जोखिम प्रबंध और अंतर-बैंक लेनदेन (डीलिंग्स): एक्स्चेंज ट्रेडेड करेंसी डेरिवेटिव मार्केट में विदेशी पोर्टफालियो निवेशकों (FPIs) के लिए संशोधित पोजीशन लिमिट्स - आरबीआई - Reserve Bank of India
जोखिम प्रबंध और अंतर-बैंक लेनदेन (डीलिंग्स): एक्स्चेंज ट्रेडेड करेंसी डेरिवेटिव मार्केट में विदेशी पोर्टफालियो निवेशकों (FPIs) के लिए संशोधित पोजीशन लिमिट्स
भा.रि.बैंक/2014-15/527 31 मार्च 2015 सभी श्रेणी-I प्राधिकृत व्यापारी बैंक महोदया/महोदय, जोखिम प्रबंध और अंतर-बैंक लेनदेन (डीलिंग्स): एक्स्चेंज ट्रेडेड करेंसी डेरिवेटिव मार्केट प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंकों का ध्यान, समय-समय पर यथा संशोधित, 3 मई 2000 की विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव कांट्रैक्ट्स) विनियमावली, 2000 (3 मई 2000 की अधिसूचना सं. फेमा. 25/आरबी-2000) तथा एक्स्चेंज ट्रेडेड करेंसी डेरिवेटिव मार्केट (ईटीसीडी) में विदेशी पोर्टफालियो निवेशकों द्वारा सहभागिता करने से संबंधित 20 जून 2014 के ए.पी. (डी.आई.आर.सीरीज) परिपत्र सं. 148 की ओर आकृष्ट किया जाता है। अंतर्भूत एक्स्पोज़र प्रमाणन की अपेक्षा रहित पोजीशन लिमिट्स में वृद्धि 2. संप्रति विदेशी पोर्टफालियो निवेशकों को प्रति एक्स्चेंज 10 मिलियन अमरीकी डालर अथवा उसके समतुल्य तक खरीद (buy) के साथ-साथ बिक्री (sell), दोनों ही, संबंधी पोजीशन लेने की अनुमति है। इस बाबत और उदारीकरण के रूप में, अब यह निर्णय लिया गया है कि विदेशी पोर्टफालियो निवेशकों हेतु USD-INR युग्म के लिए प्रति एक्स्चेंज लिमिट्स को बढ़ाकर 15 मिलियन अमरीकी डालर कर दिया जाए। इसके अलावा, विदेशी पोर्टफालियो निवेशकों को 5 मिलियन अमरीकी डालर तक की समतुल्य सीमा में EUR-INR, GBP-INR तथा JPY-INR युग्मों की खरीद (बाय) के साथ-साथ बिक्री (सेल) की पोजीशन लेने की अनुमति होगी। इन लिमिट्स की निगरानी एक्स्चेंजों द्वारा की जाएगी एवं इस संबंध में हुए उल्लंघनों, यदि कोई हों, को रिपोर्ट किया जाएगा। निगरानी को सुविधाजनक बनाने के लिए एक्स्चेंज अमरीकी डालर से भिन्न करेंसियों में कांट्रैक्टों के बाबत निश्चित सीमाओं का निर्धारण कर सकते हैं ताकि ये सीमाएं 5 मिलियन अमरीकी डालर के समतुल्य सीमा में सीमित रहें। 3. सभी अन्य परिचालनात्मक दिशानिर्देश एवं शर्तें अपरिवर्तित बनी रहेंगी। 4. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (FEMA), 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किये गये हैं । भवदीय, (आर. सुब्रम्हणियन) |