जोखिम प्रबंध और अंतर बैंक लेनदेन - आरबीआई - Reserve Bank of India
जोखिम प्रबंध और अंतर बैंक लेनदेन
भारिबैंक/2013-14/540 27 मार्च 2014 सभी श्रेणी-I प्राधिकृत व्यापारी बैंक महोदया/ महोदय, जोखिम प्रबंध और अंतर बैंक लेनदेन प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों का ध्यान, समय-समय पर यथासंशोधित, 3 मई 2000 की विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव संविदाएं) विनियमावली, 2000 (3 मई 2000 की अधिसूचना सं॰फेमा.25/आरबी-2000) और 15 दिसंबर 2011 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 58 की ओर आकृष्ट किया जाता है। 2. निवासियों द्वारा विगत निष्पादन के आधार पर संभावित एक्स्पोजर के मुद्रा जोखिम की हेजिंग करने से संबन्धित मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार, ए॰ निर्यातकों को विगत तीन वित्तीय वर्षों (अप्रैल से मार्च) में किए गए वास्तविक निर्यात पण्यावर्त के औसत के रूप में परिगणित सीमा अथवा पिछले वर्ष के वास्तविक निर्यात पण्यावर्त, में से जो भी अधिक हो, की पात्र सीमा तक एक्सपोजर के संबंध में की गई घोषणा के आधार पर मुद्रा जोखिम को हेज करने की अनुमति दी गई है। बी॰ आयातकों को विगत तीन वित्तीय वर्षों के लिए वास्तविक आयात पण्यावर्त के 25 प्रतिशत की सीमा अथवा पिछले वर्ष के वास्तविक आयात पण्यावर्त, में से जो भी अधिक हो, की पात्र सीमा तक हेज करने की अनुमति दी गई है। सी॰ इस सुविधा के तहत निर्यातकों और आयातकों द्वारा बुक की गयी फारवर्ड संविदाएं पूर्णत: सुपुर्दगी के आधार पर होंगी। संविदाएं रद्द करने के मामले में, यदि कोई मुद्रा लाभ हुआ हो, तो उसे ग्राहकों को न दिया जाना चाहिए। 3. वृहत्तर परिचालनात्मक लचीलापन उपलब्ध कराने के लिए, यह निर्णय लिया गया है कि उपर्युक्त पैराग्राफ 2(सी) में लगाए गए प्रतिबंध में ढील दी जाए। अब से, उपर्युक्त पैराग्राफ 2(ए) और 2(बी) में वर्णित पात्र सीमा के 75 प्रतिशत तक बुक की गई संविदाएं निर्यातकों/ आयातकों द्वारा रद्द की जा सकेंगी और वे तत्संबंध में हुई हानि वहन करेंगे/ हुआ लाभ प्राप्त करने के हकदार होंगे। उल्लिखित पैराग्राफ 2(ए) और 2(बी) में वर्णित पात्र सीमा के 75% से अधिक बुक की गई संविदाएं, सुपुर्दगी के आधार पर होंगी और उन्हें रद्द नहीं किया जा सकेगा, जिसका तात्पर्य है कि उन्हें रद्द करने के मामले में, निर्यातक/आयातक को रद्द करने पर हुई हानि वहन करनी होगी, किन्तु वह लाभ प्राप्त करने का हकदार नहीं होगा। 4. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी । बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत कराएं । 5. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अधीन और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/ अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर जारी किए गए हैं। भवदीय, (रुद्र नारायण कर) |