विभेदक ब्याज दर योजना में संशोधन - आरबीआई - Reserve Bank of India
विभेदक ब्याज दर योजना में संशोधन
आरबीआई / 2006-07/406
ग्राआऋवि.एसपी.बीसी.सं. 101 / 09.07.01/2006-07
13 जून 2007
अध्यक्ष / प्रबंध निदेशक
भारतीय अनुसूचित वाणिज्य बैंक
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)
प्रिय महोदय,
विभेदक ब्याज दर योजना में संशोधन
जैसा कि आप जानते हैं, चुने गए निम्न आय वाले समूहों को उत्पादक उद्यमों के लिए आरंभ में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों द्वारा और बाद में निजी क्षेत्र के बैंकों द्वारा भी 4% की रियायती ब्याज दर से वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए भारत सरकार ने मार्च 1972 में एक योजना बनाई थी। विभेदक ब्याज दर योजना ( डीआरआई ) के नाम से जानी जानेवाली यह योजना अब सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंकों द्वारा कार्यान्वित की जा रही है। कार्यान्वयन के लिए बैंकों को विस्तृत दिशानिर्देश हमारे दिनांक 6 जुलाई 1977 के परिपत्र बैंपविवि.सं.बी.पी. 1900/सी. 453 (यू) - 77 द्वारा जारी किए गए थे।
2. वर्ष 2007-08 के अपने बजटीय भाषण (पैरा 87) में माननीय वित्त मंत्री ने अब यह प्रस्तावित किया है कि विभेदक ब्याज दर योजना के अंतर्गत दिए जानेवाले ऋण की सीमा को प्रति लाभार्थी 6500/- रुपए से बढ़ाकर 15000/- रुपए तथा आवास ऋण की सीमा को 5000/- रुपए से बढ़ाकर 20,000/- रुपए कर दिया जाए ।
3. अत: यह सुनिश्चित करने के लिए कि संशोधित दिशानिर्देश तत्काल कार्यान्वित किए जाते हैं, आप अपने नियंत्रक कार्यालयों और शाखा कार्यालयों को आवश्यक अनुदेश जारी करें ।योजना की अन्य शर्तें अपरिवर्तित रहेंगी।
4. डीआरआई योजना के अंतर्गत ऋण देने के लिए निर्धारित लक्ष्य अब तक की तरह (हमारे दिनांक 30 अप्रैल 2007 के परिपत्र ग्राआऋवि.सं.प्लान.बीसी. 84/04.09.01/2006-07 का पैरा III) पिछले वर्ष के कुल अग्रिमों का 1% बना रहेगा ।
कृपया प्राप्ति-सूचना दें।
भवदीय
( जी.श्रीनिवासन )
मुख्य महाप्रबंधक