वित्तीय समावेशन - त्रिभाषी फॉर्म/ ब्रोशर/ पैम्फलेट - आरबीआई - Reserve Bank of India
वित्तीय समावेशन - त्रिभाषी फॉर्म/ ब्रोशर/ पैम्फलेट
आरबीआई/2005-06/270 30 दिसंबर 2005 अध्यक्ष प्रिय महोदय, वित्तीय समावेशन - त्रिभाषी फॉर्म/ ब्रोशर/ पैम्फलेट कृपया हमारे परिपत्र RPCD.CO.No.RRB.BC.58/03.05.33(F)/2005-06 दिनांक 27 दिसंबर 2005 का संदर्भ लें, जिसमें क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को सूचित किया गया था कि वे 'शून्य' या बहुत कम न्यूनतम शेष राशि के साथ एक बुनियादी बैंकिंग 'नो-फ्रिल्स' खाता उपलब्ध कराएं, साथ ही ऐसे शुल्क भी लगाएं, जिससे अधिक वित्तीय समावेशन के उद्देश्य को प्राप्त करने के लक्ष्य से ऐसे खाते आबादी के बड़े हिस्से के लिए सुलभ हो सकें। 2. बैंकों में ग्राहक सेवा पर गठित समिति (गोइपोरिया समिति) ने अन्य बातों के साथ-साथ यह सिफारिश की थी कि बैंकों को क्षेत्रीय भाषाओं/ हिंदी/ अंग्रेजी में अपने ब्रोशर/ पम्फलेट उपलब्ध कराने चाहिए, जिसमें संबंधित बैंक में उपलब्ध विभिन्न योजनाओं और उनके नियमों व शर्तों का विवरण हो। बैंकिंग सुविधाओं को देश की जनसंख्या के एक बड़े हिस्से तक पहुँचाने के लिए, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को अपने रीटेल ग्राहकों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली सभी मुद्रित सामग्री, जैसे- खाता खोलने के फॉर्म, पे-इन-स्लिप, पासबुक आदि को त्रिभाषी रूप में उपलब्ध कराना चाहिए, अर्थात अंग्रेजी, हिंदी और संबंधित क्षेत्र की क्षेत्रीय भाषा में। हालाँकि, ऐसे मामलों में जहाँ क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों ने पहले से ही ऐसी सामग्री क्षेत्रीय भाषा/ भाषाओं में उपलब्ध करा दी है, उन्हें इसे त्रिभाषी रूप में उपलब्ध कराने की आवश्यकता नहीं है। 3. कृपया हमारे संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को इसकी पावती भेजें।
भवदीय (के. भट्टाचार्य) |