बैंकिंग कंपनियां (नामांकन) नियमावली, 1985 – स्पष्टीकरण - आरबीआई - Reserve Bank of India
बैंकिंग कंपनियां (नामांकन) नियमावली, 1985 – स्पष्टीकरण
भारिबैं / 2012-13 /333 12 दिसंबर 2012 सभी क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक महोदय बैंकिंग कंपनियां (नामांकन) नियमावली, 1985 – स्पष्टीकरण 1. नामांकन फॉर्म में साक्षीदार जैसाकि आप जानते हैं बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धाराएं 45 ज़ेड ए, 45 ज़ेड सी और 45 ज़ेड ई के साथ पठित धारा 52 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए बैंकिंग कंपनी (नामांकन) नियमावली, 1985 बनाई गई हैं। नामांकन नियमावली में नामांकन फॉर्म (डी ए1, डीए 2 और डीए 3 ) भी निर्धारित किए गए हैं । इन फॉर्मों में, अन्य बातों के साथ-साथ, यह निर्धारित किया गया है कि खाताधारी के अंगूठे के निशान को दो साक्षीदारों द्वारा प्रमाणित किया जाना चाहिए। हमारे ध्यान में यह बात आई है कि कुछ बैंक हस्ताक्षर के लिए भी साक्षीदारों द्वारा प्रमाणन का आग्रह करते हैं । हमने भारतीय बैंक संघ के परामर्श से इस मुद्दे की जांच की है और यह स्पष्ट करते हैं कि बैंकिंग कंपनी (नामांकन) नियमावली, 1985 के अंतर्गत निर्धारित विभिन्न फॉर्मों (बैंक जमाराशियों के लिए डी ए1, डी ए2 और डी ए3 (सेफ कस्टडी) सुरक्षा अभिरक्षा में रखी वस्तुओं के लिए फार्म एस सी1, एस सी2 और एस सी3, सुरक्षा लॉकरों के लिए एस एल1, एस एल1ए, एस एल2, एस एल3 और एसएल 3ए) के संबंध में ही केवल अंगूठे के निशान को दो साक्षीदारों द्वारा प्रमाणित किया जाना है। खाताधारी के हस्ताक्षर को साक्षीदारों द्वारा प्रमाणित किए जाने की आवश्यकता नहीं है । 2. संयुक्त जमा खाते के मामले में नामांकन यह पता चला है कि ' दोनों में से एक या जीवित ' अधिदेश के साथ अथवा बिना, संयुक्त खाता खोलनेवाले ग्राहकों को नामांकन सुविधा प्राप्त करने से कभी कभी रोका जाता है। यहस्पष्ट किया जाता है कि नामांकन सुविधा संयुक्त जमा खातों के लिए भी उपलब्ध है । अत: बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे सुनिश्चित करें कि उनकी शाखाओं द्वारा ग्राहकों द्वारा खोले जानेवाले संयुक्त खातों सहित सभी जमा खाताधारियों को नामांकन की सुविधा दी जाती है । बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे ऊपर दिए गए स्पष्टीकरण के अनुसार अनुदेशों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करें । भवदीय ( सी. डी. श्रीनिवासन ) |