राष्ट्रिक स्वर्ण बॉन्ड (एसजीबी) योजना- ग्रहणाधिकर का अंकन - आरबीआई - Reserve Bank of India
राष्ट्रिक स्वर्ण बॉन्ड (एसजीबी) योजना- ग्रहणाधिकर का अंकन
भा.रि.बैं/2019-20/86 30 अक्तूबर, 2019 सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक (आरआरबी को छोड़कर) महोदया/महोदय, राष्ट्रिक स्वर्ण बॉन्ड (एसजीबी) योजना- ग्रहणाधिकर का अंकन जैसा कि आप जानते हैं, सरकारी प्रतिभूति अधिनियम, 2006 और सरकारी प्रतिभूति विनिमयन, 2007 के अध्याय VII के द्वारा राष्ट्रिक स्वर्ण बॉन्ड बैंक और गैर-बैंकीय संस्थाओं दोनों के द्वारा समपार्श्विक (Collateral) के रूप में और गिरवी के लिए, दृष्टिबंधक या बॉन्डो पर ग्रहणाधिकर के लिए प्रयोग किया जाता है। इस संबंध में, हमने कई बैंकों और गैर-बैंकीय संस्थाओं से यह जानने के लिए संपर्क किया कि क्या बॉन्ड धारकों के द्वारा रखा गया धारक प्रमाणपत्र इसके स्वाधिकार और उक्त बॉन्ड पर ग्रहणाधिकर अंकन की प्रक्रिया के लिए उक्त प्रमाण है। 2. इस संबंध में, हम स्पष्ट करते हैं कि एसजीबी भारत सरकार के स्टॉक के रूप में जारी किया जाता है और या तो आरबीआई ई-कुबेर में बॉन्ड लेजर खाते (बीएलए) में या डिपोजीटरी में अमूर्तीकृत बॉन्ड के रूप में रखा जाता है। निवेशक निवेश के साक्ष्य के रूप में सीओएच जारी करते हैं यदि बॉन्ड आरबीआई के पास बीएलए खाते में रखा है। यदि बॉन्ड अमूर्तीकृत रूप में रखा गया है, तो धारक की हकदारी डिपोजीटरी द्वारा उपलब्ध डीमेट विवरण से सत्यापित किया जा सकता है। 3. बीएलए फॉर्म में रखे गए बॉन्डों की स्थिति में ग्रहणाधिकर अंकन करने के संबंध में, बैंक द्वारा उक्त उपलब्ध कराया जाता है। यह निर्दिष्ट किया जाए कि मान्य ग्रहणाधिकर के लिए, ऋण देने वाले बैंकों द्वारा ग्रहणाधिकार अंकन, ई-कुबेर पोर्टल पर उपलब्ध सुविधा का प्रयोग करके रिकर्ड किया जाना चाहिए। अमूर्त बॉन्डो की परिस्थिति में, ग्रहणाधिकर अंकन डिपोजीटरी द्वारा किया जाता है जैसा कि स्टॉक और शेयर द्वारा किया जाता है जो कि बैंक द्वारा समपार्श्विक (collateral) के रूप में स्वीकार किया जाता है। ग्रहणाधिकर अंकन के लिए विस्तृत प्रक्रिया हमारे वेबसाइट के इस लिंक for guidance please see the user manual available at our website के अंतर्गत यूजर मैनुअल में दी गई है। 4. हम यह भी सूचित करते हैं कि एसजीबी के संदर्भ में उपर्युक्त दी गई ग्रहणाधिकर अंकन सुविधा पर सूचना को संस्थाओं के परिचालनों में कार्मिकों के बीच में अच्छे से प्रचार-प्रसार किया जाए जिससे कि उपभोक्ताओं को स्टाफ के बीच में ज्ञान के अभाव के कारण असुविधा न हो। भवदीय, (टी.के.राजन) |