जोखिम प्रबंध और अंतर- बैंक लेनदेन - आरबीआई - Reserve Bank of India
जोखिम प्रबंध और अंतर- बैंक लेनदेन
आरबीआइ/2007-08/351
ए.पी.(डीआइआर सिरीज)परिपत्र सं.47
3 जून 2008
श्रेणी-I के सभी प्राधिकृत व्यापारी बैंक
नहोदया/महोदय
जोखिम प्रबंध और अंतर- बैंक लेनदेन
श्रेणी-I के सभी प्राधिकृत व्यापारी (एडी श्रेणी-I) बैंकों का ध्यान, 3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा.5/2000-आरबी, समय समय पर यथा संशोधित, के विनियम 6 की ओर ,जिसके अनुसार भारत के निवासियों को कतिपय नियमों व शर्तों पर , किसी पण्य कीमत जोखिम की हेजिंग के लिए पण्य मंडियों अथवा बाजारों में संविदा कर सकता है, आकर्षित किया जाता है । इसके अतिरिक्त , 23 जुलाई 2005 के ए.पी.(डीआईआर सिरीज)परिपत्र सं.03 के अनुसार मान्यताप्राप्त स्टॉक एक्चेंज में सूचीबध्द चुनिंदा वाणिज्य बैंक प्राधिकृत व्यापारियों को अंतर्राष्टीय पण्य मंडियों अथवा बाजारों में पण्य कीमत जोखिम की हेजिंग के लिए कंपनियों को अधिकृत किया गया है। इसके साथ ही , 06 नवंबर 2007 के ए.पी.(डीआईआर सिरीज)परिपत्र सं.17 के अनुसार, घरेलू आयल रिफाइनरी एण्ड विपणन कंपनियों को भी इनवंटरी वाल्यूम्स पर आधारित पण्य कीमत जोखिम की हेजिंग की अनुमति प्रदान की गयी है ।
2 बाजार में पेट्रोलियम तथा पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव को देखते हुए , कच्चे तेल के शोधन और विपणन में लगी कंपनियां हेजिंग सुविधा को और भी उदार बनाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक से अनुरोध करती रही हैं ।घरेलू आयल रिफाइनिंग कंपनियों को उनकी पण्य कीमत जोखिम की सुगम त्वरित हेजिंग हेतु , जैसा कि वर्ष 2007-08 वार्षिक नीति विवरण में घोषणा की गयी है , निम्नलिखित और सुविधाएं प्रदान की गयी हैं :-
(क) कच्चे तेल की घरेलू खरीद और पेट्रोलियम उत्पादों की बिक्री की हेजिंग
प्रचलित व्यापार प्रथाओं के अनुसार , घरेलू उत्पादित कच्चा तेल रिफाइनरीज द्वारा अंतर्राष्टीय कीमतों पर खरीदा जाता है । तथापि, कच्चे तेल की घरेलू खरीद पर पण्य जोखिम की हेजिंग की अनुमतति नहीं है।
घरेलू कच्चे तेल की रिफाइनिंग कंपनियों को उनकी जोखिम की हेजिंग सहूलियत के लिए यह निर्णय लिया गया है कि उन्हें कच्चे तेल की घरेलू खरीद और पेट्रोलियम उत्पादों की बिक्री की विदेशी मुद्राओं /बाजारों में अंतर्राष्टीय कीमतों से जुड़ी निहित संविदाओं के आधार पर जोखिम की हेजिंग की अनुमति प्रदान की जाये ।निहित संविदाओं के आधार पर ही हेजिंग की अनुमति प्रदान की जायेगी।
(ख) कच्चे तेल की संभावित आयातों की हेजिंग
कच्चे तेल की हेजिंग को और अधिक लचीला बनाने के उद्देश्य से,यह निर्णय लिया गया है कि कच्चे तेल की घरेलू रिफाइनिंग कंपनियों को विदेशी मुद्राओं /बाजारों में अंतर्राष्टीय कीमतों पर उनके पिछले रिकॉर्ड को देखते हुए पिछले वर्ष के दौरान उनके वास्तविक आयात की मात्रा के थ50 प्रतिशत तक अथवा पिछले तीन वर्षों के दौरान किये गये औसतन आयात के थ50 प्रतिशत तक , इनमें से जो भी अधिक हो , हेजिंग की अनुमति प्रदान की जाये । इस सुविधा के तहत बुक की गयी संविदाएं हेजिंग की अवधि के दौरान के आयात आदेशों को प्रस्तुत करके विनियमित करना होगा । कंपनियों से इस आशय का एक प्रमाणपत्र लिया जाए ।
3. हेजिंग केवल , भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा 23 जुलाई 2005 के ए.पी.(डीआईआर सिरीज)परिपत्र सं.03 के साथ सलग्न शर्तों तथा दिशा-निर्देशों के अंतर्गत विशेष रूप से अधिकृत श्रेणी-I के प्राधिकृत व्यापारियों (एडी श्रेणी-I) बैंकों द्वारा ही की जानी है ।
4. हेजिंग की उपर्युक्त सुविधाएं प्रदान करते समय श्रेणी-I के प्राधिकृत व्यापारियों (एडी श्रेणी-I) बैंकों द्वारा यह सुनिश्चित कर लिया जाए कि अपनी हेजिंग में निवेश करने वाली कच्चे तेल की घरेलू रिफाइनिंग कंपनियां निम्नलिखित निर्देशों का पालन करें।
i. नीतियां बोर्ड द्वारा अनुमोदित हों जो कि समग्र रूपरेखा परिभाषित करती हों जिनके अंतर्गत व्युत्पन्न कार्यकलाप किये जाते हों और जोखिम को नियंत्रित किया जाता हो।ii. किसी विशिष्ट कार्य और विदेशी व्यापार ऋण बाजारों में लेनदेन करने के लिए कंपनी के बोर्ड की मंजूरी ली गयी हो ।
iii. बोर्ड की मंजूरी में बाजार दर बाजार के लिए स्पष्ट नीति तथा विदेशी व्यापार ऋण व्युत्पन्न कार्यकलाप करने के लिए अनुमत काउंटर पार्टियों के नाम आदि शामिल होने चाहिये ।
iv. कच्चे तेल की खरीद करने वाली घरेलू कंपनियां ओटीसी लेनदेनों की सूची छमाही आधार पर बोर्ड को प्रस्तुत करें ।यह सूची इस योजना के तहत हेजिंग की सुविधा जारी रहने की अनुमति देने से पूर्व श्रेणी-I के सभी प्राधिकृत व्यापारी (एडी श्रेणी-I) बैंक के द्वारा प्रमाणित होनी चाहिये ।
5. श्रेणी-I के प्राधिकृत व्यापारी बैंकों को 20 अप्रैल 2007 के हमारे बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग के परिपत्र डीबीओडी .बीसी.सं.86/21.04.157/2006-07 द्वारा जारी ’ व्युत्पन्नों के लिए व्यापक दिशा-निर्देश’ के पैरा 8.3 में दिये गये अनुदेशों के अनुसार ग्राहक द्वारा प्रयुक्त की हेजिंग उत्पादों की " प्रयोक्ता औचित्य "और "अनुकूलता "भी सुनिश्चित कर ली जाए ।
6. कच्चे तेल की खरीद-बिक्री करने वाली घरेलू कंपनियां ऐसे प्रतिरक्षात्मक लेनदेन करने हेतु जो कि प्रत्यायोजन अधिकार के अंतर्गत नहीं आ पाते , उन्हें जारी रखने हेतु श्रेणी I प्राधिकृत व्यापारी बैंक के जरिये विचारार्थ भारतीय रिजर्व को भेजा जाये ।
7. 3 मई 2000 की विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम की अधिसूचना सं.फेमा 25/आरबी -2000 ड विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा व्युत्पन्न निविदा ) विनियमावली 2000 में आवश्यक संशोधन अलग से अधिसूचित किए जा रहे हैं।
8. श्रेणी-I के सभी प्राधिकृत व्यापारी (एडी श्रेणी-I) बैंक , कृपया इस परिपत्र की विषय-वस्तु से अपने सभी संघटकों तथा ग्राहकों को अवगत करा दें।
9. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हं और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर है।
भवदीय
(सलीम गंगाधरन)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक