स्वर्ण आभूषणों पर ऋण - आरबीआई - Reserve Bank of India
स्वर्ण आभूषणों पर ऋण
आरबीआई/2014-15/111 01 जुलाई 2014 अध्यक्ष / मुख्य कार्यपालक अधिकारी महोदय/महोदया, स्वर्ण आभूषणों पर ऋण कृपया आप `स्वर्ण के गहने और आभूषणों पर अग्रिम' संबंधी हमारा दिनांक 27 फरवरी 2006 का परिपत्र ग्राआऋवि.केंका.सं.आरआरबी.बीसी.64/03.05.34/2005-06 और 9 मार्च 2006 का परिपत्र ग्राआऋवि.केंका.आरएफ.बीसी.सं.67/07.40.06/2005-06 देखें। 2. विवेकपूर्ण उपाय के रूप में यह निर्णय लिया गया है कि बैंकों द्वारा चिकित्सा व्यय और अप्रत्याशित देयताओं की पूर्ति करने के लिए स्वर्ण आभूषणों (स्वर्ण आभूषणों को गिरवी रखने पर एकबारगी (बुलेट) चुकौती ऋणों सहित) पर उधार दिए जाने के प्रयोजन हेतु 75 प्रतिशत से अनधिक का मूल्य की तुलना में ऋण (एलटीवी) अनुपात निर्धारित किया जाए। अत: आगे से क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक और राज्य / केंद्रीय सहकारी बैंकों द्वारा स्वीकृत ऋण स्वर्ण के गहनों और आभूषणों के मूल्य के 75 प्रतिशत से अधिक नहीं होने चाहिए। 3. मूल्य निर्धारण के मानकीकरण और ऋणकर्ता के लिए उसे अधिक पारदर्शी बनाने हेतु यह निर्णय लिया गया है कि जमानत/संपार्श्विक जमानत के रूप में स्वीकार किए गए स्वर्ण आभूषणों का मूल्य इंडिया बुलियन एण्ड ज्वेलर्स एसोसिएशन लि. (पहले बाम्बे बुलियन एसोसिएशन लि. (बीबीए) के नाम से विख्यात) द्वारा पूर्ववर्ती 30 दिनों के लिए 22 कैरेट स्वर्ण के लिए बोली लगाए (कोट किए) गए अंतिम भाव के औसत की दर पर निर्धारित किया जाए। यदि स्वर्ण की शुद्धता 22 कैरेट से कम होगी तो बैंकों को चाहिए कि वे संपार्श्विक जमानत को 22 कैरेट में रूपांतरित करें और संपार्श्विक जमानत के सही ग्राम का मूल्यन दें। दूसरे शब्दों में कम शुद्धता के स्वर्ण आभूषणों का मूल्य अनुपातिक आधार पर निर्धारित किया जाएगा। 4. यह दोहराया जाता है कि क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक और राज्य/केंद्रीय सहकारी बैंकों को आवश्यक और सामान्य रक्षोपायों का पालन करते रहना चाहिए तथा बैंक के पास अपने निदेशक मंडल के अनुमोदन से स्वर्ण आभूषणों पर उधार प्रदान करने के लिए उचित नीति होनी चाहिए। भवदीय (ए. उदगाता) |