank of India
विवेकपूर्ण मानदंडों की समीक्षा - मानक आस्तियों के लिए प्रावधानीकरण तथा वाणिज्यिक रिअल इस्टेट और गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियों को ऋण के लिए जोखिम भारिता
भारिबैं.सं.2008-09/300 दिसंबर 1, 2008 मुख्य कार्यपालक अधिकारी महोदय / महोदया, विवेकपूर्ण मानदंडों की समीक्षा - मानक आस्तियों के लिए प्रावधानीकरण तथा वाणिज्यिक रिअल इस्टेट और गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियों को ऋण के लिए जोखिम भारिता कृपया "मानक आस्तियों के लिए प्रावधानीकरण संबंधी अपेक्षाएं" पर 19 फरवरी 2007 का परिपत्र शबैंवि(पीसीबी) परि.सं.30/09.11.600/06-07 तथा वर्ष 2006-07 के लिए वार्षिक नीति विवरण वाणिज्यिक स्थावर संपदा को 2. उपर्युक्त विवेकपूर्ण अपेक्षाएं विशिष्ट क्षेत्र में हो रही निरंतर उच्च ऋण वृद्धि के कारण निर्धारित की गयी थी। अब यह निर्णय लिया गया है इन मानदंडो में प्रति चक्रीय उपाय के रूप में तत्काल प्रभाव से निम्नलिखित परिवर्तन किए जाएं। क) प्रावधानीकरण मानदंड: टियर II शहरी सहकारी बैंको के मामले में सभी प्रकार की मानक आस्तियों के लिए प्रावधानीकरण संबंधी अपेक्षाएं कृषि तथा एसएमई क्षेत्रों के लिए प्रत्यक्ष अग्रिम के मामलों को छोडकर 0.40 प्रतिशत की एक समान दर तक कम की गयी है। कृषि तथा एस एम ई क्षेत्र में पहले की तरह 0.25% की दर पर प्रावधानीकरण जारी रहेगा। टियर I शहरी सहकारी बैंक अपनी सभी मानक आस्तियों के लिए 0.25 प्रतिशत की दर पर सामान्य प्रावधानीकरण करना जारी रखें । संशोधित मानदंड भावी रूप से प्रभावी होंगे परंतु वर्तमान में धारित प्रावधान प्रत्यावर्तित नहीं किया जाना चाहिए। तथापि, भविष्य में प्रावधानीकरण के संशोधित मानदंडो को लागू करने के बाद यदि मानक संवर्ग की आस्तियों के लिए वर्तमान में किए गए प्रावधान से और अधिक प्रावधान करने की आवश्यकता पड़े तो उसके लिए विधिवत प्रावधान किया जाए। ख) जोखिम भारिता: कंपनियों को तथा गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियों को वाणिज्यिक स्थावर संपदा की जमानत पर दिए गए अग्रिम की जोखिम भारिता निम्नानुसार परिवर्तित की गयी है: i.वाणिज्यिक स्थावर संपदा की जमानत पर दिए गए ऋण और अग्रिम: ऐसे ऋण विद्यमान 150 प्रतिशत जोखिम भारिता के स्थान पर 100 प्रतिशत की दर पर जोखिम भारित होंगे। ii.गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियो को ऋण और अग्रिम: विद्यमान दिशानिर्देशों के अनुसार बड़ी खरीद (हायर परचेस) /पट्टा (लीजिंग) कार्य करने वाले एन बी एफ सी के सिवाय अन्य एन बी एफ सी को शहरी सहकारी बैंक वित्त नही दे सकते हैं। ऐसी कंपनियों को 15 सितंबर 2008 के डीएनबीएस परिपत्र के माध्यम से अब आस्ति वित्त कंपनियों (एएफसी) के रूप में पुन:वर्गीकृत कर दिया गया है। ऐसी कंपनियों को ऋण की जोखिम भारिता 100 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रहेगी । 3. कृपया संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को परिपत्र की प्राप्ति सूचना दें। भवदीय (ए. के. खौंड) |