कार्पोरेट ऋण प्रतिभूतियों में तैयार वायदा संविदाओं पर संशोधित दिशानिर्देश - आरबीआई - Reserve Bank of India
कार्पोरेट ऋण प्रतिभूतियों में तैयार वायदा संविदाओं पर संशोधित दिशानिर्देश
भारिबैं/2012-13/365 7 जनवरी 2013 सभी बाजार सहभागी महोदय/महोदया कार्पोरेट ऋण प्रतिभूतियों में तैयार वायदा संविदाओं पर संशोधित दिशानिर्देश कार्पोरेट बाँड बाज़ार को विकसित करने के एक उपाय के रूप में 9 नवंबर 2010 की अधिसूचना आंऋप्रवि. पीसीडी. सं. 21/11.08.38/2010-11 द्वारा यथासंशोधित 8 जनवरी 2010 की अधिसूचना आंऋप्रवि. डीओडी. सं. 4/11.08.38/2009-10 के माध्यम से जारी निदेशों द्वारा कार्पोरेट ऋण प्रतिभूतियों में रिपो लेनदेन के लिए अनुमति दी गई है । 2. बाज़ार प्रतिसूचना और मुद्रा, विदेशी मुद्रा और सरकारी प्रतिभूति बाज़ारों पर तकनीकी सलाहकार समिति के सुझावों को ध्यान में लेते हुए, निदेशों की पुनरीक्षा की गई है और यह निर्णय लिया गया है कि :
ऊपर दिये गये न्यूनतम निर्धारित मार्जिन हैं जहॉं रिपो अवधि रातभर की है अथवा जहाँ रिमार्जिनिंग की बारंबारता (दीर्घावधि टेनर रिपो के मामले में) दैनिक आधार पर है । अन्य सभी मामलों में सहभागियों को चाहिए कि वे उचित उच्चतर मार्जिन अपनाएँ । 3. इस संबंध में 4 जनवरी 2013 के आंऋप्रवि.पीसीडी.सं.08/14.03.02/2012-13 द्वारा जारी निदेश [कार्पोरेट ऋण प्रतिभूतियों में रिपो (संशोधन) निदेश, 2013] संलग्न है । भवदीय (के.के. वोहरा) भारतीय रिज़र्व बैंक मुंबई, 4 जनवरी 2013 भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम 1934 की धारा 45 डब्ल्यू द्वारा प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हुए और समय-समय पर संशोधित 8 जनवरी 2010 की अधिसूचना आंऋप्रवि.डीओडी. सं.04/11.08.38/2009-10 में आंशिक संशोधन करते हुए रिज़र्व बैंक एतद्द्वारा कार्पोरेट ऋण प्रतिभूतियों में रिपो (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2010 (इस के बाद उक्त निदेश के रूप में उल्लेख किया जाएगा) को संशोधित करने के लिए निम्नानुसार आगे संशोधन करता है जैसे :- 2. (i) उक्त निदेशों के पैरा 3 में :- (क) उप पैरा (क) के स्थान पर निम्न अंश रखा जाएगा : "(क) ऐसी सूचीबद्ध कार्पोरेट ऋण प्रतिभूतियाँ जिनकी मूल परिपक्वता एक वर्ष से अधिक है और जिनकी रेटिंग एजेंसिंयो द्वारा "एए" अथवा उस से अधिक रेटिंग की गई है, जो रिपो बिक्रीकर्ता के प्रतिभूति खाते में मूर्त रूप में (डिमैट फार्म में) रखी गई हैं, वे रिपो का दायित्व लेने के लिए पात्र होंगी ।" (ख) उप पैरा (क) के बाद निम्नलिखित उप पैरा जोड़ा जाए : "(ख) एक वर्ष से कम मूल परिपक्वतावाले वाणिज्यिक पेपर (सीपी), जमा प्रमाणपत्र (सीडी) और अपरिवर्तनीय डिबेंचरों (एनसीडी) को भी कार्पोरेट ऋण में रिपो का दायित्व लेने के लिए पात्र प्रतिभूति के रूप में अनुमति दी जाए । इस पैरा (क) के उप पैरा में निर्दिष्ट सूचीबद्धता की आवश्यकता लागू नहीं होगी परंतु जैसा कि निर्दिष्ट किया गया है रेटिंग आवश्यकता इन मुद्रा बाज़ार लिखतों के लिए भी लागू होंगी ताकि कार्पोरेट ऋण में रिपो का दायित्व लेने के लिए वे प्रतिभूति के रूप में पात्र बन सकेंगी ।" (ii) उक्त निदेशों के पैरा 10 में उप पैरा (क) के स्थान पर निम्न अंश रखा जाए : "(क) एक रेटिंग आधारित मार्जिन निम्नानुसार (अथवा उससे अधिक जैसा कि सहभागियों द्वारा तय किया जाए जो रिपो की शर्त और रिमार्जिंनिंग बारंबारता पर निर्भर हो) पहले चरण के व्यापार की तारीख पर प्रचलित कार्पोरेट ऋण प्रतिभूति के बाज़ार मूल्य पर लागू होगा ।"
3. इन निदेशों का कार्पोरेट ऋण प्रतिभूति (संशोधन) निदेश, 2013 के रूप में संदर्भ लिया जाए और उपर्युक्त संशोधन 8 जनवरी, 2013 से लागू होंगे । (आर. गांधी) संदर्भ : आंऋप्रवि.पीसीडी.सं.08/14.03.02/2012-13. टिप्पणी : दिनांक 8 जनवरी 2010 की मुख्य अधिसूचना आंऋप्रवि.डीओडी.सं.4/11.08.38/ 2009-10 को दिनांक 9 नवंबर 2010 की अधिसूचना आंऋप्रवि.पीसीडी.सं.21/ 11.08.38/2010-11 द्वारा संशोधित की गयी थी। |