मुद्रा तिजोरी में कमी – मुद्रा तिजोरी रखने वाले बैंकों में आंतरिक नियंत्रण प्रणाली को सुदृढ़ करना
आरबीआई/2005-06/91 02 अगस्त 2005 अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक/मुख्य कार्यकारी अधिकारी महोदय, मुद्रा तिजोरी में कमी – मुद्रा तिजोरी रखने वाले बैंकों में आंतरिक नियंत्रण प्रणाली को सुदृढ़ करना कृपया दिनांक 23 अक्टूबर 2003 के हमारे परिपत्र डीसीएम(सीसी)सं.485/03.30.02/2003-04 का संदर्भ लें। रिकॉर्ड से हमने पाया है कि विभिन्न बैंकों की मुद्रा तिजोरियों द्वारा भारतीय रिजर्व बैंक को भेजे गए विप्रेषण में कमी बढ़ने का रुझान प्रदर्शित हो रहा है। इस तरह की कमी के कारणों में से एक और यहां तक कि धोखाधड़ी / हेराफेरी के लिए बैंकों के नियंत्रक कार्यालयों की समय-समय पर तिजोरी की शेष राशि और/या दो महीने में कम से कम एक बार जैसा कि ऊपर संदर्भित हमारे परिपत्र में निर्धारित किया गया है, यह सुनिश्चित करने में असमर्थता है। इसके अतिरिक्त, मुद्रा तिजोरियों में किए गए आंतरिक मात्रात्मक/गुणात्मक नियंत्रण अपर्याप्त हैं, और जो बढ़ते जोखिम के अतिरिक्त कमी और हेराफेरी की बढ़ती घटनाओं में योगदान करते हैं। अत:, हमें प्रसन्नता होगी यदि आप यह सुनिश्चित करने के लिए अपनी तिजोरी शाखाओं के नियंत्रक कार्यालयों को आवश्यक निर्देश जारी करेंगे कि उनके द्वारा हमारे परिपत्र में निर्धारित न्यूनतम आवधिकता के अनुसार शेष राशि का सत्यापन और आंतरिक नियंत्रण प्रणाली में आवश्यक सुरक्षा उपायों (जैसे अचानक सत्यापन/प्रभावी संयुक्त अभिरक्षा, आदि) का अनिवार्य रूप से पालन किया जाता है। 2. कृपया पावती दें। भवदीय (पी आर नायर) |
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