बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 23 – द्वारस्थ बैंकिंग सेवा - आरबीआई - Reserve Bank of India
बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 23 – द्वारस्थ बैंकिंग सेवा
आरबीआई/2022-23/66 8 जून, 2022 सभी प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक महोदया / महोदय बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 23 – द्वारस्थ बैंकिंग सेवा बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 (एएसीएस) की धारा 23 के अनुसार प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों (शहरी सहकारी बैंकों) को ग्राहक को द्वारस्थ बैंकिंग सेवाएँ प्रदान करने सहित किसी भी नई जगह पर कारोबार की शुरुआत करने से पहले रिज़र्व बैंक का पूर्वानुमोदन प्राप्त करना आवश्यक है। 2. उपर्युक्त को ध्यान में रखते हुए, यह निर्णय लिया गया है कि वित्तीय रूप से मजबूत और सुप्रबंधित (एफ़एसडबल्यूएम) शहरी सहकारी बैंकों को स्वैच्छिक आधार पर अपने ग्राहकों को द्वारस्थ बैंकिंग सेवाएँ प्रदान करने की अनुमति दी जाएं। तथापि, गैर-एफ़एसडबल्यूएम शहरी सहकारी बैंकों को द्वारस्थ सेवाएँ प्रदान करने के लिए रिजर्व बैंक के संबन्धित क्षेत्रीय कार्यालय के पर्यवेक्षण विभाग का पूर्वानुमोदन लेना होगा। 3. पात्र शहरी सहकारी बैंक अपने ग्राहकों को द्वारस्थ बैंकिंग सेवाएँ प्रदान करने के लिए इस पत्र के साथ संलग्न दिशानिर्देशों के अनुसार अपने बोर्ड के अनुमोदन से एक योजना तैयार करें। 4. शहरी सहकारी बैंकों को यह सूचित किया जाता है कि वे ग्राहकों को सीधे अपने कर्मचारियों के जरिए या एजेंट के जरिए द्वारस्थ बैंकिंग सेवाएँ प्रदान करते समय उत्पन्न होनेवाले विभिन्न जोखिमों को ध्यान में रखें और उनका प्रबंधन करने हेतु सभी आवश्यक कदम उठाएँ। 5. योजना की शुरुआत के पहले वर्ष के दौरान अर्ध-वार्षिक आधार पर शहरी सहकारी बैंक के बोर्ड द्वारा इसके संचालन की समीक्षा भी की जाएं। तत्पश्चात योजना की समीक्षा वार्षिक आधार पर करें। भवदीय (श्रीमोहन यादव) संलग्न: यथोक्त शहरी सहकारी बैंकों द्वारा द्वारस्थ बैंकिंग के लिए दिशानिर्देश 1. प्रदान की जानेवाली सेवाएँ शहरी सहकारी बैंक स्वेच्छा से व्यक्तिगत ग्राहकों/वास्तविक व्यक्तियों को उनके दरवाजे पर निम्नलिखित बैंकिंग सेवाएं प्रदान कर सकते हैं: -
शहरी सहकारी बैंक जो नकदी लेने की सेवाएं प्रदान करते हैं, अपने कर्मचारियों और एजेंटों को जाली और कटे-फटे नोटों का पता लगाने में सक्षम बनाने के प्रति उन्हें शिक्षित करने के लिए उपयुक्त कदम उठाएँ ताकि धोखाधड़ी और ग्राहकों के साथ विवादों से बचा जा सके। 2. प्रदान करने की प्रणाली
जहां शहरी सहकारी बैंक इन सेवाओं को प्रदान करने के लिए एजेंटों की सेवाएं लेते हैं, यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि एजेंटों के चयन और शुल्क/कमीशन के भुगतान आदि के लिए बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति में व्यापक सिद्धांत निर्धारित करे जाएं । शहरी सहकारी बैंकों को दिनांक 28 जून 2021 को जारी हमारे परिपत्र डीओआर.ओआरजी.आरईसी.27/21.04.158/2021-22 के तहत जारी सहकारी बैंकों द्वारा वित्तीय सेवाओं के आउटसोर्सिंग में जोखिमों के प्रबंधन पर दिशानिर्देशों का संदर्भ लेना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि द्वारस्थ बैंकिंग सेवाएँ प्रदान करते समय परिपत्र में उल्लिखित सिद्धांतों का अनुपालन किया जाता है। 3. प्रदान करने की प्रक्रिया
4. जोखिम प्रबंधन यह सुनिश्चित किया जाए कि ग्राहक के साथ किया गया करार बैंक के नियंत्रण से बाहर की परिस्थितियों में द्वारस्थ सेवाएं प्रदान करने में चूक के लिए बैंक पर कोई कानूनी या वित्तीय दायित्व नहीं डाले । इन सेवाओं को शाखा में प्रदान की जा रही सेवाओं के मात्र विस्तार के रूप में देखा जाना चाहिए और बैंक की देयता उतनी ही होनी चाहिए जितनी उन सेवाओं को शाखा में प्रदान करते समय रहती है। इस करार में ग्राहक को द्वारस्थ बैंकिंग सेवाएँ प्रदान करने का दावा करने का अधिकार प्रदान नहीं करना चाहिए। द्वारस्थ बैंकिंग सेवाओं के लिए शहरी सहकारी बैंकों को अपने कर्मचारियों / एजेंटों के लिए नकद सीमा (संग्रहण के साथ-साथ सुपुर्दगी के लिए) निर्धारित करनी चाहिए। शहरी सहकारी बैंकों को ये सेवाएँ प्रदान करते समय तकनीकी जोखिम को नियंत्रित करने हेतु सभी आवश्यक कदम उठाने चाहिए। 5. पारदर्शिता द्वारस्थ बैंकिंग सेवाओं के लिए ग्राहक पर लगाए जाने वाले शुल्क, अगर कुछ है तो, को बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति में शामिल किया जाना चाहिए और ग्राहक के साथ किए गए करार का हिस्सा बनाना चाहिए। शुल्कों को बैंक की वेबसाइट और द्वारस्थ बैंकिंग सेवाओं से संबन्धित ब्रोशर में प्रमुखता के साथ सूचित किया जाना चाहिए। 6. अन्य शर्तें
7. शिकायत का निवारण
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