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बैंकों द्वारा प्रदान की जाने वाली सुरक्षित जमा लॉकर/सुरक्षित अभिरक्षा सामग्री सुविधा

आरबीआई/2022-23/168
केंका.उशिसंक.नीअअ.सं.एस1233/13-01-018/2022-2023

23 जनवरी 2023

सभी वाणिज्यिक बैंक (आरआरबी,
लघु वित्त बैंक, भुगतान बैंक
और स्थानीय क्षेत्र बैंक सहित)
सभी सहकारी बैंक

बैंकों द्वारा प्रदान की जाने वाली सुरक्षित जमा लॉकर/सुरक्षित अभिरक्षा सामग्री सुविधा

कृपया उपर्युक्त विषय पर आरबीआई के दिनांक 18 अगस्त 2021 के परिपत्र विवि.एलईजी.आरईसी/40/09.07.005/2021-22 का संदर्भ लें।

2. उक्त परिपत्र के पैराग्राफ 2.1.1 के अनुसार, बैंकों को अपने मौजूदा लॉकर ग्राहकों के साथ लॉकर करार को 1 जनवरी, 2023 तक नवीनीकृत करना आवश्यक था। हालांकि, रिज़र्व बैंक के संज्ञान में यह आया है कि बड़ी संख्या में ग्राहकों ने अभी तक संशोधित करार को निष्पादित नहीं किया है और ऐसा करने में कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। कई मामलों में, बैंकों द्वारा अभी तक ग्राहकों को 1 जनवरी, 2023 से पूर्व करार के नवीकरण की आवश्यकता के बारे में सूचित किया जाना शेष है। इसके अतिरिक्त, संशोधित अनुदेशों का पूरी तरह से अनुपालन करने के लिए भारतीय बैंक संघ (आईबीए) द्वारा तैयार किए गए मॉडल करार में संशोधन की आवश्यकता है।

3. उपर्युक्त पहलुओं को ध्यान में रखते हुए, बैंकों के लिए समय सीमा को चरणबद्ध रूप से 31 दिसंबर, 2023 तक बढ़ाया जा रहा है। बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे अपने सभी ग्राहकों को संशोधित आवश्यकताओं के बारे में 30 अप्रैल 2023 तक सूचित करें और यह सुनिश्चित करें कि उनके मौजूदा ग्राहकों में से कम से कम 50 प्रतिशत और 75 प्रतिशत ने क्रमशः 30 जून और 30 सितंबर, 2023 तक संशोधित करारों को निष्पादित किया हो। बैंक मासिक आधार पर रिज़र्व बैंक के दक्ष पर्यवेक्षी पोर्टल पर इन अनुदेशों के अनुपालन की स्थिति को रिपोर्ट करेंगे।

4. यह सुनिश्चित करने हेतु कि यह 18 अगस्त, 2021 के परिपत्र की आवश्यकताओं का अनुपालन करता है आईबीए को मॉडल करार की समीक्षा और संशोधन करने तथा 28 फरवरी, 2023 तक सभी बैंकों को एक संशोधित संस्करण परिचालित करने हेतु अलग से सलाह दी जा रही है। ऐसे मामले हो सकते हैं, जहां 18 अगस्त, 2021 के परिपत्र के अनुसरण में पहले से निष्पादित संशोधित करार इस संशोधित आईबीए मॉडल करार से भिन्न हों। ऐसे मामलों में, भारतीय रिजर्व बैंक के उक्त परिपत्र के सभी प्रावधान, विशेष रूप से बैंकों की क्षतिपूर्ति नीति/देयता संबंधी भाग VII, बैंकों पर लागू होते रहेंगे, भले ही पहले से निष्पादित करार में स्पष्ट रूप से उल्लिखित न हों। इसके अतिरिक्त ऐसे मामलों में, बैंकों के पास नए करार को निष्पादित करने या पूरक करार के माध्यम से उन्हें संशोधित करने का विकल्प होगा। ऐसे मामलों में स्टाम्प पेपर की लागत बैंकों द्वारा वहन की जाएगी।

5. बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे स्टाम्प पेपर, फ्रैंकिंग, करार के इलेक्ट्रॉनिक निष्पादन, ई-स्टाम्पिंग आदि की व्यवस्था करके अपने ग्राहकों के साथ नए/पूरक स्टाम्प करार के निष्पादन को सुविधाजनक बनाएं और निष्पादित करार की एक प्रति ग्राहक को प्रदान करें। जहां 1 जनवरी, 2023 तक करार के गैर-निष्पादन के कारण लॉकरों में परिचालन को बंद कर दिया गया है, उन्हें तत्काल प्रभाव से शुरू कर दिया जाना चाहिए।

भवदीया,

(अनुपम सोनल)
मुख्य महाप्रबंधक

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