भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की द्वितीय अनुसूची – समावेशन के लिए मानदंड़ - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की द्वितीय अनुसूची – समावेशन के लिए मानदंड़
आरबीआई/2013-14/298 27 सितंबर 2013 मुख्य कार्यपालक अधिकारी महोदया/ महोदय, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की द्वितीय अनुसूची – समावेशन के लिए मानदंड़ कृपया उपर्युक्त विषय पर दिनांक 13 जुलाई 2004 का हमारा परिपत्र शबैंवि सं. बीपीडी 3/16.05.00/2004-05 देखें जिसमें शहरी सहकारी बैंकों को हमारे इस निर्णय के संबंध में सूचित किया गया था कि भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की द्वितीय अनुसूची में शामिल होने के लिए मांग करते हुए किसी भी आवदेन पर फिलहाल विचार नहीं किया जाएगा। 2. अब, शहरी सहकारी बैंकों से भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की द्वितीय अनुसूची में शामिल होने के लिए प्राप्त आवदेनों पर विचार करने का निर्णय लिया गया है। हम दिनांक 04 मई 2013 को भारतीय राजपत्र में प्रकाशित तथा भारत सरकार द्वारा 29 अप्रैल 2013 को जारी अधिसूचना सं. एफ सं.3/42/2011- एसी की प्रति संलग्न कर रहे हैं जिसमें यह अधिसूचित किया गया है कि दिनांक 01 अप्रैल 2013 से केवल ऐसे प्राथमिक सहकारी बैंक, जिनके पास लाइसेंस है और जिनकी मांग और मीयादी देयताएं (डीटीएल) ₹750 करोड़ से कम नहीं है, उन्हें भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 42 की उप-धारा (6) के खंड़ (ए) के उप-खंड़ (iii) में शामिल करने के प्रयोजन के लिए शहरी सहकारी बैंकों को ‘वित्तीय संस्था’ के रूप में माना जाएगा। 3. भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की द्वितीय अनुसूची में शामिल होने के लिए इच्छुक तथा निरीक्षण रिपोर्टों के अनुसार मूल्यांकित किए गए वित्तीय आंकड़ों के आधार पर निम्नलिखित वित्तीय मानदंडों जैसे: ए) लगातार एक वर्ष के लिए मीयादी और मांग देयताएं ₹ 750 करोड़ से कम नहीं हों को पूरा करने वाले शहरी सहकारी बैंक अपने आवेदन को संबंधित कागज़ातों के साथ (दो सेट में) अनुबंध में दिए गए अनुसार शहरी बैंक विभाग के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को भेजें। भवदीय, (ए.के.बेरा) भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की द्वितीय अनुसूची में शामिल होने के लिए आवेदन प्रस्तुत करते समय दिए जाने वाले दस्तावेज़:
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