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रुपया आहरण व्यवस्था– व्यापार से संबंधित विप्रेषण सीमा में वृद्धि

भारिबैंक/2013-14/516
ए.पी.(डीआईआर सीरीज) परिपत्र सं. 111

13 मार्च 2014

सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक

महोदया/महोदय,

रुपया आहरण व्यवस्था– व्यापार से संबंधित विप्रेषण सीमा में वृद्धि

प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंकों का ध्यान अनिवासी विनिमय गृहों के रुपया/विदेशी मुद्रा वोस्ट्रो खाते खोलने और रखने से संबंधित अनुदेशों के ज्ञापन संबंधी 6 फरवरी 2008 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 28 [ए.पी.(एफएल/आरएल सीरीज़) परिपत्र सं.2], समय समय पर यथा संशोधित, के संलग्नक I के भाग (बी) की ओर आकृष्ट किया जाता है।

2. रुपया आहरण व्यवस्था के अंतर्गत अनुमत लेनदेनों की समीक्षा करने पर यह निर्णय लिया गया है कि व्यापार से संबंधित लेनदेनों के बाबत प्रति विप्रेषण रु. 2,00,000/-(रुपए दो लाख मात्र) की वर्तमान सीमा को तत्काल प्रभाव से बढ़ाकर प्रति लेनदेन रु. 5,00,000/-(रुपए पांच लाख मात्र) किया जाए।

3. समय समय पर यथा संशोधित 6 फरवरी 2008 के ए.पी.(डीआईआर सीरीज़) परिपत्र सं. 28 [ए.पी.(एफएल/आरएल सीरीज़) परिपत्र सं.2] द्वारा जारी सभी अन्य अनुदेश अपरिवर्तित बने रहेंगे।

4. प्राधिकृत व्यक्ति (भारतीय एजेंट) इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों को अवगत कराएं ।

5. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और 11(1) के अंतर्गत और किसी अन्य विधि के अंतर्गत अपेक्षित किसी अनुमत/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना जारी किये गये हैं।

भवदीय

(रुद्र नारायण कर)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक

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