गुमशुदा व्यक्तियों के संबंध में दावों का निपटान - आरबीआई - Reserve Bank of India
गुमशुदा व्यक्तियों के संबंध में दावों का निपटान
आरबीआइ/2007-08/319
आरपीसीडी.केका.आरएफ.बीसी.70/07.38.01/2007-08
14 मई 2008
सभी राज्य और जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक
महोदय,
गुमशुदा व्यक्तियों के संबंध में दावों का निपटान
यह पूछा गया है कि गुमशुदा व्यक्तियों के मामले में दावे के निपटान हेतु नामिती/कानूनी वारिसों से प्राप्त दावों पर बैंक किस प्रणाली का अनुसरण करें ।
2. गुमशुदा व्यक्तियों के मामले में दावों का निपटान भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की धारा 107/108 के प्रावधानों के अनुसार किया जाएगा । धारा 107 गुमशुदा व्यक्ति के जीवित होने तथा धारा 108 उसकी मृत्यु की परिकल्पना पर आधारित है । भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 108 के अनुसार मृत्यु की परिकल्पना का मामला गुमशुदा व्यक्ति के खोने की सूचना से सात वर्ष बीत जाने के बाद ही उठाया जा सकता है । अत:, नामिती/कानूनी वारिसों को अभिदाता की मृत्यु हो जाने की सुव्यक्त परिकल्पना का मामला किसी सक्षम न्यायालय के समक्ष भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 107/108 के अंतर्गत उठाना होगा । यदि न्यायालय यह मान लेता है कि गुमशुदा व्यक्ति की मृत्यु हो गयी है तब उस आधार पर गुमशुदा व्यक्ति के संबंध में दावे का निपटान किया जा सकता है ।
3. बैंकों को यह सूचित किया जाता है कि वे एक नीति निर्धारित करें जिससे वे कानूनी राय पर विचार कर तथा प्रत्येक मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए गुमशुदा व्यक्ति के संबंध में दावों का निपटान कर सकें । इसके अलावा, आम आदमी को असुविधा और अनुचित कठिनाई से बचाने के लिए बैंकों को सूचित किया जाता है कि अपनी जोखिम प्रबंध प्रणाली को ध्यान में रखते हुए वे एक ऐसी उच्चतम सीमा निर्धारित कर सकते हैं, जिसके अधीन वे (i) एफआइआर तथा पुलिस प्राधिकारियों द्वारा जारी लापता रिपोर्ट तथा (ii) क्षतिपूर्ति पत्र के अलावा किसी अन्य दस्तावेज की प्रस्तुति पर जोर दिये बिना गुमशुदा व्यक्तियों के संबंध में दावों का निपटान कर सकते हैं ।
भवदीय
(बी. पी. विजयेद्र)
मुख्य महाप्रबंधक