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जोखिम प्रबंध और अंतर बैंक लेनदेन

भारिबैंक/2013-14/227
ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 36

4 सितंबर 2013

सभी श्रेणी-I प्राधिकृत व्यापारी बैंक

महोदया/ महोदय,

जोखिम प्रबंध और अंतर बैंक लेनदेन

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों का ध्यान, समय-समय पर यथा संशोधित, 3 मई 2000 [3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा. 25/आरबी-2000] की विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव संविदाएं) विनियमावली, 2000 और 15 दिसंबर 2011 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.58 तथा 31 जुलाई 2012 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.13 की ओर आकृष्ट किया जाता है।

2. मौजूदा विनिमयों के तहत, निवासियों द्वारा चालू और पूँजी खातेगत लेनदेनों को हेज करने के लिए बुक की गयी वायदा संविदाओं (forward contracts), जिनमें से एक मुद्रा रुपया है, को रद्द करने एवं फिर से बुक करने की सुविधा देने की अनुमति नहीं है। तथापि, निर्यातकों को उनके संविदागत निर्यात एक्सपोजरों की हेजिंग के लिए एक वित्तीय वर्ष में बुक की गयी संविदाओं के 25 प्रतिशत की सीमा तक वायदा संविदाएं रद्द करने एवं फिर से उन्हें बुक करने की अनुमति दी गयी है।

3. बदलती हुई बाजार स्थितियों की समीक्षा करने पर तथा निर्यातकों और आयातकों को अपने विदेशी मुद्रा जोखिमों को हेज करने के लिए परिचालनगत लचीलापन प्रदान करने की दृष्टि से यह निर्णय लिया गया है कि:

(ए) निर्यातकों को उनके संविदागत निर्यात एक्सपोजरों की हेजिंग के लिए एक वित्तीय वर्ष में बुक की गयी संविदाओं के 50 प्रतिशत की सीमा तक वायदा संविदाएं रद्द करने एवं फिर से उन्हें बुक करने की अनुमति दी जाए, और

(बी) आयातकों को उनके संविदागत आयात एक्सपोजरों की हेजिंग के लिए एक वित्तीय वर्ष में बुक की गयी संविदाओं के 25 प्रतिशत की सीमा तक वायदा संविदाएं रद्द करने एवं फिर से उन्हें बुक करने की अनुमति दी जाए।

4. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत करायें ।

5. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और धारा 11 (1) के अधीन और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर जारी किए गए हैं ।

भवदीय,

(रुद्र नारायण कर)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक

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