मास्टर निदेश - भारतीय रिज़र्व बैंक (सूक्ष्मवित्त ऋणों के लिए विनियामकीय ढांचा) निदेश, 2022 (10 अक्टूबर 2024 को अद्यतन किया गया) - आरबीआई - Reserve Bank of India
मास्टर निदेश - भारतीय रिज़र्व बैंक (सूक्ष्मवित्त ऋणों के लिए विनियामकीय ढांचा) निदेश, 2022 (10 अक्टूबर 2024 को अद्यतन किया गया)
इस तिथि के अनुसार अपडेट किया गया:
- 2024-10-10
- 2022-07-25
- 2022-03-14
आरबीआई/विवि/2021-22/89 14 मार्च 2022 सभी वाणिज्यिक बैंक (लघु वित्त बैंकों सहित, महोदया / महोदय मास्टर निदेश - भारतीय रिज़र्व बैंक (सूक्ष्मवित्त ऋणों के लिए विनियामकीय ढांचा) निदेश, 2022 कृपया सूक्ष्मवित्त के लिए विनियामकीय ढांचे की समीक्षा के संबंध में 5 फरवरी 2021 के द्वि-मासिक मौद्रिक नीति वक्तव्य 2020-21 के एक भाग के रूप में घोषित विकासात्मक और विनियामकीय नीतियों पर वक्तव्य के पैराग्राफ 8 का संदर्भ लें। 2. सूक्ष्मवित्त ऋणों के विनियमन पर एक परामर्शी दस्तावेज सार्वजनिक टिप्पणियों के लिए 14 जून 2021 को जारी किया गया था। प्राप्त राय के आधार पर, सूक्ष्मवित्त ऋणों के लिए दिशा-निर्देश निर्धारित किए जाने का निर्णय लिया गया है जोकि संलग्न हैं। 3. इन निर्देशों से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न निम्नलिखित लिंक पर उपलब्ध है: भारतीय रिज़र्व बैंक - अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (rbi.org.in) भवदीय (जे. पी. शर्मा) विवि.एफआईएन.आरईसी.95/03.10.038/2021-22 14 मार्च 2022 मास्टर निदेश - भारतीय रिज़र्व बैंक (सूक्ष्मवित्त ऋणों के लिए विनियामकीय ढांचा) निदेश, 2022 बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 21, धारा 35ए और धारा 56; भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के अध्याय III बी; और राष्ट्रीय आवास बैंक अधिनियम, 1987 की धारा 30ए और धारा 32 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए रिजर्व बैंक, संतुष्ट होने पर कि सार्वजनिक हित में ऐसा करना आवश्यक और समीचीन है, इसके बाद निर्दिष्ट निदेश जारी करता है। 1. संक्षिप्त शीर्षक और प्रारंभ 1.1 इन निदेशों को भारतीय रिजर्व बैंक (सूक्ष्मवित्त ऋणों के लिए विनियामकीय ढांचा) निदेश, 2022 कहा जाएगा। 1.2 ये निदेश पैरा 5.3 और 9.3 की शर्तों के अधीन 01 अप्रैल 2022 से प्रभावी होंगे। 2. प्रयोज्यता 2.1 इन निदेशों के प्रावधान निम्नलिखित संस्थाओं पर लागू होंगे: (i) भुगतान बैंकों को छोड़कर सभी वाणिज्यिक बैंक (लघु वित्त बैंक,स्थानीय क्षेत्र बैंक और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक सहित); (ii) सभी प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक / राज्य सहकारी बैंक / जिला केंद्रीय सहकारी बैंक; तथा (iii) सभी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (सूक्ष्मवित्त संस्थानों और आवास वित्त कंपनियों सहित)। 2.2 उपरोक्त बिंदुओं 2.1 (i) से 2.1 (iii) में उल्लिखित संस्थाओं को इसके बाद इन निदेशों के प्रयोजन के लिए 'विनियमित संस्थाओं (आरई)' के रूप में संदर्भित किया जाता है। 3. सूक्ष्मवित्त ऋण की परिभाषा 3.1 सूक्ष्मवित्त ऋण को एक ऐसे संपार्श्विक-मुक्त ऋण के रूप में परिभाषित किया गया है जोकि एक ऐसे परिवार को दिया जाता है जिसकी वार्षिक घरेलू आय 3,00,000 रुपये तक है। इस प्रयोजन के लिए, परिवार का अर्थ एक व्यक्तिगत परिवारीय इकाई अर्थात पति, पत्नी और उनके अविवाहित बच्चे होंगे। 3.2 कम आय वाले परिवारों अर्थात, 3,00,000 रुपये तक की वार्षिक आय वाले परिवारों को प्रदान किए जाने वाले सभी संपार्श्विक-मुक्त ऋण, चाहे उनका अंतिम उपयोग और आवेदन/ प्रसंस्करण/ संवितरण का तरीका (भौतिक या डिजिटल चैनलों के माध्यम से) कुछ भी हो, सूक्ष्मवित्त ऋण माने जाएंगे। 3.3 सूक्ष्मवित्त ऋण की संपार्श्विक-मुक्त प्रकृति सुनिश्चित करने के लिए, ऋण को उधारकर्ता के जमा खाते पर ग्रहणाधिकार के साथ नहीं जोड़ा जाएगा। 3.4 आरई के पास उधारकर्ताओं की आवश्यकता के अनुसार सूक्ष्मवित्त ऋणों पर चुकौती आवधिकता का लचीलापन प्रदान करने के लिए एक बोर्ड-अनुमोदित नीति होगी। 4. घरेलू आय का आकलन 4.1 प्रत्येक आरई घरेलू आय के आकलन के लिए बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति बनाएगी। घरेलू आय के आकलन के लिए एक सांकेतिक पद्धति अनुबंध I में दी गई है। 4.2 स्व-विनियामक संगठन (एसआरओ) और अन्य संघ/एजेंसियां भी सांकेतिक पद्धति के आधार पर एक सांझा ढांचा विकसित कर सकते हैं। आरई अपने बोर्ड के अनुमोदन के पश्चात इस ढांचे को अपना सकते हैं अथवा अपनी आवश्यकताओं के अनुसार इस ढांचे को उपयुक्त रूप से संशोधित कर के अपना सकते हैं। 4.3 प्रत्येक आरई अनिवार्य रूप से घरेलू आय के संबंध में साख सूचना कंपनियों (सीआईसी) को जानकारी प्रस्तुत करेगा। घरेलू आय की जानकारी को सीआईसी के पास अद्यतन करने से पूर्व, पहले से रिपोर्ट की गई घरेलू आय और निर्धारित घरेलू आय के बीच में किसी भी अंतर के कारणों का, उधारकर्ता से विशेष रूप से पता लगाया जाएगा। 5. घरेलू ऋण चुकौती दायित्वों की सीमा 5.1 प्रत्येक आरई के पास मासिक घरेलू आय के प्रतिशत के रूप में एक परिवार के मासिक ऋण दायित्वों के पुनर्भुगतान के कारण बहिर्वाह की सीमा के संबंध में एक बोर्ड-अनुमोदित नीति होगी। यह सीमा मासिक घरेलू आय के अधिकतम 50 प्रतिशत की सीमा के अधीन होगी। 5.2 ऋण चुकौती दायित्वों की गणना में परिवार के सभी बकाया ऋणों (संपार्श्विक-मुक्त सूक्ष्मवित्त ऋणों के साथ-साथ किसी भी अन्य प्रकार के संपार्श्विक ऋण) को ध्यान में रखा जाएगा। मासिक घरेलू आय के 50 प्रतिशत की सीमा के अंतर्गत बहिर्वाह में सभी मौजूदा ऋणों के साथ-साथ विचाराधीन ऋण के लिए पुनर्भुगतान (मूलधन के साथ-साथ ब्याज घटक भी) को शामिल किया जाएगा। 5.3 मौजूदा ऋण, जिनके लिए मासिक घरेलू आय के प्रतिशत के रूप में एक परिवार के मासिक ऋण दायित्वों की अदायगी के कारण बहिर्वाह 50 प्रतिशत की सीमा से अधिक है, को परिपक्व होने देने की अनुमति है। तथापि, ऐसे मामलों में, इन परिवारों को 50 प्रतिशत की निर्धारित सीमा का अनुपालन किए जाने तक कोई नया ऋण प्रदान नहीं किया जाएगा। 5.4 प्रत्येक आरई सीआईसी को समय पर और सटीक जानकारी प्रदान करेगा तथा ऋणग्रस्तता के स्तर का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए उनके पास उपलब्ध जानकारी का उपयोग करेगा। इसके अलावा, आरई अन्य स्रोतों जैसे कि उधारकर्ताओं से घोषणा, उनके बैंक खातों के विवरण और स्थानीय पूछताछ से भी इसका पता लगाएगा। 6. ऋणों का मूल्य निर्धारण 6.1 प्रत्येक आरई सूक्ष्मवित्त ऋणों के मूल्य निर्धारण के संबंध में एक बोर्ड-अनुमोदित नीति बनाएगा, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ निम्नलिखित शामिल होंगे:
6.2 सूक्ष्मवित्त ऋणों पर ब्याज दर और अन्य प्रभार/ शुल्क सूदखोर नहीं होने चाहिए। ये रिज़र्व बैंक द्वारा पर्यवेक्षी जांच के अधीन होंगे। 6.3 हटाया गया1 6.4 हटाया गया1 6.5 हटाया गया1 6.6 सूक्ष्मवित्त ऋणों पर कोई पूर्व भुगतान दंड नहीं होगा। विलंबित भुगतान के लिए जुर्माना, यदि कोई हो, अतिदेय राशि पर लागू होगा न कि संपूर्ण ऋण राशि पर। 6.7 प्रत्येक आरई अपने सभी कार्यालयों में सूक्ष्मवित्त ऋणों पर प्रभारित न्यूनतम, अधिकतम और औसत ब्याज दरों को अपने द्वारा जारी किए गए साहित्य (सूचना पुस्तिकाएं/ पर्चों) में और अपनी वेबसाइट पर इस संदर्भ में ब्यौरे को प्रमुखता से प्रदर्शित करेगा। इस जानकारी को पर्यवेक्षी विवरणियों में भी शामिल किया जाएगा और पर्यवेक्षी जांच के अधीन किया जाएगा। 6.8 ब्याज दर या किसी अन्य शुल्क में कोई भी परिवर्तन उधारकर्ता को अग्रिम रूप से सूचित किया जाएगा और ये परिवर्तन केवल संभावित रूप से प्रभावी होंगे। 6.9 अपने जागरूकता अभियानों के अंतर्गत, एसआरओ/अन्य उद्योग संघ एक जिले में सक्रिय अपने सदस्यों द्वारा सूक्ष्मवित्त ऋणों लिए जाने वाले ब्याज दरों की श्रेणी प्रकाशित कर सकते हैं। एसआरओ/अन्य उद्योग संघ अपने सदस्यों को सूदखोर ब्याज दर वसूलने के प्रति भी संवेदनशील बना सकते हैं। 6.10 आरबीआई भी सूक्ष्मवित्त ऋणों पर आरई द्वारा लगाए गए ब्याज के संबंध में जानकारी उपलब्ध कराएगा। 6ए. मुख्य तथ्य विवरण (केएफएस)2 6ए.1 इस पैराग्राफ के प्रयोजन हेतु परिभाषाएँ: (ए) आरई/आरई के समूह और उधारकर्ता के बीच ऋण करार के मुख्य तथ्य कानूनी रूप से महत्वपूर्ण और निर्धारणात्मक तथ्य हैं जो उधारकर्ता को एक सूचित वित्तीय निर्णय लेने में सहायता करने के लिए आवश्यक मूलभूत जानकारी पूरा करते हैं। (बी) मुख्य तथ्य विवरण (केएफएस) सरल और समझने में आसान भाषा में ऋण करार के मुख्य तथ्यों का एक विवरण है, जो उधारकर्ता को एक मानकीकृत प्रारूप में प्रदान किया जाता है। (सी) वार्षिक प्रतिशत दर (एपीआर) उधारकर्ता के लिए ऋण की वार्षिक लागत है जिसमें ब्याज दर और क्रेडिट सुविधा से जुड़े अन्य सभी शुल्क शामिल हैं। (डी) समान आवधिक किश्त (ईपीआई) पुनर्भुगतान की समान अथवा निश्चित राशि है, जिसमें मूलधन और ब्याज दोनों घटक शामिल होते हैं, जो उधारकर्ता द्वारा ऐसे अंतरालों की एक निश्चित संख्या के लिए आवधिक अंतराल पर ऋण के पुनर्भुगतान के लिए भुगतान किया जाता है; और जिसके परिणामस्वरूप ऋण का पूर्ण परिशोधन होता है। मासिक अंतराल पर ईपीआई को ईएमआई कहा जाता है। उपरोक्त में जो अन्य शब्दों और अभिव्यक्तियों को परिभाषित नहीं किया गया है, लेकिन इस पैराग्राफ में उपयोग किया गया है, उनका वही आशय होगा जो रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर अद्यतन किए गए अग्रिमों पर ब्याज दर के मास्टर निदेश (2016) अथवा जारी किसी अन्य उपयुक्त विनियमन के अंतर्गत है। 6ए.2 अनुबंध I ए में दिए गए मानकीकृत प्रारूप के अनुसार, आरई सभी संभावित उधारकर्ताओं को ऋण संविदा निष्पादित करने से पहले एक सूचित दृष्टिकोण में सहायता हेतु केएफएस प्रदान करेगी। केएफएस ऐसे उधारकर्ताओं द्वारा समझी जाने वाली भाषा में लिखा जाएगा। केएफएस की विषय-वस्तु उधारकर्ता को समझायी जाएगी और पावती प्राप्त की जाएगी कि उसने इसे समझ लिया है। 6ए.3 इसके अतिरिक्त, केएफएस को एक अद्वितीय प्रस्ताव संख्या प्रदान की जाएगी और सात दिन अथवा उससे अधिक की अवधि वाले ऋणों के लिए कम से कम तीन कार्य दिवसों की वैधता अवधि होगी और सात दिनों से कम अवधि वाले ऋणों के लिए एक कार्य दिवस की वैधता अवधि होगी। स्पष्टीकरण: वैधता अवधि से आशय आरई द्वारा केएफएस प्रदान किए जाने के उपरांत ऋण की शर्तों से सहमत होने के लिए उधारकर्ता को उपलब्ध अवधि से है। यदि वैधता अवधि के दौरान उधारकर्ता द्वारा सहमति व्यक्त की जाती है, तो आरई केएफएस में दर्शाए गए ऋण की शर्तों से बाध्य होगी। 6ए.4 केएफएस में वार्षिक प्रतिशत दर (एपीआर) की गणना शीट और ऋण अवधि के दौरान ऋण का परिशोधन कार्यक्रम भी शामिल होगा। एपीआर में वे सभी शुल्क शामिल होंगे जो आरई द्वारा लगाए जाते हैं। एपीआर की गणना और काल्पनिक ऋण के लिए पुनर्भुगतान अनुसूची के प्रकटीकरण के उदाहरण क्रमशः अनुबंध II और अनुबंध III में दिए गए हैं। 6ए.5 वास्तविक आधार पर तृतीय-पक्ष सेवा प्रदाताओं की ओर से आरई द्वारा उधारकर्ताओं से वसूले गए शुल्क, जैसे बीमा शुल्क, कानूनी शुल्क आदि भी एपीआर का हिस्सा होंगे और उनका प्रकटीकरण अलग से किया जाएगा। सभी मामलों में जहां आरई ऐसे शुल्कों की वसूली में शामिल है, उचित समय के भीतर प्रत्येक भुगतान के लिए उधारकर्ता को रसीदें और संबंधित दस्तावेज प्रदान किए जाएंगे। 6ए.6 कोई भी ऐसा शुल्क, प्रभार, आदि जिसका उल्लेख केएफएस में नहीं किया गया है, उसके लिए उधारकर्ता की स्पष्ट सहमति के बिना, ऋण की अवधि के दौरान किसी भी चरण में आरई द्वारा उधारकर्ता से शुल्क नहीं लिया जा सकता है। 6ए.7 केएफएस को ऋण करार के हिस्से के रूप में प्रदर्शित किए जाने वाले सारांश बॉक्स के रूप में भी शामिल किया जाएगा। 7. सूक्ष्मवित्त उधारकर्ताओं के प्रति आचार संबंधी दिशानिर्देश 7.1 सामान्य 7.1.1 इन निर्देशों के आधार पर सभी आरई द्वारा अपने बोर्डों द्वारा अनुमोदित एक उचित व्यवहार कोड (एफपीसी) लागू किया जाएगा। एफपीसी को उधारकर्ता द्वारा समझी जाने वाली भाषा में जारी किया जाना चाहिए। 7.1.2 सूक्ष्मवित्त ऋणों के लिए उधारकर्ता द्वारा समझी जाने वाली भाषा में ऋण समझौते का एक मानक रूप होना चाहिए। 7.1.3 प्रत्येक आरई उधारकर्ता को एक ऋण कार्ड प्रदान करेगा जिसमें निम्नलिखित शामिल होंगे:
7.1.4 ऋण कार्ड में सभी प्रविष्टियां उधारकर्ता द्वारा समझी जाने वाली भाषा में होनी चाहिए। 7.1.5 गैर-क्रेडिट उत्पादों को उधारकर्ताओं की पूर्ण सहमति से जारी किया जाएगा और ऐसे उत्पादों की शुल्क संरचना के बारे में उधारकर्ता को ऋण कार्ड में ही स्पष्ट रूप से सूचित किया जाएगा। 7.2 कर्मचारियों का प्रशिक्षण 7.2.1 प्रत्येक आरई के पास कर्मचारियों के आचरण और उनकी भर्ती, प्रशिक्षण और निगरानी के लिए प्रणाली के संबंध में बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति होगी। यह नीति, अन्य बातों के साथ-साथ, कर्मचारियों के लिए न्यूनतम योग्यता निर्धारित करेगी और ग्राहकों के प्रति व्यवहार करने के लिए आवश्यक प्रशिक्षण उपकरण शामिल करेगी। कर्मचारियों के प्रशिक्षण में ग्राहकों के प्रति उचित व्यवहार विकसित करने के लिए कार्यक्रम शामिल होंगे। ग्राहकों के प्रति कर्मचारियों का आचरण उनकी प्रतिपूर्ति मैट्रिक्स में उचित रूप से शामिल किया जाएगा। 7.2.2 फील्ड स्टाफ को घर की आय और मौजूदा कर्ज के संबंध में आवश्यक पूछताछ करने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। 7.2.3 उधारकर्ताओं को दिया जाने वाला प्रशिक्षण, यदि कोई हो, निःशुल्क होगा। 7.3 आउटसोर्स गतिविधियों के लिए जिम्मेदारियां 7.3.1 आरई द्वारा किसी भी गतिविधि की आउटसोर्सिंग उसके दायित्वों को कम नहीं करती है और इन निदेशों के अनुपालन की जिम्मेदारी पूरी तरह से आरई के ऊपर होगी। 7.3.2 आरई द्वारा ऋण समझौते में और उसके कार्यालय / शाखा परिसर / वेबसाइट में प्रदर्शित एफपीसी में यह घोषणा की जाएगी कि आरई अपने कर्मचारियों या आउटसोर्स एजेंसी के कर्मचारियों द्वारा अनुचित व्यवहार के लिए जवाबदेह होगा और समय पर शिकायत निवारण प्रदान करेगा। 7.4 ऋणों की वसूली से संबंधित दिशानिर्देश 7.4.1 प्रत्येक आरई चुकौती संबंधी कठिनाइयों का सामना कर रहे उधारकर्ताओं की पहचान करने, ऐसे उधारकर्ताओं के साथ जुड़ाव बनाने और उन्हें उपलब्ध उपाय के बारे में आवश्यक मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए एक तंत्र स्थापित करेगा। 7.4.2 ऋणों की वसूली उधारकर्ता और आरई द्वारा पारस्परिक रूप से तय किए गए निर्दिष्ट/केंद्रीय निर्दिष्ट स्थान पर की जाएगी। तथापि, यदि उधारकर्ता लगातार दो या उससे अधिक अवसरों पर निर्दिष्ट/केंद्रीय निर्दिष्ट स्थान पर उपस्थित होने में विफल रहता है, तो फील्ड स्टाफ को उधारकर्ता के निवास स्थान या कार्यस्थल पर वसूली करने की अनुमति है। 7.4.3 आरई या उनके एजेंट वसूली के लिए किसी भी कठोर तरीके का इस्तेमाल नहीं करेंगे। पूर्वगामी के सामान्य अनुप्रयोग को सीमित किए बिना, निम्नलिखित तरीकों को कठोर माना जाएगा:
7.4.4 प्रत्येक आरई के पास वसूली संबंधी शिकायतों के निवारण के लिए एक समर्पित तंत्र होगा। ऋण संवितरण के समय उधारकर्ता को इस तंत्र का विवरण प्रदान किया जाएगा। 7.5 वसूली एजेंटों की नियुक्ति 7.5.1 वसूली एजेंट का अर्थ आरई द्वारा अपने उधारकर्ताओं से देय राशि की वसूली के लिए नियुक्त एजेंसिया और इन एजेंसियों के कर्मचारी होंगे। 7.5.2 आरई के पास वसूली एजेंटों की नियुक्ति के लिए एक उचित सावधानी प्रक्रिया होगी, जो अन्य बातों के साथ-साथ वसूली प्रक्रिया में शामिल व्यक्तियों को कवर करेगी। आरई यह सुनिश्चित करेंगे कि उनके द्वारा लगाए गए वसूली एजेंट अपने कर्मचारियों के पूर्ववृत्त का सत्यापन करें, जिसमें पुलिस सत्यापन शामिल होगा। आरई उस आवधिकता को भी तय करेंगे जिस पर पूर्ववृत्तों का पुन: सत्यापन किया जाएगा। 7.5.3 उचित नोटिस और उचित प्राधिकरण सुनिश्चित करने के लिए, आरई वसूली की प्रक्रिया शुरू करने के समय उधारकर्ता को वसूली एजेंटों का विवरण प्रदान करेगा। एजेंट आरई या एजेंसी द्वारा उसे जारी किए गए पहचान पत्र के अलावा आरई से प्राप्त नोटिस और प्राधिकरण पत्र की एक प्रति भी अपने साथ रखेंगे। इसके अलावा, जहां वसूली प्रक्रिया के दौरान आरई द्वारा वसूली एजेंसी को बदल दिया जाता है, आरई द्वारा उधारकर्ता को परिवर्तन के बारे में सूचित करने के अलावा, नया एजेंट अपने साथ पहचान पत्र के अलावा नोटिस और प्राधिकरण पत्र रखेगा। 7.5.4 नोटिस और प्राधिकरण पत्र में, अन्य विवरणों के साथ, वसूली एजेंसी और आरई के संपर्क विवरण भी शामिल होंगे। 7.5.5 आरई द्वारा लगाई गई वसूली एजेंसियों के नवीनतम विवरण आरई की वेबसाइट पर भी होस्ट किए जाएंगे। 8. अर्हकारी आस्ति संबंधित मानदंड 8.1 पहले के अर्हकारी आस्ति संबंधित मानदंड3, के तहत, एक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी - माइक्रोफाइनेंस इंस्टीट्यूशन (एनबीएफसी-एमएफआई) को अपनी निवल आस्ति4 का न्यूनतम 85 प्रतिशत 'अर्हकारी आस्ति' के रूप में रखना आवश्यक है। एनबीएफसी-एमएफआई की 'अर्हकारी आस्ति' की परिभाषा को अब ऊपर के पैराग्राफ 3 में दी गई 'सूक्ष्मवित्त ऋण' की परिभाषा के साथ संरेखित किया जा रहा है। एनबीएफसी-एमएफआई के लिए सूक्ष्मवित्त ऋण संबंधी न्यूनतम आवश्यकता को भी संशोधित कर कुल संपत्ति का 75 प्रतिशत कर दिया गया है। 8.2 पहले के दिशानिर्देशों के तहत, एक एनबीएफसी जो एनबीएफसी-एमएफआई के रूप में वर्गीकृत नहीं है, वह अपनी कुल आस्ति के 10 प्रतिशत से अधिक के सूक्ष्मवित्त ऋण प्रदान नहीं कर सकता है। ऐसे एनबीएफसी (यानी, एनबीएफसी-एमएफआई के अलावा अन्य एनबीएफसी) के लिए सूक्ष्मवित्त ऋण की अधिकतम सीमा अब कुल आस्ति का 25 प्रतिशत कर दी गयी है। 9. सूक्ष्मवित्त कार्यकलापों में संलग्न ‘गैर-लाभकारी’ कंपनियों के लिए छूट 9.1 ‘गैर-लाभकारी' कंपनियों (कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 8 के तहत पंजीकृत) के लिए सूक्ष्मवित्त ऋण की परिभाषा को अब सूक्ष्मवित्त ऋण की संशोधित परिभाषा के साथ संरेखित किया गया है, अर्थात, ₹3,00,000 तक की वार्षिक घरेलू आय वाले परिवारों को संपार्श्विक-मुक्त ऋण, बशर्ते कि किसी परिवार का मासिक ऋण दायित्व मासिक घरेलू आय के 50 प्रतिशत से अधिक न हो। 9.2 माइक्रोफाइनेंस गतिविधियों में लगी उन ‘गैर-लाभकारी' कंपनियों से भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45-आईए5, 45-आईबी6 और 45-आईसी7 से दी गई छूट वापस ले ली गई है जिनकी संपत्ति का आकार ₹100 करोड़ और उससे अधिक है। 9.3 ऐसी ‘गैर-लाभकारी' कंपनियां जो ऊपर पैराग्राफ 9.2 में उल्लिखित छूट के लिए पात्र नहीं हैं, उन्हें एनबीएफसी-एमएफआई के रूप में पंजीकरण करना होगा और एनबीएफसी-एमएफआई पर लागू नियमों का पालन करना होगा। ऐसी कंपनियां इस परिपत्र के जारी होने के तीन महीनों के भीतर एनबीएफ़सी-एमएफ़आई के रूप में पंजीकरण हेतु भारतीय रिज़र्व बैंक को आवेदन प्रस्तुत करेंगी। वो कंपनियां जो वर्तमान में एनबीएफसी-एमएफआई के लिए निर्धारित नियमों का पालन नहीं करती हैं, उन्हें अपने पंजीकरण के आवेदन के साथ निर्धारित नियमों को पूरा करने के रोडमैप के साथ एक बोर्ड-अनुमोदित योजना प्रस्तुत करनी होगी। 10. निवल स्वाधिकृत निधि (एनओएफ) की आवश्यकता मौजूदा एनबीएफसी-एमएफआई 'स्केल आधारित विनियमन (एसबीआर): एनबीएफसी के लिए एक संशोधित विनियामक ढांचा' पर 22 अक्तूबर 2021 के परिपत्र के पैरा 3.1 (ए) के तहत इंगित एनओएफ ग्लाइडपाथ का पालन करेंगे जोकि नीचे दिया गया है:
अनुबंध I घरेलू आय के आकलन के लिए सांकेतिक कार्यप्रणाली 1. कम आय वाले परिवार की आय का आकलन करने के लिए, ऋणदाता निम्नलिखित मापदंडों से संबंधित जानकारी प्राप्त कर सकता है: (i) घरेलू प्रोफ़ाइल आकलन के लिए मापदंड ए) घरेलू संरचना
बी) आवास का प्रकार (स्वामित्व/किराए पर, आदि) सी) बुनियादी सुविधाओं की उपलब्धता (बिजली, पानी, शौचालय, सीवेज, एलपीजी कनेक्शन, आदि) डी) अन्य आस्तियों की उपलब्धता (भूमि, पशुधन, वाहन, फर्नीचर, स्मार्टफोन, इलेक्ट्रॉनिक आइटम, आदि) (ii) घरेलू आय आकलन के लिए मापदंड ए) आय का प्राथमिक स्रोत
बी) आय के अन्य स्रोत
सी) आय के सभी स्रोतों (प्राथमिक या सहायक) के संबंध में सभी कमाई करने वाले सदस्यों के लिए उपरोक्त आय मूल्यांकन किया जा सकता है। सभी स्रोतों से सभी सदस्यों की आय का आकलन करते समय, यह सुनिश्चित किया जाए कि आय की कोई दोहरी गणना न हो जैसे कि एक प्रवासी सदस्य की वेतन की गणना घर के लिए प्रेषित धन के रूप में भी ना की जाए। डी) हालांकि आय की गणना मासिक आधार पर की जा सकती है, पर घरेलू आय की स्थिरता का पता लगाने के लिए सभी सदस्यों और स्रोतों के आय का आकलन न्यूनतम एक वर्ष की अवधि के लिए किया जा सकता है। (iii) घरेलू व्यय आकलन के लिए मापदंड ए) नियमित मासिक व्यय (भोजन, उपयोगिताओं, परिवहन, घर / दुकान का किराया, कपड़े, नियमित चिकित्सा लागत, स्कूल / कॉलेज की फीस, आदि) बी) पिछले एक साल में अनियमित व्यय (चिकित्सा खर्च, घर का नवीनीकरण, घरेलू सामान की खरीद, समारोह आदि) 2. 1(ii) पर स्व-रिपोर्ट की गई आय की 1(i) पर घरेलू प्रोफाइल तथा 1(iii) पर घरेलू खर्च के साथ पुष्टि की जा सकती है। इसके अलावा, घरेलू आय को अन्य स्रोतों से भी सत्यापित किया जा सकता है (उधारकर्ताओं के बैंक खाते के विवरण, समूह के सदस्य, आसपास के अन्य संदर्भ, आदि)। अनुबंध II सूक्ष्मवित्त ऋणों के एपीआर की गणना पर उदाहरणात्मक तथ्यपत्र
अनुबंध III
1 दिनांक अप्रैल 15, 2024 के परिपत्र विवि.एसटीआर.आरईसी.13/13.03.00/2024-25 के तहत निरसित। 2 दिनांक अप्रैल 15, 2024 के परिपत्र विवि.एसटीआर.आरईसी.13/13.03.00/2024-25 के तहत डाला गया। 3 'अर्हकारी आस्ति' के रूप में वर्गीकृत होने के लिएएक ऋण को निम्नलिखित मानदंडों को पूरा करने की आवश्यकता होती है: (i) ग्रामीण और शहरी/अर्ध-शहरी परिवारों के लिए क्रमशः ₹1,25,000 और ₹2,00,000 तक की घरेलू वार्षिक आय वाले उधारकर्ता को दिया गया ऋण; (ii) ऋण राशि पहले चक्र में ₹75,000 और बाद के चक्रों में ₹1,25,000 से अधिक नहीं हो; (iii) उधारकर्ता की कुल ऋणग्रस्तता ₹1,25,000 से अधिक नहीं हो (शिक्षा और चिकित्सा व्यय के लिए ऋण को छोड़कर); (iv) ₹30,000 से अधिक की ऋण राशि के लिए न्यूनतम अवधि 24 महीने की हो; (v) ऋण बिना किसी पूर्व भुगतान दंड के संपार्श्विक रहित हो; (vi) ऋण की कुल राशि का न्यूनतम 50 प्रतिशत आय सृजन गतिविधियों के लिए हो; तथा (vii) उधारकर्ता के विकल्प पर चुकौती आवधिकता (साप्ताहिक, पाक्षिक या मासिक) का लचीलापन हो। 4 निवल आस्ति को नकद, बैंक शेष और मुद्रा बाजार के साधनों के अलावा कुल आस्ति के रूप में परिभाषित किया गया है। 5 45-आईए: एनबीएफसी के रूप में पंजीकरण की आवश्यकता 6 45-आईबी: जमा स्वीकार करने वाली एनबीएफसी द्वारा बकाया जमा राशि के एक निश्चित प्रतिशत का अनुमोदित प्रतिभूतियों में रखरखाव 7 45-आईसी: निवल लाभ का 20 प्रतिशत आरक्षित निधि में स्थानांतरित करना 14 जहां ऐसे प्रभार मंजूरी से पहले निर्धारित नहीं किए जा सकते, वहाँ आरई ऊपरी सीमा का संकेत दे सकते हैं 15 विस्तृत पुनर्भुगतान अनुसूची के तहत दी गई किश्तों की कुल राशि से गणना की गई पुनर्भुगतान राशि अर्थात, ₹23,280 (=970*24) की तुलना में (8) के तहत उल्लिखित ₹23,274 (₹20,000 (ऋण राशि) + ₹3,274 (ब्याज शुल्क) की राशि में अंतर, विस्तृत पुनर्भुगतान अनुसूची में ₹969.73 की किश्त राशि को ₹970 तक पूर्णांकित करने के कारण है 16 आईआरआर दृष्टिकोण और घटती शेष विधि का उपयोग करके निवल संवितरित राशि की गणना की गयी है |