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एनपीए का प्रबंधन – सशक्‍त कार्यप्रणाली एवं वर्गीकृत आंकड़ों की आवश्‍यकता

भारिबैं/2012-13/318
ग्राआऋवि.आरआरबी.सं.बीसी. 49/03.05.33/2012-13

6 दिसंबर 2012

सभी क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक

महोदय,

एनपीए का प्रबंधन – सशक्‍त कार्यप्रणाली एवं वर्गीकृत आंकड़ों की आवश्‍यकता

कृपया आप 17 अप्रैल 2012 को घोषित मौद्रिक नीति वक्‍तव्‍य, 2012-13 का पैरा 100 (उद्धरण संलग्‍न) देखें ।

2. जैसा कि उसमें उल्लिखित हैं, बैंकों की आस्ति-गुणवत्ता उनकी वित्तीय स्थिति का एक महत्वपूर्ण सूचक है। तथापि, यह देखा गया है कि आस्ति गुणवत्‍ता में गड़बड़ी के बारे में पहले ही सचेत करने के संबंध विद्यमान आइटी एवं एमआइएस ढांचे में सुधार किए जाने की जरूरत है। अत: बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे अपने विद्यमान आईटी एवं एमआइएस की समीक्षा करें तथा व्‍यक्तिगत खाता स्‍तर एवं खंड (आस्ति वर्ग, उघोग, भौगोलिक स्थिति, आकारमान आदि) स्‍तर पर गड़बड़ी के संकेतों का पूर्व में ही पता लगाने के लिए एक मज़बूत कार्यप्रणाली (तंत्र) स्‍थापित करें। ऐसे पूर्व में सचेत करने संबंधी संकेतों को उपयोग वर्तमान के विनियामक ढांचे के भीतर गड़बड़ी की स्थितिवाले अर्थक्षम खातों के लिए पारदर्शी पुनर्संरचना तंत्र सहित बचावकारी आस्ति गुणवत्‍ता प्रबंधन ढ़ांचा स्‍थापित करने के लिए किया जाए ताकि सभी खंडों में उन संस्‍थाओं का आर्थिक मूल्‍य संरक्षित हो।

3. बैंकों की आईटी एवं एमआइएस प्रणाली सशक्‍त होनी चाहिए तथा वह प्रभावशाली निर्णय प्रक्रिया के लिए उनकी आस्ति गुणवत्‍ता के संबंध में विश्‍वसनीय और गुणवत्‍ता पूर्ण जानकारी निर्मित करने में सक्षम हो। विनियामक / सांविधिक रिपोर्टिंग के अंतर्गत प्रेषित जानकारी तथा बैंकों की स्‍वयं की रिपोर्टिंग में प्रेषित जानकारी में कोई विसंगति नहीं होनी चाहिए। क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को यह भी सूचित किया जाता है कि वे गैर-निष्‍पादक आस्तियों और ऐसी पुनसंरचित आस्तियों पर खंड वार जानकारी निर्मित करने की प्रणाली बना लें जिसमें अथ शेष, जोड़ी गई प्रविष्टियों, कटौतियां (उन्‍नयन, वास्‍तविक वसूलियां, बट्टे खाते डाली गई राशि, आदि), इतिशेष, धारित प्रावधान , तकनीकी रूप में बट्टेखाते संबंधी प्रविष्टियां आदि शामिल हो ।

भवदीय.

( सी. डी. श्रीनिवासन )
मुख्‍य महाप्रबंधक


मौद्रिक नीति 2012-13 की दूसरी तिमाही समीक्षा का उद्धरण

अनर्जक आस्ति (एनपीए) प्रबंधन – एक सशक्त कार्यप्रणाली एवं वर्गीकृत आँकड़ों की आवश्यकता

100. बैंकों की आस्ति-गुणवत्ता उनकी वित्तीय स्थिति का एक महत्वपूर्ण सूचक है। इससे यह भी पता चलता है कि बैंकों का ऋण जोखिम प्रबंधन तथा वसूली का माहौल कितना प्रभावशाली है। यह अहम बात है कि सभी समस्याग्रस्त खातों में गड़बड़ी के लक्षणों को पहले ही पकड़ लिया जाए और उनमें से संभावना वाले खातों को जल्द से जल्द पुनर्रचना सुविधाएँ भी प्रदान की जाएं ताकि उनका आर्थिक मूल्य बचाए रखा जा सके। वार्षिक वित्तीय निरीक्षण (एएफआई) के दौरान यह पाया गया है कि छोटे खातों को पुनर्रचना सुविधाएँ तत्काल नहीं प्रदान की जातीं। बैंकों की अपनी अनर्जक आस्तियों (एनपीए) तथा पुनर्रचित खातों का प्रभावी ढंग से प्रबंधन करने की क्षमता बढ़ाने के लिए तथा यह मानते हुए कि बैंकों की सभी शाखाएँ कंप्यूटरीकृत हो गई हैं, प्रस्ताव है कि :

  • बैंकों को यह निदेश दिया जाए कि वे एक ऐसी मजबूत कार्यप्रणाली स्थापित करें जिसमें गड़बड़ी के लक्षणों का पहले ही पता चल सके और अन्य उपायों सहित जरूरत के मुताबिक संभावना वाले सभी खातों की शीघ्र पुनर्रचना व्यवस्था भी हो ताकि उनका आर्थिक मूल्य बचाए रखा जा सके; और

  • बैंकों को यह निदेश दिया जाए कि वे अपने एनपीए खातों, बट्टे-खातों, समझौता निपटानों, वसूली तथा पुनर्रचित खातों संबंधी मदवार समुचित आंकड़े रखें जो सिस्टम जेनरेटेड / कंप्यूटर से प्राप्त किए गए हों।

101. इस संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश अलग से जारी किए जाएंगे।

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