भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 42 (2) - अनुसूचित वाणिज्य बैंकों से अनुबंध ‘क’ में आंकड़ों का संग्रहण - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 42 (2) - अनुसूचित वाणिज्य बैंकों से अनुबंध ‘क’ में आंकड़ों का संग्रहण
भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 42 (2) -
अनुसूचित वाणिज्य बैंकों से अनुबंध ‘क’ में आंकड़ों का संग्रहण
संदर्भ : बैंपविवि. सं. आरइटी. बीसी. 78 /12.01.001 /2002-03
7 मार्च 2003
16 फाल्गुन 1924 (शक)
सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और स्थानीय क्षेत्र बैंकों को छोड़कर)
प्रिय महोदय,
भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 42 (2) - अनुसूचित वाणिज्य बैंकों से अनुबंध ‘क’ में आंकड़ों का संग्रहण
कृपया आप 15 फरवरी 1999 का हमारा परिपत्र बीसी सं. 10/12.01.001/98-99 और 7 नवंबर 2000 का परिपत्र बैंपविवि. सं. बीसी. 50/12.01.001/2000-01 देखें, जिनके साथ भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 42(2) के अंतर्गत फार्म ए विवरणी के अनुबंध ‘क’ में विदेशी मुद्रा आस्तियों और देयताओं तथा उनके पुनर्मूल्यन से संबंधित आंकड़ों के संकलन के बारे में अनुसूचित वाणिज्य बैंकों को दिशा-निर्देश जारी किये गये हैं ।
बैंकों से प्राप्त आंकड़ों का विश्लेषण करते समय यह देखा गया है कि विदेशी मुद्रा आस्तियों / देयताओं के पुनर्मूल्यन संबंधी आंकड़ों की जानकारी देते समय बैंक हमारे अनुदेशों का पालन नहीं कर रहे हैं, जिसके कारण उनमें त्रुटियां होती हैं । अत: बैंकों का ध्यान पुन: इस बात की ओर आकर्षित किया जाता है कि वे अपने मार्गदर्शन के लिए निम्नलिखित परिपत्रों के प्रावधानों का पालन करें ।
(i) अनुबंध ‘क’ के स्तंभ 3 में ‘पुनर्मूल्यन मूल्य’ चालू रिपोर्टिंग शुक्रवार और उससे पहले वाले रिपोर्टिंग शुक्रवार के बीच विनिमय दर में परिवर्तन के कारण विदेशी मुद्रा आस्तियों / देयताओं के पुनर्मूल्यन से लाभ / हानि है ।
(7 नवंबर 2000 के हमारे परिपत्र का पैरा 2.7)
(ii) एन आर ई, एन आर एन आर जैसी अनिवासी रुपया देयताओं का पुनर्मूल्यन आवश्यक नहीं है, क्योंकि ये जमाराशियां स्वीकार करते समय ऐतिहासिक / काल्पनिक दरों पर रुपयों में स्वैप की जाती हैं । अत: बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे एन आर ई, एन आर एन आर जैसे अनिवासी रुपया खातों के पुनर्मूल्यन स्तंभ में शून्य दर्शायें ।
(15 फरवरी 1999 के हमारे परिपत्र के अनुबंध ‘क’ का पैरा II)
(iii) बैंक एफ सी एन आर (बी) खातों के लिए पुनर्मूल्यन के आंकड़े दर्शायें, न कि पुनर्मूल्यांकित बकाया के ।
(iv) 15 फरवरी 1999 के हमारे परिपत्र के अनुबंध ‘क’ के पैरा II के अनुसार बैंक पखवाड़े के दौरान सभी देयताओं के संबंध में प्रोद्भूत ब्याज के आंकड़े देना जारी रखें (जैसा कि वर्तमान में दे रहे हैं ) ।
कृपया यह सुनिश्चित करें कि विदेशी मुद्रा आस्तियों /देयताओं के आंकड़े संकलित करते समय हमारे उपर्युक्त अनुदेशों का पूर्णत: पालन किया जाता है ।
कृपया प्राप्ति-सूचना भिजवायें ।
भवदीय
(आर. सी. मित्तल )
महा प्रबंधक