अर्हकारी आस्ति मानदंड की समीक्षा - आरबीआई - Reserve Bank of India
अर्हकारी आस्ति मानदंड की समीक्षा
आरबीआई/2025-26/44 जून 06, 2025
सभी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां – माइक्रोफाइनेंस संस्थान महोदय/ महोदया, अर्हकारी आस्ति मानदंड की समीक्षा कृपया मार्च 14, 2022 के मास्टर निदेश - भारतीय रिज़र्व बैंक (सूक्ष्मवित्त ऋणों के लिए विनियामकीय ढांचा) निदेश, 2022 के पैराग्राफ 8.1 का संदर्भ लें, जो गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां - माइक्रोफाइनेंस संस्थानों के लिए अर्हकारी आस्ति मानदंड (क्वालिफाईंग एसेट क्राइटेरिया) निर्धारित करता है. समीक्षा करने पर, अर्हकारी आस्ति मानदंड को संशोधित करने का निर्णय लिया गया है और मास्टर निदेश के संशोधित पैराग्राफ 8.1 को निम्नानुसार पढ़ा जाएगा। पैराग्राफ 8.1: एनबीएफसी-एमएफआई की 'अर्हकारी आस्ति' की परिभाषा को अब ऊपर के पैराग्राफ 3 में दिये गए 'सूक्ष्मवित्त ऋण' की परिभाषा के साथ संरेखित किया जा रहा है। एनबीएफसी-एमएफआई की अर्हकारी आस्ति निरंतर आधार पर कुल आस्तियों (अमूर्त आस्तियां घटाने के बाद) का न्यूनतम 60 प्रतिशत होंगी। यदि कोई एनबीएफसी-एमएफआई पूर्वोक्त अर्हकारी आस्तियों को बनाए रखने में लगातार चार तिमाहियों के लिए विफल रहती है, तो वह इस मामले में विचार करने के लिए उपचारात्मक योजना के साथ रिज़र्व बैंक से संपर्क करेगी। 2.यह परिपत्र भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के अध्याय IIIB द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए जारी किया गया है। संशोधित उपबंध इस परिपत्र की तारीख से प्रभावी होंगे। 3. मास्टर निदेश - भारतीय रिज़र्व बैंक (सूक्ष्मवित्त ऋणों के लिए विनियामकीय ढांचा) निदेश, 2022 तदनुसार अद्यतित किया जा रहा है। भवदीय,
(जे. पी. शर्मा) |