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संशोधित सामान्‍य क्रेडिट कार्ड (जीसीसी) योजना

आरबीआई/ 2013-14/389
ग्राआऋवि.एमएसएमई एण्‍ड एनएफएस.बीसी. सं. 61 /06.02.31/2013-14

2 दिसंबर 2013

अध्‍यक्ष / प्रबंध निदेशक / मुख्‍य कार्यपालक अधिकारी
सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों सहित )

महोदय / महोदया,

संशोधित सामान्‍य क्रेडिट कार्ड (जीसीसी) योजना

कृपया आप सामान्‍य क्रेडिट कार्ड (जीसीसी) योजना पर 27 दिसंबर 2005 और 6 मई 2008 के हमारे परिपत्र क्रमश: ग्राआऋवि. केका. सं. आरआरबी. बीसी. 59/ 03.05.33(एफ)/ 2005-06 और ग्राआऋवि.केका.प्‍लान.बीसी.सं. 66/ 04.09.01/ 2007-08 देखें।

2. मई – जुलाई 2013 के दौरान बैंकों के साथ हुई वित्‍तीय समावेशन प्‍लान (एफआइपी) समीक्षा बैठकों के दौरान यह देखा गया कि बैंकों द्वारा जीसीसी के अंतर्गत सूचित डाटा में व्‍यक्तियों को दिया गया उद्यमी ऋण दर्शाया नहीं जा रहा है। प्राथमिकताप्राप्‍त क्षेत्र संबंधी समग्र दिशानिर्देशों के भीतर समस्‍त उत्‍पादक गतिविधियों के लिए अधिकाधिक क्रेडिट सहबद्धता सुनिश्चित करने हेतु जीसीसी की व्‍याप्ति को बढ़ाने और बैंकों द्वारा गैर कृषि उद्यमी गतिविधियों के लिए व्‍यक्तियों को दिए जानेवाले समस्‍त ऋण की जानकारी पाने की दृष्टि से जीसीसी दिशानिर्देश संशोधित किए जा रहे हैं। संशोधित योजना अनुबंध में दी गई है।

3. आपको यह भी सूचित किया जाता है कि मौजूदा अन्‍य क्रेडिट कार्ड (उदाहरण के लिए काश्‍तकार क्रेडिट कार्ड, लघु उद्यमी कार्ड, स्‍वरोजगार क्रेडिट कार्ड और बुनकर कार्ड आदि) जिसके द्वारा व्‍यक्तियों की गैर कृषि उद्यमी क्रेडिट आवश्‍यकताओं की पूर्ति की जाती हो को वित्‍तीय समावेशन प्‍लान (एफआइपी) के अंतर्गत सामान्‍य क्रेडिट कार्डों के माध्‍यम से दिए गए क्रेडिट की रिपोर्टिंग में शामिल किया जाना चाहिए। चूंकि जीसीसी का उद्देश्य समस्‍त उद्यमी ऋण को शामिल करना है, अत: व्‍यक्तियों को दिए जानेवाले खपत ऋण की रिपोर्टिंग जीसीसी के अंतर्गत न की जाए।

4. जीसीसी कार्ड जारी करने से बैंकों पर अपने ग्राहकों को उनकी उपभोक्‍ता जरुरतों के लिए किसी अन्‍य प्रकार का कार्ड जारी करने पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा। बैंकों द्वारा दिये जानेवाले खपत ऋण की रिपोर्टिंग भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित एफआईपी रिपोर्टिंग फार्मेट में ओवरड्राफ्ट / खपत ऋण शीर्ष के अंतर्गत अलग से की जानी है।

5. ये दिशानिर्देश दिसंबर 2005 और मई 2008 में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी जीसीसी दिशानिर्देशों के स्‍थान पर होंगे। उक्‍त संशोधन व्‍यक्तियों, विशेष रूप से छोटे साधनवाले (स्माल मीन्स) ऋणकर्ताओं को अधिकाधिक उद्यमी ऋण प्राप्‍त होना सुनिश्चित करने के लिए किया गया है।

6. सभी बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे उक्‍त संशोधित सामान्‍य क्रेडिट कार्ड योजना (जीसीसी) को तत्‍काल कार्यान्वित करें तथा हमें उसकी सूचना दें।

भवदीया

( माधवी शर्मा )
मुख्‍य महाप्रबंधक

अनुलग्‍नक : यथोक्‍त


अनुबंध

1 . उद्देश्य

इसका उद्देश्य सामान्य क्रेडिट कार्ड (जीसीसी) के माध्यम से व्यक्तियों को गैर कृषि क्षेत्र में उद्यमशीलता की गतिविधि के लिए दिए जानेवाले ऋण के प्रवाह को बढ़ाना है।

2 . पात्रता

व्यक्तियों को दिए जानेवाले ऐसे सभी गैर कृषि उद्यमी ऋण जो कि प्राथमिकता क्षेत्र दिशानिर्देशों के तहत वर्गीकरण के लिए पात्र हैं।

3 . व्याप्ति

योजना में पूरे देश को शामिल किया गया है।

4 . वित्तीय सहायता का स्वरूप

उक्त योजना के तहत दी जानेवाली किसी भी ऋण सुविधा में उद्यमियों की कार्यशील पूंजी और मीयादी ऋण आवश्यकताएं दोनों शामिल होंगे। जीसीसी, अधिमानतः, एक स्मार्ट कार्ड/ डेबिट कार्ड (एटीएम / हाथ में धारित स्वाइप मशीन में इस्तेमाल के लिए संगत और उद्यमियों की पहचान, आस्ति और क्रेडिट प्रोफाइल आदि की पर्याप्त जानकारी के भंडारण के लिए सक्षम बायोमैट्रिक स्मार्ट कार्ड) के रूप में जारी किया जा सकता है। जहाँ कहीं भी खाते डिजीटल नहीं किए जाते हैं, वहां जीसीसी कुछ समय के लिए एक कार्ड /  पास- बुक या धारक का नाम, पता, फोटोग्राफ, उधार सीमा का विवरण, वैधता अवधि आदि युक्त एक क्रेडिट कार्ड-व-पास बुक के रूप में जारी किया जा सकता है जिसे एक पहचान पत्र के रूप में तथा निरंतर आधार पर लेनदेन की रिकॉर्डिंग की सुविधा दोनों हेतु काम में लाया जा सकेगा।

5 . क्रेडिट सीमा की मात्रा

जहां तक ऋण गैर कृषि उद्यमशीलता की गतिविधि के प्रयोजन के लिए है और वह अन्यथा प्राथमिकता क्षेत्र के रूप में वर्गीकरण के लिए पात्र हो तो ऋण राशि पर कोई उच्चतम सीमा नहीं होगी। उक्त सीमा मामलावार आधार पर जोखिम मूल्यांकन आधारित रूप में निर्धारित की जानी चाहिए।

6 . सुरक्षा

सुरक्षा मानदंड माइक्रो और लघु इकाइयों के लिए दिए जानेवाले संपार्श्विक मुक्त ऋण पर रिजर्व बैंक द्वारा समय -समय पर जारी दिशानिर्देशों के अनुसार लागू होंगे।

7 . ब्याज की दर

रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों पर समय समय पर जारी दिशानिर्देशों के भीतर बैंकों द्वारा अपनी बोर्ड अनुमोदित नीतियों के अनुसार निर्धारित की जानी हैं।

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