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जोखिम प्रबंध और अंतर बैंक लेनदेन - भारतीय विदेशी मुद्रा बाज़ार में निवासी संस्थाओं (एंटिटीज़) के लिए प्रलेखीकरण/दस्तावेजी अपेक्षाओं के संबंध में उदारीकरण

भारिबैंक/2013-14/118
ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 02

4 जुलाई 2013

सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक

महोदया/ महोदय,

जोखिम प्रबंध और अंतर बैंक लेनदेन - भारतीय विदेशी मुद्रा बाज़ार में निवासी
संस्थाओं (एंटिटीज़) के लिए प्रलेखीकरण/दस्तावेजी अपेक्षाओं के संबंध में उदारीकरण

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों का ध्यान 'ओवर दि काउंटर (OTC) विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव तथा पण्यों की कीमतों और भाड़े संबंधी जोखिमों के बाबत ओवरसीज़ हेजिंग के संबंध में व्यापक दिशानिर्देश' के बारे में जारी 28 दिसंबर 2010 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं.32 की ओर आकृष्ट किया जाता है। इस परिपत्र के संलग्नक में, पैराग्राफ (॥) उप-पैराग्राफ (बी)(ii) में यह बताया गया है कि संविदागत एक्सपोज़र के संबंध में, प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक "संबंधित तिमाही के दौरान किसी भी समय सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंकों के पास बकाया संविदाएं अंतर्निहित एक्स्पोजर के मूल्य से अधिक न होने के बाबत उपयोगकर्ता (यूजर) के सांविधिक लेखापारीक्षकों से तिमाही प्रमाणपत्र" अवश्य प्राप्त करें।

2. निर्यातकों के लिए सेवाओं/सुविधाओं के संबंध में गठित तकनीकी समिति (अध्यक्ष: श्री जी.पद्मनाभन, कार्यपालक निदेशक, भारतीय रिज़र्व बैंक) की प्रलेखीकरण की प्रक्रिया को युक्तियुक्त बनाने से संबंधित सिफारिशों के मद्देनज़र, अब यह निर्णय लिया गया है कि प्राधिकृत व्यापारी बैंक, अपने ग्राहकों को संविदागत एक्सपोज़र मार्ग के तहत हेजिंग उत्पादों का प्रस्ताव करते समय, उनके सांविधिक लेखापारीक्षकों से इस आशय का वार्षिक प्रमाणपत्र प्राप्त करें कि वर्ष के दौरान किसी भी समय सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंकों के पास बकाया संविदाएं अंतर्निहित एक्स्पोजर के मूल्य से अधिक नहीं थीं। तथापि, यह दोहराया जाता है कि प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक को, किसी ग्राहक के साथ कोई डेरिवेटिव लेनदेन करते समय, ग्राहक से इस आशय का वचनपत्र प्राप्त करना होगा कि जिस संविदागत एक्सपोज़र पर डेरिवेटिव लेनदेन बुक किया जा रहा है, उसका उपयोग किसी अन्य प्राधिकृत व्यापारी बैंक के साथ कोई डेरिवेटिव लेनदेन के लिए नहीं किया गया है।

3. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत कराने का कष्ट करें ।

4. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और धारा 11 (1) के अधीन और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर जारी किए गए हैं ।

भवदीय,

(सी. डी. श्रीनिवासन)
मुख्य महाप्रबंधक

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