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अवशिष्ट गैर बैंकिंग कंपनी (रिज़र्व बैंक) निदेश, 1987-जमाराशियों की विलंब से अदायगी करने पर ब्याज का भुगतान

भारिबैं/2007-08/211
गैबैंपवि.(नीति प्रभा.)कंपरि.सं. 110/04 .18.001/2007-08

14 दिसंबर 2007

अवशिष्ट गैर बैंकिंग कंपनियाँ (RNBCs)

प्रिय महोदय

अवशिष्ट गैर बैंकिंग कंपनी (रिज़र्व बैंक) निदेश, 1987-जमाराशियों की विलंब से अदायगी करने पर ब्याज का भुगतान

कृपया अवशिष्ट गैर बैंकिंग कंपनी (रिज़र्व बैंक) निदेश, 1987 का अवलोकन करें। उल्लिखित निदेश के पैरा 5ए के अनुसार अवशिष्ट गैर बैंकिंग कंपनियों के लिए यह अनिवार्य है कि वे जमाराशियों की परिक्वता की तारीख से कम से कम दो माह पूर्व जमाराशियों की परिपक्वता संबंधी सूचना जमाकर्ता को दें।

2. अब जमाकर्ताओं के हित में यह निर्णय लिया गया है कि जहाँ जमाकर्ता द्वारा दावा करने पर कोई अवशिष्ट गैर बैंकिंग कंपनी परिपक्वता पर देय ब्याज सहित जमाराशि की अदायगी में विफल होती है, वहाँ कंपनी निम्नवत ब्याज अदा करेगी।

  1. यदि कंपनी जमाराशि की परिपक्वता की तारीख से न्यूनतम 2 माह पूर्व परिपक्वता की सूचना जमाकर्ता को दे देती है और उसके पास इस बात के पर्याप्त सबूत हों जैसे जमाकर्ता से प्राप्त पावती हो किन्तु जमाकर्ता परिपक्वता पर दावा प्रस्तुत करने में विफल हो तो कंपनी दावे की तारीख से अदायगी की तारीख तक जमाराशि पर देय ब्याज दर से ब्याज सहित परिपक्वता की राशि अदा करेगी।
  2. यदि कंपनी जमाराशि की परिपक्वता की तारीख से 2 माह पूर्व परिपक्वता की सूचना (जमाकर्ता को) नहीं देती है तो जब जमाकर्ता दावा करेगा तब कंपनी परिपक्वता की तारीख से अदायगी की तारीख तक जमाराशि पर देय ब्याज दर से ब्याज सहित परिपक्वता की राशि अदा करेगी।

तदनुसार अवशिष्ट गैर बैंकिंग कंपनी (रिज़र्व बैंक) निदेश, 1987 संशोधित हो गए हैं।

3. 14 दिसंबर 2007 की संशोधनकारी अधिसूचना सं. गैबैंपवि.198/मुमप्र(पीके)-2007 तथा 15 मई 1987 की अद्यतन की गई अधिसूचना सं. डीएफसी.55/डीजी(ओ)-87 की एक -एक प्रति आपकी सूचना के लिए संलग्न है।

भवदीय

(पी. कृष्णमूर्ति)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक


भारतीय रिज़र्व बैंक
गैर बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग

केद्रीय कार्यालय
केंद्र - 1, विश्व व्यापार केंद्र
कफ परेड, कोलाबा
मुंबई - 400005

अधिसूचना सं. गैबैंपवि.198/मुमप्र(पी.के.)-2007, दिनांक 14 दिसंबर 2007

भारतीय रिज़र्व बैंक , इस बात से संतुष्ट होने पर कि जनता के हित में और वित्तीय प्रणाली को देश के हित में विनियमित करने हेतु बैंक को समर्थ बनाने के लिए अवशिष्ट गैर बैंकिंग कंपनी (रिज़र्व बैंक) निदेश, 1987 को संशोधित करना आवश्यक है, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 (1934 का 2) की धारा 45-ञ, 45-ञक, 45-’, 45-ठ द्वारा प्रदत्त शत्तियों और इस संबंध में उसे सक्षम बनाने वाली सभी शत्तियों का प्रयोग करते हुए एतद्वारा निदेश देता है कि 15 मई 1987 की अधिसूचना सं. डीएफसी. 55/डीजी(ओ)-87 में अंतर्विष्ट निदेश तत्काल प्रभाव से निम्नवत संशोधित होंगे :

पैराग्राफ र्5ीं के बाद निम्नलिखित पैराग्राफ जोड़ा जाएगा अर्थात;

"जनता की जमाराशियों की विलंब से अदायगी करने पर ब्याज का भुगतान

5AA. जहाँ जमाकर्ता द्वारा दावा करने पर कोई अवशिष्ट गैर बैंकिंग कंपनी परिपक्वता पर देय ब्याज सहित जमाराशि की अदायगी में विफल होती है, वहाँ कंपनी निम्नवत ब्याज अदा करेगी।

  1. यदि कंपनी जमाराशि की परिपक्वता की तारीख से न्यूनतम 2 माह पूर्व परिपक्वता की सूचना जमाकर्ता को दे देती है और उसके पास इस बात के पर्याप्त सबूत हों जैसे जमाकर्ता से प्राप्त पावती हो किन्तु जमाकर्ता परिपक्वता पर दावा प्रस्तुत करने में विफल हो तो कंपनी दावे की तारीख से अदायगी की तारीख तक जमाराशि पर देय ब्याज दर से ब्याज सहित परिपक्वता की राशि अदा करेगी।
  2. यदि कंपनी जमाराशि की परिपक्वता की तारीख से 2 माह पूर्व परिपक्वता की सूचना (जमाकर्ता को) नहीं देती है तो जब जमाकर्ता दावा करेगा तब कंपनी परिपक्वता की तारीख से अदायगी की तारीख तक जमाराशि पर देय ब्याज दर से ब्याज सहित परिपक्वता की राशि अदा करेगी।"

(पी. कृष्णमूर्ति)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक

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