भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 42 (1) - सीआरआर बनाए रखना - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 42 (1) - सीआरआर बनाए रखना
आरबीआइ / 2007-08/304
संदर्भ : बैंपविवि. सं. आरईटी बीसी. 79/12.01.001/2007-08
29 अप्रैल 2008
9 वैशाख 1930 (शक)
सभी अनुसूचात वाणिज्य बैंक
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)
महोदय
भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 42 (1) - सीआरआर बनाए रखना
कृपया उपर्युक्त विषय पर 21 अप्रैल 2008 का हमारा परिपत्र आरबीआइ/2007-2008/287 बैंपविवि. सं. आरईटी. बीसी. 70/12.01.001/2007-2008 देखें। 29 अप्रैल 2008 को वर्ष 2008-09 के लिए जारी किए गए गवर्नर महोदय के वार्षिक नीति वक्तव्य में दिए गए अनुसार चलनिधि की परिवर्तनशील स्थिति की समीक्षा करने पर यह निर्णय लिया गया है कि अनुसूचित वाणिज्य बैंकों के आरक्षित नकदी निधि अनुपात (सीआरआर) को 24 मई 2008 को प्रारंभ होनेवाले पखवाड़े से बढ़ाकर उनकी निवल मांग तथा मीयादी देयताओं के 8.00 प्रतिशत से 8.25 प्रतिशत किया जाए ।
इससे संबंधित 29 अप्रैल 2008 की अधिसूचना बैंपविवि. सं. आरईटी. बीसी. 78 /12.01.001/ 2007-2008 की प्रतिलिपि संलग्न है।
कृपया प्राप्ति-सूचना दें ।
भवदीय
(विनय बैजल)
मुख्य महाप्रबंधक
बैंपविवि. सं. आरईटी बीसी. 78 /12.01.001/2007-2008
29 अप्रैल 2008
9 वैशाख 1930 (शक)
अधिसूचना
भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 42 की उप-धारा (1) के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए तथा 21 अप्रैल 2008 की अपनी अधिसूचना बैंपविवि.सं.आरईटी बीसी. 69/ 12.01.001/2007-2008 में आंशिक संशोधन करते हुए, भारतीय रिज़र्व बैंक एतद्वारा यह अधिसूचित करता है कि प्रत्येक अनुसूचित वाणिज्य बैंक द्वारा रखे जाने के लिए अपेक्षित औसत आरक्षित नकदी निधि अनुपात (सीआरआर), 24 मई 2008 को प्रारंभ होनेवाले पखवाड़े से उसकी निवल मांग तथा मीयादी देयताओं के 8.25 प्रतिशत होगा।
(आनंद सिन्हा)
कार्यपालक निदेशक