बैंक खाते खोलना - वेतनभोगी कर्मचारी - आरबीआई - Reserve Bank of India
बैंक खाते खोलना - वेतनभोगी कर्मचारी
आरबीआइ/2010-11/98 6 दिसंबर 2010 अध्यक्ष महोदय बैंक खाते खोलना - वेतनभोगी कर्मचारी कृपया "अपने ग्राहक को जानें" (केवाईसी) –दिशानिर्देश – धनशोधन निवारण के संबंध में 18 फरवरी 2005 का हमारा परिपत्र ग्राआऋवि.आरआरबी. सं. बीसी.81/ 03.05.33(ई)/ 2004-05 देखें। उक्त परिपत्र के साथ संलग्न "अपने ग्राहक को जानें" मानदण्डों और धनशोधन निवारण उपायों के संबंध में दिशा-निर्देशों के अनुबंध II में ऐसे दस्तावेजों/ सूचनाओं की प्रकृति और स्वरूप के संबंध में एक निदर्शनात्मक सूची दी गयी है, जिनका उपयोग बैंक खाते खोलते समय ग्राहकों की पहचान और पते के सत्यापन के लिए किया जा सकता है। 2. यह बात हमारे ध्यान में लायी गयी है कि वेतन-भोगी कर्मचारियों के बैंक खाते खोलते समय कुछ बैंक पहचान के प्रमाण के लिए तथा पते के प्रमाण के लिए नियोक्ता द्वारा जारी प्रमाणपत्र/पत्र पर एकमात्र केवाइसी दस्तावेज के रूप में निर्भर करते हैं। इस प्रकार की प्रथा का दुरुपयोग हो सकता है और यह जोखिम से भरी हुई है। अतः यह स्पष्ट किया जाता है कि धोखाधड़ी के जोखिम को नियंत्रित रखने के लिए यह आवश्यक है कि क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक ऐसे प्रमाण पर तभी भरोसा करें जब वे प्रतिष्ठित कार्पोरेट और अन्य संस्थाओं द्वारा जारी किये गये हों तथा बैंकों को इस संबंध में सचेत होना चहिए कि इस प्रकार के प्रमाण पत्र/पत्र जारी करने के लिए संबंधित नियोक्ता द्वारा निर्दिष्ट सक्षम प्राधिकारी कौन है। साथ ही, नियोक्ता के प्रमाण पत्र के अलावा, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक को कार्पोरेट तथा अन्य संस्थाओं के वेतनभोगी कर्मचारियों के बैंक खाते खोलने के लिए केवाइसी प्रयोजन के लिए धनशोधन निवारण नियमावली में दिये गये अधिकृत वैध दस्तावेजों (अर्थात् पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड, मतदाता पहचान पत्र आदि) या उपयोगिता बिलों में से कम-से-कम एक की प्रस्तुति पर जोर देना चहिए। 3. ये दिशा-निर्देश बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 35क तथा धनशोधन निवारण (लेनदेन के स्वरूप और मूल्य के अभिलेखों का रखरखाव, सूचना प्रस्तुत करने की समय सीमा और उसके रखरखाव की क्रियाविधि और पद् धति तथा बैंकिंग कंपनियों, वित्तीय संस्थाओं और मध्यवर्ती संस्थाओं के ग्राहकों की पहचान के अभिलेखों का सत्यापन और रखरखाव) नियमावली, 2005 के नियम 7 के अंतर्गत जारी किये जा रहे हैं। इनका उल्लंघन या अननुपालन बैंककारी विनियमन अधिनियम के अंतर्गत दंडनीय है। 4. अनुपालन / प्रधान अधिकारी द्वारा इस पत्र की पावती हमारे संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को भेजी जाए। भवदीय (बी. पी. विजयेन्द्र ) |