कार्ड मौजूद नहीं (दूरस्थ) लेन-देन से संबंधित सुरक्षा मुद्दे और जोखिम कम करने के उपाय - आरबीआई - Reserve Bank of India
कार्ड मौजूद नहीं (दूरस्थ) लेन-देन से संबंधित सुरक्षा मुद्दे और जोखिम कम करने के उपाय
आरबीआई/2010-11/347 31 दिसंबर, 2010 अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक/मुख्य कार्यकारी अधिकारी महोदया/प्रिय महोदय कार्ड मौजूद नहीं (दूरस्थ) लेन-देन से संबंधित सुरक्षा मुद्दे और जोखिम कम करने के उपाय कृपया 18 फरवरी 2009 के हमारे परिपत्र आरबीआई/डीपीएसएस/सं.1501/02.14.003/2008-2009 का संदर्भ लें, जिसमें यह निदेश जारी करते हुए बैंकों के लिए यह अनिवार्य कर दिया गया था कि वे इंटरएक्टिव वॉइस रिस्पांस (आईवीआर) लेनदेन को छोड़कर, सभी ऑन-लाइन कार्ड मौजूद नहीं (सीएनपी) अर्थात दूरस्थ लेनदेन के लिए कार्ड पर दिखाई न देने वाली सूचना के आधार पर अतिरिक्त अधिप्रमाणन/वैधीकरण लागू करें। हमारे दिनांक 23 अप्रैल 2010 के परिपत्र आरबीआई/2009-2010/420, डीपीएसएस सं. 2303/02.14.003/2009-2010 के द्वारा इसे 01 जनवरी 2011 से आईवीआर लेनदेन सहित सभी सीएनपी लेनदेनों के लिए अनिवार्य कर दिया गया था। 2. निदेशों के कार्यान्वयन में प्रगति पर निरंतर निगरानी की जा रही है क्योंकि सेवा समाधानों को लागू करने में कई हितधारक शामिल हैं। जबकि इस मामले में काफी प्रगति हुई है, बैंकों ने यह अनुरोध किया है कि उन्हें इस नई प्रणाली को लाइव परिदृश्य में उचित अवधि के लिए समानांतर रन करके परीक्षण करने की अनुमति दी जाए दें, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ग्राहकों को असुविधा न हो। 3. हितधारकों के साथ आगे विचार-विमर्श के बाद यह निर्णय लिया गया है कि नई व्यवस्था को एक महीने की अवधि के लिए 31 जनवरी, 2011 तक समानांतर चलने (रन) की अनुमति दी जाए। इस अवधि के दौरान आईवीआर लेन-देन को केवल अतिरिक्त कारक अधिप्रमाणन न करने के कारण अस्वीकार नहीं किया जाएगा। तथापि, बैंकों द्वारा यह सुनिश्चित करने के लिए सभी प्रयास किए जाएंगे कि ग्राहक आईवीआर मोड के माध्यम से लेन-देन करते समय अतिरिक्त कारक अधिप्रमाणन का भी उपयोग करें। हालांकि, 31 जनवरी, 2011 के बाद किसी भी आईवीआर लेनदेन की अनुमति नहीं दी जाएगी जब तक कि ऐसे लेनदेन अतिरिक्त कारक अधिप्रमाणन की अपेक्षा का अनुपालन नहीं करते। 4. हमें विभिन्न हितधारकों से अनुरोध प्राप्त हो रहे हैं कि मेल ऑर्डर टेलीफोन ऑर्डर (एमओटीओ) लेनदेन, जो कि कार्ड नॉट प्रेजेंट ट्रांजैक्शन का एक उप समुच्चय (सबसेट) भी है, को वर्तमान के लिए अतिरिक्त कारक अधिप्रमाणन से छूट दी जाए। हितधारकों के साथ व्यापक विचार-विमर्श के बाद, यह निर्णय लिया गया है कि बैंक और कार्ड कंपनियां निम्नलिखित के संबंध में अपनाई जाने वाली प्रक्रिया के बारे में 28 फरवरी, 2011 तक हमें सूचित करेंगी:- ए. कार्डधारकों द्वारा व्यापारियों को उपयोगिता सेवाओं (यूटिलिटी सर्विसेज) की श्रेणी बताते हुए दिए गए स्थायी अनुदेश के आधार पर आवर्ती लेन-देन। बी. यात्रा और होटल उद्योग बुकिंग और अन्य मेल ऑर्डर टेलीफोन ऑर्डर (मोटो) लेन-देन। 5. कृपया प्राप्ति सूचना दें। भवदीय (जी. पद्मनाभन) |