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बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) की धारा 6 - ऐसे कार्य जिन्हें सहकारी बैंकों द्वारा किया जा सकता है

आरबीआई/2009-10/172
ग्राआऋवि.केंका.आरएफ.बीसी.सं. 26/07.07.11/2009-10

29 सितंबर 2009

सभी राज्य सहकारी बैंक और
जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक

प्रिय महोदय,

बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 (सहकारी समितियों
पर यथालागू) की धारा 6 - ऐसे कार्य जिन्हें सहकारी बैंकों
द्वारा किया जा सकता है

बैंककारी विनियमन अधिनियम 1949 (सहकारी समितियों पर यथालागू) की धारा 6 (एफ) की ओर ध्यान आकर्षित किया जाता है, जिसके अनुसार बैंक किसी ऐसी संपत्ति के प्रबंधन, विक्रय और वसूली का काम कर सकता है जो उसके किसी दावे की पूर्ति अथवा आंशिक पूर्ति के रुप में उसके कब्जे में आई हो। उक्त अधिनियम की धारा 9 के अनुसार, बैंकों को किसी भी अचल संपत्ति को चाहे वह कैसे भी अधिग्रहित की गई हो, अपने उपयोग के लिए अधिग्रहित की गई अचल संपत्ति को छोड़कर, उसके अधिग्रहण से 7 वर्ष से अधिक की अवधि के लिए धारित नहीं करना चाहिए। सहकारी बैंकों द्वारा धारा 9 के उपबंधों का उल्लंघन किए जाने के कई मामले हमें रिपोर्ट किए गए हैं।

2. एतद्वारा यह निदेश दिया जाता है कि सहकारी बैंक ऐसी कोई भी संपत्ति अधिगृहित न करें जो उनके स्वयं के अर्थपूर्ण/औचित्यपूर्ण उपयोग के लिए न हो। यदि बैंकों ने दावे की पूर्ति के रूप में अधिगृहीत गैर बैंकिंग आस्तियों का अधिग्रहण किया है और उन्हें अर्थपूर्ण/औचित्यपूर्ण उपयोग में नही ला सकते हैं तो उक्त अधिनियम की धारा 9 के अंतर्गत निर्धारित अवधि में उनका निपटान करें। इन अनुदेशों को कड़ाई से पालन करने के लिए नोट किया जाए।

भवदीय
(आर.सी.षडंगी)
मुख्य महाप्रबंधक

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