प्राथमिक शहरी सहकारी बैंकों के लिए प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को उधार देने से संबंधित संशोधित दिशानिर्देश - आरबीआई - Reserve Bank of India
प्राथमिक शहरी सहकारी बैंकों के लिए प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को उधार देने से संबंधित संशोधित दिशानिर्देश
आरबीआई/2017-18/175 10 मई 2018 मुख्य कार्यपालक अधिकारी महदेया/महोदय, प्राथमिक शहरी सहकारी बैंकों के लिए प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को उधार देने से संबंधित संशोधित दिशानिर्देश कृपया उपर्युक्त विषय पर दिनांक 08 अक्तूबर 2013 के हमारे परिपत्र शसबैं.केंका.बीपीडी(पीसीबी).एमसी सं.18/09.09.001/2013-14 तथा समय-समय पर उसमें हुए संशोधन तथा उनको समेकित करते हुए जारी 01 जुलाई 2015 के मास्टर परिपत्र. डीसीबीआर.बीपीडी.(पीसीबी).एमसी.सं:11/09.09.001/2015-16 का अवलोकन करें। मौजूदा दिशानिर्देशों की समीक्षा की गई है और यह निर्णय लिया गया है कि उपर्युक्त मास्टर परिपत्र में उल्लिखित दिशानिर्देशों को अधिक्रमित करते हुए संशोधित दिशानिर्देश (अनुबंध-। के अनुसार) जारी किए जाएँ। 2. संशोधित दिशानिर्देशों की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:
3. संशोधित दिशानिर्देश इस परिपत्र की तारीख से लागू होंगे। इस परिपत्र की तारीख से पहले जारी किए गए दिशानिर्देशों के तहत मंजूर किए गए प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र ऋण उनकी परिपक्वता अवधि / नवीकरण तक प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र के रूप में वर्गीकृत रहेंगे। 4. प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र के लक्ष्यों की प्राप्ति प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र के लक्ष्यों की प्राप्ति को विभिन्न उद्देश्यों के लिए नियामक मंजूरी / अनुमोदन प्रदान करते समय ध्यान में रखा जाएगा। दिनांक 01 अप्रैल 2018 से शहरी सहकारी बैंकों को वित्तीय दृष्टि से सुदृढ़ और सुव्यवस्थित बैंकों (एफएसडबल्यूएम) के रूप में वर्गीकृत करते समय प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र के लक्ष्यों की प्राप्ति को एक मानदंड के रूप में शामिल किया जाएगा। यह मानदंड दिनांक 13 अक्तूबर 2014 के हमारे परिपत्र शबैंवि.केंका.बीपीडी(पीसीबी)परिसं.20/07.01.000/2014-15 और 28 जनवरी 2015 में परिपत्र डीसीबीआर.केंका.एलएस.(पीसीबी).परि.सं.4/07.01.000/2014-15 में जारी किए गए मानदंडों के अतिरिक्त होगा। वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए, प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र के लक्ष्य / उप-लक्ष्य की प्राप्ति में हो रही कमी का मूल्यांकन 31 मार्च, 2018 की स्थिति के आधार पर किया जाएगा। वित्तीय वर्ष 2019-20 एवं तत्पश्चात, वित्तीय वर्ष के अंत में प्राप्त लक्ष्य का आकलन प्रत्येक तिमाही के अंत में प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र के लक्ष्य / उप-लक्ष्य की प्राप्ति के औसत के आधार पर किया जाएगा। इसे सोदाहरण अनुबंध-2 में दिया गया है। भवदीय, (नीरज निगम) संलग्नक : अनुबंध । एवं ।। प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के लिए उधार – लक्ष्य और वर्गीकरण I. प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत श्रेणियां (i) कृषि (ii) माइक्रो (सूक्ष्म), लघु और मध्यम उद्यम (iii) निर्यात ऋण (iv) शिक्षा (v) आवास (vi) सामाजिक बुनियादी संरचना (vii) नवीकरणीय ऊर्जा (viii) अन्य उपर्युक्त श्रेणियों के अंतर्गत पात्र गतिविधियों के ब्योरे पैरा III में निर्दिष्ट किए गए हैं। II. प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के लिए लक्ष्य / उप-लक्ष्य (i) शहरी सहकारी बैंकों के लिए प्राथमिकता- प्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत निर्धारित लक्ष्य और उप-लक्ष्य नीचे दिए गए हैं। वेतन अर्जक बैंकों के लिए प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र उधार से संबंधित अनुदेश लागू नहीं हैं।
(ii) प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के लक्ष्यों/उप-लक्ष्यों की प्राप्ति की गणना पूर्ववर्ती वर्ष के 31 मार्च की स्थिति के अनुसार एएनबीसी अथवा तुलन-पत्र से इतर एक्सपोजर की सममूल्य ऋण राशि, इनमें से जो भी अधिक हो, के आधार पर की जाएगी। प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार के प्रयोजन से, एएनबीसी से आशय है कुल ऋण व अग्रिम माइनस रिज़र्व बैंक और अन्य अनुमोदित वित्तीय संस्थाओं के पास री-डिस्काऊंट कराए गए बिल प्लस परिपक्वता तक धारित (एचटीएम) श्रेणी के अंतर्गत अनुमत गैर-एसएलआर बांडों में 30 अगस्त 2007 के बाद किए गए निवेश। तुलनपत्र से इतर एक्सपोजरों के सममूल्य ऋण राशि की गणना के लिए बैंक वर्तमान एक्सपोज़र विधि को अपनाएं। अंतर बैंक एक्सपोज़र जिसमें अंतरबैंक तुलन पत्र से इतर एक्सपोज़र भी शामिल है, को प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र के लक्ष्यों/उप-लक्ष्यों के प्रयोजन से दिए गए ऋण में शामिल नहीं माना जाएगा। (iii) बैंक एएनबीसी से प्रावधान, उपचित ब्याज, आदि जैसी किसी भी राशि को न घटाएं/न निवल करें। (iv) वृद्धिशील एफसीएनआर(बी)/एनआरई जमाराशियों के विरुद्ध भारत में प्रदत्त अग्रिम, जो रिज़र्व बैंक के 11 जून 2014 के परिपत्र शबैंवि.बीपडी.(पीसीबी).परि.सं.72/13.01.000/2013-14 के साथ पठित 27 अगस्त 2013 के परिपत्र शबैंवि.बीपडी.(पीसीबी).परि.सं.5/13.01.000/2013-14 के अंतर्गत सीआरआर/एसएलआर अपेक्षाओं से छूट के पात्र हैं, चुकौती किए जाने तक प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को उधार के लक्ष्य की गणना के लिए एएनबीसी से बाहर रखे जाएंगे। III. प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत पात्र श्रेणियों का विवरण 1. कृषि प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कृषि के बीच के मौजूदा अंतर को समाप्त जाता है। इसके बजाय कृषि क्षेत्र को उधार को पुन: परिभाषित किया गया है ताकि उसमें (i) कृषि ऋण (जिसमें अल्पावधि फसल ऋण, और किसानों को मध्यावधि / दीर्घावधि ऋण शामिल होगा) (ii) कृषि बुनियादी संरचना और (iii) अधीनस्थ गतिविधियों को शामिल किया जा सके। तीनों उप-श्रेणियों के अंतर्गत पात्र क्रियाकलापों की सूची नीचे दी गई है:
नोट: छोटे और सीमांत किसानों में निम्नलिखित शामिल होंगे :-
2. सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) 2.1 सूक्ष्म (माइक्रो), लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय द्वारा 29 सितम्बर 2006 के एस.ओ.1642(ई) द्वारा अधिसूचित अनुसार विनिर्माण / सेवा उद्यम के लिए संयंत्र और मशीनरी/उपकरणों में निवेश की सीमाएं निम्नानुसार हैं:
विनिर्माण और सेवा दोनों क्षेत्रों के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को दिए जानेवाले बैंक ऋण प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत निम्नानुसार वर्गीकृत किए जाने के पात्र होंगे। 2.2 विनिर्माण उद्यम उद्योग (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1951 की प्रथम अनुसूची में निर्दिष्ट और सरकार द्वारा समय-समय पर अधिसूचित किसी उद्योग के लिए विनिर्माण या वस्तुओं के उत्पादन में लगी सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम संस्थाएं। विनिर्माण उद्यम को संयंत्र और मशीनरी में निवेश के अनुसार परिभाषित किया गया है। 2.3 सेवा उद्यम एमएसएमईडी अधिनियम, 2006 के अंतर्गत उपकरणों में निवेश के अनुसार परिभाषित और सेवाएं उपलब्ध कराने या प्रदान करने में लगे सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को बैंक ऋण। 2.4 खादी और ग्राम उद्योग क्षेत्र (केवीआई) खादी और ग्राम उद्योग (केवीआई) क्षेत्र की इकाइयों को दिए गए सभी ऋण प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत सूक्ष्म उद्योगों हेतु नियत 7.5 प्रतिशत के उप-लक्ष्य के अंतर्गत वर्गीकरण के लिए पात्र होंगे। 2.5 एमएसएमई को अन्य वित्त (i) दश्तकारों, ग्राम और कुटीर उद्योगों को निविष्टियों की आपूर्ति और उनके उत्पादन के विपणन हेतु विकेंद्रीकृत सेक्टर को सहायता प्रदान करने में निहित संस्थाओं को ऋण। “संस्था” शब्द में ऐसी संस्थाएं शामिल नहीं हैं जिन्हें आरबीआई के दिशानिर्देशों / इन बैंकों के कार्यसंचालन को नियंत्रित करने वाले कानूनी ढ़ांचे के तहत ऋण देने की अनुमति नहीं है। (ii) प्रधान मंत्री जन-धन योजना(पीएमजेडीवाई) खातों के अंतर्गत बैंकों द्वारा दिनांक 08 अप्रैल 2015 के बाद प्रदत्त ₹ 5000/ - तक के ओवरड्राफ्ट, बशर्ते उधारकर्ता की घरेलू वार्षिक आय ग्रामीण क्षेत्रों में ₹ 100,000/- और गैर ग्रामीण क्षेत्रों में ₹ 1,60,000/- से अधिक न हो। यह ओवरड्राफ्ट सूक्ष्म उद्यमों को दिए जाने वाले उधार के लक्ष्य की पूर्ति हेतु पात्र होंगे। 2.6 यह सुनिश्चित करने के लिए कि एमएसएमई केवल प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के लिए पात्र बने रहने हेतु लघु और मध्यम उद्यम इकाई न बने रहे, एमएसएमई यूनिट को संबंधित एमएसएमई श्रेणी से अधिक विकसित होने के बाद भी तीन वर्षों तक प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र उधार का दर्जा मिलना जारी रहेगा। 3. निर्यात ऋण नीचे दिए गए विवरणों के अनुसार दिया गया निर्यात ऋण प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के रुप में वर्गीकृत किया जाएगा। 3.1 अप्रैल 1, 2007 से लेकर आगे, पूर्ववर्ती वर्ष की तदनुरूपी तारीख पर बकाया निर्यात ऋण के मुकाबले वृद्धिशील निर्यात ऋण, एएनबीसी अथवा तुलन-पत्र से इतर एक्सपोजर की सममूल्य ऋण राशि, जो भी अधिक हो, के 2 प्रतिशत तक, बशर्ते की ₹ 100 करोड़ तक के टर्नओवर वाले यूनिट की प्रति उधारकर्ता स्वीकृत सीमा ₹ 25 करोड़ तक हो। 3.2 निर्यात ऋण में हमारे बैंकिंग विनियमन विभाग द्वारा रुपया/ विदेशी मुद्रा निर्यात ऋण और निर्यातकों को ग्राहक सेवा पर जारी मास्टर परिपत्र में परिभाषित किए गए अनुसार पोतलदान-पूर्व और पोतलदानोत्तर निर्यात ऋण (तुलन पत्र से इतर मदों को छोड़कर) शामिल है। 4. शिक्षण व्यावसायिक पाठ्यक्रमों सहित शिक्षा के प्रयोजनों के लिए व्यक्तियों को ₹ 10 लाख तक का ऋण चाहे स्वीकृत राशि कुछ भी हो, प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के लिए पात्र माना जाएगा। 5. आवास (i) किसी भी स्थान पर प्रति परिवार आवासीय इकाई की खरीद / निर्माण करने के लिए व्यक्तियों को रु ₹ 28 लाख तक का ऋण बशर्ते आवासीय इकाई की कुल कीमत ₹ 35 लाख से अधिक न हो। बैंक द्वारा अपने कर्मचारियों को स्वीकृत आवासीय ऋणों को इसमें शामिल नहीं किया जाएगा। (ii) परिवारों के क्षतिग्रस्त आवासीय इकाइयों की मरम्मत के लिए महानगरीय केंद्रों में ₹ 5 लाख तक और अन्य केंद्रों में ₹ 2 लाख तक का ऋण। (iii) किसी सरकारी एजेंसी को आवासीय इकाइयों के निर्माण अथवा झोपडपट्टी हटाने और झोपडपट्टी में रहनेवालों के पुनर्वास के लिए प्रति आवासीय इकाई अधिकतम ₹ 10 लाख तक के बैंक ऋण। (iv) केवल आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग और निम्न आय समूह के लोगों के लिए मकान बनवाने के प्रयोजन संबंधी आवास परियोजनाओं, जिनकी कुल लागत प्रति आवासीय इकाई ₹ 10 लाख से अधिक नहीं है, हेतु बैंकों द्वारा स्वीकृत ऋण । आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग और निम्न आय समूह के लोगों की पहचान के प्रयोजन के लिए वार्षिक ₹ 2 लाख की पारिवारिक आय सीमा निर्धारित है, चाहे स्थान कोई भी हो। (v) आवासीय इकाइयों के निर्माण/पुन:निर्माण के लिए या झोपड़पट्टी निकासी और झोपडपट्टी के निवासियों के पुनर्वास के लिए एनएचबी द्वारा अनुमोदित गैर सरकारी एजेंसी को प्रति आवासीय इकाई रु10 लाख की सकल ऋण सीमा तक दी गई सहायता। (vi) शहरी सहकारी बैंकों द्वारा दिनांक 01 अप्रैल 2007 को या बाद में एनएचबी/हुडको द्वारा जारी बाण्डों में किए गए निवेश प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र उधार के अंतर्गत वर्गीकरण के लिए पात्र नहीं होंगे। 6. सामाजिक बुनियादी संरचना सामाजिक बनुनियादी संरचना के निर्माण के लिए टियर II से टियर VI के केंद्रों में स्कूल, स्वास्थ्य रक्षा सुविधाएं, पेयजल सुविधाएं और स्वच्छता सुविधाओं, जिनमें घरेलू शौचालय के निर्माण / नवीकरण, घरेलू जल स्तर सुधार भी शामिल है, हेतु प्रति उधारकर्ता ₹ 5 करोड़ की सीमा तक के बैंक ऋण। 7. नवीकरणीय ऊर्जा सौर आधारित बिजली जनित्र, बायो मास आधारित बिजली जनित्र, पवन चक्की, माइक्रो-हाईडल संयंत्र और गैर पारंपरिक ऊर्जा आधारित जनोपयोगी सेवाओं जैसे स्ट्रीट लाइटिंग प्रणाली और सुदूर गांव में विद्युतिकरण के प्रयोजन के लिए उधारकर्ताओं को ₹ 15 करोड़ की सीमा तक के बैंक ऋण। अलग-अलग परिवारों को प्रति उधारकर्ता के लिए ₹ 10 लाख की ऋण सीमा होगी। 8. अन्य 8.1 बैंकों द्वारा व्यक्तियों और उनके एसएचजी/ जेएलजी को सीधे दिए जानेवाले प्रति उधारकर्ता ₹ 50,000/- तक के ऋण, बशर्ते उधारकर्ता की घरेलू वार्षिक आय ग्रामीण क्षेत्रों में ₹ 100,000/- और गैर-ग्रामीण क्षेत्रों में ₹ 1,60,000/- से अधिक न हो। 8.2 आपदाग्रस्त व्यक्तियों (पैरा III (1.1) क (v) के अंतर्गत शामिल किसानों को छोड़कर) को उनके गैर संस्थागत ऋणदाताओं के कर्जं की पूर्व अदायगी के लिए प्रति उधारकर्ता ₹ 100,000/- तक के ऋण। 8.3 अनुसूचित जातियों / अनुसूचित जनजातियों के लिए राज्य प्रायोजित संगठनों को इन संगठनों के लाभार्थियों को निविष्टियों की खरीद और आपूर्ति और/या उनके उत्पादनों के विपणन के विशिष्ट प्रयोजन के लिए स्वीकृत ऋण। IV. कमज़ोर वर्ग निम्नलिखित उधारकर्ताओं को दिए जाने वाले प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र ऋण कमज़ोर वर्गो की श्रेणी के अंतर्गत शामिल हैं:
V. प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र उधार प्रमाणपत्र बैंकों द्वारा खरीदे गए बकाया प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र उधार प्रमाणपत्र (पीएसएलसी) प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र की संबंधित श्रेणियों के अंतर्गत वर्गीकृत किए जाने के पात्र होंगे बशर्तें, आस्तियां बैंकों द्वारा मूलत: जारी की गई हों, और प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के अग्रिमों के रूप में वर्गीकृत किए जाने के लिए पात्र हों और प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र उधार प्रमाणपत्र पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी दिनांक 7 अप्रैल 2016 के परिपत्र विसविवि.केंका.प्लान.बीसी.23/04.09.01/2015-16 में दिए गए दिशा-निर्देशों की पूर्ति करते हों। VI. प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार देने के लक्ष्यों पर निगरानी प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को निरंतर ऋण प्रवाह सुनिश्चित करने के लिए वर्तमान में शहरी सहकारी बैंकों द्वारा प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को दिए गए उधार संबंधी अनुपालन पर वार्षिक आधार पर रखी जानेवाली निगरानी के स्थान पर अब ‘तिमाही’ आधार पर निगरानी रखी जाएगी। प्राथमिकता प्रात्प क्षेत्र के अग्रिमों पर आंकड़े संशोधित रिपोर्टिंग प्रारूप विविरण । और विवरण ।। (भाग ए से ई) के अनुसार त्रैमासिक और वार्षिक अंतराल पर शहरी सहकारी बैंकों को रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को प्रस्तुत करना होगा। रिपोर्ट प्रत्येक संबंधित अवधि के अंत से 15 दिनों के भीतर क्षेत्रीय कार्यालय तक पहुँच जानी चाहिए। VII. प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को ऋण हेतु सामान्य दिशा-निर्देश बैंक प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत अग्रिमों की सभी श्रेणियों हेतु निम्नलिखित सामान्य दिशानिर्देशों का पालन करें। 1. सेवा प्रभार ₹ 25,000/- तक के प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र ऋणों पर ऋण संबंधी और तदर्थ सेवा प्रभार / निरीक्षण प्रभार नहीं लगाया जाना चाहिए। एसएचसी/जेएलजी को पात्र प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र ऋण के मामले में यह सीमा प्रति सदस्य के रूप में लागू होगी न कि पूरे समूह के लिए। 2. प्राप्ति, स्वीकृति / नामंजूर / संवितरण रजिस्टर बैंक द्वारा एक रजिस्टर / इलेक्ट्रॉनिक रिकार्ड बनाया जाए जिसमें प्राप्ति की तारीख, मंजूरी / नामंजूरी / संवितरण आदि का कारणों सहित उल्लेख किया जाए। सभी निरीक्षणकर्ता एजेन्सियों को उक्त रजिस्टर / इलेक्ट्रॉनिक रिकार्ड उपलब्ध करवाया जाए। 3. ऋण आवेदनों की पावती जारी करना शहरी सहकारी बैंकों द्वारा प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र ऋणों के अंतर्गत प्राप्त ऋण आवेदनों की पावती दी जाए। बैंक बोर्ड एक ऐसी समय सीमा निर्धारित करें जिसके पहले बैंक आवेदकों को अपना निर्णय लिखित रूप में सूचित करेंगे। प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के लक्ष्य की उपलब्धि – कमी/ अधिकता की गणना उदाहरण प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र को उधार पर संशोधित दिशानिर्देशों के अंतर्गत वित्तीय वर्ष के अंत में प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के लक्ष्य की उपलब्धि – कमी / अधिकता की गणना के लिए अपनाई जानेवाली पद्धति का उदाहरण टेबल संख्या 1 और 2 में प्रस्तुत है। टेबल 1 में दिए गए उदाहरण में वित्तीय वर्ष के अंत में बैंक में समग्र कमी ₹ 2,79,37,704 हजार की है। टेबल 2 में वित्तीय वर्ष के अंत में बैंक में समग्र अधिकता ₹ 2,04,71,658 हजार की है। प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के उप-लक्ष्यों की तिमाही और वार्षिक उपलब्धि की गणना के लिए इसी पद्धति का पालन किया जाए। टिप्पणी: प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र के लक्ष्य/उप-लक्ष्य की उपलब्धि की गणना एएनबीसी अथवा तुलन-पत्र से इतर एक्सपोजर के सममूल्य राशि का ऋण, इनमें से पूर्ववर्ती वर्ष की तदनुरूपी तारीख को जो भी अधिक हो, के आधार पर की जाएगी। |