जोखिम प्रबंधन और अंतर बैंक व्यवहार - आरबीआई - Reserve Bank of India
जोखिम प्रबंधन और अंतर बैंक व्यवहार
भारतीय रिज़र्व बैंक ए.पी.(डीआईआर सिरीज़) परिपत्र सं. 19 24 जनवरी 2002 प्रति विदेशी मुद्रा के सभी प्राधिकृत व्यापारी प्रिय महोदय, /महोदया जोखिम प्रबंधन और अंतर बैंक व्यवहार प्राधिकृत व्यापारियों का ध्यान रिज़र्व बैंक की 3 मई 2000 की अधिसूचना सं.फेमा 25/2000 आरबीकी ओर आकृष्ट किया जाता है। 2. वायदा विनिमय रक्षा और अन्य व्युत्पन्न उत्पादों, अनिवासी बैंकों के रुपया खाते और अन्तर बैंक व्यवहारों से संबंधित निदेश अनुलग्नक में अन्तर्विष्ट है। यं निदेश वर्तमान अनुदेशों का अधिक्रमण करते है, यथा; i) विदेशी मुद्रा नियंत्रण मैन्युअल के अध्याय 3 (भाग इ और ई और अनुबंध II) ii) विदेशी मुद्रा नियंत्रण मैन्युअल के अध्याय 5 (भाग अ और आ और अनुबंध) iii) दिनांक 19 जनवरी 2000 के ए.डी. (एम ए सिरीज) परिपत्र सं.1 में अन्तर्विष्ट अनुदेश 3. अनुलग्नक के भाग "ख" और "ग" में अन्तर्विष्ट विस्तुत दिशा-निर्देशों को 3 मई 2000 की रिज़र्व बैंक अध्सूचना सं.फेमा 5/2000 आरबी के विनियम 6 के अंतर्गत यथा अपेक्षित जारी किये जा रहे है जो प्राधिकृत व्यापारियों को भारत के बाहर उसकी शाखा, प्रधान कार्यालय अथवा संवाददाता के पास जमाराशियों को रखने और साथ ही साथ किसी प्राधिकृत व्यापारी के भारत के बाहर किसी शाखा अथवा संवाददाता द्वारा जमाराशि स्वीकार करने और भारत में उसकी बहियों में अभिधारण करने की अनुमति देता है, 4. प्राधिकृत व्यापारी इस परिपत्र की विषय-वस्तु से अपने संबंधित ग्राहकों को अवगत कराये। 5. इस परिपत्र में अन्तर्विष्ट निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अधीन जारी किए गए है। भवदीय ग्रेस कोशी |