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फसल ऋण के लिए उधार देने की क्रियाविधि का सरलीकरण

आरबीआइ /2008-09/140

आरबीआइ /2008-09/140
ग्राआऋवि.पीएलएफएस.बीसी.सं.22/05..04.02/2008-09

26 अगस्त 2008

अध्यक्ष/प्रबंध निदेशक/मुख्य कार्यपालक अधिकारी
अनुसूचित वाणिज्य़ बैंक (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों सहित)

महोदय,

फसल ऋण के लिए उधार देने की क्रियाविधि का सरलीकरण

कृपया वर्ष 2008-09 के वार्षिक नीति वक्तव्य का पैरा 138 और 139 (प्रति संलग्न) देखें।

2. वर्ष 2007-08 के वार्षिक नीति वक्तव्य की मध्यावधि समीक्षा में कृषि कर्ज़दारी पर राधाकृष्ण विशेषज्ञ दल की उन सिफारिशों की ज़ांच करने के लिए एक आंतरिक कार्य दल गठित करने का प्रस्ताव किया गया था ज़ो बैंकिंग प्रणाली से सामान्य रुप से और रिज़र्व बैंक से विशेष रुप से संबंधित हैं।

3. विशेषज्ञ दल ने यह सिफारिश की है कि बैंकों को ये निर्देश दिए जाएं कि वे ऋण क्रियाविधि को सरल बनाएं तथा छोटे और सीमांत किसानों को समय पर ऋण प्रदान कराने में सहायता करें।

4. इस संबंध में यह उल्लेखनीय है कि विशेष रुप से छोटे और सीमांत किसानों द्वारा कृषि ऋण प्राप्त करने की क्रियाविधि और प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए रिज़र्व बैंक द्वारा गठित कार्य दल (अध्यक्ष : श्री सी. पी. स्वर्णकार) की सिफारिशों के आलोक में किसानों के लिए क्रियाविधि को सरल बनाने हेतु रिज़र्व बैंक ने पहले से ही कतिपय उपाय किए हैं।

i)बैंकों को सूचित किया गया है कि वे छोटे और सीमांत किसानों, बंटाइदारों और ऐसे ही व्यक्तियों को 50,000/- रुपए तक के छोटे ऋणों के लिए उनसे " कोई बकाया नहीं" (नो डयूज़) प्रमाण पत्र लेना बंद करें और उसके बदले, उधारकर्ता से स्व-घोषणापत्र प्राप्त करें, तथा
ii)
भूमिहीन श्रमिकें, बंटाइदारों, काश्तकारें और मौखिक पट्टेदारों को, उनकी पहचान और स्थिति का सत्यापन करने के लिए, प्रलेखों के अभाव के कारण ऋण देने में आने वाली समस्याओं को दूर करने के लिए बैंकों को सूचित किया गया है कि वे भूमिहीन श्रमिकें, बंटाइदारों, काश्तकारें और मौखिक पट्टेदारों को ऋण देने के मामले में फसल उगाने के संबंध में स्थानीय प्रशासन/पंचायती रोज़/ संस्थाओं द्वारा ज़ारी प्रमाण पत्र स्वीकार करें।

5. आंतरिक कार्यकारी दल ने यह सिफारिश की है कि भूमिहीन श्रमिकें, बंटाइदारों, काश्तकारें और मौखिक पट्टेदारों को एक निश्चित राशि तक (ज़ठसे कि 50,000/- रुपए) के ऋणों के लिए पर्यायी रुप में, एक शपथपत्र (एफिडेविट) प्रस्तुत करने की अनुमति दी ज़ाए ज़िसमें उसकी पहचान और स्थिति बताई गई हो। तथापि, वित्त प्रदान करने से पहले बैंक मूल्यांकन संबंधी क्रियाविधि और मंज़ूरीपूर्व ज़ांच की अपनी सामान्य प्रक्रिया का पालन करें।

6. अत: यह प्रस्तावित है कि ज़िन मामलों में ऊपर 4(ii) में बताए गए अनुसार प्रमाण पत्र प्राप्त करने में कठिनाई हो रही हो वहां बैंक 50,000/- रुपए तक के ऋण के लिए, भूमिहीन श्रमिकें, बंटाइदारों, काश्तकारें और मौखिक पट्टेदारों से शपथपत्र (एफिडेविट) स्वीकार करें ज़िसमें उनकी व्यावसायिक स्थिति (ज़ैसे कि ज़ोती गई भूमि/उगाई गई फसलों का ब्योरा) दर्शाई गई हो। बैंक ऐसे व्यक्तियों के लिए संयुक्त देयता समूह/ स्वयं सहायता समूह (ज़ेएलज़ी/एसएचज़ी) स्वरुप के ऋणों को भी प्रोत्साहित करें। तथापि, वित्त प्रदान करने से पहले बैंक केवाइसी मानदंडो के अनुसार उधारकर्ता की पहचान, मूल्यांकन और मंज़ूरीपूर्व ज़ांच संबंधी प्रक्रिया का पालन करें।

7. इस संबंध में की गई कार्रवाई से रिज़र्व बैंक के उस क्षेत्रीय कार्यालय को अवगत कराएं ज़िसके क्षेत्राधिकार में बैंक का प्रधान कार्यालय कार्यरत है।

भवदीय

(बी.पी.विज़येन्द्र)
मुख्य महाप्रबंधक


अनुबंध

(घ) फसल ऋणों के लिए उधार-क्रियाविधि का सरलीकरण

138. रिज़र्व बैंक द्वारा नियुक्त कार्य दल (अध्यक्ष: श्री सी.पी. स्वर्णकार) और भारत सरकार द्वारा नियुक्त कृषि कर्ज़दारी संबंधी समिति (अध्यक्ष : डॉ. आर. राधाकृष्ण) ने कृषि कार्यों के लिए पूरे वर्ष के दौरान नकद राशि की उपलब्धता के मुद्दे सहित, किसानों के सामने आने वाली ऋण संबंधी कठिनाइयों को दूर करने के संबंध में अनेक सिफारिशें की हैं। राधाकृष्ण समिति की सिफारिशों की ज़ांच करने के लिए रिज़र्व बैंक द्वारा नियुक्त आंतरिक कार्य दल (अध्यक्ष: श्री वी. एस. दास) की रिपोर्ट व्यापक परामर्श के लिए रिज़र्व बैंक की वेबसाइट पर रख दी गई है।

139. ज़हां प्राप्त अभिमतों/प्रतिक्रियाओं के आधार पर राधाकृष्ण समिति की सिफारिशों पर की ज़ाने वाली कार्रवाई को अंतिम रूप दिया ज़ाएगा, वहीं यह प्रस्ताव है कि :

  • भूमिहीन श्रमिकों, बंटाइदारों, काश्तकारों और मौखिक पट्टेदारों को दिये ज़ानेवाले फसल ऋणों के संबंध में सरल क्रियाविधियां लागू करना ज़िससे बैंक स्वतंत्र प्रमाणन की किसी ज़रूरत के बिना एक ऐसा शपथपत्र प्राप्त कर सकें ज़िसमें ऐसे व्यक्तियों द्वारा रु.50,000 के ऋणों के लिए ज़ोती गई भूमि/उगाई गई फसलों के ब्योरे दिए गए हो। बैंक ऐसे व्यक्तियों के लिए ऋण प्रदान करने के लिए संयुक्त देयता समूह (ज़ेएलज़ी)/एसएचज़ो पद्धति को प्रोत्साहन दे सकते हैं।

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