प्ररिभूतिकरण लेनदेनों पर जारी दिशानिदेशों में संशोधन - आरबीआई - Reserve Bank of India
प्ररिभूतिकरण लेनदेनों पर जारी दिशानिदेशों में संशोधन
भारिबैं/2012-13/170 21 अगस्त 2012 सभी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां महोदय, प्ररिभूतिकरण लेनदेनों पर जारी दिशानिदेशों में संशोधन गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लिए 1 फरवरी 2006 के परिपत्र बैंपविवि सं:बीपी.बीसी.60/21.04.048/2005-06 द्वारा मानक आस्तियों के प्रतिभूतिकरण पर विस्तृत दिशानिदेश जारी किया गया था। 2. प्रतिभूतिकरण के आस पास अनुचित व्यवहार, जैसे प्रतिभूतिकरण के मूल उद्देश्य के लिए ऋणों का निर्माण और प्रवर्तक के हितों के साथ निवेशकों को रेखाकिंत करना तथा निवेशको के व्यापक परिदृश्य में ऋण जोखिम का पुन:वितरण की रोकथाम के लिए यह महसूस किया गया कि प्रवर्तक को निर्मित प्रत्येक प्रतिभूतिकरण के एक भाग को रोके रखना चाहिए तथा ऋण के संबंध में अधिक प्रभावी अनुवीक्षण सुनिश्चित करना चाहिए। इसके अलावा, प्रतिभूतिकरण के पूर्व ऋण की न्यूनतम प्रतिधारण अवधि को भी, प्रवर्तक द्वारा उचित सावधानी बनाकर निवेशकों को राहत देने के लिए अपेक्षित समझी जाए। उक्त उद्देश्यों के आलोक में, बैंको और एनबीएफसी के लिए दिशानिदेशों का प्रारूप तैयार कर क्रमश: अप्रैल 2010 और जून 2010 को लोगों की राय जानने के लिए पब्लिक डामेन में सार्वजनिक किया गया था। बैंक ने 07 मई 2012 के परिपत्र बैंपविवि.सं. बीपी.बीसी.-103/21.04.177/2011-12 द्वारा बैंको के संबंध में अंतिम दिशानिदेश जारी किए गए। दिशानिदेशों में ऋणों के सीधे अंतरण पर विनियामक दृष्टीकोण का भी समावेश था। यह निर्णय लिया गया है कि अनुलग्नक में दिए गए दिशानिदेशों को एनबीएफसी पर भी लागू किया जाए। 3. दिशानिदेश को तीन भागों में बनाया गया है। भाग क में आस्तियों के प्रतिभूतिकरण से संबंधित प्रावधान विनिर्दिष्ट है। प्रतिभूतिकरण में ऋण वृद्धि के शेष मामलों पर यथा समय अलग परिपत्र जारी किया जाएगा। भाग ख में नकदी प्रवाह द्वारा सीधे अंतरण के मअध्यम से मानक आस्तियों के अंतरण संबंधि शर्ते शामिल है। भाग ग में ऎसे प्रतिभूतिकरण लेन देन की गणना की गई है जिसकी अनुमति वर्मान में भारत में नहीं है। 4. मानक आस्तियों के प्रतिभूतिकरण पर अन्य सभी दिशानिदेश यथावत है। भवदीया, (उमा सुब्रमणियम) |