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कर्मचारी स्टाक विकल्प योजनी के तहत भारतीय कंपनियों के अनिवासी भारतीय कर्तचारियों को रुपया ऋण

आर बी आइ/2007-08/118
ए.पी.(डी आइ आर सिरीज) परिपत्र सं. 07

अगस्त 22, 2007

सेवा में
सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक

कर्मचारी स्टाक विकल्प योजनी के तहत भारतीय कंपनियों के अनिवासी भारतीय कर्तचारियों को रुपया ऋण

जैसा कि आपको मालूम है बैंकों को अनुमति दी गई है कि वे कर्मचारी स्टाक विकल्प योजना के तहत भारतीय कंपनी के निवासी कर्मचारियों को कंपनी के शेयरों की खरीद के लिए शेयरों के खरीद मूल्य का 10 प्रतिशत अथवा 20 लाख रूपए , जो भी कम हो, की सीमा तक रुपए में ऋण दे सकते हैं । कर्मचारी स्टाक विकल्प योजना के तहत बैंकों द्वारा दिए गए रुपया ऋण को बैंक के निवल मालियत के 50 प्रतिशत की समग्र सीमा के अंदर पूंजी बाजार को बैंक वित्त के रूप में समझा जाता है ।

2. समय - समय पर यथासंशोधित मई 3, 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 4/2000 - आर बी डविदेशी मुद्रा प्रबंध (रुपए में उधार लेना और देना) विनियमावली, 2000 के विनिमय 7 के अनुसार प्राधिकृत बैंकों को शर्तों के अधीन कतिपय प्रयोजनों के लिए अनिवासी भारतीयों को रुपया ऋण प्रदान करने की अनुमति है ।

3. हमें बैंकों से इस आशय के अनुरोध प्राप्त हो रहे हैं कि कर्मचारी स्टाक विकल्प योजना के तहत कंपनियों के शेयर खरीदने हेतु भारतीय कंपनियों के अनिवासी भारतीय कर्मचारियों का रुपया ऋण प्रदान करने की उन्हें अनुमति दी जाए । अनुरोधों की जांच की गई है और यह निर्णय लिया गया है कि प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I को अनुमति दी जाए कि वे कर्मचारी स्टाक विकल्प योजना के तहत कंपनियों के शेयर अधिगृहीत करने हेतु भारतीय कंपनियों के अनिवासी कर्मचारियों का रुपया ऋण दें ।ऋण योजना बैंक के बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति के अनुसार होनी चाहिए तथा आगे निम्नलिखित शर्तों के अधीन होगी ।

  1. ऋण राशि प्रति अनिवासी भारतीय कर्मचारी, शेयरों के खरीद मूल्य के 90 प्रतिशत अथवा 20 लाख रूपए , जो भी कम हो, से अधिक नहीं होना चाहिए ।
  2. ऐसे ऋणों पर ब्याज की दर और मार्जिन का निर्धारण समय-समय पर रिज़र्व बैंक द्वारा जारी निदेशों के अधीन बैंकों द्वारा किया जाएगा ।
  3. बैंक , राशि का भुगतान कंपनी को सीधे करेगा तथा भारत में उधारकर्ता के अनिवासी खाते में जमा नहीं किया जाएगा ।
  4. उधारकर्ता, आवक प्रेषणों अथवा अपने एन आर ओ/एन आर ई / एफ सी एन आर (बी) खाते के नामे डालकर ऋण राशि की चुकौती करेगा ।
  5. पूंजी बाजार एक्सपोजर की गणना के लिए ऋण को शामिल किया जाएगा तथा बैंक यह सुनिश्चित करेगा कि पूंजी बाजार के ऐसे एक्सपोजर के लिए समय-समय पर रिज़र्व बैंक (डीबीओडी) द्वारा निर्धारित विवेकपूर्ण सीमाओं की अनुपालन किया जाता है ।

4. विदेशी मुद्रा प्रबंध (रुपए में उधार लेना अथवा देना) विनियमावली, 2000 में आवश्यक संशोधन अलग से जारी किए जा रहे हैं ।

5. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने सभी घटकों और ग्राहकों को अवगत कराएं ।

6. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुदा प्रबंध अधिनियम 1999 (1999 की 42) धारा 10(4) और धारा 11 (1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति / अनुमोन यदि कोई हो , पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर है ।

भवदीय

(सलीम गंगाधरन )
मुख्य महा प्रबंधक

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