RbiSearchHeader

Press escape key to go back

पिछली खोज

थीम
थीम
टेक्स्ट का साइज़
टेक्स्ट का साइज़
S1

Notification Marquee

आरबीआई की घोषणाएं
आरबीआई की घोषणाएं

RbiAnnouncementWeb

RBI Announcements
RBI Announcements

असेट प्रकाशक

79070706

बैंकों में अदावी जमाराशियां तथा अपरिचालित /निक्रिय खाते

आरबीआइ/2008-09/386
ग्राआऋवि.केका.आरएफ.बीसी. 89/07.38.01/2008-09
18 फरवरी 2009
 
सभी राज्य और मध्यवर्ती सहकारी बैंक
 
महोदय ,
 
बैंकों में अदावी जमाराशियां तथा अपरिचालित /निक्रिय खाते
 

बैंकों के पास अदावी जमाराशियों की प्रतिवर्ष बढ़ती हुई राशि तथा ऐसी जमाराशियों से संबद्ध अंतर्निहित जोखिम के परिप्रेक्ष्य में ऐसा महसूस किया जा रहा है कि जिन खाताधारकों के खाते अपरिचालित रहे हैं, उनका पता-ठिकाना ढूंढने में बैंकों को अधिक सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए। इसके साथ ही, ग्राहकों के खातों के अपरिचालित श्रेणी में वर्गीकरण किए जाने के कारण उन्हें होने वाली कठिनाइयों के संबंध में अनेक शिकायतें प्राप्त हो रही हैं । इसके अलावा, ऐसी भी धारणा है कि बैंक ब्याज का भुगतान किए बिना अदावी जमाराशियों का अनुचित फायदा उठा रहे हैं। इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए, राज्य और मध्यवर्ती सहकारी बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे अपरिचालित / निक्रिय खातों पर कार्रवाई करते समय नीचे निर्दिष्ट अनुदेशों का अनुपालन करें :

(i) बैंकों को उन खातों की वार्षिक समीक्षा करनी चाहिए जिनमें एक वर्ष से अधिक अवधि से कोई भी परिचालन नहीं हुआ है (अर्थात् : आवधिक ब्याज जमा करने अथवा सेवा प्रभार नामे डालने के अलावा कोई जमा अथवा नामे प्रविष्टि नहीं है) । ऐसे मामलों में, बैंक ग्राहकों से संपर्क करें और उन्हें लिखित रूप में यह सूचित करें कि उनके खातों में कोई परिचालन नहीं किया गया है और उनसे इसका कारण पूछें । यदि ग्राहकों का उक्त इलाके से स्थानांतरण होने के कारण खाते अपरिचालित हैं तो ग्राहकों से उनके नए बैंक खातों के ब्योरे देने के लिए कहा जाए जिनमें विद्यमान खाते की शेष राशि को अंतरित किया जा सके ।

(ii) यदि वे पत्र अवितरित वापस आते हैं तो बैंकों को चाहिए कि वे अपने ग्राहकों का अथवा उनके कानूनी वारिसों का पता-ठिकाना ढूंढने के लिए तत्काल जांच कार्रवाई प्रारंभ करें ।

(iii) यदि ग्राहक का पता-ठिकाना नहीं मिल रहा है तो बैंक को खाता-धारक का परिचय करानेवाले व्यक्तियों से संपर्क करने पर विचार करना चाहिए । यदि ग्राहक के नियोजक /अथवा किसी अन्य व्यक्ति के ब्योरे उपलब्ध हैं तो उनसे भी संपर्क करने पर विचार किया जा सकता है । खाता-धारक का टेलीफोन नंबर/सेल नंबर यदि बैंक को दिया गया है तो बैंक उससे फोन पर भी संपर्क करने पर विचार कर सकते हैं । अनिवासी खातों के मामले में बैंक खाता-धारकों से ई-मेल के माध्यम से भी संपर्क कर सकते हैं और खाते के ब्योरे के संबंध में उनकी पुष्टि प्राप्त कर सकते हैं ।

(iv) बचत तथा चालू खाता, दोनों में अगर दो वर्ष से अधिक अवधि से कोई लेनदेन नहीं हो रहा है तो उन्हें अपरिचालित/निक्रिय खाता माना जाए । दो वर्ष से अधिक अवधि के लिए अपरिचालित खातों को अलग किया जाए तथा उन्हें एक अलग लेजर में रखा जाए ।

(v) यदि खाता-धारक खाते का परिचालन न करने के लिए कारण देते हुए कोई उत्तर देता है तो बैंकों को एक और वर्ष की अवधि के लिए उस खाते को सक्रिय खाते के रूप में वर्गीकृत करना जारी रखना चाहिए । इस अवधि के भीतर उस खाता-धारक को खाते का परिचालन करने के लिए अनुरोध किया जाए । तथापि, विस्तारित अवधि के दौरान भी खाता-धारक यदि खाता परिचालित नहीं करता है तो बैंकों को चाहिए कि विस्तारित अवधि समाप्त होने के बाद वे उसका अपरिचालित श्रेणी में वर्गीकरण करें ।

(vi) किसी भी खाते को ‘अपरिचालित’ रूप में वर्गीकृत करने के प्रयोजन के लिए ग्राहक तथा अन्य पार्टी के अनुरोध पर किए गए दोनों प्रकार के लेनदेन, अर्थात् नामे तथा जमा लेनदेन को विचार में लेना चाहिए । तथापि, बैंक द्वारा लगाए गए सेवा प्रभार तथा बैंक द्वारा जमा किये गये ब्याज को ध्यान में नहीं लिया जाए ।

(vii) इसके अलावा अपरिचालित खातों का पृथक्करण कपट/धोखाधड़ी आदि के जोखिम को कम करने की दृष्टि से किया जा रहा है । तथापि, केवल इस कारण कि किसी ग्राहक का खाता अपरिचालित माना जा रहा है, उसे किसी भी प्रकार की असुविधा नहीं होनी चाहिए । ऐसा वर्गीकरण केवल खाते से जुड़े बढ़े जोखिम को संबंधित स्टाफ के ध्यान में लाने के लिए किया गया है । धोखाधड़ी को रोकने तथा संदिग्ध लेनदेन रिपोर्ट बनाने, दोनों दृष्टि से इस लेनदेन की उच्चत्तर स्तर पर निगरानी की जानी चाहिए । तथापि, संपूर्ण प्रक्रिया के बारे में ग्राहक को पता नहीं चलना चाहिए ।

(viii) ग्राहक की जोखिम श्रेणी के अनुसार उचित सावधानी बरतने के बाद ऐसे खातों में परिचालन की अनुमति दी जानी चाहिए । यहां उचित सावधानी का अर्थ होगा, लेनदेन की प्रामाणिकता सुनिश्चित करना, हस्ताक्षर तथा पहचान का सत्यापन आदि । तथापि, यह सुनिश्चित किया जाए कि बैंक द्वारा बरती गई अतिरिक्त सावधानी के कारण ग्राहक को असुविधा नहीं होती है ।

(ix) अपरिचालित खाते को पुन: सक्रिय करने का कोई प्रभार नहीं होना चाहिए ।

(x) बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे यह भी सुनिश्चित करें कि अपरिचालित खाता लेजर में पड़ी शेष राशियों की बैंक के आंतरिक लेखा परीक्षकों / सांविधिक लेखा परीक्षकों द्वारा समुचित लेखा परीक्षा की जाती है ।

(xi) बचत बैंक खातों में नियमित आधार पर ब्याज की अदायगी की जानी चाहिए चाहे खाता सक्रिय हो अथवा न हो । यदि मीयादी जमा रसीद के परिपक्व होने पर देय राशि का भुगतान नहीं होता है तो बैंक के पास पड़ी अदावी राशि पर बचत खाते पर लागू ब्याज दर लागू
होगी ।

2. जिन विद्यमान खातों को पहले ही ‘अपरिचालित खाते’ नाम के अलग लेजर में अंतरित किया गया है उनसे संबंधित ग्राहकों /कानूनी वारिसों का पता-ठिकाना ढूंढने के लिए एक विशेष योजना प्रारंभ करने पर भी बैंक विचार कर सकते हैं ।

 
 
भवदीय
 
 

(बी.पी.विजयेद्र)
मुख्य महाप्रबंधक

RbiTtsCommonUtility

प्ले हो रहा है
सुनें

संबंधित एसेट

आरबीआई-इंस्टॉल-आरबीआई-सामग्री-वैश्विक

RbiSocialMediaUtility

आरबीआई मोबाइल एप्लीकेशन इंस्टॉल करें और लेटेस्ट न्यूज़ का तुरंत एक्सेस पाएं!

Scan Your QR code to Install our app

RbiWasItHelpfulUtility

क्या यह पेज उपयोगी था?