मास्टर निदेश - भारतीय रिजर्व बैंक (अग्रिमों पर ब्याज दर) निदेश, 2016 (12 सितंबर 2023 तक अद्यतित) - आरबीआई - Reserve Bank of India
मास्टर निदेश - भारतीय रिजर्व बैंक (अग्रिमों पर ब्याज दर) निदेश, 2016 (12 सितंबर 2023 तक अद्यतित)
इस तिथि के अनुसार अपडेट किया गया:
- 2021-06-10
- 2020-02-26
- 2019-09-04
- 2016-03-29
- 2016-03-03
आरबीआई/डीबीआर/2015-16/20 मार्च 03, 2016 मास्टर निदेश - भारतीय रिजर्व बैंक बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 21 तथा 35(क) के द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए भारतीय रिजर्व बैंक इस बात से आश्वस्त होने पर कि ऐसा करना लोकहित में आवश्यक और लाभकारक है, एतद्वारा इसमें इसके बाद विनिर्दिष्ट निदेश जारी करता है। अध्याय – I 1. संक्षिप्त नाम और आरंभ (क) इन निदेशों को भारतीय रिज़र्व बैंक (अग्रिमों पर ब्याज दर) निदेश, 2016 कहा जाएगा। (ख) ये निदेश उस दिन से लागू होंगे, जिस दिन इन्हें भारतीय रिजर्व बैंक की वेबसाइट पर रखा जाएगा। 2. प्रयोज्यता इन निदेशों के प्रावधान प्रत्येक अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़ कर), लघु वित्त बैंक और स्थानीय क्षेत्र बैंक पर लागू होंगे1। ये निदेश भारतीय बैंकों की विदेश में शाखाओं के परिचालनों पर लागू नहीं होंगे। 3. परिभाषाएं (a) इन निदेशों में, जब तक कि संदर्भ में अन्यथा अपेक्षित न हो, इसमें शब्दों का अर्थ वही होगा, जो उन्हें नीचे प्रदान किया गया है – (i) स्वयं की जमाराशियों पर अग्रिम का अर्थ है रुपया/एफसीएनआर (बी) सावधि जमाराशियों पर प्रदान किए गए अग्रिम और जमाराशियां निम्नलिखित के नाम पर हों:
(ii) बेंचमार्क मूल उधार दर (बीपीएलआर) का अर्थ है 30 जून 2010 तक मंजूर किए गए अग्रिमों/ऋणों पर ब्याज दरों के निर्धारण के लिए प्रयुक्त आंतरिक बेंचमार्क दर। (iii) बेंचमार्क दर का अर्थ है ऋणों पर ब्याज दरों के निर्धारण के लिए प्रयुक्त संदर्भ दर। (iv) बाहरी बेंचमार्क दर का अर्थ है वह संदर्भ दर जिसमें शामिल हैं: (क) भारतीय रिजर्व बैंक की नीतिगत रेपो दर (ख) फ़ाइनेंशियल बेंचमार्क इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (एफ़बीआईएल) द्वारा प्रकाशित भारत सरकार 3-माही और 6-माही ट्रेजरी बिल का प्रतिफल (ग) एफबीआईएल द्वारा प्रकाशित कोई अन्य बेंचमार्क बाजार ब्याज दर। (v) नियत दर ऋण का अर्थ है ऐसा ऋण जिस पर ऋण की संपूर्ण अवधि के दौरान ब्याज दर स्थिर रहेगी। (vi) अस्थायी दर ऋण का अर्थ ऐसे ऋण से है जिस पर ऋण की संपूर्ण अवधि के दौरान ब्याज दर स्थिर नहीं रहती। (vii) आंतरिक बेंचमार्क दर का अर्थ है बैंक द्वारा आंतरिक रूप से निर्धारित की गई संदर्भ दर। (viii) अंतराल उधारकर्ताओं को ब्याज लगाने की आवधिकता से संबंधित है। (ix) सावधि ऋण का अर्थ है ऐसा ऋण, जिसकी चुकौती एक विनिर्दिष्ट समयावधि के बाद की जानी है। (b) यदि अन्यथा परिभाषित न किया गया हो, तो अन्य सभी अभिव्यक्तियों के अर्थ वही होंगे, जो बैंककारी विनियमन अधिनियम या भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम या अन्य किसी सांविधिक संशोधन या पुनर्अधिनियमन, यथास्थिति, में दिए गए हों, अथवा जैसा वाणिज्यिक वार्तालाप में प्रयुक्त होता हो। अध्याय – II 4. ब्याज दर का ढांचा (a) अनुसूचित वाणिज्यक बैंक इन निदेशों में विनिर्दिष्ट नियमों और शर्तों पर अग्रिमों पर ब्याज लगाएंगे। (i) अग्रिमों पर ब्याज दरों पर निदेशक बोर्ड अथवा बोर्ड की कोई अन्य समिति, जिसमें शक्तियां प्रत्यायोजित की गई हैं, के द्वारा विधिवत् अनुमोदित विस्तृत नीति होगी। (ii) धारा 13 में उल्लिखित को छोड़कर सभी अस्थिर दर वाले ऋणों की कीमत अध्याय III में दिए गए बेंचमार्क के अनुसरण में होगी। (iii) बैंकों को सभी श्रेणियों के अग्रिमों का प्रस्ताव स्थिर या अस्थिर ब्याज दरों पर देने की स्वतंत्रता होगी। (iv) जब अस्थिर दर वाले ऋण आंतरिक बेंचमार्क दर से जुड़े होते हैं, तो बैंक आंतरिक बेंचमार्क दर में कीमत –लागत अंतर के घटकों को जोड़कर अपनी वास्तविक उधार दरें निर्धारित करेंगे। (v) ऋणों के मूल्य निर्धारण के लिए प्रयुक्त संदर्भ बेंचमार्क दर ऋण संविदा के निबंधनों का एक भाग होगी। (vi) 3 वर्ष से कम अवधि के सावधि ऋण पर ब्याज दरें समान अवधि के लिए बेंचमार्क दर से कम नहीं होंगी और धारा 13 (घ) (v) में निहित निर्देशों के अनुसार होंगी। (vii) सभी अग्रिमों पर मासिक अंतरालों पर ब्याज लगाया जाएगा। बशर्ते, कृषि अग्रिम तथा किसानों को दिए जाने वाले अग्रिमों पर दिनांक 06 जून 1985 के परिपत्र ग्राआऋवि.सं.सीपीएफएस.बीसी.60/पीएस. 165-85 तथा 29 जून 1998 के परिपत्र ग्राआऋवि.सं.पीएलएफएस.बीसी.129/05.02.27/97-98 में निहित अनुदेशों के अनुसार ब्याज लगाया जाएगा। (viii) रुपया अग्रिमों पर लगाए जाने वाले ब्याज को निकटतम रुपये में पूर्णांकित किया जाएगा। (ix) कम मूल्य के ऋणों, विशेषत: वैयक्तिक ऋण तथा इसी प्रकार के अन्य ऋणों पर लगने वाला ब्याज ऋण प्रदान करने में बैंक द्वारा लगाई गई कुल लागत तथा ऐसे लेनदेनों से अपेक्षित यथोचित प्रतिलाभ के संबंध में न्यायसंगत होगा। (x) ग्रामीण तथा अर्ध-शहरी केंद्रों में एक वाणिज्यिक बैंक द्वारा दूसरे वाणिज्यिक बैंक की शाखाओं का अधिग्रहण करने के मामले में वर्तमान शाखा से अधिग्रहण करने वाली शाखा में उधार खातों का अंतरण संविदा की आपस में सहमत शर्तों पर किया जाएगा। बशर्ते, विद्यमान उधारकर्ताओं को कोई नुकसान न हो तथा वर्तमान बैंक या अधिग्रहण करने वाले बैंक के साथ बने रहने का विकल्प हो। (xi) उस बेंचमार्क से जुड़े सभी ऋणों के लिए विशेष परिपक्वता के लिए बेंचमार्क दर से नीचे कोई ऋण नहीं होगा। (b) उपर्युक्त धारा 4(क) में निहित निदेश किसी तीसरे पक्ष को एफसीएनआर(बी) जमाराशियों पर अथवा एफसीएनआर(बी) योजना के अंतर्गत जुटाए गए स्रोतों में से दिए गए रुपया अग्रिमों पर भी लागू होंगे। 5. दण्डात्मक ब्याज [******** *********]2दंडात्मक शुल्क के संबंध में, बैंक 18 अगस्त, 2023 के "उचित ऋण अभ्यास - ऋण खातों में दंडात्मक शुल्क" पर परिपत्र संख्या DoR.MCS.REC.28/01.01.001/2023-24 का संदर्भ लें। 6. आंतरिक बेंचमार्क (a) आधार दर (i) 1 जुलाई, 2010 और 31 मार्च, 2016 के बीच स्वीकृत और नवीकृत किए गए सभी अस्थिर दर रुपया ऋण की कीमत आधार दर के अनुसरण में होगी, जो इस तरह के उद्देश्यों के लिए आंतरिक बेंचमार्क होगा। (ii) आधार दर में उधार दरों के वे सभी तत्व शामिल होंगे जो सभी श्रेणियों के उधारकर्ताओं के बीच सामान्य हैं। (iii) प्रत्येक बैंक के लिए केवल एक ही आधार दर हो सकती है। (iv) बैंकों को यह स्वतंत्रता होगी कि वे निधियों की औसत लागत अथवा निधियों की सीमांत लागत अथवा अन्य किसी प्रचलित विधि के द्वारा अपनी निधियों की लागत की गणना करें, जो कि उचित और पारदर्शी होगी, बशर्ते वह सुसंगत हो और आवश्यकता पड़ने पर पर्यवेक्षीय समीक्षा/जांच के लिए उपलब्ध हो। बशर्ते, जहां एक या अधिक परिपक्वता काल की जमाराशियों के लिए कार्ड- दर का आधार लिया जाता है, वहां बैंक की जमाराशियों के आधार में चयनित परिपक्वता काल/लों की जमाराशियों का बड़ा भाग होगा। (v) बैंक तिमाही में कम-से-कम एक बार बैंक की प्रथा के अनुसार, बोर्ड या आस्ति देयता प्रबंध समिति (एएलसीओ) के अनुमोदन से आधार दर की समीक्षा करेंगे। (vi) बैंक आधार दर को निश्चित करने की तारीख से कम से कम तीन वर्षों की अवधि तक आधार दर प्रक्रिया की समीक्षा नहीं करेंगे। बशर्ते, यह उन बैंकों पर लागू नहीं होगा, जिन्होंने भारत में अपने बैंकिंग परिचालनों की शुरुआत 02 सितंबर 2013 के बाद की है। ऐसे बैंकों को भारत में अपने बैंकिंग परिचालनों की शुरुआत करने की तारीख से एक वर्ष के भीतर एक बार अपनी आधार दर प्रक्रिया की समीक्षा करने की अनुमति होगी। (b) निधियों की सीमांत लागत पर आधारित उधार दर (एमसीएलआर) (i) 1 अप्रैल 2016 से स्वीकृत और नवीनीकृत सभी अस्थिर दर रुपया ऋण निधि आधारित ऋण दरों के सीमांत लागत (एमसीएलआर) के अनुसरण में होगी, जो इस मास्टर निदेश के पैरा 7 में निहित प्रावधानों के अधीन इस उद्देश्य के लिए आंतरिक बेंचमार्क होगा । (ii) एमसीएलआर में निम्नलिखित शामिल होंगे:
(iii) निधियों की सीमांत लागत निधियों की सीमांत लागत में उधारों की सीमांत लागत तथा निवल मालियत पर प्रतिलाभ शामिल होंगे। निधियों की सीमांत लागत की गणना के लिए विस्तृत प्रक्रिया अनुबंध में दी गई है। (iv) सीआरआर पर ऋणात्मक धारण- प्रतिफल अनिवार्य सीआरआर पर ऋणात्मक धारण-प्रतिफल, जो सीआरआर शेष पर प्रतिफल शून्य होने के कारण उत्पन्न होता है, की गणना निम्नानुसार की जाएगी: अपेक्षित सीआरआर x (सीमांत लागत) / (1- सीआरआर) ऊपर (iii) में हासिल की गई निधियों की सीमांत लागत को सीआरआर पर ऋणात्मक धारण-प्रतिफल की गणना करने के लिए प्रयोग किया जाएगा। (v) परिचालन लागतें इस शीर्ष के अंतर्गत निधियां जुटाने की लागत सहित ऋण उत्पाद उपलब्ध कराने से संबंधित सभी परिचालनगत लागतों को शामिल किया जाएगा। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि जिन सेवाओं को उपलब्ध कराने की लागत सेवा-प्रभार के रूप में अलग से वसूल की जाती है, वह इस घटक का भाग नहीं है। (vi) परिपक्वता काल प्रीमियम ये लागतें दीर्घतर अवधि की ऋण प्रतिबद्धताओं के कारण उत्पन्न होती हैं। परिपक्वता काल प्रीमियम में परिवर्तन विशिष्ट उधारकर्ता या विशिष्ट ऋण-श्रेणी के लिए नहीं होना चाहिए। दूसरे शब्दों में, किसी भी अवशिष्ट अवधि के लिए परिपक्वता काल प्रीमियम सभी प्रकार के ऋणों के लिए एक समान होगा। (vii) एमसीएलआर के अवधि की अनुबंध के अनुसार की गई गणना निम्नलिखित के अनुरूप होगी:
(viii) चूंकि एमसीएलआर अवधि से जुड़ा हुआ बेंचमार्क है, इसलिए बैंक निधियों की सीमांत लागत, सीआरआर के कारण ऋणात्मक धारण- प्रतिफल तथा परिचालन लागतों के योग में समनुरूप परिपक्वता काल प्रीमियम/डिस्काउंट शामिल करके विभिन्न परिपक्वताओं के एमसीएलआर को हासिल करेंगे। (ix) तदनुसार, बैंक निम्नलिखित परिपक्वताओं के लिए आंतरिक बेंचमार्क प्रकाशित करेंगे:
उपर्युक्त के अतिरिक्त, बैंकों के पास अन्य किसी दीर्घतर परिपक्वता के लिए एमसीएलआर के प्रकाशन का विकल्प होगा। (ix) एमसीएलआर की समीक्षा (a) बैंक अपने बोर्ड अथवा किसी अन्य समिति, जिसमें शक्तियों का प्रत्यायोजन किया गया है, के अनुमोदन से प्रत्येक माह में एक पूर्व-घोषित तारीख को विभिन्न परिपक्वताओं के लिए अपनी निधियों की सीमांत लागत पर आधारित उधार दर (एमसीएलआर) की समीक्षा और प्रकाशन करेंगे। (b) जिन बैंकों के पास मासिक आधार पर एमसीएलआर की समीक्षा करने के लिए समुचित प्रणालियां नहीं हैं, वे पहले एक वर्ष के लिए, अर्थात् 31 मार्च 2017 तक प्रत्येक तिमाही में एक बार पूर्व-घोषित तारीख को एमसीएलआर की समीक्षा करेंगे। बशर्ते, ऐसे बैंक ऊपर धारा 6 (ख)(ix)(क) में बताए अनुसार एमसीएलआर की मासिक समीक्षा को अपनाएंगे। 7. बाह्य बेंचमार्क (क) 01 अक्टूबर 2019 से बैंकों द्वारा विस्तारित सभी नए फ्लोटिंग दर व्यक्तिगत या खुदरा ऋण (आवास, ऑटो, आदि) और सूक्ष्म और लघु एंटरप्राइजेज को विस्तारित फ्लोटिंग दर ऋण तथा 01 अप्रैल 2020 से बैंकों द्वारा मध्यम उद्यमों को विस्तारित फ्लोटिंग दर ऋण निम्न में से एक पर बेंचमार्क किए जाएंगे: - भारतीय रिजर्व बैंक की नीति रेपो दर - फ़ाइनेंशियल बेंचमार्क इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (एफ़बीआईएल) द्वारा प्रकाशित भारत सरकार 3-माही (त्रैमासिक) ट्रेजरी बिल का प्रतिफल - एफ़बीआईएल द्वारा प्रकाशित भारत सरकार 6-माही (छमाही) ट्रेजरी बिल का प्रतिफल - एफबीआईएल द्वारा प्रकाशित कोई अन्य बेंचमार्क बाजार ब्याज दर। (ख) बैंक अन्य प्रकार के उधारकर्ताओं को भी ऐसे बाहरी बेंचमार्क से जुड़े ऋण का प्रस्ताव देने के लिए स्वतंत्र हैं। (ग) ऋण उत्पादों की पारदर्शिता, मानकीकरण और उधारकर्ताओं द्वारा इसकी आसानी से समझ सुनिश्चित करने के लिए, बैंक को एक ऋण श्रेणी के लिए एक समान बाहरी बेंचमार्क अपनाना चाहिए; दूसरे शब्दों में, एक बैंक द्वारा एक ही ऋण श्रेणी के भीतर एक से अधिक बेंचमार्क अपनाने की अनुमति नहीं है। अध्याय – IV 8. कीमत-लागत अंतर (स्प्रैड) (a) बैंकों के पास किसी ग्राहक को लगाए गए स्प्रैड प्रभार के घटकों का निरूपण करते हुए एक बोर्ड अनुमोदित नीति होनी चाहिए। इस नीति में निम्नलिखित के लिए सिद्धान्त शामिल होने चाहिए:
(b) आधार दर प्रणाली के अंतर्गत स्प्रैड इन निदेशों की धारा 8 (क) में निर्धारित शर्तों के अतिरिक्त बैंक निम्नलिखित शर्तों का पालन करेंगे: (i) ग्राहक की ऋण जोखिम प्रोफाइल में गिरावट अथवा परिपक्वता काल प्रीमियम में परिवर्तन के कारणों को छोड़ कर किसी विद्यमान उधारकर्ता को लगाए गए ऋण जोखिम प्रीमियम में वृद्धि नहीं की जानी चाहिए। बशर्ते, ऊपर उप-धारा 8(ख)(i) में निहित शर्त संघीय/ बहु-बैंकिंग व्यवस्था के अंतर्गत ऋणों पर लागू नहीं होगी। (ii) आधार दर प्रणाली के अंतर्गत मंजूर किए गए ऋणों पर परिपक्वता काल प्रीमियम में परिवर्तन विशिष्ट उधारकर्ता या विशिष्ट ऋण-श्रेणी के लिए नहीं होगा। दूसरे शब्दों में, किसी भी अवशिष्ट अवधि के लिए परिपक्वता काल प्रीमियम में परिवर्तन सभी प्रकार के ऋणों के लिए एक समान होगा। बशर्ते, बीपीएलआर प्रणाली के अंतर्गत प्रदत्त ऋण, जो आज तक जारी हैं, पर ऊपर उल्लिखित स्प्रैड दिशानिर्देश लागू नहीं होंगे। ऐसे कर्ज ऋण करारों की शर्तों के अधीन शामिल होंगे। (c) एमसीएलआर प्रणाली के अंतर्गत स्प्रैड इन निदेशों की धारा 8 (क) में निर्धारित शर्तों के अतिरिक्त बैंक स्प्रैड के निम्नलिखित मुख्य घटकों को अपनाएंगे: (i) कारोबारी रणनीति कारोबारी रणनीति, बाज़ार प्रतिस्पर्धा, ऋण-उत्पाद में सन्निहित विकल्प, ऋण की बाजार में तरलता आदि को ध्यान में रखते हुए इस घटक को निर्धारित किया जाएगा। (ii) ऋण जोखिम प्रीमियम ग्राहक से संबंध, अपेक्षित हानियाँ, संपार्श्विक आदि को विचार में लेने के बाद तथा समुचित ऋण जोखिम रेटिंग / स्कोरिंग मॉडल के आधार पर ग्राहक को प्रभारित ऋण जोखिम प्रीमियम, जो मंजूर किए गए ऋण से उत्पन्न चूक जोखिम दर्शाता है, को हासिल किया जाएगा। (d) ग्राहक की ऋण जोखिम प्रोफाइल में गिरावट के कारण को छोड़ कर किसी विद्यमान उधारकर्ता को प्रभारित स्प्रैड में वृद्धि नहीं की जाएगी। ऋण जोखिम प्रोफाइल में परिवर्तन के कारण स्प्रैड में परिवर्तन के संबंध में ऐसा कोई भी निर्णय ग्राहक की संपूर्ण जोखिम प्रोफाइल समीक्षा के द्वारा समर्थित होगा। बशर्ते, ऊपर उप-धारा 8(घ)(i) में निहित शर्त सहायता संघीय/ बहु-बैंकिंग व्यवस्था के अंतर्गत ऋणों पर लागू नहीं होगी। (e) बाहरी बेंचमार्क के अंतर्गत कीमत-लागत अंतर (स्प्रेड) बैंक बाहरी बेंचमार्क पर कीमत-लागत अंतर के निर्धारण के लिए स्वतंत्र हैं। हालांकि, ऋण जोखिम प्रीमियम केवल तभी बदल सकता है जब उधारकर्ता के ऋण मूल्यांकन में काफी परिवर्तन हुआ हो, जैसी कि ऋण अनुबंध में सहमति बनी हो। साथ ही, परिचालन लागत सहित कीमत-लागत अंतर के अन्य घटकों को तीन वर्षों में एक बार बदला जा सकता है। 9.(i) एमसीएलआर प्रणाली के अंतर्गत ब्याज दरों का पुनर्निर्धारण (a) बैंक चाहें तो अपने अस्थिर दर वाले ऋणों की ब्याज पुनर्निर्धारण तारीखों को विनिर्दिष्ट करेंगे। बैंकों के पास यह विकल्प होगा कि वे पुनर्निर्धारण की तारीख से जुड़े ऋणों को ऋण / ऋण सीमाएं के प्रथम संवितरण की तारीख से अथवा एमसीएलआर की समीक्षा की तारीख से प्रस्तावित करें। (b) ऋण के प्रथम संवितरण, चाहे आंशिक हो या पूर्ण, की तारीख को प्रचलित निधियों की सीमांत लागत पर आधारित उधार दर (एमसीएलआर) अगली पुनर्निर्धारण की तारीख तक, इस दौरान बेंचमार्क में हुए परिवर्तनों पर ध्यान न देते हुए लागू रहेगी। आगामी पुनर्निर्धारण तारीखें तदनुसार निर्धारित की जाएंगी। (c) पुनर्निर्धारण की आवधिकता एक वर्ष या उससे कम होगी। पुनर्निर्धारण की सही आवधिकता ऋण संविदा के निबंधनों का ही एक भाग होगा। (d) एमसीएलआर के तहत पुन: निर्धारण की आवधिकता एमसीएलआर के उस अवधि/ परिपक्वता के अनुरूप होगी, जिसमें ऋण जुड़ा हुआ है। 9.(ii) बाहरी बेंचमार्क के अंतर्गत ब्याज दरों का पुनर्निर्धारण बाहरी बेंचमार्क के अंतर्गत ब्याज दर तीन महीने में कम से कम एक बार पुनर्निर्धारित की जाएगी। 10. बीपीएलआर से आधार दर में परिवर्तन बीपीएलआर प्रणाली पर आधारित विद्यमान ऋण उनकी परिपक्वता तक जारी रहेंगे। बशर्ते, यदि वर्तमान उधारकर्ता वर्तमान संविदा की समाप्ति से पहले नई आधार दर प्रणाली अपनाना चाहें तो परस्पर सहमत शर्तों पर उन्हें यह विकल्प प्रदान किया जाएगा। बशर्ते यह भी, कि इस बदलाव के लिए कोई शुल्क नहीं लगाया जाएगा। 11.(i) आधार दर/बीपीएलआर से एमसीएलआर में परिवर्तन (a) बैंक अब तक की तरह आधार दर की समीक्षा और प्रकाशन करना जारी रखेंगे। (b) आधार दर/बीपीएलआर से जुड़े हुए वर्तमान ऋण तथा ऋण सीमाएं चुकौती या नवीकरण, जैसा भी मामला हो, तक जारी रहेंगे। बशर्ते, विद्यमान उधारकर्ताओं के पास परस्पर स्वीकार्य शर्तों पर निधियों की सीमांत लागत पर आधारित उधार दर (एमसीएलआर) से जुड़े ऋण में परिवर्तन करने का विकल्प होगा। बशर्ते, इस अंतरण/परिवर्तन को वर्तमान सुविधा का पुरोबंध (फोरक्लोज़र) नहीं माना जाएगा। 11.(ii) एमसीएलआर/ आधार दर/ बीपीएलआर से बाहरी बेंचमार्क की ओर बढ़ना एमसीएलआर/आधार दर/बीपीएलआर से जुड़ी मौजूदा ऋण और क्रेडिट सीमाएँ पुनर्भुगतान या नवीनीकरण तक जारी रहेंगी, जैसा भी मामला हो। बशर्ते कि जो उधारकर्ता स्वीकृत अस्थिर दर मीयादी ऋण को वर्तमान दिशा-निर्देशों के अनुरूप अवधि-पूर्व भुगतान शुल्क के बिना फ्लोटिंग रेट लोन लेने के लिए पात्र हैं, उचित प्रशासनिक/ कानूनी लागत को छोड़कर अन्य किसी प्रभार/ शुल्क के बिना बाहरी बेंचमार्क में स्विचओवर के लिए पात्र होंगे। बाहरी बेंचमार्क में स्विचओवर के बाद इस श्रेणी के उधारकर्ताओं के लिए प्रभारित अंतिम दर, ऋण के आरंभ होते समय उसी श्रेणी,प्रकार, अवधि और राशि के नए ऋण के लिए प्रभारित दर के समान होगी। बशर्ते कि अन्य मौजूदा उधारकर्ताओं के पास पारस्परिक रूप से स्वीकार्य शर्तों पर बाहरी बेंचमार्क में जाने का विकल्प होगा। बशर्ते कि स्विच-ओवर को मौजूदा सुविधा की अवधि-पूर्व समाप्ति (फोरक्लोज़र) के रूप में नहीं माना जाएगा। अध्याय – V 12. विदेशी मुद्रा में अग्रिमों पर ब्याज दरें (a) बैंकों को अपने निदेशक बोर्ड या बोर्ड की किसी समिति, जिसे शक्तियां प्रत्यायोजित की गई हैं, के द्वारा विधिवत् अनुमोदित अग्रिमों पर ब्याज दरों पर समग्र नीति के अनुसार विदेशी मुद्रा में अग्रिमों पर ब्याज दरों का निर्धारण करने की स्वतंत्रता होगी। (b) बाजार द्वारा निर्धारित बाह्य बेंचमार्क के संदर्भ में ब्याज दरों का निर्धारण किया जाएगा। (c) बाह्य बेंचमार्क में स्प्रैड के घटकों को जोड़ कर वास्तविक उधार दरों का निर्धारण किया जाएगा। अध्याय – VI 13. छूटें निम्नलिखित प्रकार के ऋणों को इस निदेश के अध्याय III और IV में निहित प्रावधानों से छूट दी जाएगी: (क) भारत सरकार द्वारा विशेष रूप से बनाई गई योजनाओं में शामिल ऋण, जहां बैंकों को योजना के अनुसार ही ब्याज दरें लगानी पड़ती हैं। (ख) परिशोधन/पुनर्रचना पैकेज के एक भाग के रूप में प्रदत्त कार्यशील पूंजी मीयादी ऋण (डब्ल्यूसीटीएल), निधिक ब्याज मीयादी ऋण (एफआईटीएल)। (ग) भारत सरकार अथवा किसी सरकारी उपक्रम के द्वारा बनाई गई विभिन्न पुनर्वित्त योजनाओं के अंतर्गत प्रदत्त ऋण, जहां बैंक पुनर्वित्त की उपलब्धता की सीमा तक योजनाओं के अंतर्गत निर्धारित दर पर ही ब्याज लगाते हैं। पुनर्वित्त के अंतर्गत नहीं आने वाले अंश पर प्रभारित ब्याज दर के संबंध में आधार दर/ एमसीएलआर दिशानिर्देशों का पालन किया जाएगा। (घ) ऋण की निम्नलिखित श्रेणी : (i) बैंक के जमाकर्ताओं को उनकी स्वयं की जमाराशियों की जमानत पर ऋण (ii) सेवानिवृत्त कर्मचारियों सहित बैंक के अपने कर्मचारियों को ऋण (iii) मुख्य कार्यकारी अधिकारी/ पूर्ण-कालिक निदेशकों को प्रदान किए गए अग्रिम (iv) बाजार द्वारा निर्धारित बाह्य बेंचमार्क से जुड़े ऋण बशर्ते, 01 अप्रैल 2016 से पूर्व स्वीकृत किए गए बाह्य बेंचमार्क पर आधारित अस्थिर दर वाले ऋणों की मंजूरी या नवीकरण करते समय वे आधार दर के समान या उससे ऊपर होने चाहिए। (v) तीन वर्ष से अधिक अवधि वाले नियत दर पर ऋण। बशर्ते, मिश्र ऋणों के मामले में, जहां ब्याज दरें अंशतः स्थिर हैं, और अंशतः अस्थिर, वहाँ अस्थिर दर वाले भाग की ब्याज दरों के लिए एमसीएलआर प्रणाली का पालन किए जाने से छूट नहीं होगी। बशर्ते यह भी कि तीन वर्ष की अवधि तक के नियत दर वाले ऋणों (मिश्र ऋणों के नियत दर वाले भाग सहित) के लिए ब्याज दर निम्नलिखित के योग से कम नहीं होगी:
बशर्ते, यह भी कि 01 अप्रैल 2016 से पूर्व स्वीकृत किए गए नियत दर ऋण मंजूरी या नवीकरण करते समय आधार दर से कम/नीचे नहीं होने चाहिए। अनुबंध
टिप्पणी: बैंकों के पास जिस दिन एमसीएलआर प्रभावी होगा, उससे पूर्व, किसी भी दिन जमाराशियों और अन्य उधारों के बकाया शेषों को गणना में लेने का विकल्प होगा, जो सात कैलेंडर दिनों से अधिक नहीं होंगे। अध्याय – VII 14. इन निदेशों को जारी करने के साथ ही, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी किए गए निम्नलिखित परिपत्रों में निहित अनुदेश/दिशानिर्देश निरस्त हो गए हैं:
15. उपर्युक्त परिपत्रों के अंतर्गत दिए गए सभी अनुमोदन/ अभिस्वीकृतियां इन निदेशों के अंतर्गत प्रदान किए गए माना जाएगा। 16. इन निदेशों के जारी किए जाने से पूर्व बैंकों द्वारा उपर्युक्त परिपत्रों में निहित दिशानिर्देशों (बीपीएलआर दिशानिर्देशों सहित) के आधार पर की गई ऋण संविदाओं को इन निदेशों के अंतर्गत कवर किया माना जाएगा। 1वाक्य के अंत में दर्शाए गए शब्दों “जिसे भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा भारत में परिचालन करने का लाइसेन्स प्रदान किया गया है” को हटाया गया है। 218 अगस्त, 2023 के संशोधन द्वारा दंडात्मक ब्याज पर पारा हटा दिया गया है। |