RbiSearchHeader

Press escape key to go back

पिछली खोज

थीम
थीम
टेक्स्ट का साइज़
टेक्स्ट का साइज़
S1

Notification Marquee

आरबीआई की घोषणाएं
आरबीआई की घोषणाएं

RbiAnnouncementWeb

RBI Announcements
RBI Announcements

असेट प्रकाशक

79205851

लिबोर अंतरण हेतु रोडमैप

भा.रि.बैंक/2021-22/69
केका.एफएमआरडी.डीआईआरडी.एस39/14.02.001/2021-22

08 जुलाई 2021

प्रति

मुख्य कार्यपालक अधिकारी / अध्यक्ष / प्रबंध निदेशक,
सभी वाणिज्यिक और सहकारी बैंक / अखिल भारतीय वित्तीय संस्थान /
आवास वित्त कम्‍पनियों सहित गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी और एकल प्राइमरी डीलर

महोदया / महोदय

लिबोर अंतरण हेतु रोडमैप

भारतीय रिज़र्व बैंक ने अगस्त 2020 में बैंकों से अनुरोध किया गया था कि लंदन अंतर बैंक प्रस्ताव दर (लिबोर) से संबद्ध एक्‍सपोजरों का आकलन और लिबोर के परिसमापन से होने वाले जोखिमों के निवारण हेतु उठाए जाने वाले कदमों और वैकल्पिक संदर्भ दरों (एआरआर) को अपनाने के लिए तैयारी करते हुए अपने बोर्ड से अनुमोदित योजना तैयार की जाए। दि फिनैन्शियल कन्‍डक्‍ट अथॉरिटी (एफसीए), यूके ने 05 मार्च 2021 को घोषित कर दिया है कि किसी भी एडमिनिस्‍ट्रेटर द्वारा लिबोर सेटिंग या तो प्रदान नहीं की जाएगी या फिर अब यह आगे के लिए प्रतिनिधि दर नहीं रहेगी:

(अ) सभी पाउंड स्‍टर्लिंग, यूरो, स्‍विस फ्रैन्‍क और जापानी येन सेटिंग, और 1-सप्‍ताह और 2-माह वाली अमरीकी डॉलर सेटिंग के मामले में 31 दिसम्‍बर 2021 के तत्‍काल बाद से; और

(ब) अमरीकी डॉलर में शेष बची सेटिंग के मामले में 30 जून 2023 के तत्‍काल बाद से।

2. लिबोर से सुव्‍यवस्थित, निरापद और सम्‍यक अंतरण के उद्देश्‍य और इसमें निहित ग्राहक संरक्षण, प्रतिष्‍ठागत और मुकदमेबाजी के जोखिमों पर विचार करते हुए बैंकों/वित्तीय संस्‍थानों को प्रेरित किया जाता है कि लिबोर का संदर्भ बेंचमार्क के तौर पर लेते हुए नई वित्तीय संविदाएं करना समाप्‍त करें और अपने ग्राहकों को भी ऐसा ही करने को प्रेरित करें और इसके स्थान पर व्‍यापक रूप से स्‍वीकृत एआरआर को यथा व्‍यवहार्य शीघ्रता से और हर हाल में 31 दिसम्‍बर 2021 तक अवश्‍य अपना लें। यद्यपि अमरीकी डॉलर और लिबोर की कतिपय सेटिंग की 30 जून 2023 तक प्रकाशित किया जाता रहेगा, तथापि परिसमापन की इस टाइम-लाइन को आगे बढ़ाने का मुख्य लक्ष्‍य यही सुनिश्चित करना है कि अमरीकी डॉलर-लिबोर संबद्ध पहले से चली आ रही संविदाओं को खतम किया जाए; और लिबोर पर निर्भर बनाए रखने को प्रोत्‍साहित नहीं किया जाए। इसलिए, यह प्रत्‍याशित है कि 31 दिसम्‍बर 2021 के बाद लिबोर का संदर्भ देते हुए सामान्‍यतया केवल 31 दिसम्‍बर 2021 को या इससे पहले संविदाकृत लिबोर संविदाओं को उनके कारण पैदा होने वाले जोखिमों (उदाहरण के लिए प्रतिरक्षा संविदाएं, नोवेशन, ग्राहक क्रियाकलापों के समर्थन में मार्केट-मेकिंग, आदि) के प्रबंधन हेतु ही किया जाए।

3. बैंकों / वित्तीय संस्‍थानों से आग्रह है कि लिबोर का संदर्भ लेने वाली सभी वित्तीय संविदाओं और जिनकी परिपक्वता अलग-अलग लिबोर सेटिंग के घोषित समापन तारीख के बाद है, के संबंध में अलग-अलग समापन तारीखों से काफी पहले ही संविदाओं में मजबूत फ़ॉलबैक क्लॉज़ समाविष्‍ट करें। बैंकों/ वित्तीय संस्‍थानों को यह सुनिश्‍चित करने हेतु प्रेरित किया जाता है कि लिबोर का संदर्भ लेते हुए 31 दिसम्‍बर 2021 से पहले की गई नई संविदाओं का और जिनकी परिपक्‍वता लिबोर के समापन अथवा अप्रतिनिधिक हो जाने की तारीख के बाद है, उनमें फ़ॉलबैक क्लॉज़ समाहित करें। बैंक / वित्तीय संस्थान इस प्रयोजन के लिए विभिन्‍न एजेंसियों यथा – इन्‍टरनैशनल स्‍वैप्‍स एन्‍ड डेरिवेटिव असोशीऐशन, भारतीय बैंक संघ, लोन मार्केट असोशीऐशन, एशिया-पेसिफिक लोन मार्केट असोशीऐशन और बैंकर्स असोशीऐशन फॉर फाइनैंस एन्‍ड ट्रेड द्वारा तैयार किए गए मानक वाक्‍यांशों का संदर्भ लें।

4. बैंकों को यह भी प्रेरित किया जाता है कि फिनैन्शियल बेंचमार्क इंडिया प्रा.लि. (एफबीआइएल) द्वारा प्रकाशित मुंबई इंटरबैंक फॉरवर्ड आउट-राइट रेट (एमआईएफओआर), जिसमें लिबोर का भी संदर्भ रहता है, का प्रयोग भी यथा व्‍यवहार्य शीघ्रता और हर हाल में 31 दिसम्‍बर 2021 तक समाप्‍त करें। एफबीआईएल ने 15 जून 2021 से दैनिक समायोजित एमआईएफओआर और 30 जून 2021 से संशोधित एमआईएफओआर का प्रकाशन आरंभ कर दिया है, जिनका प्रयोग क्रमश: विगत से प्राप्‍त संविदाओं और नई संविदाओं के लिए किया जा सकता है। बैंक 31 दिसम्‍बर 2021 के बाद केवल कतिपय विशिष्‍ट प्रयोजनों हेतु ही एमआईएफओआर में सौदे करें, यथा जोखिम प्रबंधन क्रियाकलापों के समर्थन में किए गए लेनदेन जैसे कि 31 दिसम्‍बर 2021 को या इससे पहले निष्‍पादित मध्‍यवर्ती प्रतिपक्ष पद्धतियों में अपेक्षित प्रतिरक्षण सहभागिता (परिणामी एमआईएफओ आर एक्‍सपोजर की प्रतिरक्षा हेतु लेनदेन सहित), ग्राहक के क्रियाकलापों के समर्थन में मार्केट-मेकिंग अथवा संव्‍यवहारों के संबंध में एमआईएफओआर लेनदेनों का नोवेशन करना।

5. बैंक / वित्तीय संस्थान सभी प्रत्‍यक्ष और अप्रत्‍यक्ष लिबोर एक्‍सपोजरों की समेकित समीक्षा अवश्‍य करें और मूल्‍यांकन तथा संविदागत खंडों सहित अंतरण समस्‍याओं के कारण ऐसे एक्‍सपोजरों से पैदा होने वाले जोखिमों के निवारण हेतु एक व्‍यवस्‍था तैयार करें। वे एआरआर का संदर्भ लेते हुए उत्‍पादों का प्रस्ताव करने में सक्षम आवश्‍यक संरचना को भी तैयार करें। इस अंतरण और साथ-साथ लिबोर के लिए विकल्पों में निहित पद्धति और संकल्‍पनागत बदलाव के बारे में अपने ग्राहकों को संवेदनशील बनाने हेतु सतत प्रयास इस संबंध में बहुत महत्त्वपूर्ण होंगे।

6. रिज़र्व बैंक लिबोर से हटने हेतु इस अंतरण के संबंध में सामने आ रही वैश्विक और स्‍वदेशी स्थिति की निगरानी करना जारी रखेगा और इससे संबंधित जोखिमों को कम करने के लिए यथा आवश्‍यकता अनुसार पूर्वसक्रियता रखते हुए उपाय करेगा ताकि सहज प्रकार से अंतरण सुनिश्चित हो सके।

भवदीया

(डिम्पल भांडिया)
मुख्य महाप्रबंधक

RbiTtsCommonUtility

प्ले हो रहा है
सुनें

संबंधित एसेट

आरबीआई-इंस्टॉल-आरबीआई-सामग्री-वैश्विक

RbiSocialMediaUtility

आरबीआई मोबाइल एप्लीकेशन इंस्टॉल करें और लेटेस्ट न्यूज़ का तुरंत एक्सेस पाएं!

Scan Your QR code to Install our app

RbiWasItHelpfulUtility

क्या यह पेज उपयोगी था?