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अपने ग्राहक को जानिए (केवाइसी) मानदंड/धन शोधन निवारण (एएमएल) मानक/आतंकवाद के वित्तपोषण का सामना करना करना (सीएफटी) - वायर अंतरण

आरबीआइ/2006-07/399
ग्राआऋवि.केका.आरएफ. बीसी सं. 96 /07.40.00/2006-07

18 मई 2007

मुख्य कार्यपालकसभी राज्य और जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक

महोदय

अपने ग्राहक को जानिए (केवाइसी) मानदंड/धन शोधन निवारण (एएमएल) मानक/आतंकवाद के वित्तपोषण का सामना करना (सीएफटी) - वायर अंतरण

बैंक खातों के बीच निधियों के शीघ्र अंतरण की प्रणाली के रूप में बैंक वायर अंतरणों (वायर ट्रंस्फर) का उपयोग करते हैं । वायर अंतरण में एक देश की राष्ट्रीय सीमाओं के भीतर होनेवाले अथवा एक देश से दूसरे देश को किये जानेवाले लेनदेन शामिल हैं । चूंकि वायर अंतरणों में मुद्रा की वास्तविक आवाजाही शामिल नहीं है, अत: वे एक स्थान से दूसरे स्थान पर मूल्य अंतरण के लिए त्वरित और सुरक्षित प्रणाली समझे जाते हैं ।

2. वायर अंतरण लेनदेन की मुख्य विशेषताएं निम्न प्रकार हैं :

  1. वायर अंतरण एक ऐसा लेनदेन है जिसके द्वारा प्रवर्तक व्यक्ति (नैसर्गिक और कानूनी दोनों) की ओर से बैंक के ज़रिए इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से धन राशि किसी बैंक के किसी लाभार्थी को उपलब्ध करायी जाती है । प्रवर्तक और लाभार्थी एक ही व्यक्ति हो सकता है ।
  2. सीमा पार अंतरण का अर्थ है ऐसा वायर अंतरण जहां प्रवर्तक और लाभार्थी बैंक या वित्तीय संस्था भिन्न देशों में स्थित है । इसमें वायर अंतरणों की ऐसी श्रृंखला शामिल हो सकती है जिसमें कम-से-कम एक सीमा पार अंतरण किया गया हो ।
  3. देशी वायर अंतरण का अर्थ है ऐसा वायर अंतरण ंजहां प्रवर्तक और प्राप्तकर्ता एक ही देश में स्थित हैं। इसमें वायर अंतरणों की ऐसी श्रृंखला भी शामिल हो सकती है जो पूरी तरह एक ही देश की सीमाओं के भीतर होते हों भले ही वायर अंतरण करने के लिए प्रयुक्त प्रणाली किसी दूसरे देश में स्थित हो ।
  4. प्रवर्तक खाता धारक या जहां कोई खाता नहीं है वहां ऐसा व्यक्ति (नैसर्गिक और कानूनी) होता है जो बैंक को वायर अंतरण करने का आदेश देता है ।

3. वायर अंतरण दुनिया भर में निधियों के अंतरण के लिए तात्कालिक और पसंद किया जानेवाला माध्यम है और इसलिए इस बात की ज़रूरत है कि आतंकवादियों और अन्य अपराधियों की अपनी निधियों को लाने-ले जाने के लिए वायर अंतरणों तक मुक्त पहुंच को रोका जाए तथा जब भी इसका दुरुपयोग होता है तो उसका पता लगाया जाए । ऐसा तभी किया जा सकता है यदि वायर अंतरणों के प्रवर्तक के संबंध में बुनियादी जानकारी उपयुक्त कानून प्रवर्तन तथा/या अभियोजनकर्ता प्राधिकारियों को तुंत उपलब्ध करायी जाए ताकि आतंकवादियों या अन्य अपराधियों का पता लगाने, जांच-पड़ताल करने, मुकदमा चलाने में उन्हें सहायता दी जा सके और उनकी परिसंपत्तियों का पता लगाया जा सके । उक्त सूचना का उपयोग फाइनेंशल इंटेलिजेंस यूनिट - इंडिया (एफआइयू-आइएनडी) द्वारा संदिग्ध या असामान्य गतिविधि का विश्लेषण करने और आवश्यकता होने पर उसे प्रचारित करने के लिए ंकिया जा सकता है । लाभार्थी बैंक द्वारा प्रवर्तक संबंधी सूचना का उपयोग संदिग्ध लेनदेनों की पहचान करने तथा उसकी सूचना एफआइयू-आइएनडी को देने के लिए भी किया जा सकता है । छोटे वायर अंतरणों द्वारा संभावित आतंकवादी वित्तपोषण के खतरे को देखते हुए उद्देश्य यह है कि न्यूनतम प्रारंभिक सीमाओं के सभी वायर अंतरणों का पता लगाने की स्थिति में रहा जाए। तदनुसार, हम यह सूचित करते हैं कि बैंक यह सुनिश्चित करें कि सभी वायर अंतरणों के साथ निम्नलिखित सूचना हो :

(i) सीमा पार वायर अंतरण

(क) सभी सीमा पार (क्रॉस बॉर्डर) वायर अंतरणों के साथ सटीक और सार्थक प्रवर्तक संबंधी सूचना हो ।

(ख) सीमा पार वायर अंतरणों के साथ दी जानेवाली सूचना में प्रवर्तक का नाम और पता तथा जहां कहीं खाता हो, उस खाते का नंबर दिया जाना चाहिए । खाता न होने की स्थिति में एक विशिष्ट संदर्भ संख्या अवश्य दी जानी चाहिए जो संबंधित देश में प्रचलित हो ।

(ग) जहां किसी एकल प्रवर्तक से कई अलग-अलग अंतरण एक बैच फाइल में इकट्ठे कर दूसरे देश में लाभार्थियों को प्रेषित किये जाते हैं, वहां उन्हें पूर्ण प्रवर्तक संबंधी सूचना शामिल करने से छूट दी जा सकती है, बशर्ते उनमें उक्त (ख) के अनुसार प्रवर्तक की खाता संख्या या विशिष्ट संदर्भ संख्या शामिल हो ।

(ii) देशी वायर अंतरण

(क) रु. 50,000/- (पचास हज़ार रुपये) और उससे अधिक के सभी देशी वायर अंतरणों के साथ दी जानेवाली सूचना में प्रवर्तक संबंधी पूर्ण सूचना अर्थात् नाम, पता और खाता संख्या आदि शामिल की जानी चाहिए, केवल उन स्थितियों को छोड़कर जब लाभार्थी बैंक को अन्य माध्यमों से प्रवर्तक संबंधी पूर्ण सूचना उपलब्ध करायी जा सकती हो ।

(ख) यदि किसी बैंक के पास यह मानने का कोई कारण हो कि ग्राहक जानबूझकर सूचना देने या निगरानी से बचने के उद्देश्य से रु. 50,000/- (पचास हज़ार रुपये) से कम के विभिन्न लाभार्थियों को वायर अंतरण कर रहा है तो बैंक को उक्त अंतरण करने के पहले ग्राहक की पूरी पहचान पर अवश्य जोर देना चाहिए। ग्राहक द्वारा सहयोग न किये जाने के मामले में उसकी पहचान का पता लगाना चाहिए तथा एफआइयू - आइएनडी को संदिग्ध लेनदेन रिपोर्ट (एसटीआर) दी जानी चाहिए ।

(ग) जब धन के अंतरण के लिए क्रेडिट या डेबिट कार्ड का इस्तेमाल किया जाता है तब संदेश में उक्त (क) के अनुसार आवश्यक सूचना शामिल की जानी चाहिए ।

(iii) छूट

जहां प्रवर्तक और लाभार्थी दोनों बैंक या वित्तीय संस्थाएं हों वहां अंतर बैंक अंतरणों और निपटानों को उपर्युक्त अपेक्षाओं से छूट होगी ।

4. आदेशकर्ता, मध्यवर्ती और लाभार्थी बैंकों की भूमिका

(i) आदेशकर्ता बैंक

आदेशकर्ता बैंक वह है जो अपने ग्राहक द्वारा दिये गये आदेश के अनुसार वायर अंतरण का प्रवर्तन करता है । आदेशकर्ता बैंक को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि संबंधित वायर अतरणों में प्रवर्तक संबंधी पूर्ण सूचना ंहो । बैंक को भी सूचना का सत्यापन करना चाहिए तथा उसे कम-से-कम 10 वर्ष की अवधि के लिए परिरक्षित रखना चाहिए ।

(ii) मध्यवर्ती बैंक

सीमा पार तथा देशी वायर अंतरणों दोनों के लिए वायर अंतरणों की श्रृंखला के मध्यवर्ती तत्व की प्रोसेसिंग करनेवाले बैंक को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वायर अंतरण के साथ दी गयी समस्त प्रवर्तक सूचना अंतरण के साथ बनाये रखी जाती है । जहां तकनीकी सीमाओं के कारण सीमा पार के वायर अंतरण के साथ दी गयी पूर्ण प्रवर्तक सूचना संबंधित देशी वायर अंतरण के साथ बनायी रखी नहीं जा सकती, वहां प्रवर्तक बैंक से प्राप्त सभी सूचना का प्राप्तकर्ता मध्यवर्ती बैंक द्वारा कम-से-कम 10 वर्ष (जैसा कि धनशोधन निवारण अधिनियम, 2002 के अंतर्गत अपेक्षित है) के लिए रिकार्ड रखा जाना चाहिए ।

(iii) लाभार्थी बैंक

लाभार्थी बैंक में कारगर जोखिम आधारित क्रियाविधियां होनी चाहिए जिनसे पूर्ण प्रवर्तक सूचना रहित वायर अंतरणों का पता लगाया जा सके । पूर्ण प्रवर्तक सूचना के अभाव को कोई वायर अंतरण या संबंधित लेनदेन संदिग्ध है या नहीं तथा उसकी सूचना फाइनेंशल इंटेलिजेंस यूनिट इंडिया को दी जानी चाहिए या नहीं इसका निर्धारण करने के तत्व के रूप में समझा जाना चाहिए । यदि लेनदेन के साथ निधियों के प्रेषक की विस्तृत सूचना नहीं दी गयी है तो लाभार्थी बैंक को आदेशकर्ता बैंक के साथ भी मामले को उठाना चाहिए । यदि आदेशकर्ता बैंक प्रेषक के संबंध में सूचना नहीं देता तो लाभार्थी बैंक को चाहिए कि वह आदेशकर्ता बैंक के साथ अपने कारोबारी संबंध को सीमित या समाप्त कर देने तक पर विचार करे ।

5. ये दिशानिर्देश बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (जैसाकि सहकारी समितियों पर लागू है) की धारा 35क के अधीन जारी किये जा रहे हैं तथा इनके किसी भी उल्लंघन के लिए इस अधिनियम के संबंधित प्रावधानों के अधीन दंड लागू होगा ।

भवदीय

( सी.एस.मूर्ति )
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक

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