आरबीआइ/2009-10/336 ग्राआऋवि.केंका.आरएफ.एएमएल.बीसी.सं.59/07.40.00/2009-10 3 मार्च 2010 अध्यक्ष तथा मुख्य कार्यपालक अधिकारी सभी राज्य और मध्यवर्ती सहकारी बैंक महोदय धनशोधन निवारण (लेनदेन के स्वरुप तथा मूल्य के अभिलेखों का रखरखाव, सूचना प्रस्तुत करने की समयसीमा तथा उसके रखरखाव की क्रियाविधि तथा पध्दति तथा बैंकिंग कंपनियों, वित्तीय संस्थाओं तथा मध्यवर्ती संस्थाओं के ग्राहकों की पहचान के अभिलेखों का सत्यापन तथा रखरखाव) संशोधन नियमावली, 2009 - बैंकों / वित्तीय संस्थाओं के दायित्व जैसा कि आप जानते है, भारत सरकार ने 12 नवंबर 2009 की अपनी अधिसूचना सं 13/2009/एफ सं.6/8/2009-ईएस द्वारा धनशोधन निवारण (लेनदेन के स्वरुप तथा मूल्य के अभिलेखों का रखरखाव, सूचना प्रस्तुत करने की समयसीमा तथा उसके रखरखाव की क्रियाविधि तथा पध्दति तथा बैंकिंग कंपनियों, वित्तीय संस्थाओं तथा मध्यवर्ती संस्थाओं के ग्राहकों की पहचान के अभिलेखों का सत्यापन तथा रखरखाव) नियमावली, 2005 में संशोधन किया है । उक्त अधिसूचना की प्रतिलिपि त्वरित संदर्भ के लिए संलग्न है । 2. उक्त संशोधन की कुछ मुख्य विशेषताएँ, जो राज्य और मध्यवर्ती सहकारी बैंकों से संबंधित है, निम्नानुसार हैं:
- नियम 2 के उप-नियम (1) में सम्मिलित खंड (सीए) में "गैर-लाभकारी संगठन" को परिभाषित किया गया है
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नियम 3 के उप-नियम (1) में सम्मिलित खंड (बीए) के अनुसार बैंकों / वित्तीय संस्थाओं से यह अपेक्षित है कि वे गैर-लाभकारी संगठनों द्वारा दस लाख रुपये अथवा विदेशी मुद्रा में उसकी समतुल्य राशि से अधिक मूल्य की प्राप्तियों वाले सभी लेनदेनों का सही रिकार्ड रखें ।
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संशोधित नियम 6 में यह प्रावधान है कि नियम 3 में उल्लिखित अभिलेख ग्राहक तथा बैंकिंग कंपनी / वित्तीय संस्था के बीच हुए लेनदेन की तारीख से 10 वर्ष की अवधि तक रखा जाना चाहिए ।
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नियम 8 के उप-नियम (3) में एक परन्तुक शामिल किया गया है, जिसके अनुसार बैंकों / वित्तीय संस्थाओं तथा उनके कर्मचारियों को संदिग्ध लेनदेन संबंधी सूचना प्रस्तुत करने का तथ्य पूर्णत: गोपनीय रखना चाहिए ।
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नियम 9 के अनुसार अब बैंकों /वित्तीय संस्थाओं को पचास हजार रुपये या उससे अधिक के एकल लेनदेन अथवा आपस में जुड़े प्रतित होने वाले कई पृथक लेनदेन करने वाले गैर-खाता आधारित ग्राहक की पहचान का सत्यापन करना होगा ।
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नियम 9 के संशोधित उप-नियम (1) खंड (ख) (ii) के अनुसार
सभी अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा अंतरण परिचालनों के लिए ग्राहक की पहचान का सत्यापन आवश्यक है ।
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खाता खोलने/लेनदेन के निष्पादन के बाद यथोचित अवधि के भीतर ग्राहक की पहचान का सत्यापन करने संबंधी नियम 9 (1) के परन्तुक को
हटा दिया गया है ।
3. तदनुसार, उपर्युक्त नियमों में किए गए संशोधनों के परिप्रेक्ष्य में राज्य और मध्यवर्ती सहकारी बैंकों से अपेक्षित है कि वे: i) गैर-लाभकारी संगठनों के दस लाख रुपये अथवा विदेशी मुद्रा में उसकी समतुल्य राशि से अधिक मूल्य की प्राप्तियों वाले सभी लेनदेन का सही रिकार्ड रखें और प्रत्येक महीने में निर्धारित फॉर्मेट में ऐसे सभी लेनदेन की रिपोर्ट एफआइयू-आइएनडी को परवर्ती महीने की 15 तारीख तक प्रेषित करें । ii) गैर-खाता आधारित ग्राहक अर्थात् वॉक-इन ग्राहक के लेनदेन के मामले में यदि लेनदेन की राशि पचास हजार रुपये या उससे अधिक हो, चाहे वह एकल लेनदेन हो या आपस में जुड़े प्रतीत होनेवाले कई लेनदेन हों, तो ग्राहक की पहचान तथा पते का सत्यापन किया जाना चाहिए । इसके अतिरिक्त, यदि बैंक के पास यह विश्वास करने का कारण है कि कोई ग्राहक अपना लेनदेन जानबूझकर 50,000/- रुपये की उच्चतम सीमा से कम के लेनदेनों की श्रृंखला में कर रहा है, तो बैंक को उस ग्राहक की पहचान तथा पते का सत्यापन करना चाहिए तथा एफआइयू-आइएनडी के पास एक संदिगध लेनदेन रिपोर्ट (एसटीआर) फाइल करने पर भी विचार करना चाहिए । 4. राज्य और मध्यवर्ती सहकारी बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे पीएमएलए नियमावली के संशोधित प्रावधानों का कड़ाई से पालन करें तथा इन नियमों का अक्षरश: अनुपालन सुनिश्चित करें । भवदीय, (आर. सी. षडंगी) मुख्य महाप्रबंधक अनुलग्नक: यथोक्त |