प्रोसेसिंग शुल्क / प्रभारों से संबंधित जानकारी प्रकट करना - आरबीआई - Reserve Bank of India
प्रोसेसिंग शुल्क / प्रभारों से संबंधित जानकारी प्रकट करना
आरबीआई / 2008-09/328 19 दिसंबर 2008 सभी राज्य सहकारी बैंक और प्रिय महोदय, प्रोसेसिंग शुल्क / प्रभारों से संबंधित जानकारी प्रकट करना बैंकों द्वारा अधिक ब्याज लगाए जाने की शिकायतों के संबंध में कृपया हमारा दिनांक 16 मई 2007 का परिपत्र ग्राआऋवि.केंका.आरएफ.बीसी. सं. 93/07.38.01/2006-07 देखें जिसमें राज्य और मध्यवर्ती सहकारी बैंकों को यह सूचित किया गया था कि वे उचित आंतरिक सिद्धांत और क्रियाविधि स्थापित करें ताकि उनके द्वारा ऋणों और अग्रिमों पर प्रोसेसिंग शुल्क सहित, सूदखोरी ब्याज न लगाया जाए। 2. हमारे ध्यान में यह बात आई है कि कुछ बैंक प्रोसेसिंग शुल्क के अलावा, कुछ ऐसे प्रभार भी लगा रहे हैं जो उधारकर्ता को पहले नहीं बताए गए थे। यहां यह उल्लेखनीय है कि उधारकर्ता को पहले बताए बिना बाद में ऐसे प्रभार वसूलना उचित नहीं है। 3. अत: राज्य और मध्यवर्ती सहकारी बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे यह सुनिश्चित करें कि सभी तरह के ऋणों के आवेदन फार्म, ऋण की राशि चाहे कितनी भी हो, बहुविस्तीर्ण हों और प्रोसेसिंग के लिए देय शुल्क/प्रभार, यदि कोई हो, आवेदन स्वीकार न किए जाने पर ऐसे शुल्कों की लौटाई जाने वाली राशि, पूर्व भुगतान का विकल्प और ऐसी कोई भी जानकारी जिससे उधारकर्ता का हित प्रभावित हो, आवेदन फार्म में अनिवार्य रूप से प्रकट की जाए। इसके अलावा, बैंक ग्राहकों को "समस्त लागत" (आल-इन-कॉस्ट) अवश्य सूचित करें ताकि ग्राहक वित्त प्राप्त करने के अन्य स्रोतों से लागत की तुलना कर सकें। 4. इसके अलावा, सभी प्रकार के ऋणों के संबंध में जिनकी न्यूनतम सीमा कितनी भी हो, बैंकों को चाहिए कि वे निर्धारित अवधि में लिखित रूप में ऋण आवेदनों के अस्वीकृत किए जाने की वज़ह जिससे बैंकों को आवेदन अस्वीकृत करना पड़ा हो, आवेदनकर्ता को सूचित करें। भवदीय,
(जी.श्रीनिवासन) प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक |